Siyaram yug

Siyaram yug कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥ 🕉️
(1)

🔱Jai mahakal 🔱 har har Mahadev Shiv sambhu 🔱
11/03/2025

🔱Jai mahakal 🔱 har har Mahadev Shiv sambhu 🔱

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥.
10/03/2025

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥.

🔱Jai shree Ram sabi bhagato 🔱🇮🇳🕉️
08/03/2025

🔱Jai shree Ram sabi bhagato 🔱🇮🇳🕉️

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01/03/2025

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भाग 2: नहुष का पतन और उद्धार-ऋषियों का अपमान और शाप--अहंकार से अंधे नहुष ने तुरंत सप्तऋषियों को बुलाया और उनसे अपनी पालक...
22/02/2025

भाग 2: नहुष का पतन और उद्धार-
ऋषियों का अपमान और शाप--
अहंकार से अंधे नहुष ने तुरंत सप्तऋषियों को बुलाया और उनसे अपनी पालकी उठाने को कहा। ऋषियों ने उनकी आज्ञा मान ली, लेकिन वे धीरे-धीरे चल रहे थे। नहुष अधीर हो गए और उन्होंने क्रोध में आकर ऋषि अगस्त्य को पैर से ठोकर मार दी।

यह देखकर अगस्त्य ऋषि अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने नहुष को शाप दिया—
"हे नहुष! तुम अहंकार के वशीभूत होकर ऋषियों का अपमान कर रहे हो। इस अधर्म का दंड यह होगा कि तुम एक विशाल अजगर बनकर धरती पर हजारों वर्षों तक कष्ट भोगोगे!"

शाप मिलते ही नहुष स्वर्ग से पृथ्वी पर गिर पड़े और एक विशाल अजगर बन गए।

युधिष्ठिर द्वारा उद्धार
हजारों वर्षों तक नहुष जंगल में अजगर के रूप में भटकते रहे। महाभारत काल में, जब पांडव वनवास में थे, तब भीम जंगल में जल लेने गए। तभी अजगर रूपी नहुष ने उन्हें पकड़ लिया।

भीम ने अपनी पूरी शक्ति लगाई, लेकिन वह खुद को छुड़ा नहीं सके। तभी धर्मराज युधिष्ठिर वहाँ पहुँचे। नहुष ने कहा कि यदि युधिष्ठिर धर्म से संबंधित प्रश्नों का सही उत्तर देंगे, तो वह भीम को मुक्त कर देंगे।

युधिष्ठिर ने सभी प्रश्नों का उत्तर दिया। नहुष प्रसन्न हुए और उन्हें याद आया कि ब्रह्मा ने कहा था कि जब धर्म का पुत्र उन्हें पहचान लेगा, तभी वे अपने श्राप से मुक्त होंगे।

जैसे ही युधिष्ठिर ने उनके वास्तविक स्वरूप को पहचाना, नहुष का श्राप समाप्त हो गया और वे अपने दिव्य स्वरूप में लौटकर स्वर्ग चले गए।

शिक्षा
यह कथा हमें सिखाती है कि अहंकार मनुष्य के पतन का सबसे बड़ा कारण है। सत्ता और शक्ति का सही उपयोग करना चाहिए, नहीं तो उसका दुरुपयोग विनाश का कारण बन सकता है।

"सच्ची शक्ति विनम्रता में निहित होती है।"

भाग 1: राजा नहुष का उत्थानराजा नहुष का प्रारंभिक जीवन-नहुष चंद्र वंश के एक प्रतापी राजा थे, जिनका जन्म अयोध्या के राजा य...
22/02/2025

भाग 1: राजा नहुष का उत्थान

राजा नहुष का प्रारंभिक जीवन-
नहुष चंद्र वंश के एक प्रतापी राजा थे, जिनका जन्म अयोध्या के राजा ययाति के घर हुआ था। वे बचपन से ही पराक्रमी, बुद्धिमान और धर्मपरायण थे। अपने न्यायप्रिय शासन और पराक्रम के कारण वे देवताओं तक में प्रसिद्ध हो गए।

स्वर्ग का राजा बनना-
एक बार, देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में इन्द्र ने वृत्तासुर का वध कर दिया, लेकिन इस कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लग गया। इस दोष से मुक्त होने के लिए इन्द्र ने तपस्या करने का निर्णय लिया और स्वर्ग का राजसिंहासन खाली हो गया।

देवताओं और ऋषियों को एक योग्य राजा की आवश्यकता थी। उन्होंने विचार करके नहुष को स्वर्ग का नया इन्द्र बनाने का निर्णय लिया, क्योंकि वे एक श्रेष्ठ और धर्मपरायण राजा थे।

नहुष का अहंकार-
स्वर्ग का राजा बनते ही नहुष की प्रवृत्ति धीरे-धीरे बदलने लगी। पहले वे धर्म के अनुसार शासन करते थे, लेकिन शक्ति और वैभव के कारण उनमें अहंकार आ गया। जब उन्होंने इन्द्र की पत्नी शची को देखा, तो वे उनके सौंदर्य पर मोहित हो गए और उन्हें अपनी पत्नी बनाने की इच्छा जताई।

शची ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने के लिए एक चाल चली। उन्होंने कहा कि यदि नहुष सप्तऋषियों द्वारा खींची गई पालकी में बैठकर उनके पास आएं, तो ही वह उनकी बात मानेंगी।

17/02/2025

Har har Mahadev ! Namah parpati pateye har har Mahadev

15/02/2025

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