28/10/2025
क्या कभी आपने सोचा है कि हमारे साथ जो कुछ भी घट रहा है, वह पहले हमारे विचारों में ही जन्म ले चुका होता है। दरअसल हमारा जीवन बाहर नहीं, हमारे मन के भीतर बनता है। जैसे बीज में पेड़ छिपा होता है, वैसे ही विचारों में भविष्य छिपा होता है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही बनने लगते हैं।
BPSC की तैयारी करने वाला हर विद्यार्थी जानता है किताबें तो सब पढ़ लेते हैं, पर मन को संभालना सबसे कठिन होता है। हर दिन डर उत्पन्न होता है- “प्रीलिम्स रह गया तो?”, “मेंस में क्या होगा?”, “इंटरव्यू में खुद को कैसे साबित करूंगा?”, "रिजल्ट का क्या होगा?"
यही डर धीरे-धीरे आपके आत्मविश्वास को खा जाता है।
लेकिन UPSC, BPSC की परीक्षा बाहर की नहीं,
यह आपके भीतर की परीक्षा है। जो अपने विचारों को जीत लेता है, वही अंततः सफलता को भी जीत लेता है।
यहां समस्या यह नहीं कि आप मेहनत नहीं करते। समस्या यह है कि आपने अपने मन को 'कूड़ेदान' बना लिया है। जहाँ हर किसी से तुलना, हर चिंता, हर ईर्ष्या और हर भय जमा है। और फिर उसी मन से आप सफलता और एकाग्रता की उम्मीद करते हैं।
याद रखें अगर मन अव्यवस्थित है, तो ज्ञान टिकता नहीं है। अगर विचार शुद्ध हैं, तो कर्म स्वतः ही सही दिशा में जाते हैं। विचारों की शुद्धि कोई योगासन नहीं, यह जीवन साधना है।
हर दिन अपने भीतर उत्पन्न विचारों से पूछें-
क्या यह मुझे रोशनी दे रहे हैं या अंधकार?
क्या यह मुझे डराते हैं या दिशा दिखाते हैं?
क्या यह मुझे मोटिवेट मनोबल करते हैं या डिमोटिवेट करते हैं?
जब विचार निर्मल होते हैं,
तो कर्म सहज रूप से पवित्र हो जाते हैं।
और जब कर्म पवित्र होते हैं,
तो सफलता अपने आप कदम चूमती है।
प्रिय छात्र, छुट्टियां समाप्त हो गई हैं। अब आप सकारात्मक होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें।
प्रशांत कुमार