Aim Of Sant Rampal Ji maharaj

Aim Of Sant Rampal Ji maharaj जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

18/06/2025

#नशा_नाशका_कारणहै

Sa True Story YouTube

कबीर, भांग तमाखू छोतरा, तम्बाखू और शराब।
कबीर कौन करै बंदगी, ये तो घनें खराब।।
संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों में ज्ञान और आत्म-जागृति की शक्ति है, जो लोगों को बुरे कर्मों से बचाती है।

18/06/2025

16/06/2025

#अनोखी_प्रदर्शनी

Spiritual Exhibition At Satlok Ashram
गरीब, मात पिता जाके नहीं, नहीं जन्म प्रमाण।
यौह पूर्ण ब्रह्म कबीर है, करता हंस अमान।।
सतलोक आश्रम में लगाई जाने वाली आध्यात्मिक प्रदर्शनी सत्य आध्यात्मिक ज्ञान से रूबरू कराया जाता है कि केवाल कबीर जी ही वह परमात्मा हैं जिनके जन्म का कोई प्रमाण नहीं है बल्कि वे सशरीर प्रकट हुए थे।

16/06/2025

जो भगवान साथ देंगे वो माँ बाप नहीं देंगे.....।।।
#परमात्मा_की_पहचान

15/06/2025

परमात्मा भज लो..!! 🙇‍♂️🙏
#परमात्मा_की_पहचान

14/06/2025

#दहेज_दानव_से_मुक्ति

Marriages In 17 Minutes
संत रामपाल जी की शिक्षाओं से लोगों की सोच बदल रही है जिसका दृश्य सतलोक आश्रम बैतूल, मध्यप्रदेश में देखने को मिला। जहाँ संत रामपाल जी की प्रेरणा से एक दिन में 78 जोड़ों का दहेज मुक्त विवाह संपन्न हुआ, जो समाज के लिए मिसाल है।

14/06/2025

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय। जो अपना मन को खोकर, मन से प्रेम करके बोलता है।"

"जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान। साधु की जाति नहीं पूछनी चाहिए, बल्कि उसका ज्ञान पूछना चाहिए।"

"पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय। किताबें पढ़ने से संसार में लोग मर जाते हैं, लेकिन कोई पंडित नहीं बन पाता। प्रेम के दो अक्षर (यानी, दो प्रेमपूर्ण वाक्य) पढ़ने से कोई पंडित बन जाता है।"
#परमार्थ_कीअनोखी_मिसाल #परमात्मा_की_पहचान

12/06/2025

#परमार्थ_कीअनोखी_मिसाल
संत रामपाल जी के अनुयायी मानवता की सेवा में अग्रसर हैं। इसलिए लाखों लोगों की जिंदगियाँ बचाने के लिए उनके द्वारा सतलोक आश्रम सोजत, राजस्थान में आयोजित रक्तदान शिविर में 272 यूनिट रक्तदान और 78 श्रद्धालुओं द्वारा देहदान संकल्प फॉर्म भरा गया।
Social Reformer Sant RampalJi

न मेरा जन्म  न गर्भ बसेरा,  काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया ।। मात-पिता मेरे कुछ नाहीं, ना मेरे घर दासी (पत...
12/06/2025

न मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया ।। मात-पिता मेरे कुछ नाहीं, ना मेरे घर दासी (पत्नी)। जुलहा का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हाँसी।। विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा सुबह-सुबह ब्रह्माहुर्त में वह पूर्ण परमेश्वर कबीर (कविर्देव) जी स्वयं अपने मूल स्थान सतलोक से आए। काशी में लहरतारा तालाब के अंदर कमल के फूल पर एक बालक का रूप धारण किया। -बंदीछोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज

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