Santon Ki Bani

Santon Ki Bani Santmat, Santon ki Bani, Santon ke Vachan, Spritualism, Sakhian, Adhyatmikta

20/10/2025

संतो की बानी 🙏
हर जीउ सोई करह जे भगत तेरे जाचह एह तेरा बीरद।।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 406)
अपने सच्चे भक्तों के प्रति प्रभु का अपनापन इतना अधिक है कि वह वही करता है जो भक्त चाहते हैं।

20/10/2025

संतो की बानी🙏
साध कै संग नाही हउ ताप ।। साध कै संग तजै सभ आप ।। आपे जानै साध बडाई ।। नानक साथ प्रभु बन आई ।।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 271)
साधु की संगति में रहने वाले को होमें का ताप नहीं चढ़ता । वह आपाभाव से पूरी तरह मुक्त हो जाता है । उसका परमात्मा से इतना निकट संबंध हो जाता है कि वह परमात्मा का ही रूप हो जाता है इसलिए उसकी बड़ाई केवल परमात्मा को ही मालूम होती है । इंसान उसका अनुमान नहीं लग सकता ।

18/10/2025

संतो की बानी 🙏
साध कै संग मुख उज्जल होत । साधसंग मल सगली खोत ।। साध कै संग मिटै अभिमान ।। साध कै संग प्रगटै सुगिआन
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 271)
संत की संगत करनेवाले के मुख पर नूर छा जाता है, क्योंकि यह संगति विकारों तथा पापों की मेल को धो डालती हैं । साधु की संगति का एक और लाभ यह होता है कि मनुष्य अहंकार के दोष से मुक्त हो जाता है और उसे अपने अंदर श्रेष्ठ ज्ञान का अनुभव होता है ।

17/10/2025

संतो की बानी🙏
नानक का प्रभु सोए जिस का सभ कोए।। सरब रहिआ भरपूर सचा सच सोए।।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 398)
उसकी सृष्टि में सब जीव उसी का अंश है। यह सत्य द्वैत के हर भेदभाव से मुक्त होने का साक्षी है। अगर उनमें से कोई उस सृजनहार के लिए पराए हो, तो वह उनके अंदर क्यों मौजूद होगा? गुरु अर्जन देव स्पष्ट करते हैं कि वह प्रभु हम सब का प्रतिपालक है और उसका अपनापन, उसका संरक्षण अस्थाई या थोड़ी देर का नहीं, सदा रहने वाला है, अमर है, अकाल है; प्रभु हर जगह, हर जीव में मौजूद है ।।

17/10/2025

संतो की बानी 🙏
प्रभ कउ सिमरह से धनवंते ।। प्रभु कउ सिमरह से पतिवंते ।। प्रभ कउ सिमरह से जन परवान ।। प्रभु कउ सिमरह से पुरख प्रधान ।।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 263)
जो व्यक्ति परमात्मा का सिमरन करते हैं, वे सही अर्थों में धनवान है, सही अर्थों में आदरणीय है । प्रभु का सिमरन करने वालों को कुल मलिक के दरबार में सम्मान प्राप्त होता है और वे ही गुरमुख कहलाने के अधिकारी होते हैं ।

16/10/2025

संतो की बानी 🙏
होर दुआर कोई ना सूझे।। त्रिभवण धावै ता किछू न बूझे। सतगुरु साहु भंडार नाम जिस इह रत्न तिसै ते पाइणा।।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 1078)
गुरु अर्जन देव जी फरमाते हैं कि चाहे सारी त्रिलोकी छान लो और जितने मर्जी यत्न कर लो, नाम रूपी अमूल्य हीरा नहीं मिल सकता। यह हीरा केवल सतगुरु की दया से ही प्राप्त होता है।

16/10/2025

संतो की बानी🙏
मोह बाद अहंकार सरपर रुनिआ ।।
सुख न पाइनह मूल नाम विछुनिया ।।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 761)
प्रभु के नाम से विहीन प्राणी सैकड़ों यत्न करने पर भी मोह के बंधनों में बंधे रहते हैं । वह वाद-विवाद में फंसे रहते हैं, अहंकार से नहीं बच पाते और आखिर रोना व पछताना ही उनका भाग्य बन जाता है। वे कभी सुखी नहीं हो सकते।

15/10/2025

संतो की बानी🙏
खांदिआ खांदिआ मुंह घटा पैनंदिआ सब अंग ।। नानक धरिग तिना दा जीविआ जिन सच न लगो रंग ।।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 523)
गुरु साहब फरमाते हैं कि धिक्कार है उन दुर्भाग्यशाली जीवो पर जिन्होंने दुनिया में आकर जिह्वा के रस भोगते-भोगते शरीर को बेकार कर लिया । जिस दयालु प्रभु ने मनुष्य जन्म बख़्शा, उसके प्यार के रंग से वंचित रहे ।

15/10/2025

संतो की बानी 🙏
सो प्रभ अपुना सदा धिआईए सोवत बैसत खलिआ ।
(ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 782)
सोते-जागते, उठते-बैठते हर स्थिति में परमात्मा को याद करना चाहिए ।

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