
25/08/2025
कहानी: रघुनाथ प्रसाद की सीख
सुबह की शुरुआत
सुबह का वक्त था। सर्दियों की हल्की धूप आसमान में सुनहरी परत बिछा रही थी। शहर की सबसे बड़ी सब्जी मंडी में भीड़ उमड़ी हुई थी। चारों तरफ ठेलों की आवाजें, दुकानदारों की पुकार और खरीदारों की भीड़ से जगह-जगह धक्कामुक्की हो रही थी। "आओ आओ, आलू लो, प्याज लो। सब ताजा माल है।" "मिर्ची एकदम तीखी है। आज ही खेत से आई है।" "20 में किलो टमाटर ले जाओ, ले जाओ।" हर तरफ सिर्फ आवाजें और भागदौड़ थी।.......
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