Thakur Dalip Singh ji di Pehel

Thakur Dalip Singh ji di Pehel Ik Nawi Soch..
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14/07/2025

"ਵਿਆਹ ਕਰਵਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ" ਆਪਣੇ ਮਾਤਾ ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਇਹ ਸਵਾਲ ਜ਼ਰੂਰ ਪੁੱਛੋ!
Marriage is a major life decision. Before taking this big step, it’s crucial to understand your parents’ experiences, expectations, and advice. Their insights can guide you towards a stronger, wiser, and more thoughtful marital journey.

08/07/2025

ਵਿਆਹ ਤੋਂ ਪਹਿਲੋਂ, ਵਿਆਹ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਚਾਰ ਕਰਨਾ ਕਿਉਂ ਜਰੂਰੀ ਹੈ।
Thinking about marriage before getting married is very important. It helps individuals understand their responsibilities, expectations, and compatibility with their partner. Such reflection ensures a strong foundation for a lifelong relationship. By discussing goals, values, and future plans in advance, couples can avoid misunderstandings and build a healthier, happier marriage.

ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦਿਵਸ ਦੀ ਸਭ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਬਹੁਤ ਵਧਾਈ।"Miri Piri Divas" is a significant day in Sikh history that commemorates ...
05/07/2025

ਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦਿਵਸ ਦੀ ਸਭ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਬਹੁਤ ਵਧਾਈ।
"Miri Piri Divas" is a significant day in Sikh history that commemorates the concept of spiritual and temporal authority introduced by Guru Hargobind Sahib Ji, the sixth Guru of the Sikhs. On this day, he wore two swords—Miri (temporal power) and Piri (spiritual power)—symbolizing that a Sikh should lead a life balancing both worldly responsibilities and spiritual growth.

*यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता! (भाग–3) - ठाकुर दलीप सिंघ जी*भारत ने किसी भी देश को ग...
03/07/2025

*यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता! (भाग–3) - ठाकुर दलीप सिंघ जी*
भारत ने किसी भी देश को गुलाम बना कर, इंग्लैंड की तरह अपना साम्राज्य स्थापित नहीं किया। भारत की धर्मपरायणता, नैतिकता, सहिष्णुता, दयालुता, संयम आदि के विपरीत; जिन अंग्रेज़ों ने हर प्रकार की अनैतिकता, कपट, क्रूरता आदि का उपयोग कर के विश्व पर साम्राज्य स्थापित किया: उन की भाषा ‘अंग्रेज़ी’ आज विश्व में तो फैल ही गई है। अपितु, भारत में भी लोग अपनी मातृ-भाषा छोड़ कर, विदेशी अत्याचारी अंग्रेज़ों की भाषा ही अपनाने लगे हैं। भारतीय भाषाएं (जो कि पूरे विश्व में सर्वोत्तम हैं); अपनी मातृभूमि भारत में ही आज लुप्त होती जा रही हैं।
भारतीयों की धार्मिक व आधारहीन सहनशीलता तथा नैतिकता का कड़वा फल, भारतवासियों को तथा भारत को प्रत्यक्ष रूप से यह मिल रहा है कि आज भारत सरकार के सभी विशेष कार्य; किसी भी भारतीय भाषा में नहीं होते, अपितु विदेशी भाषा ‘अंग्रेज़ी’ में होते हैं। भारतीय न्यायालयों में सभी लिखत-पढ़त भी अंग्रेज़ी भाषा में ही होती है। यहाँ तक कि जिस को अंग्रेज़ी न आती हो, भारतीय भाषा का बड़ा विद्वान होते हुए भी उसको अनपढ़ माना जाता है। हालात इतनी बुरी है कि अपने देश को ‘भारत’ कहने में भी हमें शर्म आती है। परंतु, ‘इंडिया’ कहने से गर्व अनुभव होता है। यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह अपना साम्राज्य स्थापित किया होता, तो भारत कभी भी ‘हिंदुस्तान’ या ‘इंडिया’ न बनता, सदैव ‘भारत’ ही रहता।

आज भारतीय भाषाओं में तथा जनता की बोलचाल में उर्दू, फारसी, अरबी, इंग्लिश आदि विदेशी भाषाओं के शब्दों का, अवचेतन मन से ही अधिक उपयोग हो रहा है। यदि भारत ने विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित किया होता, तो आज इंग्लैंड सहित पूरे विश्व की विदेशी भाषाओं में भारतीय भाषा के शब्द तो उपयोग होने ही थे; सम्पूर्ण विश्व की जनता भी अपनी बोलचाल में भारतीय शब्दों का उपयोग कर के गर्व महसूस करती, जिस तरह जनता आज अंग्रेज़ी के शब्दों का उपयोग कर के गर्व महसूस करती है।

यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह अपना साम्राज्य स्थापित किया होता, तो हम भारतीय भी विदेशी भाषाओं के शब्दों से अपने नाम कभी भी ना रखते, जैसे गुलाम रहने के कारण, आज हम भारतीय लोग, विदेशी भाषाओं में अपने नाम रख कर, उन नामों पर गर्व करते हैं, उदाहरण स्वरूप: करनैल सिंघ, जरनैल सिंघ, हनी, लक्की, लवली, जैसमीन आदि अंग्रेज़ी के और हाकम सिंघ, साहिब सिंघ, इबादत कौर, आदि फारसी के नाम हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि भारतीय लोग अपने नाम का सही उच्चारण छोड़ कर, विदेशियों की सहूलत के अनुरूप अपने ही नाम का गलत उच्चारण आरंभ कर देते हैं। जैसे सिंघ को सैम, ढिल्लों को ढिलन, हरभेज को हैरी, गुरभेज को गैरी आदि।

इतना ही नहीं, आज हम भारतीय भाषा में रचे गए नामों का अपभ्रंश व रूपांतरण करके, उन नामों को अंग्रेज़ी में उच्चारण करने लगे हैं। जैसे: भीम राव अंबेदकर को बी.आर. अंबेडकर, महिंदर सिंह धोनी को एम.एस. धोनी, कोच्चेरी रामण नारायणन को के.आर. नारायणन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आर.एस.एस., मध्यप्रदेश को एम.पी., दूरदर्शन को डी.डी. आदि। और तो और, भारतीयों ने अमृतसर के ‘हरिमंदिर’ को ‘गोल्डन टैंपल’, मोढेरा के ‘सूर्य मंदिर’ को ‘सन्न टैंपल’, लाल किले को ‘रैड्ड फोर्ट; आदि कहना आरंभ कर दिया है। जब कि, वैटीकन ‘सेंट पीटर्स बेसिलिका’ जैसे बड़े गिरजा घरों का नाम, किसी भी भारतीय भाषा के अनुसार नहीं बदला जाता। भारत में भी केवल भारतीय मंदिरों के नाम का ही अंग्रेजी-कर्ण कर के; नाम परिवर्तित किया जाता हैं। परंतु, ईसाइयों के गिरजाघरों के नाम का हिन्दी-कर्ण नहीं किया जाता। जैसे: सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च, बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस चर्च आदिक गिरजाघरों का नाम बदल कर, किसी भी भारतीय भाषा के अनुसार नहीं लिया जाता।

इस प्रकार, हम भारतीयों ने भारतीय भाषा में रचे नामों का अंग्रेज़ीकर्ण कर दिया है। यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित किया होता, तो भारतीय लोग विदेशी भाषाओं में अपने नाम न रखते तथा भारतीय भाषाओं के शब्दों व नामों का रूपांतरण व अपभ्रंश कर के अंग्रेजी में उच्चारण न करते। पूरे विश्व के लोग, भारतीय भाषा में अपने नाम रखते तथा अपनी भाषा के शब्दों का भारतीय भाषा के अनुसार रूपांतरण कर के उच्चारण करते; जैसे, आज हम भारतीय भाषाओं का उच्चारण बिगाड़ कर, भारत में भी अंग्रेजों के अनुसार उच्चारण कर रहे हैं। उदाहरण स्वरूप: राम को रामा, योग को योगा, वेद को वेदा, शास्त्र को शास्त्रा, राग को रागा, गंगा को गेंजस (Ganges), केरल को केरला, कर्नाटक को कर्नाटका, दिल्ली को डेहली, कोलकत्ता को कैलकटा, मुंबई को बौंबे, चीन को चाइना, रूस को रशिया, लाख को लैख आदि कहने लग गए हैं।

यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित किया होता, तो आज विश्व में अंकल-आंटी आदि अंग्रेज़ी के शब्दों की बजाय चाचा-चाची, मामा-मामी, फूफा-फूफी आदि शब्दों का प्रयोग होना था। अंकल आंटी जैसे शब्दों में तो चाचा-चाचा, मामा-मामी का कोई अंतर ही पता नहीं चलता, जब कि भारतीय भाषा के शब्दों से उन का पूरा अंतर पता चलता है। भारतीय भाषा के भावपूर्ण शब्दों से संबंधों में परस्पर प्रेम और घनिष्टता बढ़ती है।

आजकल सभी मंत्रीगण/राजनेता व अधिकारी: अंग्रेज़ी भाषा में छपे समाचार पत्र ही मुख्यत: पढ़ते हैं एवं उन में छपे समाचारों पर ही विश्वास करते हैं। किसी भी भारतीय भाषा में छपे समाचार पत्र की सूचना को उतनी मान्यता नहीं देते, जितनी मान्यता अंग्रेजी में छपे समाचार पत्र की सूचना को देते हैं। क्योंकि, अंग्रेजी के समाचार पत्र में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समाचार; भारतीय भाषा के समानांतर अधिक विद्वता-पूर्ण व सुंदर ढंग से लिखे होते हैं। क्योंकि, इंग्लैंड का साम्राज्य स्थापित होने कारण, अंग्रेजी भारतीय भाषा से अधिक उन्नत हो चुकी है। लंबे समय तक इंग्लैंड के गुलाम रहने कारण, उत्कृष्ट शैली में ‘अंग्रेजी’ लिखने वाले उत्तम विद्वानों की संख्या भी अधिक है एवं अंग्रेजी में छपने वाले समाचार पत्रों की संख्या भी अधिक है। यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह अपना साम्राज्य स्थापित किया होता, तो उत्कृष्ट शैली में ‘भारतीय’ भाषा लिखने वाले उत्तम विद्वानों एवं ‘भारतीय’ भाषा में छपने वाले समाचार पत्रों की संख्या भी अधिक होती तथा विश्व भर के लोग भारतीय भाषा में छपे समाचार पत्र पर छपी सूचना पर ही अधिक विश्वास करते।

यदि भारत ने इंग्लैंड की तरह विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित किया होता, तो आज इंग्लैंड सहित अधिकत्तर देशों की संसदों (पार्लियामेंट) में भारतीय भाषा में चर्चा होती, वाद-संवाद होते; जैसा कि आज भारत की संसद में अंग्रेज़ी में चर्चा एवं वाद-संवाद हो रहे हैं।

विश्व पर या किसी देश पर अपना साम्राज्य स्थापित कर के, वहाँ अपनी भाषा, मज़हब/धर्म तथा सभ्यता फैलाने का अपराधिक व अनैतिक ढंग: इंग्लैंड के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ है। साम्राज्य विस्तार से ही कोई भी भाषा, धर्म तथा सभ्यता सुरक्षित रहती है तथा प्रफुल्लित होती है। साम्राज्य विस्तार किए बिना कोई भी भाषा, धर्म तथा सभ्यता सुरक्षित नहीं रह सकते; प्रफुल्लित होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। सतिगुरु गोबिन्द सिंघ जी ने भी लिखा है “राज बिना नहि धरम चलै है”। इस के साथ ही यह भी एक कटु सत्य है: कम से कम 50% अनैतिकता (क्रूरता, कपट) से ही साम्राज्य स्थापित होता है, स्थापित रहता है तथा साम्राज्य का प्रसार होता है; भले ही समाज इस ढंग को कितना भी अनैतिक तथा अपराधिक मानता है। मनुष्य ने भी तो सभी जीवों से अधिक अनैतिक (पाप कार्य) कर के; क्रूरता, कपट से ही पृथ्वी पर अपना साम्राज्य स्थापित किया है। यदि केवल नैतिकता के शुभ कर्मों से साम्राज्य स्थापित करना संभव होता, तो ससे जैसे शाकाहारी जीव जंगल में शासन करते। फिर सिंह (शेर) को जंगल का ‘सम्राट’ ना माना जाता। इस लिए, साम्राज्य स्थापित करने के लिए क्रूरता, कपट जैसी अनैतिकता करनी अनिवार्य है।

इस लिए, जिस ने भी अपनी भाषा, मज़हब तथा सभ्यता को सुरक्षित कर के प्रफुल्लित करना हो; उसे विश्व पर साम्राज्य स्थापित करना व साम्राज्य स्थापित रखना, अत्यंत आवश्यक है। परंतु, भारत तो ठहरा: दयालु, शांत, सुशील, नैतिक तथा धार्मिक देश। उपरोक्त गुणों का धारणी होने के कारण, भारत ने किसी देश को गुलाम नहीं बनाया; जिस का फल भारत ने स्वयं गुलाम हो कर भोगा है तथा आज तक भोग रहा है। नैतिक व धार्मिक होने के कारण, पूरे संसार को या किसी अन्य देश को गुलाम बना कर, भारत भला अपना साम्राज्य स्थापित क्यों करेगा?

आश्चर्य होता है कि भारत के अधिकतर सम्राटों/नेताओं ने प्रकृति के नियम व अटल सच्चाई को क्यों नहीं समझा एवं क्यों नहीं स्वीकार किया कि केवल नैतिकता के आधार पर हम अपनी भाषा, संस्कृति का पूरे विश्व में प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते। जिस किसी भारतीय सम्राट ने इस अटल सच्चाई को स्वीकार कर, किसी अन्य देश पर अपना साम्राज्य स्थापित किया, या विश्व में, जहाँ कहीं भी भारतीय संस्कृति का प्रभाव रहा है; वहाँ आज भी भारतीय भाषा के शब्द प्रचलित है। जैसे: इंडोनेशिया में कभी भारतीय संस्कृति वाले राजाओं ने शासन किया था। जिस कारण, वहाँ बहु-गिनती ‘हिन्दू’ रहते थे। परंतु आज वहाँ बहु-गिनती ‘मुसलमान’ बन चुके हैं। किन्तु, वहाँ के अधिकतर मुसलमान अभी भी, भारतीय भाषा में ही अपने नाम रखते हैं जैसे: सुदर्शन, सीता, अर्जुन आदि। वहाँ की एयरलाइन का नाम भी भगवान विष्णु जी के वाहन ‘गरुड़’ के नाम पर है। वहाँ एक टापू का नाम भी भारतीय भाषा में ‘बाली’ है। यहाँ तक कि वहाँ के एक महिला-राष्ट्रपति का नाम भारतीय भाषा के अनुसार ‘सुकरण पुत्री’ था। भारतीय भाषा में नाम रख कर, वह गर्व महसूस करते हैं; भारतीयों की तरह शर्म नहीं करते।

इसी तरह, थाईलैंड में भारतीय सभ्यता के प्रभाव कारण ही ‘अयोध्या’ नामक शहर है, जो किसी समय वहाँ की राजधानी हुआ करता था। थाईलैंड के राजे के नाम के साथ सम्मान-बोधक विशेषण ‘राम’ लगाया जाता है, जो भगवान राम जी के नाम का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति के प्रभाव कारण ही, विष्णु जी का सब से बड़ा मंदिर ‘अंकुर वाह्ट’ कंबोडिया में है।

तात्पर्य यह है कि विश्व में जहाँ भी जिस देश के राजा/सम्राट का शासन होगा, वहाँ उसी का साम्राज्य स्थापित हो कर, उसी की भाषा व संस्कृति प्रचलित हो जाएगी। उस का साम्राज्य हटने के उपरांत भी, वह प्रभाव लंबे समय तक रहता है; जैसे भारत पर अभी भी मुसलमानों का तथा अंग्रेज़-ईसाईयों की भाषा व संस्कृति का प्रभाव है। यदि भारत के अधिकतर सम्राटों के मन में, विश्व पर साम्राज्य स्थापित करने का विचार पहले नहीं आया; तो अब भारत को विश्व पर अपना साम्राज्य स्थापित करने का संकल्प बना लेना चाहिए। क्योंकि, जिस का विश्व पर साम्राज्य स्थापित होता है; उसी की भाषा प्रफुल्लित हो कर, ‘अंतर्राष्ट्रीय भाषा’ बन कर, बिना अधिक प्रयत्न किए, अपने आप लागू हो जाती है। राज-भाषा बनने के कारण, वह भाषा अपनाना लोगों की मजबूरी बन जाती है; जैसे आज अंग्रेज़ी अपनाना लोगों की मजबूरी बन चुकी है। राज-भाषा की नकल करते हुए, फैशन अनुसार, वह भाषा लोगों की ‘मन-चाही भाषा’ भी बन जाती है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:- राजपाल कौर +91 9023150008, तजिंदर सिंह +91 9041000625, रतनदीप सिंह +91 9650066108.

Email: [email protected]https://hindi.mid-day.com/bespoke-stories/lifestyle/article/if-india-had-established-an-empire-over-the-world-like-england-part-3-thakur-dalip-singh-ji-64

आज भारतीय भाषाओं में तथा जनता की बोलचाल में उर्दू, फारसी, अरबी, इंग्लिश आदि विदेशी भाषाओं के शब्दों का, अवचेतन मन से ....

30/06/2025

ਵਿਆਹ ਦਾ ਅਰਥ ਕੀ ਹੈ।
Marriage is not just a social or legal bond; it is a deep spiritual and emotional partnership between two individuals. It represents commitment, trust, mutual respect, and shared responsibilities in life. For many, marriage is a sacred journey where two people support each other through all stages of life, building a family, sharing dreams, and growing together.


28/06/2025

बोर्डिंग पास से लेकर मोबाइल नंबर, ऐसे होता है आपकी जानकारी का गलत इस्तेमाल।

यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता! (भाग-३) - ठाकुर दलीप सिंह जी
27/06/2025

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ਕਿਹੜਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ; ਸਿੱਖ ਦਾ ਅਸਲੀ ਪਹਿਰਾਵਾ
26/06/2025

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24/06/2025

ਸਾਡੀ ਕਿਸਮਤ ਕੌਣ ਲਿਖਦਾ ਹੈ? ਭਾਗ-4

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
21/06/2025

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भारत-पाकिस्तान के हवाई युद्ध को कुत्तों की लड़ाई कहना मूर्खता है।क्या "डॉग फाइट" शब्द उपयोग करना सभ्य है? विचार कीजिए।वा...
20/06/2025

भारत-पाकिस्तान के हवाई युद्ध को कुत्तों की लड़ाई कहना मूर्खता है।
क्या "डॉग फाइट" शब्द उपयोग करना सभ्य है? विचार कीजिए।
वायु सेना के हवाई जहाज़ों के ऑपरेशन-सिंदूर के समय की लड़ाई को "डॉग फाइट" यानी कुत्तों की लड़ाई कहना योद्धाओं का बहुत बड़ा अपमान है। एवं हमारी मूर्खता है। सभी योद्धा मानयोग होते हैं, भले ही वह किसी भी देश के हों। यहां तक कि चाहे वह पाकिस्तान के भी क्यों न हों।
ऑपरेशन-सिंदूर के समय भारत - पाकिस्तान के बीच जो छोटा-सा हवाई युद्ध हुआ, उसे मीडिया में “डॉग फाइट” DOG FIGHT कहा जा रहा है। “डॉग फाइट” अंग्रेज़ी का शब्द है, जिसका अर्थ होता है : "कुत्तों की लड़ाई"। सोचिए, यदि हम अपने वायुसेना के वीर योद्धाओं पर गर्व करते हैं, तो फिर हम अंग्रेज़ों की नकल कर के; अपने वीर योद्धाओं के युद्ध को; कुत्तों की लड़ाई क्यों कह रहे हैं?
अगर यह युद्ध “डॉग फाइट” था, तो डॉग का अर्थ है "कुत्ता" और फाइट का अर्थ है "लड़ाई"। विचार कीजिए! फिर इस हवाई युद्ध में कुत्ते कौन थे? क्या हमारे योद्धा???
हमें शर्म आनी चाहिए कि हम बिना सोचे-समझे अंग्रेज़ी के शब्दों की नकल कर रहे हैं और अपने देश के रक्षकों को कुत्ता कह रहे हैं। हमारी वायुसेना के जवान अपना जीवन जोखिम में डालकर देश की रक्षा करते हैं, और हम उन वीरों के युद्ध को “कुत्तों की लड़ाई” कह रहे हैं! क्या यह मूर्खता नहीं है?
अंग्रेज़ों की नकल हम केवल इसलिए करते हैं क्योंकि वे अमीर हैं, शक्तिशाली हैं: वह कभी हमारे आका शासक रह चुके हैं, हम कभी उन के गुलाम रहे हैं। परंतु , क्या इस मानसिक गुलामी से अब बाहर निकलने का समय नहीं आ गया?
मित्रो, कुछ तो आत्मगौरव रखिए। अपने ही सैनिकों को कुत्ता कह देना और उनके हवाई युद्ध को “डॉग फाइट” कुत्तों की लड़ाई कह देना, यह हमारी बुद्धिमता पर प्रश्न खड़ा करता है। हमें यह सोच बदल कर, अपने योद्धाओं को सम्मान देना होगा, और उनके लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करना होगा; जो उनके शौर्य और बलिदान के योग्य हो।
वायु सेना के वीर योद्धाओं को: कुत्ते कहना कहां तक उचित है? वीरों के युद्ध को कुत्तों की लड़ाई कहना कितना योग्य है? हम भारतीय हैं, हमें भारतीय संस्कृति का सम्मान करते हुए अपने शब्दों को सम्मान पूर्वक उपयोग करना चाहिए। जैसे हमारे पूर्वज महाभारत में, रामायण के युद्ध में, अपने विरोधी योद्धाओं की भी सम्मान पूर्वक शोभा करते थे, एवं कुत्ते जैसे अपशब्द तो वह अपने विरोधी योद्धाओं के लिए भी कभी प्रयोग नहीं करते थे। और हम इतने मूर्ख हैं कि हम अपने योद्धाओं को भी कुत्ते कहि रहे हैं! हमारी मूर्खता अति सराहनीय है।

13/06/2025

ਸਾਡੀ ਕਿਸਮਤ ਕੌਣ ਲਿਖਦਾ ਹੈ? ਭਾਗ-2

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