
28/08/2025
'' Trump Tariffs और मोदी एक्शन मोड में ''
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बढ़ते टैरिफ हमलों से जूझ रहा भारत अब नए कूटनीतिक समीकरण बनाने में जुट गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार से चीन, जापान और रूस की विदेश यात्रा पर निकल रहे हैं। इस यात्रा का मकसद है भारत के लिए नए सहयोगियों और निवेश के अवसर तलाशना।
इस दौरे की शुरुआत जापान से होगी जहां मोदी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा से मुलाकात करेंगे। दोनों देश ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ क्वाड समूह का हिस्सा हैं लेकिन वाशिंगटन के साथ तनाव के बीच यह यात्रा और भी अहम मानी जा रही है। जापानी कंपनियों ने भारत में अगले दशक में 10 ट्रिलियन येन (68 अरब डॉलर) तक का निवेश करने की घोषणा की है। सुजुकी मोटर ने भी अगले 5-6 वर्षों में लगभग 8 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है।
मोदी ने हाल ही में सुजुकी के एक संयंत्र का दौरा करते हुए कहा था कि भारत और जापान एक-दूसरे के लिए बने साझेदार हैं। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण खनिजों और उच्च-मूल्य वाले विनिर्माण में सहयोग पर खास चर्चा होगी। भारत में दुर्लभ मृदा खनिजों के भंडार तो हैं लेकिन तकनीकी कमी को पूरा करने के लिए जापानी निवेश अहम भूमिका निभा सकता है।
जापान यात्रा के बाद मोदी चीन रवाना होंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह उनकी सात साल बाद पहली चीन यात्रा होगी। उम्मीद है कि वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
भारत और चीन हाल ही में तनावपूर्ण रिश्तों को सहज बनाने की कोशिश में हैं। दोनों देश सीमा व्यापार फिर से खोलने, सीधी उड़ानें शुरू करने और व्यापार बाधाओं को कम करने पर चर्चा कर रहे हैं। चीन ने हाल ही में भारत को उर्वरकों और खनिजों पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंध हटाने पर सहमति जताई है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह बहुपक्षीय विदेश यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के साथ भारत के आर्थिक रिश्ते खिंचाव में हैं। मोदी एक्शन मोड में हैं और मोदी सिर्फ बातचीत तक सीमित नहीं हैं बल्कि नए सहयोगियों और विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
जापान से बड़े निवेश के वादे भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को नई गति देंगे। वहीं चीन और रूस के साथ बढ़ती नजदीकी अमेरिका को संदेश है कि भारत के पास विकल्प मौजूद हैं।