21/09/2025
साक्षी की इंसानियत: एक अनजाने बुजुर्ग की मदद ने बदल दी जिंदगी
सुबह की ठंडी हवा मुंबई की सड़कों पर हल्की-हल्की चल रही थी। चाय की दुकानों से भाप उठ रही थी और ऑफिस जाने वाली भीड़ अपने-अपने रास्तों पर तेज़ी से बढ़ रही थी। 29 साल की साक्षी, एक सरल और संवेदनशील लड़की, मेट्रो से उतरकर पैदल ऑफिस की ओर जा रही थी। उसके हाथ में टिफिन बैग था और चेहरे पर थकान के साथ-साथ उम्मीद भी झलक रही थी।
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तभी उसकी नजर एक गली के कोने पर पड़ी, जहाँ एक वृद्ध व्यक्ति बेहोश पड़ा था। उसके कपड़े फटे हुए थे, एक चप्पल आधी उतरी हुई थी, और सिर से खून बह रहा था। लोग उसे देखकर भी अनदेखा कर रहे थे। साक्षी वहीं रुकी। उसने पास के पान वाले से पानी मांगा और धीरे-धीरे बुजुर्ग के होठों पर पानी डाला। “बाबा, सुनिए…” लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। भीड़ गुजरती रही, कुछ ने कहा, “ये ड्रामा करते हैं पैसे के लिए।” साक्षी ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया।