
09/09/2025
बकरियां चराते हुए एक लड़की रास्ता भटक गई और भारतीय सीमा पार कर गई। फिर सेना के जवानों ने...
देहरादून के एक शांत और मध्यमवर्गीय मोहल्ले में शर्मा परिवार को हमेशा एक आदर्श के रूप में देखा जाता था। पति अर्जुन शर्मा एक सिविल इंजीनियर थे और एक बड़े ठेकेदार के लिए काम करते थे। पत्नी नेहा एक स्थानीय ब्यूटी सैलून में काम करती थी। दोनों छोटे बच्चों के साथ उनका जीवन बाहर से बेहद सामान्य और सुखी दिखाई देता था। हर सुबह बच्चे नीली वर्दी पहनकर स्कूल जाते, मोहल्ले के लोग कहते – “देखो, यह घर तो मंदिर की तस्वीर जैसा है।”
लेकिन यह तस्वीर ज्यादा दिनों तक कायम न रह सकी। एक ठंडी सुबह खबर आई कि पूरा शर्मा परिवार हिमालय की पहाड़ियों में पिकनिक पर जाने के बाद अचानक लापता हो गया है। उनकी एसयूवी नाग टिब्बा ट्रेल के पास खड़ी मिली, गाड़ी का दरवाज़ा आधा खुला था, लेकिन सामान सही-सलामत था। न अर्जुन, न नेहा, और न ही बच्चे कहीं दिखाई दिए। पूरे मोहल्ले में सन्नाटा छा गया, पुलिस ने तुरंत जाँच शुरू कर दी और मीडिया ने इस गुमशुदगी को सुर्खियों में ला दिया।
जाँच के दौरान एक अजीब बात सामने आई – वहाँ संघर्ष के कोई निशान नहीं थे। न पैरों के निशान, न ही जानवरों के हमले का कोई सबूत। ऐसा लग रहा था जैसे पूरा परिवार हवा में गायब हो गया हो। अफ़वाहें फैलने लगीं – कोई कहता जंगली जानवर ले गए, कोई कहता आत्मा का खेल है। मगर पुलिस ने साफ़ कहा – “यह सिर्फ़ गुमशुदगी का मामला नहीं है।”
इस बीच, पुलिस ने नेहा की आखिरी तस्वीर देखी, जो राजपुर रोड पर एक दुकान के बाहर सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी। उसकी आँखों में अजीब उदासी थी, होंठ भींचे हुए थे, मानो वह अंदर ही अंदर कोई बड़ा फैसला कर चुकी हो।
असलियत यह थी कि बाहर से देखने में जितना खूबसूरत परिवार लगता था, अंदर उतना ही दबाव और टूटन बढ़ चुकी थी। अर्जुन रोज़ ओवरटाइम करता था ताकि अपार्टमेंट का किराया और बच्चों की पढ़ाई चल सके। नेहा सैलून में घंटों खड़ी रहती, हाथों पर रसायनों के दाग पड़ गए थे। दोनों के बीच बहसें बढ़ने लगीं।
एक रात नेहा ने अर्जुन से कहा –
“मैं क्या कर रही हूँ इस शहर में? बस मशीन बन गई हूँ।”
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