10/10/2025
ओली और उनकी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू
परमात्मा उपाध्याय
नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन के बाद जैसा कि तय था की ओली सरकार में मंत्री और अन्य उच्च पदों पर रहे वरिष्ठ नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है,उसी कड़ी में मंगलवार को काठमांडू जिला पुलिस कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनकी सरकार के गृह मंत्री रहे रमेश लेखक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है। नेपाल की राजनीति में यह बड़ा राजनीतिक हलचल का कारण बन सकता है।
चार मृतकों के परिवारों ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और तत्कालीन गृह मंत्री रमेश लेखक के खिलाफ मानवता और राज्य विरोधी अपराधों के आरोप में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।यह शिकायत मृतकों के परिजनों पुरुषोत्तम खतिवडा, ईश्वर अधिकारी, गणेश चौलागाई और अमेरिकाकुमारी चौधरी की ओर से दर्ज कराई गई है। इसकी पुष्टि पुलिस प्रवक्ता एसपी पवन भट्टराई ने की। है और कहा है कि यह शिकायत पिछले दिनों हुए उन घटनाओं से जुड़ी है, जिनकी जांच के लिए पहले से ही एक जांच आयोग गठित किया गया है। उन्होंने बताया कि यह मामला जांच आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए सभी आवेदन और दस्तावेज वहीं भेज दिए गए हैं। गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार ऐसे मामलों में सामान्य पुलिस या न्यायिक प्रणाली के माध्यम से कार्रवाई नहीं की जा सकती।
मृतकों के परिजनों ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि केपी शर्मा ओली और रमेश लेखक ने अपने कार्यकाल के दौरान मानवता विरोधी और राज्य विरोधी अपराध किए।
सूत्रों के अनुसार, यह मामला देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति के संदर्भ में बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया माना जा रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच आयोग इस प्रकरण को किस दिशा में आगे बढ़ाता है और क्या इससे नेपाल की राजनीति में एक और हलचल पैदा होगी।
बता दें कि नेपाल की भूतपूर्व हुए प्रधानमंत्री ओली सहित उनके तमाम मंत्रियों को कानून के दायरे में लेकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की शुरुआत हो गई है। प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की पहली प्राथमिकता राजनीतिक नेताओं के भ्रष्टाचार की जांच करना है। यदि ऐसा हो पाया जिसकी की पूरी संभावना है, तो ओली सरकार के दो तिहाई मंत्री और सांसद सलाखों के पीछे होंगे। इन पर भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक आरोप हैं। सर्वाधिक आरोप गैरकानूनी ढंग से सरकारी जमीन हथियाने और विक्री करने की है। उसके बाद अमेरिका भेजने के नाम पर असली भूटानी शरणार्थियों की जगह नेपाली मूल के नकली भूटानी शरणार्थियों से करोड़ों रुपए के धनदोहन का है। इस आरोप से पूर्व प्रधानमंत्री व नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आरजू राणा के भी हाथ सने हुए। इसी आरोप में एमाले और नेपाली कांग्रेस के कई नेता और पूर्व मंत्री जेल की हवा खा चुके हैं और कुछ तो अभी भी जेल में हैं। नई सरकार यदि ऐसे भ्रष्टाचारी नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध जैसा कानून ला पाई तो यह भ्रष्टाचार पर लगाम की बड़ी सफलता होगी।
नेपाल के राजनीतिज्ञो में भ्रष्टाचार कितने गहरे तक है इसका उदाहरण एक पूर्व प्रधानमंत्री की सदस्यता समाप्त हो जाने की घटना से जाना जा सकता है। मामला भारत के पतंजलि योग पीठ को भूमि आवंटन का है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी समाजवादी के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल के प्रधानमंत्री रहते कावेरी जिले में 815 एकड़ भूमि भारी सब्सिडी में आयुर्वेद अस्पताल और जड़ी बूटी की खेती के नाम पर पतंजलि योगपीठ को आवंटित की गई थी। अनुसंधान आयोग ने इस मामले की लंबी जांच के बाद अदालत में चार्जशीट दाखिल करने पर माधव कुमार नेपाल को प्रतिनिधि सभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी।
नेपाल की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के कद्दावर नेता विजय कुमार गच्छदार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।विजय कुमार गच्छदार पार्टी के न केवल वरिष्ठ नेता हैं, वे उपप्रधानमंत्री समेत कई बार मंत्री भी रह चुके हैं। विजय कुमार गच्छदार पर गैर कानूनी ढंग से काठमांडू में मकान व जमीन कब्जा करने का आरोप है।उनके खिलाफ मामला अदालत मैं हैं और उन्हें नेपाल प्रतिनिधिसभा से निंलंबित रहे हैं।
नेपाल के संचार एवं सूचना प्राद्योगिकी मंत्री गोकुल बास्कोटा का रिश्वत का भाव तय करते वायरल हुए आडियो से सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को शर्मसार हेना पड़ा था।संचार मेत्री का जो आडियो वायरल हुआ है उसमें वे सरकार के लिए सुरक्षा प्रिंटिंग मशीन खरीद में भारी कमीशन की मांग करते हुए सुनाई दे रहे थे।
नेपाल में राजनीतिज्ञों के भ्रष्टाचार की यह बानगी है। कोई ऐसा राजनीति दल नहीं है जिसके बड़े से बड़े नेता का हाथ भ्रष्टाचार से न सने हों। नई सरकार में इनकी मुश्किलें बढ़नी तय है।