
17/08/2024
काश मैं लड़का होती
काश मैं लड़का होती,
कम से कम माँ बाप से ,
यूँ जुदा ना होती।
अपने पैरों पर खड़े होती,
कुछ अपना फ़र्ज निभाती,
काश मैं लड़का होती!
कम से कम माँ बाप का,
सहारा तो होती।
पर क्या करू लडकी हूँ,
ससुराल की मर्यादा में जी रही,
मन ही मन खुद को कोस रही,
लड़कियो को माँ बाप उम्र भर देते हैं,
पर लड़की से कुछ नहीं लेते हैं,
क्यूँ ऐसा दस्तूर बना है,
चाहकर भी ना कुछ कर पाती,
बस दिल ही दिल में रखती हूँ,
लडकियाँ क्यो होती हैं पराया धन,
बडा तो माँ बाप करते,
बहुत ही लाड प्यार करते,
संस्कार देते अच्छे वो,
फिर भी बेटी को सब देकर विदा करते ।
सोचती हूँ मैं सदा ये,
काश मैं लड़का होती।