06/10/2025
मेरा नाम नेहा शर्मा है, उम्र 30 साल, और अगर कोई मुझे बाहर से देखे तो कहेगा कि मेरी जिंदगी किसी आदर्श शादीशुदा औरत जैसी है — एक सफल पति, प्यारी बेटी और खुशहाल घर, लेकिन जो चमक दिखती है, वो हमेशा सच्चाई नहीं होती। मेरी शादी के शुरुआती साल बेहद खूबसूरत थे, मेरे पति आदित्य मुझसे बेहद प्यार करते थे, छोटी-छोटी बातों में खुशियाँ देते थे, लेकिन धीरे-धीरे वो प्यार ठंडा पड़ने लगा। अब वो देर रात तक फोन पर व्यस्त रहते, आँखों में थकान और बातों में दूरी आ गई थी। एक रात मैंने देखा कि वो अपने लैपटॉप पर अश्लील साइट्स देख रहे थे, और उनके फोन में अनजान लड़कियों के साथ चैट भरी पड़ी थी। जब मैंने पूछा तो बोले—“नेहा, ये बस टाइमपास है।” वो शब्द मेरे सीने में तीर की तरह चुभ गए। मैंने खुद को बदलने की कोशिश की, अपने अंदर नई ऊर्जा लाने की कोशिश की, लेकिन उनका मन अब कहीं और था। मैं हर दिन खुद को कमज़ोर महसूस करने लगी थी, सोचती थी कि शायद मुझमें ही कमी है, शायद मैं अब आकर्षक नहीं रही। तभी एक दिन फेसबुक पर मेरा पुराना कॉलेज दोस्त समीर मिला, जो अब एक काउंसलर था। उसने मुझसे कहा—“नेहा, अगर कोई रिश्ता तुम्हें तोड़ने लगे, तो सबसे पहले खुद से रिश्ता जोड़ो।” उसकी ये बात मेरे दिल में उतर गई। हमने बातें शुरू कीं, और धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि मैं अब भी जी सकती हूँ, बस मुझे खुद को पहचानना होगा। समीर ने मुझे NGO के काम से जोड़ा जहाँ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना सिखाया जाता था। वहाँ मैंने देखा कि कितनी और औरतें अपनी चुप्पी में घुट रही हैं, अपने टूटे रिश्तों को समाज के डर से ढो रही हैं। मैंने तय किया कि मैं अब खामोश नहीं रहूँगी। जब मैंने खुद को संभालना शुरू किया, योगा, किताबें, और नए लोगों से जुड़ना शुरू किया, तो आदित्य को मेरा ये बदलना अजीब लगा। उन्होंने कहा—“नेहा, तुम बदल गई हो।” मैंने मुस्कराकर जवाब दिया—“हाँ, अब मैं खुद के लिए जी रही हूँ।” धीरे-धीरे हमारे बीच की दूरी और बढ़ती गई, और एक दिन मुझे पता चला कि आदित्य को “Porn Addiction Disorder” है—एक ऐसी मानसिक स्थिति जिसमें व्यक्ति वास्तविक रिश्तों से कट जाता है और कल्पनाओं में जीने लगता है। मैंने उन्हें छोड़ा नहीं, बल्कि इलाज के लिए सेंटर भेज दिया, क्योंकि अब मैं बदले की नहीं, समझ की राह पर थी। मैंने सीखा कि किसी की कमजोरी के कारण खुद को तोड़ना सबसे बड़ी भूल है। आज मैं एक महिला जागरूकता केंद्र में काम करती हूँ, उन औरतों को समझाती हूँ जो अपने दर्द को छुपा लेती हैं। मैं उन्हें बताती हूँ कि प्यार अगर आत्मा को न जगाए, तो वो बस एक बोझ है। कभी-कभी जब मैं आईने में खुद को देखती हूँ तो लगता है, हाँ, अब मैं पहले वाली नेहा नहीं रही — अब मैं मजबूत हूँ, जागरूक हूँ, और सबसे बड़ी बात — अब मैं खुद से प्यार करती हूँ। जिंदगी ने मुझे सिखाया कि रिश्ते में रहकर खुद को खो देना सबसे बड़ा अपराध है, और जो औरत एक बार खुद को पहचान लेती है, उसे कोई भी ताकत फिर से कमजोर नहीं बना सकती।