10/07/2025
फतेहपुर: पीएचसी में ताला, रातभर प्रसव पीड़ा से कराहती रही महिला, अस्पताल के बरामदे में दिया बच्चे को जन्म
फतेहपुर, यूपी — ज़िले के बकेवर कस्बे में मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में रातभर ताला लटका रहा और एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से कराहती रही। मदद के सारे रास्ते बंद होने पर महिला ने अस्पताल के बरामदे में ही बच्चे को जन्म दिया।
घटना देवमई गांव की रहने वाली अनुराधा देवी (30) की है, जो इन दिनों बकेवर कस्बे में किराए के कमरे में अपने दो छोटे बच्चों के साथ रह रही थी। उसका पति संजय पासवान रोज़गार के सिलसिले में दूसरे राज्य में प्राइवेट नौकरी करता है। अनुराधा नौ माह की गर्भवती थी और सोमवार देर रात करीब तीन बजे उसे तेज़ प्रसव पीड़ा हुई।
जैसे-तैसे वह अपने दोनों बच्चों को लेकर पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बकेवर पहुंची, लेकिन वहां ताला लगा हुआ था। अस्पताल में कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। दर्द से तड़पती महिला ने मदद के लिए 112 और 108 नंबरों पर कॉल करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
आखिरकार, पीड़ा से कराहती अनुराधा ने सुबह करीब 5 बजे अस्पताल के बरामदे में ही बच्चे को जन्म दिया। यह सब कुछ खुले आसमान के नीचे और बिना किसी मेडिकल सुविधा के हुआ।
सुबह लगभग 8 बजे जब अस्पताल का स्टाफ पहुंचा तो मामले की जानकारी होते ही हड़बड़ाकर महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया। फिलहाल जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत को फिर से उजागर कर दिया है। जहां एक ओर सरकार मातृ और शिशु स्वास्थ्य को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। रात में बंद पड़े अस्पताल और अनुपस्थित स्टाफ ने एक ज़रूरतमंद महिला को जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया।
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई है और स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है कि आखिर आपात स्थिति में अस्पताल बंद क्यों था?
क्या यह लापरवाही नहीं है?
यह घटना न सिर्फ एक महिला के संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह सिस्टम पर भी एक बड़ा सवालिया निशान छोड़ती है—अगर कोई अनपढ़ या अकेली महिला ऐसे संकट में हो, तो उसकी मदद कौन करेगा? क्या हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं वाकई "24x7" काम कर रही हैं, जैसा दावा किया जाता है?
फिलहाल महिला और नवजात की हालत सामान्य है, लेकिन जो कष्ट उन्हें झेलना पड़ा, वह सिस्टम की लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है। अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।