02/10/2025
Remembering Tapan Sinha
2 अक्टूबर को महान फिल्मकार तपन सिन्हा (1924–2009) की सालगिरह भी होती है। तपन सिन्हा सेल्यूलाइड के सबसे कुशल कहानीकारों में गिने जाते हैं। उनकी फिल्मों में मानवीय और सामाजिक रूप से जागरुक कहानियां होती थीं और उससे बड़ी बात ये थी कि ये फिल्में 'कलात्मक' समानातंर सिनेमा और 'लोकप्रिय' व्यावसायिक सिनेमा के बीच सेतु बनाने के लिए जानी गईं।
इस बार उनकी 101वीं सालगिरह है और संयोग से आज दशहरा भी है। इस मौके पर उनकी 1961 की एक्शन-एडवेंचर फिल्म झिंदेर बंदी (The Prisoner of Jhind) को याद किया जा सकता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत की एक रोमांचक कहानी है। यह फिल्म शरदिंदु बंद्योपाध्याय के बंगाली उपन्यास पर आधारित थी… हालांकि वो उपन्यास खुद भी एंटनी होप के 'द प्रिज़नर ऑफ़ ज़ेंडा' से प्रेरित था। 'झिंदेर बंदी' बंगाली सिनेमा में एक मील का पत्थर है क्योंकि इस फिल्म में बंगाली सिनेमा के दो महानतम अभिनेता उत्तम कुमार (नायक गौरी शंकर राय और लापता राजा शंकर सिंह की दोहरी भूमिका में) और सौमित्र चटर्जी (तेजतर्रार, विरोधी, मयूरवाहन के रूप में) पहली बार स्क्रीन पर साथ दिखाई दिए। फिल्म के मुख्य कथानक में एक नेक आम आदमी एक परोपकारी राजा की जगह लेता है ताकि एक दुष्ट रिश्तेदार की विश्वासघाती साजिश को विफल किया जा सके। अपनी सुपरस्टार कास्ट के साथ-साथ तपन सिन्हा की सिनेमाई किस्सागोई के चलते ये फिल्म बेहद सफल रही थी।
Amitava Akash Nag