14/04/2025
अगर आप शिवहर से हैं तो ये पोस्ट जरूर पढ़ें!
पोल खोल- शिवहर में लगभग सभी पार्टी के अध्यक्ष अगड़ी जाति के, ऐसा क्यू?
शिवहर जिले में सभी राजनीतिक पार्टी ने जनता को ठगने का काम किया है। यहां के गरीब पिछड़े दलित समाज के लोग सिर्फ वोट देंगे?
पिछड़े, गरीब, दलितो की राजनीतिक भागीदारी खत्म हो गई है। क्या यहां के दलितो, गरीब, दलितो को राजनीतिक भागीदारी में दबाया जा रहा है।.
शिवहर में विकास के नाम पर राजनीतिक पार्टी वोट लेने का काम करती है लेकिन विकास के नाम पर यहां के लोगों को क्या मिलता है। कुछ नहीं ,
लेकिन ऐसा कब तक चलेगा।
आज हमारी चर्चा शिवहर के राजनीतिक गलियारों में हो रही है पार्टी के जिलाध्यक्षों को लेकर।
ऐसा देखने को मिला है कि शिवहर में राजनीतिक पार्टी यहां गरीब पिछड़े दलितों को कहीं एक कोने में छोड़कर अपनी रोटी सेंकने का काम कर रही है। अगर पीछेे शोषित को लेकर चलती तो, कहीं ना कहीं आज हमारा शिवहर भी विकास की तेज रफ्तार पर होता। लेकिन यहाँ पर आज भी चौतरफ़ा विकास नहीं हो रहा है। इसका मुख्य कारण शिवहर की जनता को राजनीति से दूर रखना है।
शिवहर में विधायक से लेकर संसद तक भी यहां के मूल निवासी नहीं हैं।
यहाँ जनता में राजनीति परिपक्क्वता नहीं है क्या?
यहां राजनीतिक पार्टी वोट के नाम पर हमेशा ठगती है। यहां जनता ठगा हुआ है
सिर्फ राजद के जिला अध्यक्ष दलित समाज से ....
शिवहर में वर्तमान समय के सभी जिलाध्यक्षो पर एक नज़र डालते है।
बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार है जिसका घटक दल बीजेपी जेडीयू एलजेपी है।
बीजेपी का जिला अध्यक्ष नवीन सिंह है. जो लगतार दूसरी बार जिलाध्यक्ष चुने गए हैं।
जदयू के जिला अध्यक्ष कमलेश तिवारी हैं जो तीसरी बार जिला अध्यक्ष बने हैं।
एलजेपी के जिला अध्यक्ष विजय कुमार पांडे हैं ये भी बहुत समय से जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर जमे हुए हैं।
एनडीए के घटक दल के लगभग सभी पार्टी के अध्यक्ष अगड़ी जाति से हैं। शिवहर के सांसद और विधायक भी अगड़ी जाति से हैं।
क्या यहां की राजनीतिक पार्टी ही , गरीब असहाय शोषित पिछड़े, दलित का विकास नहीं चाहता है।
आख़िर ये कबतक ?
यहाँ पर राजनीतिक बदलाव की ज़रूरत है।
राजनीतिक बात और कमी तो बहुत है, लेकिन फिर से एक अच्छे नतीजे के साथ आएंगे।
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