08/10/2025
सोचिए एक ऐसा क्लासरूम, जहाँ कोई दीवारें न हों.. न सोच को कोई सीमा रहे, बस ज्ञान का माहौल और ढेर सारी खुशियाँ!
ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले के कोंडेल गाँव में हेडमास्टर बसंतकुमार राणा ने, बच्चों के लिए पढ़ाई को खेल जैसा मज़ेदार बना दिया है।
यहाँ पत्थरों पर अक्षर उकेरे गए हैं, पेड़ों के तनों पर अंक लिखे हैं, और शब्द खेल हर दीवार और कोने पर फैले हैं। यहाँ तक कि सूखी ठूंठ और पुराने गमले भी पढ़ाई का हिस्सा हैं।
अंदर, खिलौनों की कतारें कक्षा को रोशन करती हैं। गणित को राणा ने कठपुतलियों और अपने बनाए मुखौटों से ज़िंदा कर दिया है। छाया-नाटक से लेकर स्टिक पपेट तक, हर पाठ एक कहानी जैसा लगता है। उन्होंने तो ‘खुशियों वाली पढ़ाई’ के लिए अलग पीरियड भी रखे हैं।
और नतीजा दिल छू लेने वाला है। बच्चे अक़्सर स्कूल शुरू होने से पहले ही पहुँच जाते हैं, खेलने और पढ़ने की उत्सुकता के साथ!
जब राणा ने ये स्कूल जॉइन किया, तो सिर्फ़ 86 बच्चे आते थे। आज 148 छात्र कक्षाओं में हैं, कई ऐसे बच्चे भी जो पढ़ाई छोड़ चुके थे, लेकिन यहाँ मज़ा देखकर लौट आए।
तीन दशकों से पढ़ा रहे राणा का मानना है कि शुरुआती साल ही असली नींव हैं।
और इसी कामयाबी के लिए इस टीचर्सडे पर, बदलाव लाने वाले 54 वर्षीय शिक्षक बसंत कुमार राणा को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2025 से नवाज़ा जाएगा।