24/09/2025
#वोट_और_संविधान_बचाओ_महारैली
30 Nov 2025, 10.00 AM
रामलीला मैदान दिल्ली
दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी समाज के लोग सोचते हैं उनकी लड़ाई राजनीतिक लोग लड़ेंगे लेकिन सवर्ण ऐसा नहीं । मंडल कमीशन को जब लागू करने की घोषणा हुई तो दिल्ली यूनवर्सिटी से लेकर तमाम संस्थान बंद कर दिए गए थे और भारी स्तर पर तोड़ फोड़ भी हुवा । क्या यह कार्य राजनीतिक लोगों ने किया , नहीं । जागृत सवर्ण के नौजवान, स्टूडेंट्स और आम लोग विरोध में कूद पड़े । 2006 में जब ओबीसी को उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण
मिला, सवर्ण समाज के क्या डॉक्टर, क्या इंजीनियर और सभी विरोध में कूद पड़े । ऐसी परिस्थिति जब बहुजन समाज में आए तो भार राजनीतिक दलों पर डाल कर पल्ला झाड़ लेने की आदत हो गई है । फला नेता क्या कर रहा है, उसे ऐसा करना चाहिए आदि आदि और ख़ुद मोबाइल से चिपके रहते हैं । आरएसएस, वीएचपी, गायत्री परिवार , बजरंग दल, सेवा भारती और दर्जनों अन्य संगठन सीधे विरोध में कूद पड़ते हैं न कि बीजेपी से सवाल करते हैं या उसके ऊपर जिम्मेदारी डाल देते हैं । जो राजनीतिक दल संविधान के पक्ष में हैं, उसी पर सब डालकर समाज सोचे सब ठीक हो जाएगा अब यह संभव नहीं है ।
बहुजनों की संख्या बहुत है, बिना कुछ किए कहते रहो और सब कुछ छीनता चला जा रहा है । शिक्षक भर्ती में धड़ल्ले से नाट फाउंड सूटेबल (एनएफएस) हो रहा और जो सीधे प्रभावित हैं वो भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और दूसरों का हिसाब किताब लेते रहते हैं । हम जिस दिन ख़ुद का हिसाब किताब ईमानदारी से करने लगेंगे, उसी दिन से चीजें पटरी पर आ जायेंगी । हमारे करोड़ो छात्र पढ़ कर कहाँ जाएँगे, ज्यादातर स्कूल और यूनिवर्सिटीज अब निजी क्षेत्र में हैं और उसमे आरक्षण नहीं है जबकि संविधान की धारा 15(5) में यह अधिकार मिला है । राहुल गांधी जी ने इस मुद्दे को उठाया है लेकिन बहुजन समाज सोया है । 30 नवंबर 2025 को दिल्ली की रामलीला मैदान में राष्ट्र स्तर पर रैली में यह मुद्दा प्रमुख होगा और अभी से आने की तैयारी शुरू कर दें ।
डॉ उदित राज