03/09/2025
बस स्टॉप के पास सड़क किनारे रेलिंग। अमन और रिया रेलिंग पर झुके हुए हैं और नीचे किसी अदृश्य चीज़ को देख रहे हैं।
रिया: (आँखें चौड़ी करके, हाँफते हुए) "हे भगवान, अमन! क्या तुमने वो देखा?"
अमन: (आँखें सिकोड़ते हुए, और आगे झुकते हुए) "रुको... क्या तुम सच में कह रहे हो? ये... एक बटुआ है?"
रिया: (उत्साह से) "कोई साधारण बटुआ नहीं—ये पैसों से भरा है!"
अमन: "या... शायद ये कोई जाल है। क्या तुमने वो शरारत वाले वीडियो नहीं देखे?"
रिया: (उत्साह से उछलते हुए, उसे अनदेखा करती है) "वीडियो भूल जाओ! ये हमारा भाग्यशाली दिन हो सकता है!"
अमन: (व्यंग्य से सिर हिलाते हुए) "ठीक है, क्योंकि सड़क किनारे आमों की तरह बेतरतीब बटुए उग आते हैं।"
रिया: (मज़ाक में उसके हाथ पर थपकी देती है) "मज़ाक बंद करो! चलो, कोई और छीन ले, इससे पहले हम जाकर देख लेते हैं!"
अमन: (संकोच से, नाटकीय ढंग से फुसफुसाते हुए) "अगर ये... माफ़िया का हो तो?"
रिया: (आँखें घुमाते हुए, लेकिन फिर भी चौंककर) "माफ़िया हो या न हो, अगर पैसे हैं... तो कम से कम आइसक्रीम तो खरीद ही सकते हूँ!"
Writer: Salini Pulkit