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27/08/2025
रक्षा बंधन 09 अगस्त विशेष〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️रक्षाबन्धन एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया...
09/08/2025

रक्षा बंधन 09 अगस्त विशेष
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रक्षाबन्धन एक हिन्दू त्यौहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं।रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बाँधती हैं परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित सम्बंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को) भी बाँधी जाती है। कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है।

अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी है। हिन्दुस्तान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य परस्पर भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं।हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है। इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।"

रक्षासूत्र बाँधने का नियम एवं परंपरा
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प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाती हैं। थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई और कुछ पैसे भी होते हैं। लड़के और पुरुष तैयार होकर टीका करवाने के लिये पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है, उसकी आरती उतारी जाती है, दाहिनी कलाई पर राखी बाँधी जाती है और पैसों से न्यौछावर करके उन्हें गरीबों में बाँट दिया जाता है। भारत के अनेक प्रान्तों में भाई के कान के ऊपर भोजली या भुजरियाँ लगाने की प्रथा भी है। भाई बहन को उपहार या धन देता है। इस प्रकार रक्षाबन्धन के अनुष्ठान को पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है। प्रत्येक पर्व की तरह उपहारों और खाने-पीने के विशेष पकवानों का महत्त्व रक्षाबन्धन में भी होता है।

*🛕 विशेष ज्ञानामृत 🛕**🌸|| रक्षा सूत्र ||🌸* प्रतिवर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण आचार्य अपने यजमानों के दाहिन...
08/08/2025

*🛕 विशेष ज्ञानामृत 🛕*

*🌸|| रक्षा सूत्र ||🌸*

प्रतिवर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण आचार्य अपने यजमानों के दाहिने हाथ पर एक सूत्र बांधते हैं और बहनें अपने भाई की कलाई पर सूत्र बांधती है जिसे रक्षासूत्र कहा जाता था। इसे ही आगे चलकर राखी कहा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि यज्ञ में जो यज्ञसूत्र बांधा जाता था उसे आगे चलकर रक्षासूत्र कहा जाने लगा।

*🔸पौराणिक कथा-:*

* रक्षाबंधन की सामाजिक लोकप्रियता कब प्रारंभ हुई, यह कहना तो कठिन है। कुछ पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र है जिसके अनुसार भगवान विष्णु के वामनावतार ने भी राजा बलि को रक्षासूत्र बांधा था।

* एक पौराणिक कथानक के अनुसार वामन अवतार में ही माता लक्ष्मी ने भी राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था।

* प्राचीन काल में देव असुर संग्राम के दौरान गुरु बृहस्पति व अन्य ऋषि गणों ने शक्ति के संचार हेतु मंत्रोचारित रक्षा सूत्र इंद्र के कलाई पर बांधा था जिसकी वजह से देवताओं ने असुरों से युद्ध करने की की सामर्थ्य पाई और विजय हुए। इस तरह से कई ऐसे कथानक है जिसमें रक्षा सूत्र का जिक्र आता है।

*🔸रक्षा सूत्र का उद्देश्य :*

* मंत्र से यह अर्थ लिया जाता है कि दानवीर महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे!(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय आचार्य अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद आचार्य रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा रक्षाबंधन पर्व व पूजा- हवन यज्ञ इत्यादि के दौरान रक्षा सूत्र बांधकर आचार्य द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।

* रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उसके यश- मान व आयुष की कामना करती है और भाई उसकी रक्षा का संकल्प लेता है।

* रक्षाबंधन में मूलत: दो भावनाएं काम करती रही हैं। प्रथम जिस व्यक्ति के रक्षाबंधन किया जाता है उसकी कल्याण कामना और दूसरे रक्षाबंधन करने वाले के प्रति स्नेह भावना। इस प्रकार रक्षाबंधन वास्तव में स्नेह, शांति और रक्षा का बंधन है। इसमें सबके सुख और कल्याण की भावना निहित है।

*🛕 सत्संग / कथा ज्ञानामृत 🛕*         *!! ऋषि की शक्ति !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~एक बार एक ऋषि जंगल में रहते थे। वह बहुत शक्ति...
24/07/2025

*🛕 सत्संग / कथा ज्ञानामृत 🛕*

*!! ऋषि की शक्ति !!*
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एक बार एक ऋषि जंगल में रहते थे। वह बहुत शक्तिशाली बनने के लिए, जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठकर बरसों से तपस्या कर रहे थे।

भगवान उनकी तपस्या से खुश होकर, आशीर्वाद के रूप में उन्हें कई शक्तियां दी। जिनका वे आवश्यकता के समय उपयोग कर सकते थे।

ऋषि बहुत ही विनम्र व्यक्ति थे। लेकिन भगवान से कुछ शक्तियां प्राप्त करने के बाद, उन्हें खुद पर गर्व होने लगा।

*🛕 आयुर्वेद ज्ञानामृत 🛕**अमृत फल आँवला फल*अमृत के समान लाभकारी होने से शास्त्रों में आँवला ‘अमृतफल’ कहा गया है । यह मनुष...
22/07/2025

*🛕 आयुर्वेद ज्ञानामृत 🛕*

*अमृत फल आँवला फल*

अमृत के समान लाभकारी होने से शास्त्रों में आँवला ‘अमृतफल’ कहा गया है । यह मनुष्य का धात्री (माँ) की तरह पोषण करता है, अतः इसे ‘धात्रीफल’ भी कहा जाता है ।

आँवला युवावस्था को दीर्घकाल तक बनाये रखनेवाला, शरीर को पुष्ट करनेवाला, बल, वीर्य, स्मृति, बुद्धि व कांति वर्धक, भूख बढ़ानेवाला, शीतल, बालों के लिए हितकारी तथा हृदय व यकृत (लीवर) हेतु लाभप्रद है । यह कब्ज, दाह, मूत्र संबंधी तकलीफों, थकावट, खून की कमी, पित्तजन्य सिरदर्द, पीलिया, उलटी आदि रोगों में लाभदायी है ।

चर्मविकारों में आँवला खायें तथा आँवला रस में थोड़ा पानी मिला के पूरे शरीर को रगड़ दें, फिर स्नान करें तो लाभ होता है । आँवला चूर्ण का उबटन लगाने से शरीर कांतिमय बनता है, पानी में रस मिलाकर बाल धोने से बाल काले व मजबूत बनते हैं ।

आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘सी’ एवं एंटी ऑक्सीडेेंट पाये जाते हैं, जिससे यह हृदय से संबंधित रक्तवाहिनियों के रोग (Coronary Artery Disease),, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर आदि रोगों में लाभप्रद है एवं इसके नियमित सेवन से इन रोगों से रक्षा होती है ।

*आँवले के अनुभूत घरेलू प्रयोग*

* सूखा आँवला और काले तिल समभाग लेकर बारीक चूर्ण बना लें । 5 ग्राम चूर्ण घी या शहद के साथ प्रतिदिन चाटने से वृद्धावस्थाजन्य कमजोरी दूर होकर नवशक्ति प्राप्त होती है ।

* 30 मि.ली. आँवले का रस पानी में मिला के भोजन के साथ सेवन करने से पाचनक्रिया तेज होती है । इससे हृदय व मस्तिष्क को बल व शक्ति मिलती है तथा स्वास्थ्य सुधरता है। (सौंठ पावडर या अदरक मीलाने से सोने पे सुहागा।)

* 15-15 मि.ली. शहद व आँवला रस, 20 मि.ली. घी व 15 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रातः सेवन करें । इससे वृद्धावस्थाजन्य कमजोरी व मूत्रसंबंधी तकलीफें दूर होती हैं एवं शरीर में ऊर्जा का संचार होता है ।

थाइरोइड के घरेलू उपाय
21/07/2025

थाइरोइड के घरेलू उपाय

MIG DDA flat @95,00000 with 3 side extension balcony spaceThis spacious Middle Income Group Delhi Development Authority ...
03/05/2025

MIG DDA flat @95,00000 with 3 side extension balcony space

This spacious Middle Income Group Delhi Development Authority (MIG DDA) flat comes with two extended balconies perfect for creating four additional rooms. Located in Sector 21, Rohini, New Delhi- 110086, it’s an excellent opportunity for families or investors. Don’t miss out!

*🛕 विशेष ज्ञानामृत 🛕**आज से शुरू होगा वैशाख का महीना*=====================करें दान-पुण्य, मिलेगा विशेष लाभ--------------...
13/04/2025

*🛕 विशेष ज्ञानामृत 🛕*

*आज से शुरू होगा वैशाख का महीना*
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करें दान-पुण्य, मिलेगा विशेष लाभ
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हिंदू कैलेंडर में वैशाख मास साल का दूसरा महीना होता है, जो कि चैत्र माह के बाद आता है. वैशाख का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व वाला माना गया है, जो कि सबसे पवित्र और शुभ महीनों में से एक है. इस माह में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है वैशाख मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. इसे जगत के पालनहार भगवान विष्णु का प्रिय मास माना जाता है. इसका एक नाम माधव मास भी है और इसमें श्रीकृष्ण की पूजा करनी शुभ मानी जाती है।

इस साल वैशाख मास कब से कब तक?
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को सुबह 5:52 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि का समाप्ति 14 अप्रैल को सुबह 8:25 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 13 अप्रैल से वैशाख माह की शुरुआत होगी।

वैशाख के महीने में क्या करना चाहिए?
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वैशाख महीने में राहगीरों को जल पिलाना और प्याऊ लगवाना बहुत पुण्यदायी माना गया है. वैशाख महीने में पशु-पक्षियों को दाना-पानी रखना भी शुभ माना जाता है. साथ ही, इस महीने में जल का दान महादान माना गया है.
वैशाख के महीने में इन कार्यों को करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. वैशाख महीने में फल का दान भी करना चाहिए. इसके अलावा, वैशाख मास में जूते-चप्पल, छाते, मटके, शरबत का दान भी करना चाहिए।

वैशाख माह का संबंध विशाखा नक्षत्र से माना गया है, इसलिए इस महीने को वैशाख के नाम से जानते हैं. वैशाखा नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति देव हैं. यही वजह है इस महीने में स्नान-दान, व्रत और पूजा-पाठ करना बहुत शुभ माना गया है. धार्मिक मान्यता है वैशाख महीने में दान पुण्य करने का विशेष लाभ मिलता है।

काशी कोतवाल ..!!🔱💓आज दिनाँक 09-04-2025 को श्री काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव मंदिर के मंगला आरती दिव्य श्रृंगार दर्शन। *
10/04/2025

काशी कोतवाल ..!!🔱💓
आज दिनाँक 09-04-2025 को श्री काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव मंदिर के मंगला आरती दिव्य श्रृंगार दर्शन। *

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 06 अप्रैल 2025**⛅दिन - रविवार**⛅विक्रम संवत् - 2082**⛅अयन - उत्तरायण**⛅ऋतु - बसन्त**⛅मास...
06/04/2025

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 06 अप्रैल 2025*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - चैत्र*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - नवमी शाम 07:22 तक तत्पश्चात् दशमी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य प्रातः06:25 अप्रैल 07 तक, तत्पश्चात् अश्लेशा*
*⛅योग - सुकर्मा शाम 06:55 तक, तत्पश्चात् धृति*
*⛅राहुकाल - शाम 05:23 से शाम 06:57 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅सूर्योदय - 06:27*
*⛅सूर्यास्त - 06:57 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से प्रातः 05:41 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 01:07 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 अप्रैल 07 से रात्रि 01:05 अप्रैल 07 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅व्रत पर्व विवरण - श्री रामनवमी, सर्वार्थसिद्धि योग, रविपुष्य योग (सूर्योदय से 07 अप्रैल सूर्योदय तक), स्वामी नारायण जयंती, महातारा जयंती*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमांस  खाने के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

*🌹 श्री राम नवमी - 06 अप्रैल 2025 🌹*

*🔸नवरात्रि पारण कब करें ? 🔸*

*🔸 शंका होगी कि 'नवमी को नवरात्रि का व्रत खोलना, पारायण करना है फिर यह रामनवमी उपवास कैसे शुरू करें ?"*
*🔸तो नवमी को नवरात्रि का उपवास मानसिक रूप से खोल के थोड़ा-सा फलाहार जैसा प्रसाद ले लिया फिर 'आज रामनवमी का व्रत रख रहा हूँ' ऐसा संकल्प करके व्रत कर लिया । उपवास दशमी को खोलना है ।*
*🔸त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री रामजी का जन्म हुआ था । इसलिए भारत सहित अन्य देशों में भी हिंदू धर्म को मानने वाले इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है ।*
*🔸श्रीराम नवमी की सुबह किसी राम मंदिर में जाकर अथवा अपने घर में ही गुरुदेव के तस्वीरे सामने बैठ के राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करें । हर समस्याओं का समाधान हो जाएगा ।*
*🔸दक्षिणावर्ती शंख में दूध व केसर डालकर श्रीरामजी की मूर्ति का अभिषेक करें । इससे धन लाभ हो सकता है ।*
*🔸इस दिन बंदरों को चना, केले व अन्य फल खिलाएं । इससे आपकी हर मनोकामना पुरी हो सकती है ।*
*🔸श्रीराम नवमी की शाम को तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाऐं । इससे घर में सुख-शांति रहेगी ।
*🔸इस दिन भगवान श्रीरामजी को विभिन्न अनाजों का भोग लगाएँ और बाद में इसे गरीबों में बांट दें । इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी ।*

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 05 अप्रैल 2025**⛅दिन - शनिवार**⛅विक्रम संवत् - 2082**⛅अयन - उत्तरायण**⛅ऋतु - बसन्त**⛅मास...
05/04/2025

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 05 अप्रैल 2025*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - चैत्र*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी शाम 07:26 तक तत्पश्चात् नवमी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु प्रातः 05:32 अप्रैल 06 तक, तत्पश्चात् पुष्प*
*⛅योग - अतिगण्ड रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात् सुकर्मा*
*⛅राहुकाल - सुबह 09:35 से सुबह 11:09 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅सूर्योदय - 06:28*
*⛅सूर्यास्त - 06:57 ( सूर्योदय एवं सूर्यास्त अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से प्रातः 05:42 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 01:07 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 अप्रैल 06 से रात्रि 01:05 अप्रैल 06 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅व्रत पर्व विवरण - मासिक दुर्गा अष्टमी*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

*🔹 सदगृहस्थों के आठ लक्षण 🔹*

*🔸 सदगृहस्थों के लक्षण बताते हुए महर्षि अत्रि कहते हैं कि अनसूया, शौच, मंगल, अनायास, अस्पृहा, दम, दान तथा दया – ये आठ श्रेष्ठ विप्रों तथा सदगृहस्थों के लक्षण हैं । यहाँ इनका संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा हैः*

*🔸अनसूयाः जो गुणवानों के गुणों का खंडन नहीं करता, स्वल्प गुण रखने वालों की भी प्रशंसा करता है और दूसरों के दोषों को देखकर उनका परिहास नहीं करता – यह भाव अनसूया कहलाता है ।*

*🔸 शौचः अभक्ष्य-भक्षण का परित्याग, निंदित व्यक्तियों का संसर्ग न करना तथा आचार – (शौचाचार-सदाचार) विचार का परिपालन – यह शौच कहलाता है)*

*🔸 मंगलः श्रेष्ठ व्यक्तियों तथा शास्त्रमर्यादित प्रशंसनीय आचरण का नित्य व्यवहार, अप्रशस्त (निंदनीय) आचरण का परित्याग – इसे धर्म के तत्त्व को जानने वाले महर्षियों द्वारा ʹमंगलʹ नाम से कहा गया है ।*

*🔸 अनायासः जिस शुभ अथवा अशुभ कर्म के द्वारा शरीर पीड़ित होता हो, ऐसे व्यवहार को बहुत अधिक न करना अथवा सहज भाव से आसानीपूर्वक किया जा सके उसे करने का भाव ʹअनायासʹ कहलाता है ।*

*🔸 अस्पृहाः स्वयं अपने-आप प्राप्त हुए पदार्थ में सदा संतुष्ट रहना और दूसरे की स्त्री की अभिलाषा नहीं रखना – यह भाव ʹअस्पृहाʹ कहलाता है ।*

*🔸 दमः जो दूसरे के द्वारा उत्पन्न बाह्य (शारीरिक) अथवा आध्यात्मिक दुःख या कष्ट के प्रतिकारस्वरूप उस पर न तो कोई कोप करता है और न उसे मारने की चेष्टा करता है

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞**⛅दिनांक - 04 अप्रैल 2025**⛅ दिन - शुक्रवार**⛅विक्रम संवत् - 2082**⛅अयन - उत्तरायण**⛅ऋतु - बसन्त**⛅...
04/04/2025

*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 04 अप्रैल 2025*
*⛅ दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - बसन्त*
*⛅मास - चैत्र*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 08:12 तक तत्पश्चात् अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा प्रातः 05:20 अप्रैल 05 तक तत्पश्चात् पुनर्वसु*
*⛅योग - शोभन रात्रि 09:45 तक, तत्पश्चात् अतिगण्ड*
*⛅राहुकाल - सुबह 11:09 से दोपहर 12:43 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅सूर्योदय - 06:29*
*⛅सूर्यास्त - 06:56 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से प्रातः 05:43 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:18 से 01:08 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 अप्रैल 05 से रात्रि 01:05 अप्रैल 05 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅व्रत पर्व विवरण - चैत्री नवपद ओली प्रारम्भ*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ फल खाने से रोग बढ़ता है व शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*

*🔹आहार-सम्बन्धी कुछ आवश्यक नियम🔹*

*🔸 १- सदैव अपने कार्यके अनुसार आहार लेना चाहिये । यदि आपको कठोर शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है तो अधिक पौष्टिक आहार लेवें । यदि आप हलका शारीरिक परिश्रम करते हैं तो हलका सुपाच्य आहार लेवें ।*

*🔸 २- प्रतिदिन निश्चित समयपर ही भोजन करना चाहिये ।*

*🔸 ३- भोजनको मुँहमें डालते ही निगले नहीं, बल्कि खूब चबाकर खायें, इससे भोजन शीघ्र पचता है ।*

*🔸 ४- भोजन करनेमें शीघ्रता न करें और न ही बातोंमें व्यस्त रहें ।*

*🔸 ५- अधिक मिर्च-मसालोंसे युक्त तथा चटपटे और तले हुए खाद्य पदार्थ न खायें। इससे पाचन-तन्त्रके रोगविकार उत्पन्न होते हैं ।*

*🔸 ६- आहार ग्रहण करनेके पश्चात् कुछ देर आराम अवश्य करें ।*

*🔸 ७- भोजनके मध्य अथवा तुरंत बाद पानी न पीयें । उचित तो यही है कि भोजन करनेके कुछ देर बाद पानी पिया जाय, किंतु यदि आवश्यक हो तो खानेके बाद बहुत कम मात्रामें पानी पी लेवें और इसके बाद कुछ देर ठहरकर ही पानी पीयें ।*

*🔸 ८- ध्यान रखें, कोई भी खाद्य पदार्थ बहुत गरम या बहुत ठंडा न खायें और न ही गरम खानेके साथ या बादमें ठंडा पानी पीयें ।*

*🔸 ९- आहार लेते समय अपना मन-मस्तिष्क चिन्तामुक्त रखें ।*

*🔸 १०- भोजनके बाद पाचक चूर्ण या ऐसा ही कोई भी अन्य औषध-पदार्थ सेवन करनेकी आदत कभी न डालें । इससे पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है ।*

*🔸 ११- रात्रि को सोते समय यदि सम्भव हो तो गरम ( गुनगुना ) दूधका सेवन करें ।*

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