IIGS-Indian Institute of General Studies

IIGS-Indian Institute of General Studies this page provide General studies Content for UPSC CSE, STATE PCS, UGC-NET(JRF)-GEOGRAPHY, TGT(SOCIAL STUDIES), PGT(GEOGRAPHY & HISTORY) etc.

26/07/2025

NCERT स्तर पर आधारित एक तथ्यपरक रिपोर्ट, जिसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर से जुड़ी चर्चित बातों का वैज्ञानिक, ऐतिहासिक और तटस्थ मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया है। यह रिपोर्ट 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
---
📝 डॉ. भीमराव अंबेडकर: तथ्य बनाम भ्रम

(NCERT स्तर की एक तटस्थ और तथ्यात्मक रिपोर्ट)
---

🔷 परिचय:

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर (1891–1956) भारत के संविधान निर्माता, समाज सुधारक, अर्थशास्त्री और दलितों के अधिकारों के प्रखर प्रवक्ता थे। उनके जीवन और विचारों को लेकर कई तरह की जानकारियाँ प्रचारित होती हैं, जिनमें कुछ सत्य, कुछ भ्रम और कुछ आधे-अधूरे तथ्य होते हैं। इस रिपोर्ट में हम डॉ. अंबेडकर से जुड़ी प्रमुख बातों का ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर मूल्यांकन करेंगे।
---

🔸 1. क्या डॉ. अंबेडकर ने ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग का विरोध किया था?

✔️ आंशिक रूप से सत्य
डॉ. अंबेडकर ने पूर्ण स्वराज के विचार का सीधा विरोध नहीं किया, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीतियों की आलोचना की क्योंकि उसमें दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों को पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया था।

> उन्होंने सामाजिक न्याय को राजनीतिक स्वतंत्रता से भी अधिक ज़रूरी माना।
---

🔸 2. क्या डॉ. अंबेडकर अंग्रेजों की सरकार में श्रम मंत्री रहे थे?

✔️ सत्य
वे 1942 से 1946 तक ब्रिटिश वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में श्रम सदस्य (Labour Member) थे। उन्होंने श्रमिकों के कल्याण, मजदूर कानूनों, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में अहम भूमिका निभाई।
> वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुके थे।
---

🔸 3. क्या डॉ. अंबेडकर ने साइमन कमीशन का समर्थन किया था?

✔️ सत्य
हां। डॉ. अंबेडकर ने साइमन कमीशन का समर्थन किया क्योंकि वे मानते थे कि यह आयोग दलितों के लिए प्रतिनिधित्व की बात करता है। जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस आयोग का विरोध किया क्योंकि इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था।
---
🔸 4. क्या डॉ. अंबेडकर ने आज़ादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई थी?

✔️ आंशिक रूप से सत्य
डॉ. अंबेडकर ने गांधी, नेहरू, सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं की तरह सविनय अवज्ञा या भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लिया। परंतु उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए समानांतर संघर्ष चलाया और संविधान निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाई।

> उन्होंने ‘पूना समझौते’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
---

🔸 5. क्या अंबेडकर के पूर्वज भीमा कोरेगांव में अंग्रेजों की तरफ से लड़े थे?
❌ प्रमाण नहीं है
भीमा कोरेगांव युद्ध (1818) में महार सैनिकों ने अंग्रेजों की तरफ से पेशवा की सेना को हराया था। अंबेडकर ने इस युद्ध को दलितों के साहस का प्रतीक माना, पर उनके पूर्वज इस युद्ध में थे या नहीं – इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है।
---

🔸 6. क्या डॉ. अंबेडकर ने कहा कि दलितों ने अंग्रेजों की मदद की इसलिए भारत गुलाम बना?

❌ असत्य/अतिरंजना
डॉ. अंबेडकर ने ब्रिटिश शासन की कुछ नीतियों का समर्थन इसलिए किया क्योंकि वे दलितों को कुछ हद तक न्याय दे रही थीं। लेकिन उन्होंने ऐसा कोई सीधा कथन नहीं दिया कि "दलितों ने अंग्रेजों की मदद की इसलिए भारत गुलाम हुआ।"
---

🔸 7. क्या डॉ. अंबेडकर गरीब परिवार से नहीं थे?

❌ आंशिक सत्य
उनके पिता ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे और उन्हें पेंशन मिलती थी, लेकिन अंबेडकर को जातिगत भेदभाव के कारण सामाजिक और शैक्षणिक जीवन में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

> इसलिए उन्हें "सुविधा-संपन्न" कहना पूरी तरह उचित नहीं।
---

🔸 8. क्या डॉ. अंबेडकर महिलाओं के राजनीति में आने के खिलाफ थे?

❌ पूरी तरह असत्य
डॉ. अंबेडकर महिलाओं के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने हिंदू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं को संपत्ति, विवाह और तलाक के अधिकार दिलाने का प्रयास किया।

> वे भारत के इतिहास में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के पहले बड़े विधायी प्रयासकर्ता थे।
---

🔸 9. क्या डॉ. अंबेडकर को पढ़ाने वाले ब्राह्मण और विदेश भेजने वाले क्षत्रिय थे?

✔️ आंशिक रूप से सत्य
उनकी शिक्षा में समाज के कई वर्गों का योगदान रहा।

बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़ (मराठा क्षत्रिय) ने उन्हें छात्रवृत्ति दी।

स्कूलों और कॉलेजों में उन्हें पढ़ाने वाले कुछ शिक्षक ब्राह्मण जाति से थे।
---

🔸 10. क्या डॉ. अंबेडकर के पास 32 डिग्रियाँ थीं?

❌ गलत दावा
डॉ. अंबेडकर के पास अमेरिका (कोलंबिया यूनिवर्सिटी) और इंग्लैंड (लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स) से उच्च शिक्षा की डिग्रियाँ थीं। उनके पास लगभग 8 से 9 डिग्रियाँ और शोधपत्र थे। 32 डिग्रियों की बात अतिरंजित और अप्रमाणित है।
---

📊 सारांश तालिका:

क्रम कथन सत्यता

1 पूर्ण स्वराज का विरोध - आंशिक रूप से सत्य
2 श्रम मंत्री - सत्य
3 साइमन कमीशन समर्थन - सत्य
4 आज़ादी के आंदोलन में भूमिका नहीं आंशिक रूप से - सत्य
5 पूर्वज भीमा कोरेगांव युद्ध में - प्रमाणहीन
6 दलितों ने भारत को गुलाम बनवाया - असत्य
7 गरीब नहीं थे आंशिक - सत्य
8 महिलाएं राजनीति में न आएं पूरी तरह - असत्य
9 ब्राह्मण/क्षत्रिय मदद आंशिक रूप से - सत्य
10 32 डिग्रियाँ थीं - गलत
---

✅ कुल सत्य/आंशिक सत्य कथन: 6

❌ कुल असत्य/अतिरंजना/अप्रमाणित कथन: 4

🔚 निष्कर्ष:

डॉ. अंबेडकर के जीवन से जुड़े कई पहलुओं की व्याख्या संदर्भ के साथ करनी चाहिए। उनके विचारों को समग्र रूप से समझने के लिए इतिहास, समाजशास्त्र और संविधान की गहराई में जाना आवश्यक है। छात्रों को अंबेडकर के योगदानों का समावेशी और संतुलित अध्ययन करना चाहिए – न कि राजनीतिक या प्रचारित चश्मे से।

Please Like, Comment and share this valuable information about Dr. B.R. AMBEDKAR ☺️🙏

24/07/2025
ईसा पूर्व पहली शताब्दी (1st Century B.C.) एक बहुत ही महत्वपूर्ण काल था, जिसमें विश्व के कई हिस्सों में ऐतिहासिक परिवर्तन...
16/07/2025

ईसा पूर्व पहली शताब्दी (1st Century B.C.) एक बहुत ही महत्वपूर्ण काल था, जिसमें विश्व के कई हिस्सों में ऐतिहासिक परिवर्तन हुए। इस समय के प्रमुख घटनाओं का विवरण नीचे दिया गया है:

---

🌍 विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएँ (1st Century B.C.)

1. रोम साम्राज्य का उदय और सत्ता संघर्ष (Rise of Roman Empire)

जूलियस सीज़र (Julius Caesar):

ईसा पूर्व 49 में, सीज़र ने रोमन गणराज्य में गृहयुद्ध शुरू किया।

ईसा पूर्व 44 में, सीज़र की हत्या कर दी गई क्योंकि वह खुद को "आजीवन तानाशाह" घोषित कर चुका था।

उनकी हत्या के बाद रोमन गणराज्य का पतन शुरू हुआ और साम्राज्य की नींव पड़ी।

ऑगस्टस सीज़र (Augustus Caesar):

असली नाम ऑक्टेवियन, सीज़र के भतीजे।

ईसा पूर्व 31 में एक्टियम का युद्ध जीता।

ईसा पूर्व 27 में रोमन साम्राज्य का पहला सम्राट बना।

इसने Pax Romana (रोमन शांति) की शुरुआत की।

---

2. मिस्र में क्लियोपेट्रा का शासन (Cleopatra in Egypt)

मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा सप्तम, जूलियस सीज़र और बाद में मार्क एंटनी की सहयोगी बनी।

एक्टियम युद्ध (ई.पू. 31) में हार के बाद उसने आत्महत्या कर ली।

इसके बाद मिस्र रोमन साम्राज्य का हिस्सा बन गया।

---

3. भारत में शक और कुषाणों का प्रवेश

शकों (Scythians) ने भारत पर आक्रमण किया और पश्चिमोत्तर भारत में बस्तियाँ बसाईं।

ईसा पूर्व 58: उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने शकों को हराया। विक्रम संवत की शुरुआत मानी जाती है।

बाद में कुषाणों ने उत्तर भारत में सत्ता स्थापित की (यद्यपि उनकी प्रमुख सत्ता ई. पू. 1वीं शताब्दी के अंत और ई. के आरंभ में मानी जाती है)।

---

4. चीन में हान राजवंश का विस्तार (Han Dynasty in China)

हान साम्राज्य ने सिल्क रूट (Silk Road) का विस्तार किया।

इस समय चीन और पश्चिमी देशों के बीच व्यापारिक संबंध विकसित हुए।

---

5. बौद्ध धर्म का विस्तार

बौद्ध धर्म भारत से बाहर श्रीलंका, मध्य एशिया और चीन की ओर फैल रहा था।

ईसा पूर्व 1वीं शताब्दी के अंत में कई बौद्ध ग्रंथों का संकलन हुआ।

---

🗓️ कुछ प्रमुख तिथियाँ (Timeline of Events)

वर्ष (ईसा पूर्व) घटना

63 ई.पू. रोम द्वारा यहूदिया पर कब्जा
60 ई.पू. पहला त्रिमूर्ति (Triumvirate) - सीज़र, पॉम्पी और क्रासस
44 ई.पू. जूलियस सीज़र की हत्या
31 ई.पू. एक्टियम का युद्ध, ऑगस्टस की विजय
27 ई.पू. रोम साम्राज्य की शुरुआत
1 ई.पू. भारत में विक्रम संवत की स्थापना

---

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

ईसा पूर्व पहली शताब्दी राजनीतिक उथल-पुथल, सांस्कृतिक विस्तार और नए साम्राज्यों के गठन का युग था। इस शताब्दी की घटनाओं ने रोमन साम्राज्य, भारत और चीन की भावी दिशा तय की।

तराइन का युद्ध (Tarain War) – इतिहास भारत के मध्यकालीन इतिहास में तराइन के युद्ध (या तराइन की लड़ाइयाँ) अत्यंत महत्वपूर्...
14/07/2025

तराइन का युद्ध (Tarain War) – इतिहास

भारत के मध्यकालीन इतिहास में तराइन के युद्ध (या तराइन की लड़ाइयाँ) अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये युद्ध पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के बीच लड़े गए थे। कुल मिलाकर दो प्रमुख युद्ध हुए — पहला 1191 ई. में और दूसरा 1192 ई. में।
---

🔴 पहला तराइन युद्ध (1191 ई.)

स्थान: तराइन (वर्तमान हरियाणा के करनाल जिले के पास)

पक्षकार:

एक ओर थे: राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान (चाहमान वंश, दिल्ली-अजमेर के शासक)

दूसरी ओर थे: मुहम्मद गोरी (ग़ुरिद वंश का शासक, अफगानिस्तान से)

📌 युद्ध की पृष्ठभूमि:

मुहम्मद गोरी भारत में इस्लामी साम्राज्य स्थापित करना चाहता था।

उसने पहले पंजाब और सिंध पर कब्ज़ा किया और फिर दिल्ली और अजमेर की ओर बढ़ा।

⚔ युद्ध:

युद्ध बहुत घमासान था।

राजपूतों की सेना विशाल और संगठित थी।

पृथ्वीराज चौहान की सेना ने मुहम्मद गोरी की सेना को बुरी तरह पराजित किया।

गोरी घायल हो गया और युद्ध क्षेत्र से भाग निकला।

📚 परिणाम:

पृथ्वीराज चौहान की बड़ी जीत।

परंतु उन्होंने गोरी का पीछा नहीं किया और उसे वापस जाने दिया — यह भविष्य में एक भारी भूल साबित हुई।

---

🔴 दूसरा तराइन युद्ध (1192 ई.)

स्थान: वही तराइन

पक्षकार:

पृथ्वीराज चौहान (राजपूत राजा)

मुहम्मद गोरी (ग़ुरिद वंश)

📌 पृष्ठभूमि:

अपनी हार का बदला लेने के लिए गोरी ने अगले वर्ष फिर आक्रमण किया।

इस बार उसने पहले से ज़्यादा तैयारी की और चालाकी से हमला किया।

⚔ युद्ध:

युद्ध की शुरुआत में पृथ्वीराज चौहान की सेना ने वीरता दिखाई।

लेकिन गोरी ने रणनीति, चालबाज़ी और तुर्की घुड़सवारों की तेजी का इस्तेमाल करते हुए राजपूतों को मात दी।

पृथ्वीराज को बंदी बना लिया गया।

📚 परिणाम:

पृथ्वीराज चौहान की हार और गिरफ्तारी।

बाद में पृथ्वीराज को मार दिया गया।

इस युद्ध के बाद दिल्ली और उत्तरी भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखी !

✅ महत्व और प्रभाव:

1. भारत में इस्लामी शासन की शुरुआत – यह युद्ध भारत के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था।

2. दिल्ली सल्तनत की स्थापना – इसी के बाद गुलाम वंश और आगे की सल्तनतों का युग शुरू हुआ।

3. राजपूतों का पतन – इस युद्ध ने राजपूत शक्ति को गंभीर क्षति पहुँचाई।

4. मुहम्मद गोरी की विजय ने उसे भारत में और अधिक अभियान चलाने की प्रेरणा दी।

13/07/2025

Sunday, 13 JULY 2025. - HISTORY FACTS.

यह रहा लंदन की महान आग (The Great Fire of London – 1666) की पूरी कहानी विस्तार से ! :
---

🔥 लंदन की महान आग – 1666 की विभीषिका

🔹 पृष्ठभूमि:
1666 का लंदन, लकड़ी के मकानों और संकरे रास्तों से बना हुआ था। ज़्यादातर घरों की छतें घास-फूस या लकड़ी की बनी थीं। उस समय, आग बुझाने की आधुनिक व्यवस्था नहीं थी। शहर की सफाई और व्यवस्था भी बहुत खराब थी !

🔹 आग की शुरुआत:

तारीख: 2 सितंबर 1666
स्थान: पुडिंग लेन (Pudding Lane) पर स्थित थॉमस फैरिनर (Thomas Farriner) की बेकरी में आधी रात के आसपास।

थॉमस फैरिनर ने अपनी ओवन की आग को पूरी तरह से बुझाया नहीं था। आधी रात को आग भड़की और जल्द ही लकड़ी के मकानों में फैल गई।

तेज़ हवाओं के कारण आग ने पड़ोसी घरों को पकड़ लिया।

अगले ही दिन, सेंट पॉल कैथेड्रल और शहर के व्यापारिक क्षेत्र आग की चपेट में आ गए।

आग लगातार चार दिन (2 से 6 सितंबर) तक जलती रही।

गर्मी इतनी तीव्र थी कि पत्थर तक पिघलने लगे।
---

🔹 लोग कैसे बचे?

लोग नावों के ज़रिए टेम्स नदी पार करके भागे।

बहुत से लोगों ने अपने कीमती सामानों को चर्चों में छिपाया, परंतु चर्च भी जल गए।

हज़ारों लोग खुले मैदानों, खेतों और आसपास के गांवों में शरण लेने लगे।
---

🔹 आग कैसे रुकी?

आग को रोकने के लिए अधिकारियों ने घर गिराने का आदेश दिया, जिससे खाली जगह बन सके और आग आगे न बढ़े।

5-6 सितंबर को हवाएं थमीं और अंततः आग बुझा दी गई।
---

🔹 क्षति और परिणाम:

करीब 13,200 घर, 87 चर्च, और सरकारी इमारतें जलकर खाक हो गईं।

लगभग 70,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए।

आश्चर्यजनक रूप से, केवल 6 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हुई, पर यह संख्या असल में ज्यादा हो सकती है।

प्लेग (महामारी) भी उसी समय फैली हुई थी, पर आग के बाद वह अचानक कम हो गई — शायद आग ने गंदगी को नष्ट कर दिया।
---

🔹 इसके बाद क्या हुआ?

लंदन को फिर से बसाने की योजना बनाई गई।

वास्तुकार सर क्रिस्टोफर व्रेन (Sir Christopher Wren) ने नया सेंट पॉल कैथेड्रल डिज़ाइन किया।

लकड़ी की जगह पत्थर और ईंटों से घर बनाने के नियम लागू किए गए।
---

🏛️ स्मारक:

The Monument to the Great Fire of London नामक स्मारक आज भी लंदन में स्थित है, जो इस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है।
---
धन्यवाद !
Please follow, like, comment & share with your friends..

29/04/2025

Address

Delhi
110001

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when IIGS-Indian Institute of General Studies posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to IIGS-Indian Institute of General Studies:

Share