
11/08/2025
हमारे चारों ओर घटित होने वाली घटनाओं का स्वरूप प्रायः हमारे वश में नहीं होता; परन्तु उन घटनाओं के प्रति हमारी दृष्टि और अनुभूति अवश्य हमारे अधिकार में होती है। यदि हम प्रत्येक प्रभात का स्वागत इस विश्वास के साथ करें कि “आज कुछ मंगलमय अवश्य घटेगा”; तो यही विश्वास दिन के रंग-रूप, गंध और स्वर सभी को बदल देता है।
सकारात्मक चिंतन केवल एक क्षणिक भाव नहीं; यह एक नित्य साधना है; जहाँ हम शिकायत की छाया के स्थान पर कृतज्ञता को चुनते हैं; अभाव की धुँध के स्थान पर संभावना का आकाश देखते हैं; और भय के अंधकार के स्थान पर विश्वास का दीप प्रज्वलित करते हैं।
ज़रा ध्यान दीजिए; प्रभात-सुहानी वायु का मृदुल स्पर्श; किसी अजनबी की निष्कलुष मुस्कान; एक प्याले गरम चाय की भाप में घुला अपनापन; या किसी बालक के हँसते हुए मुखमंडल की आभा ; ये सब जीवन की छोटी-छोटी, किन्तु अनमोल निधियाँ हैं।
जब हम इन क्षणों को हृदय में सँजोना सीख लेते हैं; तो नकारात्मकता का कोलाहल धीरे-धीरे मौन हो जाता है; और भीतर एक शांत, उज्ज्वल, अविचल प्रकाश स्थायी रूप से आलोकित होने लगता है।
आज ही अपने अंतर्मन से एक संकल्प लीजिए; हर परिस्थिति में एक रश्मि खोजेंगे; हर अंधकार में एक दीप प्रज्वलित करेंगे; और हर क्षण को जीवन की दिव्य अनुभूति में परिणत करेंगे।
~भावना चोपड़ा आरोही
भावना आरोही : Bhawana Arohi - Poetic Portrait of Dr. Bhawana Chopra