तक्षशिला प्रकाशन

तक्षशिला प्रकाशन Higher Academic Hindi Book Publisher. Est in 1975 at Daryaganj New Delhi.

📘 नई पुस्तक विमोचन – "नायक से जननायक: पुष्कर सिंह धामी"(कॉफी टेबल बुक – सजावटी चित्र-पुस्तक)उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत...
12/04/2025

📘 नई पुस्तक विमोचन – "नायक से जननायक: पुष्कर सिंह धामी"
(कॉफी टेबल बुक – सजावटी चित्र-पुस्तक)

उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के प्रेरणादायक कार्यशैली और जनसेवा के प्रति समर्पण को दर्शाती यह भव्य पुस्तक अब उपलब्ध है।

इस पुस्तक में 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने की उनकी ऐतिहासिक भूमिका, नाटक "मिशन सिलक्यारा" की प्रेरणा, और बीते वर्षों में उनके कानूनी व सामाजिक योगदान को नाटक "कर्मयोगी" द्वारा सुंदर चित्रों व सूचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

विशेष आकर्षण:
📖 320 पृष्ठों की आकर्षक कॉफी टेबल बुक
💬 जीवन दर्शन, प्रेरणादायक कहानियाँ और मंचीय प्रस्तुतियाँ
🎭 नाट्य प्रस्तुतियां : कर्मयोगी एवं मिशन सिलक्यारा
📚 लेखन एवं संपादन: मदन मोहन‌ सती एवं डॉ. सुवर्ण रावत
💸 मूल्य: ₹2000/-
📕 प्रकाशक: तक्षशिला प्रकाशन, नयी दिल्ली

यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि विचारों और प्रेरणाओं का संकलन है।

पुस्तक अमेज़न इंडिया पर भी उपलब्ध है-
https://www.amazon.in/dp/8179653617

#प्रेरणास्त्रोत

हिन्दी साहित्य जगत के एक अप्रतिम हस्ताक्षर श्री विनोद कुमार शुक्ल जी🎉। |
27/03/2025

हिन्दी साहित्य जगत के एक अप्रतिम हस्ताक्षर श्री विनोद कुमार शुक्ल जी🎉


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✨भगतदा हम सबके प्रिय हैं। भगतदा ने राजनीतिक क्षेत्र में रहते हुए भी कभी राजनीति नहीं की। राजनीति के क्षेत्र में जो अनेको...
11/03/2025

✨भगतदा हम सबके प्रिय हैं। भगतदा ने राजनीतिक क्षेत्र में रहते हुए भी कभी राजनीति नहीं की। राजनीति के क्षेत्र में जो अनेकों दुर्गुण दिखाई देते हैं। भगतदा ने उनको भी दूर करते-करते अनेकों युवा साथियों को राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ाया। केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि, उनके सामाजिक दायरे को भी किस तरह से आगे बढ़ाया जा सकता है, उसमें भगतदा का बहुत बड़ा योगदान है। भगतदा ने राजनीतिक क्षेत्र में जो नई पीढ़ी के युवा हैं उन्हें, आगे बढ़ाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। देवभूमि उत्तराखंड में भगतदा युवा, महिला और बुजुर्ग सभी के हृदय में वास करते हैं। भगतदा का मैं सम्मान करता हूं राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं सामाजिक क्षेत्र में उन्होंने जो योगदान दिया है उससे सभी लोग भलीभांति परिचित हैं।
- महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी, उत्तराखंड

This Book is also available on
https://www.amazon.in/dp/8179653595



एक यादगार सफर की नई शुरुआत!आज हमारे लिए गर्व और उत्साह का दिन है क्योंकि "पर्वत शिरोमणि भगतसिंह कोश्यारी - मदन‌ मोहन सती...
10/03/2025

एक यादगार सफर की नई शुरुआत!

आज हमारे लिए गर्व और उत्साह का दिन है क्योंकि "पर्वत शिरोमणि भगतसिंह कोश्यारी - मदन‌ मोहन सती" का सफल विमोचन संपन्न हुआ। यह किताब सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि विचारों, अनुभवों और प्रेरणाओं का संगम है, जो हर पाठक के दिल को छूएगी।

मंचाशीन
- माननीय श्री ओम बिड़ला - स्पीकर, लोकसभा, भारतीय संसद
- माननीय श्री भगतसिंह कोश्यारी जी - पूर्व राज्यपाल, महाराष्ट्र एवं गोवा, पूर्व मुख्यमंत्री- उत्तराखंड
- माननीय श्री‌ मोहन सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष, दिल्ली विधानसभा
- डॉ. सच्चिदानंद जोशी, सदस्य सचिव, आईजीएनसी
- प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी, कुलपति, केन्द्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय
- प्रोफेसर के.अनिल‌ कुमार, विभागाध्यक्ष, जनसम्पदा, आईजीएनसी


हम तहे दिल से धन्यवाद देते हैं सभी अतिथियों और शुभचिंतकों का, जिन्होंने इस खास मौके को और भी यादगार बना दिया। आपकी समर्थन और प्रेम से यह यात्रा और भी खूबसूरत बन गई है।

अब आपकी बारी है—इस पुस्तक को पढ़ें, इसकी गहराइयों में उतरें और इस नए सफर का हिस्सा बनें!

पुस्तक Amazon India पर भी उपलब्ध है।

#नईउड़ान #पढ़नाहैतोकुछनयासोचना

🎉 मध्य हिमालयी भाषा, जिसे भाषा वैज्ञानिकों ने मध्य पहाड़ी नाम दिया है. गढ़वाली और कुमाउंनी एक ही आंगन की दो बहिनें हैं। ...
03/03/2025

🎉 मध्य हिमालयी भाषा, जिसे भाषा वैज्ञानिकों ने मध्य पहाड़ी नाम दिया है. गढ़वाली और कुमाउंनी एक ही आंगन की दो बहिनें हैं। डॉ. गोविन्द चातक एक लम्बे अरसे से उनके अध्ययन की ओर आकर्षित रहे। सन् 1959 में पहली बार गढ़वाली भाषा पर एक पुस्तिका लिखने में अभिमुख हुए। तब उनकी 'गढ़वाली भाषा' पुस्तक पर डॉ. धीरेन्द्र वर्मा ने लिखा था- 'मैंने पुस्तक को अद्योपांत ध्यान से पढ़ा। मुझे यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि यद्यपि सुयोग्य लेखक ने विषय का विवेचन संक्षेप में किया है, किन्तु अध्ययन का दृष्टिकोण पूर्णतया वैज्ञानिक है।'

डॉ. गोविन्द चातक गढ़वाली भाषा की प्रचूर सामग्री के आधार पर पूर्ण अध्ययन सरलता से कर सकते है। सन् 1966 में 'मध्य पहाड़ी का भाषा शास्त्रीय अध्ययन' लिखकर वे पूर्णता की ओर अग्रसर होने का प्रयास किया और उसके बाद 'मध्य पहाड़ी की भाषिक परंपरा और हिन्दी में उसे और आगे बढ़ाया। अब आपके सामने उसका एक और विस्तार इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है, जिसमें गढ़वाली और कुमाउंनी दोनों का समावेश हो पाया है। आज बोली-भाषा की जो उपेक्षा हो रही है, उसने एक विचित्र स्थिति पैदा कर दी है। यह पुस्तक मध्य हिमालयी भाषा की सत्ता का अहसास कराती है और साथ ही अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक संवेदना भी उभारती है। यह इस रूप में हिन्दी के प्रति लगाव पैदा करती है और हिन्दी को भी उसके प्रति लगाव पैदा करने का आवाहन करती है।


🎉महिला सशक्तिकरण: एक नई दिशा की ओर🎉महिला सशक्तिकरण केवल एक विचार नहीं, बल्कि समाज के विकास की नींव है। जब एक महिला सशक्त...
28/02/2025

🎉महिला सशक्तिकरण: एक नई दिशा की ओर🎉

महिला सशक्तिकरण केवल एक विचार नहीं, बल्कि समाज के विकास की नींव है। जब एक महिला सशक्त होती है, तो न केवल उसका जीवन बदलता है, बल्कि पूरा समाज प्रगति की ओर बढ़ता है। शिक्षा, आत्मनिर्भरता, समानता और स्वतंत्रता ही सशक्तिकरण के आधार हैं।

आज की महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं—चाहे वह विज्ञान हो, खेल, राजनीति, व्यापार या कला। वे रूढ़ियों को तोड़कर नए आयाम गढ़ रही हैं। लेकिन असली सशक्तिकरण तब होगा जब हर लड़की को शिक्षा मिले, हर महिला के पास अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो, और उसे सम्मान और समान अवसर मिलें।

हम सबका कर्तव्य है कि हम महिलाओं को प्रोत्साहित करें, उनका साथ दें और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएँ। क्योंकि जब एक महिला आगे बढ़ती है, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है!

#महिला_सशक्तिकरण #शक्ति #नारीशक्ति

• गीता को काव्य रूप में पिरोता " अमृतत्व ", जिसके अंतर्गत भगवद गीता के सभी अठारह अध्यायों पर यथावत सामग्री प्रस्तुत है। ...
21/11/2024

• गीता को काव्य रूप में पिरोता " अमृतत्व ", जिसके अंतर्गत भगवद गीता के सभी अठारह अध्यायों पर यथावत सामग्री प्रस्तुत है। कवि अरुण की उच्च प्रतिभा एवं उनके देव, देश, धर्म के प्रति निष्ठावान होने के प्रमाण मिलते हैं।



- अमृतत्व : गीता का काव्य रूप
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दीपावली की मंगलमय शुभकामनाएं! माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा से आपके जीवन में प्रकाश, सुख-समृद्धि, और उन्नति के दीप स...
31/10/2024

दीपावली की मंगलमय शुभकामनाएं! माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा से आपके जीवन में प्रकाश, सुख-समृद्धि, और उन्नति के दीप सदैव जलते रहें।

तक्षशिला प्रकाशन की ओर से आपके ज्ञान और सफलता की यात्रा में नवप्रकाश और नई संभावनाओं की कामना करते हैं। शुभ दीपावली।




🪷नव- प्रकाशित साहित्य - तक्षशिला प्रकाशन 🪷हिन्दी साहित्य के इतिहास में गोस्वामी तुलसीदास रचित 'श्रीरामचरितमानस' की विस्त...
25/10/2024

🪷नव- प्रकाशित साहित्य - तक्षशिला प्रकाशन 🪷

हिन्दी साहित्य के इतिहास में गोस्वामी तुलसीदास रचित 'श्रीरामचरितमानस' की विस्तृत टीका परम्परा के साथ यदि किसी ग्रन्थ पर सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई तो उनमें महाकवि बिहारी रचित 'बिहारी सतसई' का उल्लेखनीय स्थान एवं महत्त्व है। बिहारी सतसई में अर्थव्याप्ति की विराट सम्भावनाओं को देखते हुए तत्कालीन टीकाकारों ने उसकी बहुविध टीकाएँ लिखीं। बिहारी सतसई ब्रजभाषा का अप्रतिम ग्रन्थ है लेकिन उसके काव्य सौष्ठव और अर्थज्ञान में सम्पूर्ण भारत में एक आकर्षण दिखाई पड़ता है। एवं बिहारी का अधिकतर जीवन बुन्देलखण्ड राजस्थान में बीता इसलिए उनके कृतित्व के प्रति विशेष आकर्षण इन क्षेत्रों में दिखाई पड़ता है। बिहारी पर राजस्थानी, क्रम, गुजराती, खड़ी बोली, मैथी फारसी, उर्दू और अंग्रेजी के व्याख्या ग्रन्थ लिखे गए। बिहारी सतसई को आधार मानकर अनेक पल्लवन ग्रन्थ और काव्यमय टीकाएँ लिखी गई। बिहारी सतसई के टीका साहित्य के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कुछ सीमित एवं सांकेतिक प्रयास किए गए थे। हिन्दी में पहली बार 'बिहारी सतसई का टीका साहित्य समीक्षा और सन्दर्भ' में लेखक द्वारा बिहारी सतसई के रचनाकाल से लेकर आधुनिक काल तक उस पर लिखी गई बहुआयामी टीकाओं का मूल्यांकन करते हुए बिहारी सतसई के मूल्यांकन का गहन और व्यापक विमर्श प्रस्तुत हुआ है। बिहारी सतसई जैसे मूल्यांकन ग्रन्थ के अध्ययन, उसकी व्याख्या, सूक्ष्म अर्थबोधन की क्षमता, सामर्थ्य और लोकप्रियता के मूल्यांकन में बिहारी सतसई को टीकाओं के योगदान को प्रस्तुत करने का यह मौलिक प्रयास हिन्दी रीति साहित्य के अध्ययन के इतिहास में नवीन मानविन्दुओं की स्थापना करेगा। टीका लेखन की दृष्टि से बिहारी सतसई को आधार मानकर इतना अधिक विचार मन्थन हुआ है कि एक पृथक वाङ्मय ही अस्तित्व में आ गया है। 'अर्थ अमित अति आखर थोरे' की भाव व्यंजना को सार्थक करने वाली बिहारी सतसई के टीका साहित्य के आलोक में उसका मूल्यांकन करने का यह अभिनव एवं शास्त्रीय प्रयास निश्चित ही सुधीजनों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा बिहारी सतसई की स्वतः सम्पूर्णता, मार्मिक प्रसंगों की अवतारणा, समासशक्ति, मौलिक प्रतिभा, व्यंजकता, वाग्वैदग्ध्य, चित्र योजना, सूक्ति रचना और रचना लाघव के मूल्यांकन की दृष्टि से इस ग्रन्थ का महत्त्व स्वीकार्य है।




🍀Book overviewकविता - संभावनाओं के द्वार खोलती है। आधुनिक काल संसार में रिनेसां का युग है। इसे हम नवजागरण काल के नाम से ...
21/10/2024

🍀Book overview

कविता - संभावनाओं के द्वार खोलती है। आधुनिक काल संसार में रिनेसां का युग है। इसे हम नवजागरण काल के नाम से भी जानते हैं। हिंदी कविता में प्राचीन और मध्य युग के बाद यह आधुनिक युग भी अनेक परिवर्तनों का आधार रहा है। समाज सुधार के अनेक प्रयास एक तरह से समाज को बदलने का आंदोलन ही थे। इसे व्यक्त करने के लिए अनेक कवियों ने भी कोशिश की है। इस तरह नवजागरण से सुधार काल तक इसकी छाया सब जगह है। हिंदी कविता में एक समस्या भाषा की भी थी। भाषा के अनेक रूप कविता के माध्यम बने थे। किंतु आधुनिक युग में उसका एक व्यापक और मानक रूप सामने आया। विकास काल में खड़ी बोली पूर्ण रूप से कविता का माध्यम बन गयी है। इसके बाद राष्ट्रीय कविता और छायावाद के समय खड़ी बोली का ही प्रयोग हुआ है और अब यह राष्ट्रीय स्तर पर हर क्षेत्र में खड़ी बोली के रूप में नहीं बल्कि एक मानक भाषा के रूप में हिंदी बन गई है। यही अब विश्व हिंदी भी है।

मैंने अपनी इस प्रकाशित 120वीं पुस्तक में आधुनिक से समकालीन कविता तक काव्य के विभिन्न आंदोलनों और प्रवृत्तियों की विकास यात्रा को अंकित किया है। विश्व कविता का भी हिंदी कविता पर प्रभाव पड़ा है, पर इसने कभी भी अपने मूल स्वरूप को भारतीयता से अलग नहीं किया। छायावाद भी भारतीय दर्शन और संस्कृति से प्रभावित है। समालोचक इन कविताओं की अभिव्यंजना पर विश्व कविता का प्रभाव देखते हैं। किंतु अभिव्यक्ति के उपकरणों में भी बिंब और प्रतीकों का प्रयोग भारतीय ही है। हिंदी की आधुनिक कविता स्वतंत्रता के बाद समकालीन कविता में बदल गयी है। संसार में भी नया काव्य रचा गया है। भारतीय भाषाओं में भी इसका सृजन हुआ है।

अतः नयी कविता समकालीन कविता का आधार बनी है। इसमें समकालीन कविता के नाम से भी एक काव्यांदोलन आरंभ हुआ है। इस तरह नयी कविता अनेक प्रवृत्तियों के साथ रची गई है। कविता मनुष्य की आंतरिक संवेदना से जुड़ी है। वह केवल एक साहित्य की विधा नहीं है। बल्कि मनुष्य की संभावनाओं के द्वार खोलने वाली अस्मिता है। इस तरह उसकी प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं हो सकती। इस पुस्तक में हिंदी कविता की आधुनिक और समकालीन विकास यात्रा को प्रामाणिक रूप से अंकित किया गया है। मुझे उम्मीद है कि यह पुस्तक आधुनिक और समकालीन हिंदी कविता के व्यापक संदर्भ को उजागर करेगी । इसी विश्वास के साथ- -राजेन्द्र मिश्र

Book is available on Amazon India




📕📚🔖Excited to share the newly released 𝙏𝙝𝙚 𝙁𝙤𝙡𝙠 𝙏𝙖𝙡𝙚𝙨 𝙤𝙛 𝙐𝙩𝙩𝙖𝙧𝙖𝙠𝙝𝙖𝙣𝙙 𝙗𝙮 𝙂𝙤𝙫𝙞𝙣𝙙 𝘾𝙝𝙖𝙩𝙖𝙠, 𝙏𝙧𝙖𝙣𝙨𝙡𝙖𝙩𝙚𝙙 𝙗𝙮 𝘼𝙧𝙪𝙣 𝙋𝙖𝙣𝙩! This col...
17/10/2024

📕📚🔖Excited to share the newly released 𝙏𝙝𝙚 𝙁𝙤𝙡𝙠 𝙏𝙖𝙡𝙚𝙨 𝙤𝙛 𝙐𝙩𝙩𝙖𝙧𝙖𝙠𝙝𝙖𝙣𝙙 𝙗𝙮 𝙂𝙤𝙫𝙞𝙣𝙙 𝘾𝙝𝙖𝙩𝙖𝙠, 𝙏𝙧𝙖𝙣𝙨𝙡𝙖𝙩𝙚𝙙 𝙗𝙮 𝘼𝙧𝙪𝙣 𝙋𝙖𝙣𝙩! This collection of timeless stories beautifully captures the essence of Uttarakhand’s rich cultural heritage. Through the intricate narratives and folk wisdom, this book offers a profound glimpse into the land and its people. A must-read for those who cherish the beauty of folk literature and the preservation of traditions. Dive into the magical world of Uttarakhand’s tales and rediscover the stories passed down through generations!

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