13/08/2023
अगर आप सारागढ़ी के बारे में पढ़ेंगे तो पता चलेगा इससे महान लड़ाई सिखलैड में हुई थी।
बात 1897 की है। नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट में 12 हजार अफगानो ने हमला कर दिया। वे गुलिस्तान और लोखार्ट के किलो पर कब्जा करना चाहते थे। इन किलोँ को महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया था।
इन किलो के पास सारागढी में एक सुरक्षा चौकी थी। जहां पर 36वी सिख रेजिमेट के 21 जवान तैनात थे। ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे।
36 वी सिख रेजिमेँट मे केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे।
ईशर सिंह के नेतृत्व में तैनात इन 20 जवानो को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानो से जिन्दा बचना नामुमकिन है। फिर भी इन जवानो ने लड़ने का फैसला लिया। और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयो में शामिल हो गयी।
एक तरफ 12 हजार अफगान थे तो दूसरी तरफ 21 सिख। यहां बड़ी भीषण लड़ाई हुयी और 600-1400 अफगान मारे गये। और अफगानो की भारी तबाही हुयी। सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलो को बचा लिया। अफगानो की हार हुयी।
जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी। ब्रिटेन की संसद मे सभी ने खड़ा होकर इन 21 वीरो की बहादुरी को सलाम किया। इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया। जो आज के परमवीर चक्र के बराबर था।
भारत के सैन्य इतिहास का ये युद्ध के दौरान सैनिको द्वारा लिया गया सबसे विचित्र अंतिम फैसला था।
UNESCO ने इस लड़ाई को अपनी 8 महानतम लड़ाइयोँ में शामिल किया। इस लड़ाई के आगे स्पार्टन्स की बहादुरी फीकी पड़ गयी।
जो बात हर भारतीय को पता होनी चाहिए, उसके बारे में कम लोग ही जानते है। ये लड़ाई यूरोप के स्कूलो मेँ पढाई जाती है पर हमारे यहां जानते तक नहीँ। ग्रीक स्पार्टा और परसियन की लड़ाई के बारे में सुना होगा। इनके ऊपर 300 जैसी फिल्म भी बनी है।
VANDE Matram