13/10/2024
---------।।राम।।-------
विजयदशमी अर्थात भगवान श्री राम के विजय का पर्व 🚩 क्या राम केवल रावण पर विजय से पूजित हैं? नहीं
राम पूजित हैं अपने मर्यादा पुरुषोत्तम आचरण से जो उन्होंने स्थापित किया आदर्श पुत्र बनकर,
आदर्श शिष्य बन कर, आदर्श पति बनकर, आदर्श मित्र के साथ ही
आदर्श शत्रु बन कर, आदर्श राजा बनकर।
प्रभु श्री राम की पूरी यात्रा मनुष्यता को पोषित और परिभाषित करने वाली है।
सबसे बड़े चक्रवर्ती सम्राट के पुत्र होने के उपरांत भी जो अत्यंत विनीत और सरल हैं जिनके मित्र के रुप में वनवासी निषाद राज हैं। जो एक तरफ पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार करते हैं तो दूसरी तरफ भीलनी सबरी के जूठे बेर खा कर उसे मां का दर्जा देते हैं। यही रामत्व तो है कि जितना मां कौशल्या राम को अपना समझती हैं उतना ही मां सबरी भी राम को अपना समझती हैं। सर्वशक्तिमान होते हुए भी ऋषि मुनियों का आदर करना उनका आशीष प्राप्त करना और अपनी श्रेष्ठता योग्यता और विजय का श्रेय गुरु को देना ही रामत्व है। रावण की अक्षम्य गलतियों के बाद भी उससे शरण में आने के लिए और सुधरने का अवसर देना ही रामत्व है।
रामत्व देखिए जिसे पुत्र के रूप में पाकर माता पिता धन्य हुए और देवताओं की कतार में खड़े हो गए। जिन्हें शिष्य के रूप में पाकर गुरु वशिष्ठ और गुरु विश्वामित्र धन्य हो गए, जिन्हें भाई के रूप में पाकर भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न जैसे भाई धन्य हुए, जिन्हें दामाद के रूप में पाकर महाराज जनक और महारानी सुनैना धन्य हो गए, जिन्हें आराध्य के रूप में पाकर पवन सुत हनुमान जी धन्य हुए, जिनका चरण कमल कुटिया में पाकर जूठे बेर खिला कर सबरी मां धन्य हुई, जिनके चरण स्पर्श से माता अहिल्या धन्य हुई, जिनका मित्र बनकर निषादराज धन्य हुए जिनको गंगा पार कराकर केवट धन्य हो गया और जिनका
शत्रु बनकर रावण भी धन्य हो गया।
ऐसे करुणानिधि प्रभु श्री राम हमे भी अपनी भक्ति देकर धन्य करें, बारंबार प्रणाम करता हूं।
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आपको तथा पूरे परिवार को धर्म और सत्य के शाश्वत विजय पर्व विजयदशमी की शुभकामनाएं🚩🚩🚩🚩🚩