05/07/2025
प्रश्न : क्या मै गणना प्रपत्र प्रारूप (Enumeration Form) के साथ आधार कार्ड/पैन कार्ड/राशन कार्ड/मनरेगा जॉब कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस को दस्तावेज के तौर पर संलग्न कर सकता हूँ?
निर्वाचन आयोग का जवाब : नहीं । ये सभी दस्तावेज इसके लिए मान्य नहीं है।
अब समझिए, कि एक गरीब/भूमिहीन/मकान रहित परिवार/बाढ़ प्रभावित क्षेत्र/पहाड़ी व वन क्षेत्र के आदिवासी समुदाय/घुमंतू समुदाय के पास दस्तावेज के रूप में क्या मिलेगा?
राशन के लिए - राशन कार्ड
मजदूरी के लिए - मनरेगा जॉब कार्ड
और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए - आधार कार्ड
मतदाता पहचान पत्र - मत देने के लिए (खारिज कर दिया गया है। अर्थात मान्य नहीं)
ऐसे में जो 11 दस्तावेजों की सूची दी गई है, जो नीचे संलग्न किया है, देख लीजिए।
इसमें से 1 और 2 नंबर सरकाई नौकरी वाला पहचान पत्र दस्तावेज लागू नहीं होता।
3 नंबर वाला दस्तावेज तो कतई संभव नहीं है। लोगों का जन्म संबंधी प्रमाण पत्र नहीं बनाया जाता। यह केवल जागरूक व जानकार परिवार ही बनवा सकता है।
4 नंबर पर पासपोर्ट का है। जिसे अपनी नागरिकता साबित करने का दस्तावेज नहीं मिल पा रहा है, वो विदेश भ्रमण का क्या ही उम्मीद पालेगा।
5 नंबर पर मैट्रिक का प्रमाण पत्र चाहिए। लगता है बिहार व केंद्र सरकार को चुल्लू भर पानी लेकर नाक वही रख लेना चाहिए। यह बिहार की निरक्षर व गरीब जनता के साथ भद्दा मजाक है। पढ़ने के लिए और आगे बढ़ने का ना तो अब तक महत्व समझा पाए और ना ही अपने सभी निवासियों / नागरिकों को मैट्रिक करवा पाएं।
6 नंबर का दस्तावेज निवास प्रमाण पत्र का है। इसकी जरूरत किसे होती है। पढ़े लिखे लोगों को जब उसे बिहार में नौकरी के लिए फॉर्म भरना होता है। तो फिर यह भी नहीं मिलेगा।
7 नंबर वन अधिकार प्रमाण पत्र। यह वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर लागू होता है। सरकार के आंकड़ा ही है कि बहुत ही सीमित लोगों को यह प्रमाण पत्र प्राप्त है।
8 नंबर का दस्तावेज जाति प्रमाण पत्र का है। यह भी अमूमन आरक्षण लेने के लिए इस्तेमाल होता है। कई आरक्षित श्रेणी के गरीब लोगों के पास यह नहीं मिलेगा। तो वहीं अनारक्षित समाज के गरीब लोगों के पास तो यह और नहीं मिलेगा।
9 नंबर पर NPR है, जो कि उपलब्ध ही नहीं है।
10 वें नंबर पर पारिवारिक वंशावली का है। जो लोग आज के परिवार का सबूत नहीं दे पा रहे है , वो वंश का सबूत कहां से देंगे.
और 11वें नम्बर पर है सरकार की कोई भूमि/मकान आवंटन प्रमाण पत्र। कितने फीसदी लोगों को यह प्राप्त है और जिसे मिला भी है, क्या वो दस्तावेज संभाल कर के रखा है।
यह जितने भी दस्तावेज निर्वाचन आयोग जरूरी समझा है। यह आम गरीब/भूमिहीन/मकानरहित/ घुमंतू/आदिवासी आदि नागरिक के नजरिए से नहीं समझा है।
सबसे पहले यदि यह अभियान चलाना था, तो निर्वाचन आयोग, राज्य सरकार के साथ मिलकर साल भर पहले लोगों के दस्तावेज बनवाने में मदद करते। साथ ही उन दस्तावेजों को भी मान्य करते, जो उनके पास है।
निर्वाचन आयोग का नजरिया मतदाता जोड़ने की तरफ होना चाहिए, न कि मतदाता सूची से लोगों को निकालने का।
अभी बिहार से कई तरह की समस्या आ रही है। जिसपर पैनी नज़र राजनैतिक पार्टियों को रखनी चाहिए।
विशेष गहन पुनरीक्षण - 2025
#बिहार Tejashwi Yadav