01/03/2025
इतिहास में जब-जब किसी देश ने अपनी सुरक्षा और भविष्य के लिए बाहरी ताकतों पर भरोसा किया है, तब-तब उसे बर्बादी ही मिली है। इराक, अफगानिस्तान, लीबिया और अब यूक्रेन—सभी इस बात के प्रमाण हैं कि पश्चिमी देशों का समर्थन हमेशा कोई न कोई छिपा हुआ एजेंडा लेकर आता है।
राहुल गांधी की सबसे बड़ी गलती यही है कि वे यह समझने में असफल रहते हैं कि लोकतंत्र की रक्षा किसी बाहरी शक्ति के भरोसे नहीं की जा सकती। भारत को अपनी संप्रभुता की रक्षा खुद करनी होगी, न कि विदेशी ताकतों से मदद की गुहार लगाकर। वे जब यूरोप और अमेरिका में जाकर भारत की संस्थाओं और लोकतंत्र को कमजोर दिखाने की कोशिश करते हैं, तब वे अनजाने में उन ताकतों को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का न्यौता दे रहे होते हैं।
भारत को यूक्रेन से सीखने की जरूरत है। एक संप्रभु राष्ट्र को अपनी लड़ाइयाँ खुद लड़नी होती हैं। आज अगर कोई भारत को लोकतंत्र की दुहाई देकर कमजोर करने की कोशिश करेगा, तो कल वही ताकतें भारत के संसाधनों और नीतियों को अपने हिसाब से नियंत्रित करने की कोशिश करेंगी। हमें अपनी ताकत अपने भीतर से खोजनी होगी, न कि बाहर से।