13/01/2024
*घिरे हैं हम सवाल से,हमे जवाब चाहिये।*
यह अपील करते हुए मैं यह साफ तौर पर जनता हूँ कि इसे पढ़ने वाले तो बहुत होंगे लेकिन लाइक, कमेन्ट शायद ही करें।
कमीशनखोर जनप्रतिनिधियों और भ्र्ष्ट अधिकारियों के नापाक गठजोड़ से भ्र्ष्टाचार चहुंमुखी विकसित हो रहा है। हम लोगों के टैक्स के पैसे से वेतन पा रहे ये लोग जिनकी जिम्मेदारी समस्या समाधान की है खुद समस्या बने हुए हैं। बहुत हद तक आज इस मानवद्रोही व्यवस्था के जिम्मेदार हम स्वयं हैं। हमने कभी संगठित होकर अपने चुने हुए रहनुमाओं से सवाल नही किये, हम संगठित हो भी तो नही सकते क्योंकि हम दलों की दासता में बंधे हुए जो हैं,जब तक हमारे कन्धों पर दलों की दासता की जुआठा पड़ी है तब तक हम संगठित नही हो सकते ,मैं यह नही कहता कि पार्टियों में न रहें, खूब रहें लेकिन बुनियादी सुविधाओं के लिए सवाल तो खड़ा करें।
आज जिन युवाओं को मुट्ठी बांध कर अपने नुमाइंदों से सवाल खड़े करने चाहिए वो हाथ बांधे सुबह से शाम तक इनकी चौखट पर खड़े होकर अपनी जीविका के प्रबन्ध में लगा है बेचारा, क्योंकि एक तंत्र ऐसा बना हुआ है कि सांसद, बिधायक, से लेकर जिले,नगर,और ग्राम स्तर तक के प्रतिनिधि अपनी निधि के साथ अपना ठेकेदार भी घोषित करते हैं। तमाम कार्यदायी संस्थाओं में इनके द्वारा ठेके मैनेज किये जाते हैं। ये खुद अप्रत्यक्ष रूप से गोदी ठेकेदार के माध्य्म से ठेकेदारी भी करते हैं, बड़े ठेकेदार इनके आवास पर नही मिलते वो तो इनके असिस्टेंट को मोटा एडवांस कर बजट पास करवाते हैं। बड़े पूंजीपतियों से एडवांस ले कर बैठे ये जनप्रतिनिधि उनके लिए कई गैर जरूरी प्रस्ताव बनाते हैं और हमारे, आपके पैसे का बंटवारा करते हैं।
इस अघोषित लेकिन प्रभावी शोषणकारी व्यवस्था के मकड़जाल में फंस कर युवा इनकी दरबारी, पहरेदारी करने को बाध्य है। इस व्यवस्था को तोड़ना होगा , हमारे पैसों पर राज करने वाले इन लोगों से अपने पैसे का हिसाब लेना होगा। ये लोग विकास निधि को अपनी बपौती अपना वेतन समझ बैठे हैं।
*ये हमारे प्रतिनिधि हैं, आराध्य नही।*
#आजाद हिन्द सेना की है मांग,
हमारा पैसा, हमारा हिसाब। # की मुहिम को अपने समर्थन की ताकत दें।
*ऋषि पाण्डेय संस्थापक अध्यक्ष आजाद हिंद सेना वाहिनी।*