भावना आरोही : Bhawana Arohi - Poetic Portrait of Dr. Bhawana Chopra

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भावों का अभिनंदन कविता!
आत्मा का स्पंदन कविता!
अनुभूति के शब्द लपेटे
महका-महका चंदन कविता!
~ भावना आरोही
चिकित्सक | लेखिका | कवयित्री | गीतकार
________________________________
स्वरचित एवम् कॉपीराइट ©® [email protected]

हमारे चारों ओर घटित होने वाली घटनाओं का स्वरूप प्रायः हमारे वश में नहीं होता; परन्तु उन घटनाओं के प्रति हमारी दृष्टि और ...
11/08/2025

हमारे चारों ओर घटित होने वाली घटनाओं का स्वरूप प्रायः हमारे वश में नहीं होता; परन्तु उन घटनाओं के प्रति हमारी दृष्टि और अनुभूति अवश्य हमारे अधिकार में होती है। यदि हम प्रत्येक प्रभात का स्वागत इस विश्वास के साथ करें कि “आज कुछ मंगलमय अवश्य घटेगा”; तो यही विश्वास दिन के रंग-रूप, गंध और स्वर सभी को बदल देता है।

सकारात्मक चिंतन केवल एक क्षणिक भाव नहीं; यह एक नित्य साधना है; जहाँ हम शिकायत की छाया के स्थान पर कृतज्ञता को चुनते हैं; अभाव की धुँध के स्थान पर संभावना का आकाश देखते हैं; और भय के अंधकार के स्थान पर विश्वास का दीप प्रज्वलित करते हैं।

ज़रा ध्यान दीजिए; प्रभात-सुहानी वायु का मृदुल स्पर्श; किसी अजनबी की निष्कलुष मुस्कान; एक प्याले गरम चाय की भाप में घुला अपनापन; या किसी बालक के हँसते हुए मुखमंडल की आभा ; ये सब जीवन की छोटी-छोटी, किन्तु अनमोल निधियाँ हैं।

जब हम इन क्षणों को हृदय में सँजोना सीख लेते हैं; तो नकारात्मकता का कोलाहल धीरे-धीरे मौन हो जाता है; और भीतर एक शांत, उज्ज्वल, अविचल प्रकाश स्थायी रूप से आलोकित होने लगता है।

आज ही अपने अंतर्मन से एक संकल्प लीजिए; हर परिस्थिति में एक रश्मि खोजेंगे; हर अंधकार में एक दीप प्रज्वलित करेंगे; और हर क्षण को जीवन की दिव्य अनुभूति में परिणत करेंगे।

~भावना चोपड़ा आरोही

भावना आरोही : Bhawana Arohi - Poetic Portrait of Dr. Bhawana Chopra

जब धूप किसी आँगन को गर्माहट देती है,तो उसी समय किसी और छत को झुलसा भी देती है! मूल्य और अवमूल्यन, प्रशंसा और निन्दा .......
10/08/2025

जब धूप किसी आँगन को गर्माहट देती है,
तो उसी समय किसी और छत को झुलसा भी देती है!
मूल्य और अवमूल्यन, प्रशंसा और निन्दा ....
ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं,
जो हर पल पलटते रहते हैं!
यदि किसी हृदय में आपका होना
एक आशीर्वाद है,
तो किसी और के लिए वही अस्तित्व
एक बोझ भी हो सकता है!
इसलिए जीवन की राह पर चलने वाला यात्री
न प्रशंसा के फूलों से मत्त हो,
न आलोचना के काँटों से आहत ;
बस अपनी गति में,
अपनी दिशा में,
स्थिर बना रहे!
~भावना आरोही

हृदय जीवंत भंवरा......"भावना" मकरंद की भांति ।ये जीवन गीत है तो.... "भावना"  है छंद की भांति ।~ भावना आरोहीभावना आरोही :...
10/08/2025

हृदय जीवंत भंवरा......"भावना" मकरंद की भांति ।
ये जीवन गीत है तो.... "भावना" है छंद की भांति ।
~ भावना आरोही

भावना आरोही : Bhawana Arohi - Poetic Portrait of Dr. Bhawana Chopra

Thank you ..... my newest followers!  Shrawan Kumar Malwiya, Atul Gupta, Dinesh Brahman, Manish Bharti, Pankaj Arora, Sh...
05/08/2025

Thank you ..... my newest followers! Shrawan Kumar Malwiya, Atul Gupta, Dinesh Brahman, Manish Bharti, Pankaj Arora, Shiv Kumar Sharma, Shreewatsakaustubhamani Pandit, Satya Sheetanshu, Tabrez Ahmed, Keval Nirmal, Mukesh Kumar, Raushan Kumar, Gaurav Paul, Dharmesh Namdeo, Narendra Pratap Singh Yadav, Rajesh Srivastava, Gajeku Farm, Shree Man, Ashutosh Upadhyay, Vijay Shankar Prasad, Mahender Setia, Arvind Dubey, Dharmendra Tiwari, Kamal Vlogar, Ansari Jalis, Dalbir Bisht, Bhanu Shaurya, Ravi Sharma, Chaudhary Shiva, Harish Panthi, Vinod Nagar, Sapna Parihar, आस्तिक यादव, प्रभात कुमार पांडेय, Aneeta Verma, Shyam Narayan Yadav, Farhan Khan, Payal Sharma, Ram Yatan Kavi, Sanjay Kumar Rai, Shivpal Gupta, Aditya Aadi, Ad Daagh Aligarhi, जीवन पान्डेय, DrShanti Bhushan Tripathi, Harsh*t Chaurasiya, Sushil Vaid, Rawat Ji, Sanjay Singh Bhadli

कविता! तू ही तो चिरसखी है,मन की निर्जन यात्रा में ....जहाँ जीवन मौन खड़ा हो,तू बनकर स्वर उबलती है! ~भावना आरोही भावना आर...
05/08/2025

कविता! तू ही तो चिरसखी है,
मन की निर्जन यात्रा में ....
जहाँ जीवन मौन खड़ा हो,
तू बनकर स्वर उबलती है!
~भावना आरोही

भावना आरोही : Bhawana Arohi - Poetic Portrait of Dr. Bhawana Chopra

मैं अब किसी स्पर्श की आकांक्षी नहीं,अब शब्दों के भीतर .....अलिखित अर्थों को छूने की ....चिर उत्कंठा है ! ~भावना आरोही
04/08/2025

मैं अब किसी स्पर्श की आकांक्षी नहीं,
अब शब्दों के भीतर .....
अलिखित अर्थों को छूने की ....
चिर उत्कंठा है !
~भावना आरोही

मैं उस ऋतु की तरह हूँजो किसी पंचांग में नहीं मिलती,मन की कोपलें जब अश्रु से भीगती हैंतो कोई कालचक्र उन्हें बाँध नहीं सकत...
31/07/2025

मैं उस ऋतु की तरह हूँ
जो किसी पंचांग में नहीं मिलती,
मन की कोपलें जब अश्रु से भीगती हैं
तो कोई कालचक्र उन्हें बाँध नहीं सकता !

भावना आरोही : Bhawana Arohi - Poetic Portrait of Dr. Bhawana Chopra

🖋️✨ मैं क्यों लिखती हूँ कविता?क्योंकि कभी-कभी शब्द चुप रह जाते हैं;और चुप्पियाँ बोल पड़ती हैं!मैं कविता इसलिए नहीं लिखती...
29/07/2025

🖋️✨ मैं क्यों लिखती हूँ कविता?
क्योंकि कभी-कभी शब्द चुप रह जाते हैं;
और चुप्पियाँ बोल पड़ती हैं!
मैं कविता इसलिए नहीं लिखती
कि मुझे कुछ कह देना है ;
बल्कि इसलिए लिखती हूँ
कि भीतर कुछ सुनाई देता है!
जब भावनाएँ उमड़ती हैं,
जब जीवन प्रश्न करता है,
जब दुनिया समझ नहीं पाती,
तब कविता मेरे लिए वो रास्ता बन जाती है
जिस पर मैं स्वयं से मिलती हूँ।
कविता में मैं स्वयं को टुकड़ों में नहीं,
बल्कि एक पूरे अस्तित्व में महसूस करती हूँ!
कभी कोई दुःख अधूरा होता है
कविता उसे पूर्ण कर देती है!
कभी कोई प्रश्न अनसुलझा होता है;
कविता उसे स्वीकार कर लेती है।
कभी कोई सन्नाटा डराता है;
कविता उसमें एक संगीत भर देती है!
मैं कविता लिखती हूँ,
क्योंकि वहाँ मुझे कोई रोकता नहीं, टोकता नहीं,
वहाँ मैं सिर्फ "मैं" होती हूँ ;
बिना परिभाषाओं, बिना अपेक्षाओं के!
कदाचित् कविता ही मेरी आत्मा का असली रूप है!
~भावना आरोही

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भावना आरोही की लेखनी से........🙏✒️________________________________________हृदय के  झीने  परदे में,  स्मृत  छाया - चित्र ...
29/07/2025

भावना आरोही की लेखनी से........🙏✒️
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हृदय के झीने परदे में, स्मृत छाया - चित्र टँके हैं ;
झीनी - झीनी स्मृतियों से झंकृत होता है अंतर्मन !
टूटे संवादों के टुकड़े, प्रेम बिना कैसे जुड़ सकते ?
"आरोही" बिन भाव, शब्द से आहत होता है अंतर्मन !
~भावना आरोही

Thank you for following my Poetic page भावना आरोही : Bhawana Arohi - Poetic Portrait of Dr. Bhawana Chopra

28/07/2025

सुनिए एक बार.....और हाल में ही इस गीतिका की कुछ और पंक्तियाँ संपूर्ण हुईं! स्नेह के लिए आप सभी का आभार! 🙏

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