filmo ki duniya

filmo ki duniya welcome to new page dear friend please follow me end shere saport

22/02/2025

Tumhare Siva kuch na India Today Himesh Reshammiya Vicky Kaushal #

पति का बिछोह उस के लिए बड़ा दुखदाई था. दिन काटे नहीं कटता था, रात बिताए नहीं बीतती थी. तिलतिल कर सुलगती जवानी से उर्मिला...
10/02/2025

पति का बिछोह उस के लिए बड़ा दुखदाई था. दिन काटे नहीं कटता था, रात बिताए नहीं बीतती थी. तिलतिल कर सुलगती जवानी से उर्मिला पर उदासीनता छा गई थी. वह चंद दिन ससुराल में, तो चंद दिन मायके में गुजारती.

गांव से चलते समय उर्मिला को पूरा यकीन था कि कोलकाता जा कर वह अपने पति को ढूंढ़ लेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कोलकाता में 3 दिन तक भटकने के बाद भी पति राधेश्याम का पता नहीं चला, तो उर्मिला परेशान हो गई.

हावड़ा रेलवे स्टेशन के नजदीक गंगा के किनारे बैठ कर उर्मिला यह सोच रही थी कि अब उसे क्या करना चाहिए. पास ही उस का 10 साला भाई रतन बैठा हुआ था.

राधेश्याम का पता लगाए बिना उर्मिला किसी भी हाल में गांव नहीं लौटना चाहती थी. उसे वह अपने साथ गांव ले जाना चाहती थी. उर्मिला सहमीसहमी सी इधरउधर देख रही थी. वहां सैकड़ों की तादाद में लोग गंगा में स्नान कर रहे थे. उर्मिला चमचमाती साड़ी पहने हुई थी. पैरों में प्लास्टिक की चप्पलें थीं.

उर्मिला का पहनावा गंवारों जैसा जरूर था, लेकिन उस का तनमन और रूप सुंदर था. उस के गोरे तन पर जवानी की सुर्खी और आंखों में लाज की लाली थी.

हां, उर्मिला की सखीसहेलियों ने उसे यह जरूर बताया था कि वह निहायत खूबसूरत है. उस के अलावा गांव के हमउम्र लड़कों की प्यासी नजरों ने भी उसे एहसास कराया था कि उस की जवानी में बहुत खिंचाव है. सब से भरोसमंद पुष्टि तो सुहागसेज पर हुई थी, जब उस के पति राधेश्याम ने घूंघट उठाते ही कहा था, ‘तुम इतनी सुंदर हो, जैसे मेरी हथेलियों में चौदहवीं का चांद आ गया हो.’

उर्मिला बोली कुछ नहीं थी, सिर्फ शरमा कर रह गई थी. उर्मिला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक गांव की रहने वाली थी. उस ने 19वां साल पार किया ही था कि उस की शादी राधेश्याम से हो गई.

राधेश्याम भी गांव का रहने वाला था. उर्मिला के गांव से 10 किलोमीटर दूर उस का गांव था. उस के पिता गांव में मेहनतमजदूरी कर के परिवार का पालनपोषण करते थे. उर्मिला 7वीं जमात तक पढ़ी थी, जबकि राधेश्याम मैट्रिक फेल था. वह शादी के 2 साल पहले से कोलकाता में एक प्राइवेट कंपनी में चपरासी था.

शादी के लिए राधेश्याम ने 10 दिनों की छुट्टी ली थी, लेकिन उर्मिला के हुस्नोशबाब के मोहपाश में ऐसा बंधा कि 30 दिन तक कोलकाता नहीं गया.

जब घर से राधेश्याम विदा हुआ, तो उर्मिला को भरोसा दिलाया था, ‘जल्दी आऊंगा. अब तुम्हारे बिना काम में मेरा मन नहीं लगेगा.’

उर्मिला झट से बोली थी, ‘ऐसी बात है, तो मुझे भी अपने साथ ले चलिए. आप का दिल बहला दिया करूंगी. नहीं तो वहां आप तड़पेंगे, यहां मैं बेचैन रहूंगी.’

उर्मिला ने राधेश्याम के मन की बात कही थी. लेकिन उस की मजबूरी यह थी कि 4 दोस्तों के साथ वह उर्मिला को रख नहीं सकता था.

सच से सामना कराने के लिए राधेश्याम ने उर्मिला से कहा, ‘तुम 5-6 महीने रुक जाओ. कोई अच्छा सा कमरा ले लूंगा, तो आ कर तुम्हें ले चलूंगा.’

राधेश्याम अंगड़ाइयां लेती उर्मिला की जवानी को सिसकने के लिए छोड़ कर कोलकाता चला गया.

फिर शुरू हो गई उर्मिला की परेशानियां. पति का बिछोह उस के लिए बड़ा दुखदाई था. दिन काटे नहीं कटता था, रात बिताए नहीं बीतती थी.

तिलतिल कर सुलगती जवानी से उर्मिला पर उदासीनता छा गई थी. वह चंद दिन ससुराल में, तो चंद दिन मायके में गुजारती.

साजन बिन सुहागन उर्मिला का मन न ससुराल में लगता, न मायके में. मगर ऐसी हालत में भी उस ने अपने कदमों को कभी बहकने नहीं दिया था.

पति की अमानत को हर हालत में संभालना उर्मिला बखूबी जानती थी, इसलिए ससुराल और मायके के मनचलों की बुरी कोशिशों को वह कभी कामयाब नहीं होने देती थी.

ससुराल में सास ससुर के अलावा 2 छोटी ननदें थीं. मायके में मातापिता के अलावा छोटा भाई रतन था. उर्मिला ने जैसेतैसे बिछोह में एक साल काट दिया. मगर उस के बाद वह पति से मिलने के लिए उतावली हो गई.

हुआ यह कि कोलकाता जाने के 6 महीने तक राधेश्याम ने उसे बराबर फोन किया. मगर उस के बाद उस ने फोन करना बंद कर दिया. उस ने रुपए भेजना भी बंद कर दिया.

राधेश्याम को फोन करने पर उस का फोन स्वीच औफ आता था. शायद उस ने फोन नंबर बदल दिया था.

किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर राधेश्याम ने एकदम से परिवार से संबंध क्यों तोड़ दिया?

गांव के लोगों को यह शक था कि राधेश्याम को शायद मनपसंद बीवी नहीं मिली, इसलिए उस ने घर वालों व बीवी से संबंध तोड़ लिया है.

लेकिन उर्मिला यह बात मानने के लिए तैयार नहीं थी. वह तो अपने साजन की नजरों में चौदहवीं का चांद थी. राधेश्याम जिस कंपनी में नौकरी करता था, उस का पता उर्मिला के पास था. राधेश्याम के बाबत कंपनी वालों को रजिस्टर्ड चिट्ठी भेजी गई.

15 दिन बाद कंपनी का जवाब आ गया. चिट्ठी में लिखा था कि राधेश्याम 6 महीने पहले नौकरी छोड़ चुका था.

सभी परेशान हो गए. कोलकाता जा कर राधेश्याम का पता लगाने के सिवा अब और कोई रास्ता नहीं था.

उर्मिला का पिता अपंग था. कहीं आनेजाने में उसे काफी परेशानी होती थी. वह कोलकाता नहीं जा सकता था.

उर्मिला का ससुर हमेशा बीमार रहता था. जबतब खांसी का दौरा आ जाता था, इसलिए वह भी कोलकाता नहीं जा सकता था.

हिम्मत कर के एक दिन उर्मिला ने सास के सामने प्रस्ताव रखा, ‘अगर आप कहें, तो मैं अपने भाई रतन के साथ कोलकाता जा कर उन का पता लगाऊं?’

परिवार के लोगों ने टिकट खरीद कर रतन के साथ उर्मिला को हावड़ा जाने वाली ट्रेन में बिठा दिया.

राधेश्याम जिस कंपनी में काम करता था, सब से पहले उर्मिला वहां गई. वहां के स्टाफ व कंपनी के मैनेजर ने उसे साफ कह दिया कि 6 महीने से राधेश्याम का कोई अतापता नहीं है.

उस के बाद उर्मिला वहां गई, जहां राधेश्याम अपने 4 दोस्तों के साथ एक ही कमरे में रहता था. उस समय 3 ही दोस्त थे. एक गांव गया हुआ था.

तीनों दोस्तों ने उर्मिला का भरपूर स्वागत किया. उन्होंने उसे बताया कि 6 महीने पहले राधेश्याम यह कह कर चला गया था कि उसे एक अच्छी नौकरी और रहने की जगह मिल गई है. मगर सचाई कुछ और थी.

‘कैसी सचाई?’ पूछते हुए उर्मिला का दिल धड़कने लगा.

‘दरअसल, उसे किसी अमीर औरत से प्यार हो गया था. वह उसी के साथ रहने चला गया था,’ 3 दोस्तों में से एक दोस्त ने बताया.

उर्मिला को लगा, जैसे उस के दिल की धड़कन बंद हो जाएगी और वह मर जाएगी. उस के हाथपैर सुन्न हो गए थे, मगर जल्दी ही उस ने अपनेआप को काबू में कर लिया.

उर्मिला ने पूछा, ‘वह औरत कहां रहती है?’

तीनों में से एक ने कहा, ‘यह हम तीनों में से किसी को पता नहीं है. सिर्फ गणपत को पता है. उस औरत के बारे में हम लोगों ने उस से बहुत पूछा था, मगर उस ने बताया नहीं था.

‘उस का कहना था कि उस ने राधेश्याम से वादा किया है कि उस की प्रेमिका के बारे में वह किसी को कुछ नहीं बताएगा.’

‘गणपत कौन…’ उर्मिला ने पूछा.

‘वह हम लोगों के साथ ही रहता है. अभी वह गांव गया हुआ है. वह एक महीने बाद आएगा. आप पूछ कर देखिएगा. शायद, वह आप को बता दे.’

‘मगर, तब तक मैं रहूंगी कहां?’

‘चाहें तो आप इसी कमरे में रह सकती हैं. रात में हम लोग इधरउधर सो लेंगे.’

मगर उर्मिला उन लोगों के साथ रहने को तैयार नहीं हुई. उसे पति की बात याद आ गई थी.गांव से विदा लेते समय राधेश्याम ने उस से कहा था, ‘मैं तुम्हें ले जा कर अपने साथ रख सकता था, मगर दोस्तों पर भरोसा करना ठीक नहीं है.

‘वैसे तो वे बहुत अच्छे हैं. मगर कब उन की नीयत बदल जाए और तुम्हारी इज्जत पर दाग लगा दें, इस की कोई गारंटी नहीं है.’

उर्मिला अपने भाई रतन के साथ बड़ा बाजार की एक धर्मशाला में चली गई.

धर्मशाला में उसे सिर्फ 3 दिन रहने दिया गया. चौथे दिन वहां से उसे जाने के लिए कह दिया गया, तो मजबूर हो कर उसे धर्मशाला छोड़नी पड़ी.

अब उर्मिला अपने भाई रतन के साथ गंगा किनारे बैठी थी कि अचानक उस के पास एक 40 साला शख्स आया.

पहले उस ने उर्मिला को ध्यान से देखा, उस के बाद कहा, ‘‘लगता है कि तुम यहां पर नई हो. कहीं और से आई हो. काफी चिंता में भी हो. कोई परेशानी हो, तो बताओ. मैं मदद करूंगा…’’

मरहूम इरफ़ान खान की बहुत अंडररेटेड फ़िल्म है ये। ये साली ज़िंदगी। मेरे लिए ये उनकी टॉप 10 फ़िल्मों में से एक है।(मेरे लि...
08/02/2025

मरहूम इरफ़ान खान की बहुत अंडररेटेड फ़िल्म है ये। ये साली ज़िंदगी। मेरे लिए ये उनकी टॉप 10 फ़िल्मों में से एक है।(मेरे लिए हां। ज़रूरी नहीं सब ऐसा ही सोचें।) मैंने लैपटॉप पर देखी थी ये फ़िल्म। वो भी एचडी प्रिंट में। क्या प्रजेंटेशन है बॉस। सुधीर मिश्रा साहब की यही तो खासियत है। जो कहानी दूसरों के लिए मामूली होती है उन्हें सुधीर मिश्रा जी बड़े कायदे और सलीके से सेल्यूलॉयड पर पेश करते हैं। इस पूरी फ़िल्म में एक से एक खुर्राट कैरेक्टर हैं। लेकिन अरुण(इरफ़ान) और मेहता(सौरभ शुक्ला) सबसे बेस्ट हैं। पता नहीं क्यों? बड़ी कनैक्टिंग फ़ील होती है ये फ़िल्म। उन गुंडे बदमाशों की तरफ़ से नहीं हां। अरुण के कैरेक्टर की तरफ़ से। क्या है कि हमने अपने आस-पास भी कई ऐसे किस्से देखे हैं जिसमें लड़के किसी लड़की के लिए बड़ी-बड़ी भसड़ में पड़ते हैं और फ़िर किसी तरह सकुशल निकल भी आते हैं।

आज इस फ़िल्म के 14 साल पूरे हो गए हैं। 04 फ़रवरी 2011 को ये फ़िल्म रिलीज़ हुई थी। फ़िल्म का प्रदर्शन बहुत ख़ास नहीं रहा था। 11 करोड़ रुपए बजट था इस फ़िल्म का। और नेट कलैक्शन रहा था मात्र 10 करोड़ 94 लाख रुपए। और ये उस साल की, यानि 2011 की टॉप फ़िल्मों की लिस्ट में बहुत नीचे, 22वें स्थान पर रही थी। उस साल की टॉप तीन फ़िल्में थी बॉडीगार्ड, रेडी व सिंघम। मगर इस फ़िल्म के गाने अच्छे थे काफ़ी। मुझे तो बड़े पसंद आए थे। और सभी गाने पसंद आए थे। संगीत कंपोज़ किया था निशात खान ने। और सभी गीत लिखे थे स्वानदं किरकिरे जी ने। इस फ़िल्म के एक गीत की लाइन है "ज़िंदगी पे तेरा-मेरा किसी का ना ज़ोर है। हम सोचते हैं कुछ ये साली सोचती कुछ और है। ये ज़िंदगी। ये साली ज़िंदगी।" कभी चिल मूड में खुद को ले जाइए और तब ये गीत सुनिए। थैंक्स कहने खुद ब खुद आ जाएंगे आप।

06/02/2025

अगर आप किसी इमेज का बैकग्राउंड न्यूज स्टाइल में बदलना चाहते हैं, तो यहां कुछ स्टेप्स दिए गए हैं:

# # # 1. **इमेज एडिटिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करें:**
- **Photoshop:** यह सबसे पॉपुलर टूल है। इसमें आप "Magic Wand Tool" या "Quick Selection Tool" से बैकग्राउंड को सेलेक्ट करके डिलीट कर सकते हैं और नया बैकग्राउंड एड कर सकते हैं।
- **Canva:** यह एक आसान और फ्री टूल है। इसमें आप इमेज अपलोड करके बैकग्राउंड को रिमूव या चेंज कर सकते हैं।
- **Remove.bg:** यह एक ऑनलाइन टूल है जो ऑटोमेटिकली बैकग्राउंड को रिमूव कर देता है।

# # # 2. **बैकग्राउंड को न्यूज स्टाइल में सेट करें:**
- **ग्रैडिएंट बैकग्राउंड:** न्यूज स्टाइल में अक्सर ग्रैडिएंट बैकग्राउंड (जैसे नीला, लाल, या ग्रे) का उपयोग किया जाता है। आप इसे एडिटिंग टूल में एड कर सकते हैं।
- **टेक्स्ट और लोगो:** न्यूज स्टाइल में टेक्स्ट और लोगो भी जोड़ें। उदाहरण के लिए, "Breaking News" या "Live Updates" जैसे टेक्स्ट।
- **ओवरले इफेक्ट:** इमेज पर एक हल्का ओवरले (जैसे काला या सफेद) एड करें ताकि टेक्स्ट अच्छे से दिखे।

# # # 3. **टेक्स्ट और फॉन्ट:**
- न्यूज स्टाइल में बोल्ड और क्लियर फॉन्ट का उपयोग करें। जैसे Arial, Times New Roman, या Helvetica।
- टेक्स्ट को इमेज के ऊपर रखें और उसे साफ़ और पढ़ने योग्य बनाएं।

# # # 4. **फाइनल टच:**
- इमेज को सेव करने से पहले उसे अच्छे से चेक करें कि सब कुछ सही लग रहा है।
- इमेज को PNG या JPEG फॉर्मेट में सेव करें।

अगर आपको और मदद चाहिए, तो बताएं! 😊

02/02/2025

Big 😭😭😭😭😭 crudes 😭😭
# India Today

02/02/2025

Cricket team

किसी फ़िल्म की कहानी कैसी ही क्यूँ ना हो, बग़ैर नायक और नायिका के फ़िल्म की कल्पना की ही नहीं जा सकती है, ठीक वैसे ही उस क...
01/02/2025

किसी फ़िल्म की कहानी कैसी ही क्यूँ ना हो, बग़ैर नायक और नायिका के फ़िल्म की कल्पना की ही नहीं जा सकती है, ठीक वैसे ही उस कहानी से जुड़े अन्य किरदार भी उतने ही ज़रुरी होते हैं जिन्हें सहायक, चरित्र, हास्य व नकरात्मक क़िरदार कहा जाता है बिल्कुल उस खूबरसूरत गुलदस्ते के तरह जिसकी खूबसूरती के लिये उसमें फूलों के साथ साथ उसकी टहनियों और पत्तियों का होना भी उतना ही ज़रुरी होता है। फ़िल्मों में सहायक, चरित्र, हास्य और नकारात्मक भूमिकाओं को निभाने वाले ढेरों ऐसे अभिनेता हैं जिनका किसी भी फ़िल्म में होना ही फ़िल्म के वज़न को बढ़ा देता है। आज हम ऐसे ही एक हरफनमौला, बेबाक और संगीत के जानकार अभिनेता एवम् होस्ट के बारे में चर्चा करने वाले हैं जिनका नाम है अन्नू कपूर।
अन्नू कपूर का जन्म 20 जनवरी 1956 को भोपाल, मध्यप्रदेश के ‘इटवारा’ में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता मदनलाल कपूर जी पंजाबी थे और उनकी माँ कमल शबनम कपूर जी बंगाली थी। उनके पिता का एक पारसी थिएटर ग्रुप था, जिसके अंतर्गत वो लोग शहर दर शहर घूम घूम कर नुक्कड़ नाटक किया करते थे, शायद पिता के इस पेशे की वज़ह से ही उनके अंदर भी एक अभिनेता का जन्म हो गया था

एडल्ट कंटेंट की दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त करने वाले कलाकार जॉनी सिंस का कहना है की बहन भारत की सबसे पॉपु...
01/02/2025

एडल्ट कंटेंट की दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त करने वाले कलाकार जॉनी सिंस का कहना है की बहन भारत की सबसे पॉपुलर पत्रकार चित्रा त्रिपाठी के साथ एक रात को जानना चाहते हैं जॉनी सिंस का कहना है कि चित्रा त्रिपाठी को पहली नजर में देखकर ही उनको उनके साथ एक रात गुजारने का मन हो गया था और इसीलिए जॉनी सिंस अब चित्रा त्रिपाठी को इस बात के लिए अप्रोच कर रहे हैं कि वह उनके साथ एक रात गुजारी इसकी वह मुंह मांगी कीमत भी बया करने को तैयार है। Copy other page

Address

Delhi
110053

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when filmo ki duniya posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to filmo ki duniya:

Share