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16/02/2025

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अभिनेता आर माधवन के बेटे वेदांत माधवन ने पहले ही कई पदक जीते हैं, हाल ही में 47वीं जूनियर नेशनल एक्वेटिक चैंपियनशिप में।...
07/08/2024

अभिनेता आर माधवन के बेटे वेदांत माधवन ने पहले ही कई पदक जीते हैं, हाल ही में 47वीं जूनियर नेशनल एक्वेटिक चैंपियनशिप में। शोबिज में प्रवेश करने के विपरीत, उन्हें 2019 में दुबई एक्वेटिक एंड फिटनेस अकादमी में प्रशिक्षण के लिए एक अनूठा निमंत्रण भेजा गया था, जहाँ उन्हें ओलंपिक तैराक साजन प्रकाश के अधीन प्रशिक्षण दिया गया था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारतीय ओलंपिक तैराकी टीम के साथ प्रशिक्षण लिया और कई क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लिया।

देश को गौरवान्वित किया

उनकी ट्रेनिंग ने वास्तव में रंग दिखाया और इस बेहद कुशल तैराक ने हाल ही में कोपेनहेगन में डेनिश ओपन में पुरुषों की 800 मीटर फ़्रीस्टाइल में स्वर्ण पदक जीता। तब से, प्रसिद्ध युवा खिलाड़ी को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

कोई आम स्टार किड नहीं

एक तरफ़, सेलिब्रिटी की नई पीढ़ी फ़िल्म इंडस्ट्री की ओर आकर्षित हो रही है, वहीं आर माधवन के बेटे वेदांत देश को एक के बाद एक पदक दिला रहे हैं। प्रशंसकों द्वारा वेदांत का उत्साहवर्धन करते देखना आम बात है। उनके तैराकी टूर्नामेंट के वीडियो और तस्वीरें सही कारणों से वायरल हो रही हैं। उन्हें और उनके गौरवान्वित पिता मैडी को इस समय प्रशंसकों से भरपूर लाइक और कमेंट मिल रहे हैं।

माधवन से सीखने लायक पेरेंटिंग सबक

अपनी फिल्मों के लिए प्रशंसा पाने वाले एक शानदार अभिनेता आर माधवन ने खुलासा किया है कि उन्हें अक्सर अपने काम के बजाय अपने बेटे की उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं मिलती हैं। 'मैं अभी वास्तव में ईर्ष्यालु हूं क्योंकि हर बार जब मैं मुंबई में सड़क पर लोगों से मिलता हूं, तो मुझे लगता है कि वे मुस्कुराते हुए मेरे पास आ रहे हैं क्योंकि मुझे लगता है कि वे मुझे रॉकेट्री के लिए बधाई दे रहे हैं लेकिन फिर वे कहते हैं, 'उसने वास्तव में रजत नहीं, बल्कि स्वर्ण पदक जीता है। मेरे सहायकों को मेरा मज़ाक उड़ाना अच्छा लगता है। उन्हें अनदेखा करके और चुप रहकर, मैं यह प्रतियोगिता जीतने का प्रयास कर रहा हूं, "उन्होंने एक दैनिक को बताया।

तैराकी वह चीज है जिसका वेदांत को बेसब्री से इंतजार है और एक पिता के रूप में, माधवन अपने बेटे की महत्वाकांक्षाओं के लिए झुकते हैं। "एक अभिभावक के रूप में, मैंने पहले कुछ अत्यंत ज्ञानी अभिभावकों को यह कहते हुए सुना था कि उन्होंने किस तरह से अद्भुत बच्चों का पालन-पोषण किया है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि 'अपने बच्चे को खाली समय न दें; सुनिश्चित करें कि उनका पूरा दिन चार से चौदह वर्ष की आयु तक संरचित हो।' उन्हें वह सब करने दें जो वे करना चाहते हैं, लेकिन यह एक विशिष्ट समय पर किया जाना चाहिए...' उन्होंने एक प्रमुख पत्रिका को बताया।








Thanks for being a top engager and making it on to my weekly engagement list! 🎉 Mintu Sharma, Bhasker Rawani, Saroj Subu...
03/08/2024

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03/08/2024

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जाह्नवी कपूर सुलझा पाएंगे बॉक्स ऑफिस की पहेली? औरों में कहां दम था और उलझ का बजट, आज दो हिंदी फिल्में सिनेमाघरों में रिल...
02/08/2024

जाह्नवी कपूर सुलझा पाएंगे बॉक्स ऑफिस की पहेली? औरों में कहां दम था और उलझ का बजट,

आज दो हिंदी फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज हो गई हैं. पहली फिल्म है अजय देवगन और तब्बू की औरों में कहा दम था, और दूसरी फिल्म है जाह्नवी कपूर की उलझ. अजय देवगन की फिल्म रोमांटिक ड्रामा है तो जाह्नवी की फिल्म स्पाई थ्रिलर है. इस तरह दो फिल्में और दोनों के विषय एकदम अलग हैं. लेकिन इन दोनों फिल्मों के सितारों के सामने समस्या एक ही है. चाहिए तो सिर्फ एक हिट फिल्म. लेकिन जिस तरह के रुझान और टिकटों की एडवांस बुकिंग देखने को मिल रही है, उससे ये तो साफ है कि फिलहाल के लिए गुड न्यूज आती नहीं दिख रही है.

अगर अजय देवगन और जाह्नवी कपूर की पिछली कुछ फिल्मों पर नजर डालें तो पिक्चर साफ भी हो जाती है. अजय देवगन ने अप्रैल 2022 से लेकर अब तक छह फिल्में दी हैं. लेकिन जिसमें से चार फिल्में बुरी तरह फ्लॉप रही हैं जबकि दो फिल्में ही बॉक्स ऑफिस पर रंग जमा सकी हैं. ये फिल्म हैं रनवे 34, थैंक गॉड, दृश्यम 2, भोला, शैतान और मैदान. इनमें से सिर्फ दृश्यम 2 और शैतान ही बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी का परचम लहरा पाई हैं. ये भी खास है दोनों ही फिल्में रीमेक थीं.

वहीं जाह्नवी कपूर के पिछले दो साल के करियर पर नजर डालें तो उनका अधिकतर समय ओटीटी रिलीज पर ही निकला है. जुलाई 2022 में जाह्नवी कपूर की गुडलक जेरी सीधे ओटीटी पर आई थी, उसके बाद मिली और बवाल को भी ओटीटी पर ही रिलीज किया. 2024 में उनकी फिल्म मिस्टर ऐंड मिसेज माही भी बॉक्स ऑफिस पर कोई बड़ा चमत्कार नहीं कर पाई है. जाह्नवी की गुडलक जेरी और मिली भी रीमेक फिल्में थीं.







23/07/2024

सस्ती हवाई यात्रा को हकीकत बनाने वाले कैप्टन गोपीनाथ की कहानी, 1 रु में भी करा दिया था सफर

इंडियन आर्मी के रिटायर्ड कैप्टन और बिजनेसमैन जीआर गोपीनाथ वह शख्स थे, जिन्होंने देश में सस्ते हवाई सफर के सपने को न सिर्फ देखा बल्कि उसे हकीकत में तब्दील भी किया.

भारतीय विमानन सेक्टर में मोस्ट अफोर्डेबल एयरलाइन की बात चले तो जीआर गोपीनाथ (G.R. Gopinath) का जिक्र करना जरूरी हो जाता है. इंडियन आर्मी के रिटायर्ड कैप्टन और बिजनेसमैन जीआर गोपीनाथ वह शख्स थे, जिन्होंने देश में सस्ते हवाई सफर के सपने को न सिर्फ देखा बल्कि उसे हकीकत में तब्दील भी किया. कभी बैलगाड़ी से सफर करने वाले कैप्टन गोपीनाथ ने खुद की एयरलाइंस खड़ी की, जिसका नाम था 'एयर डेक्कन' (Air Deccan)...

कैप्टन गोपीनाथ का पूरा नाम गोरुर रामास्वामी अयंगर गोपीनाथ है. उनका जन्म 13 नवंबर 1951 को कर्नाटक के हासन जिले के एक छोटे से गांव गोरुर में हुआ था. पिता शिक्षक थे और खेती का काम भी करते थे, जबकि मां गृहिणी थीं. शुरुआत में गोपीनाथ की पढ़ाई घर पर ही हुई और उनका स्कूल में दाखिला देरी से सीधे कक्षा 5 में हुआ. 1962 में गोपीनाथ को बीजापुर के सैनिक स्कूल में दाखिला मिला और फिर एनडीए में उनका सिलेक्शन. 3 साल की ट्रेनिंग के बाद उनकी एनडीए, पुणे से पढ़ाई पूरी हुई और फिर उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून से ग्रेजुएशन किया.

Advertise with Us Advertise with us Now Reading: सस्ती हवाई यात्रा को हकीकत बनाने वाले कैप्टन गोपीनाथ की कहानी, 1 रु में भी करा दिया था सफर Advertise with us BRANDS स्टोरी सस्ती हवाई यात्रा को हकीकत बनाने वाले कैप्टन गोपीनाथ की कहानी, 1 रु में भी करा दिया था सफर इंडियन आर्मी के रिटायर्ड कैप्टन और बिजनेसमैन जीआर गोपीनाथ वह शख्स थे, जिन्होंने देश में सस्ते हवाई सफर के सपने को न सिर्फ देखा बल्कि उसे हकीकत में तब्दील भी किया. Ritika Singh 809 Stories Sunday June 26, 2022 , 6 min Read दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) समर्थित Akasa Air का पहला विमान आ गया है. आकासा एयर ब्रांड नाम से SNV Aviation Pvt. Ltd. भारतीय विमानन सेक्टर में उतर रही है. हो सकता है कि जुलाई के आखिर तक इसकी उड़ानें शुरू हो जाएं. आकासा एयर के फाउंडर, एमडी व सीईओ विनय दुबे का कहना है कि कंपनी भारत की ग्रीनेस्ट, मोस्ट डिपेंडेबल और मोस्ट अफोर्डेबल एयरलाइन लाना चाहती है. भारतीय विमानन सेक्टर में मोस्ट अफोर्डेबल एयरलाइन की बात चले तो जीआर गोपीनाथ (G.R. Gopinath) का जिक्र करना जरूरी हो जाता है. इंडियन आर्मी के रिटायर्ड कैप्टन और बिजनेसमैन जीआर गोपीनाथ वह शख्स थे, जिन्होंने देश में सस्ते हवाई सफर के सपने को न सिर्फ देखा बल्कि उसे हकीकत में तब्दील भी किया. कभी बैलगाड़ी से सफर करने वाले कैप्टन गोपीनाथ ने खुद की एयरलाइंस खड़ी की, जिसका नाम था 'एयर डेक्कन' (Air Deccan)... पूरा नाम गोरुर रामास्वामी अयंगर गोपीनाथ कैप्टन गोपीनाथ का पूरा नाम गोरुर रामास्वामी अयंगर गोपीनाथ है. उनका जन्म 13 नवंबर 1951 को कर्नाटक के हासन जिले के एक छोटे से गांव गोरुर में हुआ था. पिता शिक्षक थे और खेती का काम भी करते थे, जबकि मां गृहिणी थीं. शुरुआत में गोपीनाथ की पढ़ाई घर पर ही हुई और उनका स्कूल में दाखिला देरी से सीधे कक्षा 5 में हुआ. 1962 में गोपीनाथ को बीजापुर के सैनिक स्कूल में दाखिला मिला और फिर एनडीए में उनका सिलेक्शन. 3 साल की ट्रेनिंग के बाद उनकी एनडीए, पुणे से पढ़ाई पूरी हुई और फिर उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून से ग्रेजुएशन किया. आर्मी में केवल 8 साल बिताए कैप्टन गोपीनाथ साल 1971-72 में हुई बांग्लादेश की लड़ाई तक आर्मी में रहे. उन्होंने 8 साल बाद ही 28 वर्ष की उम्र में आर्मी से रिटायरमेंट ले लिया. कुछ नया करना चाहते थे वह, इसलिए दोस्तों से मदद लेकर उन्होंने सिल्क की खेती, डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग, मोटरसाइकिल डीलरशिप और हॉस्पिटैलिटी जैसे कई बिजनेस में हाथ आजमाया. इसके बाद साल 1997 में एक निजी कंपनी डेक्कन एविएशन (Deccan Aviation) के तौर पर अपनी हेलिकॉप्टर सेवा शुरू की. उनका उद्देश्य वीआईपी लोगों के लिए चार्टर्ड हेलीकॉप्टर की सेवा को उपलब्ध कराना था. उनकी कंपनी का कहना था कि मैप पर कोई भी जगह दिखाइए, हम आपको वहां तक पहुंचाएंगे. फिर आया सस्ती विमानन सर्विस शुरू करने का आइडिया कैप्टन गोपीनाथ को सस्ती विमानन सर्विस शुरू करने का ख्याल साल 2000 में उस वक्त आया, जब वह अमेरिका में छुट्टियां मनाने गए थे. फीनिक्स में उन्होंने एक स्थानीय एयरपोर्ट देखा, जहां से लगभग एक हजार उड़ानें संचालित होती थीं और जो हर दिन करीब एक लाख यात्रियों को सर्विस देती थीं. ऐसा तब था जब फीनिक्स एयरपोर्ट अमेरिका के टॉप एयरपोर्ट में शामिल भी नहीं था. उस वक्त भारत के 40 एयरपोर्ट मिलकर भी इतनी उड़ानें संचालित नहीं कर पा रहे थे. पूरे भारत में केवल 420 कमर्शियल उड़ानें संचालित हो रही थीं. अमेरिका से कैप्टन गोपीनाथ जब लौटे तो उन्होंने ठान लिया था कि वह देश में आम आदमी को हवाई जहाज में बैठने की सुविधा उपलब्ध कराएंगे.

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