
14/07/2025
"अर्चिता फूंकन" के नाम पर जो घटियापन फैलाया गया,
वो सिर्फ एक लड़की की इज़्ज़त नहीं,
बल्कि पूरे समाज की सोच पर तमाचा है।
AI से फर्जी वीडियो, वायरल के लिए झूठी ख़बरें,
रीच और पेआउट के लालच में इंसानियत का गला घोंट दिया गया है।
ये कोई "गौरव का क्षण" नहीं था —
ये डिजिटल दरिंदों की औकात दिखाने वाला पल था।
और सबसे शर्मनाक बात ये कि
जिस समाज ने कभी सत्य, शील और संस्कार को पूजा,
वहीं आज लाइक्स और व्यूज़ के लिए चरित्र हनन को मनोरंजन समझ रहा है।*
ओझा सर सही कहते हैं —
ये भारत कभी मानसिक रूप से मजबूत लोगों का देश था,
अब यहाँ AI से बना पोर्न और गंदगी शेयर करने वाले मेंटली और लंगोट से ढीले प्राणी पैदा हो रहे हैं।
अब नहीं रुके तो अगली अर्चिता आप भी हो सकती हैं — या आपकी बहन-बेटी।
सोचिए, रोकिए, और आवाज़ उठाइए।