New Delhi Film Foundation

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Remembering Tapan Sinha2 अक्टूबर को महान फिल्मकार तपन सिन्हा (1924–2009) की सालगिरह भी होती है। तपन सिन्हा सेल्यूलाइड के...
02/10/2025

Remembering Tapan Sinha
2 अक्टूबर को महान फिल्मकार तपन सिन्हा (1924–2009) की सालगिरह भी होती है। तपन सिन्हा सेल्यूलाइड के सबसे कुशल कहानीकारों में गिने जाते हैं। उनकी फिल्मों में मानवीय और सामाजिक रूप से जागरुक कहानियां होती थीं और उससे बड़ी बात ये थी कि ये फिल्में 'कलात्मक' समानातंर सिनेमा और 'लोकप्रिय' व्यावसायिक सिनेमा के बीच सेतु बनाने के लिए जानी गईं।

इस बार उनकी 101वीं सालगिरह है और संयोग से आज दशहरा भी है। इस मौके पर उनकी 1961 की एक्शन-एडवेंचर फिल्म झिंदेर बंदी (The Prisoner of Jhind) को याद किया जा सकता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत की एक रोमांचक कहानी है। यह फिल्म शरदिंदु बंद्योपाध्याय के बंगाली उपन्यास पर आधारित थी… हालांकि वो उपन्यास खुद भी एंटनी होप के 'द प्रिज़नर ऑफ़ ज़ेंडा' से प्रेरित था। 'झिंदेर बंदी' बंगाली सिनेमा में एक मील का पत्थर है क्योंकि इस फिल्म में बंगाली सिनेमा के दो महानतम अभिनेता उत्तम कुमार (नायक गौरी शंकर राय और लापता राजा शंकर सिंह की दोहरी भूमिका में) और सौमित्र चटर्जी (तेजतर्रार, विरोधी, मयूरवाहन के रूप में) पहली बार स्क्रीन पर साथ दिखाई दिए। फिल्म के मुख्य कथानक में एक नेक आम आदमी एक परोपकारी राजा की जगह लेता है ताकि एक दुष्ट रिश्तेदार की विश्वासघाती साजिश को विफल किया जा सके। अपनी सुपरस्टार कास्ट के साथ-साथ तपन सिन्हा की सिनेमाई किस्सागोई के चलते ये फिल्म बेहद सफल रही थी।
Amitava Akash Nag

Amidst all the festivity may the truth prevail.Happy Dussehra.Happy Gandhi jayanti.दुनिया की लगभग सभी कहानियों, लोककथाओं...
02/10/2025

Amidst all the festivity may the truth prevail.
Happy Dussehra.
Happy Gandhi jayanti.

दुनिया की लगभग सभी कहानियों, लोककथाओं का सबसे बड़ा मूलभाव बुराई पर अच्छाई की जीत ही रहा है। इसी कहानी को सिनेमा ने तरह-तरह से प्रस्तुत किया है... जिसे हमने देखा है, सराहा है, सीखा है, अपनाया है। बुराई पर अच्छाई की जीत का एक तरीका गांधी दर्शन है, एक तरीका रामचरित है। दोनों कई लिहाज़ से एक दूसरे के समान हैं... एक दूसरे के प्रेरक हैं पर एक दूसरे के पूरक भी।
सिनेमा में बुराई पर अच्छाई की जीत का ये जज़्बा, ये इरादा, ये नीयत, ये चलन कायम रहे और वहां से निकल कर लोगों की ज़िंदगियों में उतरे... इसी कामना के साथ दशहरा और गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

'मानवीय करुणा से लबरेज आनंद सबसे प्रेम करता है;सबको अपना बनाना चाहता है, दिलों को जोड़ने का काम करता है।इसका मतलब यह नही...
30/09/2025

'मानवीय करुणा से लबरेज आनंद सबसे प्रेम करता है;सबको अपना बनाना चाहता है, दिलों को जोड़ने का काम करता है।इसका मतलब यह नही कि उसे जिंदगी से प्रेम नहीं है।वह जीना चाहता है मगर हालात ने उसे अवसर नहीं दिया, इसलिए वह यथार्थ को स्वीकारता है, और शेष जिंदगी को भरपूर जीता है।'

निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी ने 1971 में फिल्म 'आनंद' कुछ निजी संबंधों-अनुभूतियों और अकीरा कुरोसावा की फिल्म इकिरु (1952) से प्रेरित होकर बनाई थी। हृषिकेश मुखर्जी की सालगिरह पर मानवीय भावनाओं और संवेदनाओं के इस दस्तावेज़ की एक बिलकुल अलग सी समीक्षा पढ़िए #सिनेमा_के_साहित्य_की_समीक्षा के तहत अजय चंद्रवंशी Ajay Chandravanshi की कलम से।
https://ndff.in/anand-a-literary-review/

'आनंद' फ़िल्म का नायक आनंद(राजेश खन्ना) 'भरपूर जीवन जीने' का उदाहरण है। वह गंभीर बीमारी(कैंसर) से ग्रसित है और उसे माल.....

𝐌𝐚𝐠𝐢𝐜 𝐨𝐟 𝐒𝐜𝐫𝐞𝐞𝐧𝐩𝐥𝐚𝐲न्यू दिल्ली फिल्म फाउंडेशन (NDFF) अपने लर्न सिनेमा अभियान के तहत श्री अरविंदो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड कम...
29/09/2025

𝐌𝐚𝐠𝐢𝐜 𝐨𝐟 𝐒𝐜𝐫𝐞𝐞𝐧𝐩𝐥𝐚𝐲
न्यू दिल्ली फिल्म फाउंडेशन (NDFF) अपने लर्न सिनेमा अभियान के तहत श्री अरविंदो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड कम्युनिकेशन (SACAC) के सहयोग से लेकर आ रहा है एक बेहद ख़ास 3 दिनों की स्क्रीनराइटिंग वर्कशॉप। इसमें आप सीधे रूबरू होंगे भारत के चर्चित लेखक अशोक मिश्रा से। इसका नाम है ‘मैजिक ऑफ स्क्रीनप्ले: डीटेल्ड नॉलेज ऑफ़ स्क्रीनराइटिंग एंड इट्स कॉम्पोनेंट्स‘
इसके बारे में विस्तृत जानकारी और रजिस्ट्रेशन के लिए इस लिंक पर जाएं:
https://ndff.in/magic-of-screenplay-screenwriting-workshop-by-ashok-mishra/
ध्यान रहे सीटें सीमित हैं।
| Limited Seats |
Sri Aurobindo Centre For Arts And Creativity

Sharing again on birth anniversary of the great  लता मंगेशकर को हिंदी सिनेमा की अमर गायिका कहा जाता है, लेकिन अमरत्व का ...
28/09/2025

Sharing again on birth anniversary of the great

लता मंगेशकर को हिंदी सिनेमा की अमर गायिका कहा जाता है, लेकिन अमरत्व का यह स्थान प्राप्त करने में लता को कितना संघर्ष करना पड़ा... इसकी एक झलक के तौर पर पढ़िए हिंदी और भोजपुरी कवि और 40-50 के दशक में फिल्म गीतकार रहे मोती बीए के संस्मरण में।

लता ने अपने साथ-साथ आशा भोसले और उषा मंगेशकर को भी अमर कर दिया। अमरत्व का यह स्थान प्राप्त करने में लता को कितनी ठोक.....

Magic of Screenplay.More details soon.
27/09/2025

Magic of Screenplay.
More details soon.

हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली,ये मुश्ते-ख़ाक है फानी, रहे रहे न रहे।-(छोटे भाई कुलतार को लिखी भगत सिंह की आखिरी चिट्...
27/09/2025

हवा में रहेगी मेरे ख्याल की बिजली,
ये मुश्ते-ख़ाक है फानी, रहे रहे न रहे।

-(छोटे भाई कुलतार को लिखी भगत सिंह की आखिरी चिट्ठी से)

उस महान क्रांतिकारी-विचारक के नाम हिंदी सिनेमा की चंद सलामी जिसे इतिहास ने शहीद-ए-आज़म का तमगा दिया है।

Shaheed-e-Azam Bhagat Singh (1954)- Directed by Jagdish Gautam, starring Prem Abeed as Bhagat Singh

Shaheed Bhagat Singh (1963)- Directed by K N Bansal, starring Shammi Kapoor as Bhagat Singh

Shaheed (1965)- Directed by S Ram Sharma, starring Manoj Kumar as Bhagat Singh

The Legend of Bhagat Singh (2002)- Directed by Rajkumar Santoshi, starring Ajay Devgn as Bhagat Singh

23rd March 1931: Shaheed (2002)- Directed by Guddu Dhanoa, starring Bobby Deol as Bhagat Singh and Sunny Deol as Chandrashekhar Azad

Shaheed-E-Azam (2002)- Directed by Sukumar Nair, starring Sonu Sood as Bhagat Singh

Rang De Basanti (2006)- Directed by Rakeysh Omprakash Mehra, starring Siddharth as Bhagat Singh, Amir Khan as Chandrashekhar Azad

27 सितंबर को भगत सिंह की यौमे पैदाइश होती है।

Resharing as a tribute to Yash Chopra on his birth anniversary, who was one of the strongest pillars who shaped Hindi fi...
27/09/2025

Resharing as a tribute to Yash Chopra on his birth anniversary, who was one of the strongest pillars who shaped Hindi film industry.

91वें जन्मदिवस पर यश चोपड़ा को याद करते हुए....
यश चोपड़ा आज जीवित होते तो 91 बरस के पूरे होते। उन को हिंदी सिनेमा का किंग ऑफ रोमांस कहा जाता है, क्योंकि उन्होने कुछ बेहतरीन लव स्टोरीज़ पर्दे पर उतारीं... और वो फिल्में यादगार बन गईं। इन फिल्मों में सोने पर सुहागा का काम किया था संगीत ने, जिसके वो पारखी थे और संगीत उनकी सभी फिल्मों का बेहद मजबूत पक्ष रहा, इसीलिए उनकी फिल्मों का जॉनरा ही म्यूज़िकल रोमांस कहा जाता था। लेकिन इन्ही यश चोपड़ा की फिल्मों ने अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन इमेज को भी नई ऊंचाई दी थी (दीवार, त्रिशूल, काला पत्थर)। अमिताभ की रोमांटिक हीरो की इमेज को भी यश चोपड़ा की कभी-कभी और सिलसिला के बगैर याद नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि अपने बुरे दिनों में अमिताभ बच्चन खुद चलकर यश चोपड़ा के पास काम मांगने पहुंचे थे और यश जी ने उन्हे मोहब्बतें ऑफर की थी। ये बात खुद अमिताभ बच्चन ने कई बार बताई है। बच्चन साहब की ही तरह शाहरुख के करियर में भी यश चोपड़ा का अहम योगदान रहा है। उनके निर्देशन में शाहरुख ने डर, दिल तो पागल है, वीर ज़ारा, जब तक है जान में काम किया तो उनके प्रोडक्शन बैनर में दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, मोहब्बतें, चक दे इंडिया और रब ने बना दी जोड़ी जैसी फिल्मों में काम किया। यश चोपड़ा का एक कालजयी काम वीरज़ारा फिल्म के लिए स्वर्गीय मदन मोहन की धुनों पर संगीत तैयार करवा कर उन्हे पुनर्जीवित करना रहा। वीर ज़ारा उनकी अंतिम फिल्म से ठीक पहले की फिल्म थी। ये भारत-पाकिस्तान के बैकग्राउंड पर थी... इसी तरह धर्मपुत्र (1961) उनकी बतौर निर्देशक करियर की दूसरी फिल्म थी जो बंटवारे के बैकग्राउंड पर थी और जिसे बेस्ट हिंदी फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।
बच्चन और शाहरुख वाले... रोमांटिक म्यूज़िकल वाले और बॉलीवुड के सबसे बड़े बैनर यशराज फिल्म्स वाले यश चोपड़ा की इन छवियों के गढ़े जाने के पहले के दौर की भी कुछ ऐसी फिल्में रहीं हैं, जो बहुत यादगार हैं। इनमें धूल का फूल, वक्त, इत्तेफ़ाक, दाग़, जोशीला और मशाल खास हैं। एक फिल्मकार के तौर पर किसी मुख्यधारा के फिल्मकार के लिए काम में इतनी रेंज और उस पर समान रूप से पकड़ यानी कमर्शियल सक्सेस की अनदेखी किए बिना निभा पाना बड़ी बात है। इसकी वजह यही है कि सोच और शख्सियत के स्तर पर यश चोपड़ा एक संजीदा इंसान थे... और फिल्ममेकिंग को लेकर ईमानदार थे। संभवत: वो उस पीढ़ी के आखिरी फिल्मकारों में हैं जो सरहद पार में जन्मी, जिसने बंटवारे को करीब से देखा, उससे मिले अच्छे-बुरे सबक को ज़िंदगी में मार्गदर्शक के तौर पर याद रखा और काम को हमेशा सबसे ऊपर रखा।

  के   के आयोजन पर हिंदी में विस्तृत रिपोर्ट
27/09/2025

के के आयोजन पर हिंदी में विस्तृत रिपोर्ट

टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर (TCOTF) के सितंबर चैप्टर ने हार्मनी हाउस, SACAC को एक सिनेमा-वासियों, लेखकों और रचनात्मक आवाज़ों के मि...

🎬The September Chapter of Talk Cinema On The Floor turned out to be a remarkable event. Joining as special guests were 2...
23/09/2025

🎬The September Chapter of Talk Cinema On The Floor turned out to be a remarkable event. Joining as special guests were 2 times National Award winning screenwriter (for Naseem and Samar) Ashok Mishra, the co-writer of the Netflix film , and Siddharth Sadashiv, who has worked as a sound recordist and sound mixer on films like and .

Ashok Mishra was in Delhi on this day as Kathal is being honored with the Best Film in Hindi award at the 71st National Film Awards today.

With the aim of fostering an ecosystem that promotes appreciation and making of meaningful and sincere cinema in Delhi-NCR, the ( ) has been organizing every month. Participation in this initiative is completely free.

👉 For the detailed report of this event in English, here is the link:
https://bit.ly/3Kdlh9n

Ashok Mishra Siddharth Sadashiv Sri Aurobindo Centre For Arts And Creativity Media & Entertainment Skills Council

The Talk Cinema On The Floor September (TCOTF) at SACAC brought Indian cinema voices together as Ashok Mishra highlighted the role of research in

टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर का सितंबर चैप्टर एक बेहतरीन आयोजन रहा। इसमें बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए नेटफ्लिक्स पर आई फिल्म ...
23/09/2025

टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर का सितंबर चैप्टर एक बेहतरीन आयोजन रहा। इसमें बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए नेटफ्लिक्स पर आई फिल्म कटहल के सह-लेखक अशोक मिश्र और पुष्पा-2 और इंडियन-2 जैसी फिल्मों के लिए बतौर साउंड रिकॉर्डिस्ट और साउंड मिक्सर काम कर चुके सिद्धार्थ सदाशिव।
अशोक मिश्र आज दिल्ली में हैं, क्योंकि आज कटहल को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के तहत बेस्ट फिल्म इन हिंदी का पुरस्कार मिल रहा है।
दिल्ली-एनसीआर में अर्थपूर्ण और गंभीर सिनेमा की समझ और उसके निर्माण को बढ़ावा देने के मकसद से एक क्रिएटिव इकोसिस्टम बनाने के लिए न्यू डेल्ही फिल्म फाउंडेशन टॉक सिनेमा ऑन द फ्लोर का हर महीने आयोजन कर रहा है। इसमें भागीदारी पूरी तरह निशुल्क है।

हिंदी में इस आयोजन की विस्तृत रिपोर्ट के लिए ये लिंक है: https://www.bhadas4media.com/talk-cinema-on-the-floor/

Ashok Mishra Siddharth Sadashiv Sri Aurobindo Centre For Arts And Creativity Media & Entertainment Skills Council

नई दिल्ली: सिनेमा में रिसर्च की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह कहना है कि फिल्मों के प्रतिष्ठित और जाने माने पट.....

मौका आपके लिए भी है…अगर...🎤 आपके पास कोई कहानी है?🎬 या फिल्म का आइडिया?🎭 या अपना कोई काम या टैलेंट दिखाना है या फिर अपने...
20/09/2025

मौका आपके लिए भी है…
अगर...

🎤 आपके पास कोई कहानी है?
🎬 या फिल्म का आइडिया?
🎭 या अपना कोई काम या टैलेंट दिखाना है
या फिर अपने किसी क्रिएटिव प्रोजेक्ट के लिए साथियों की तलाश है...

आपको मिलेंगे स्टेज पर 5 मिनट...
जिसमें आप कर सकते हैं पिच, परफ़ॉर्म या प्रेज़ेंट —
दिल्ली-एनसीआर की दिनोंदिन मज़बूत आकार लेती एक क्रिएटिव कम्युनिटी के सामने... राजधानी की सबसे सक्रिय फिल्म फ्रेटरनिटी के सामने।

ये मौक मिलेगा टॉक सिनेमा ऑन द फ़्लोर के एक खास सेगमेंट में, जिसका नाम है-
🌟 Take The Floor: The 5-Minute Window 🌟

✨ क्योंकि कई बार, पाँच मिनट ही काफ़ी होते हैं।

📩 इसमें स्लॉट सीमित हैं, इसलिए हमें पहले से बताएं: [email protected]
या वॉट्स ऐप पर सूचित करें।

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