03/05/2025
परिवार ही जीवन का सबसे बड़ा आधार है। इस बात को सच कर दिखाया एक बेटे ने, जिसने अपने बीमार पिता को नया जीवन देकर सभी का दिल जीत लिया। उसके पिता का लीवर खराब हो चुका था, और डॉक्टरों ने स्पष्ट कर दिया था कि बिना ट्रांसप्लांट के उनके पास ज्यादा समय नहीं है। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था, लेकिन इस बेटे ने हिम्मत नहीं हारी। डोनर की तलाश में भटकने के बजाय, उसने खुद अपने लीवर का 65% हिस्सा दान करने का फैसला किया। इस प्रेरणादायक कहानी को इंस्टाग्राम पेज 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' ने साझा किया, जिसे पढ़कर हजारों लोग भावुक हो गए।
पिता की इच्छा – "मैं मरना नहीं चाहता"
जब बेटे को पता चला कि उसके पिता का लीवर फेल हो गया है, तो वह अवाक रह गया। पिता ने कभी धूम्रपान या शराब नहीं पी थी, फिर भी उनकी यह हालत हो गई। डॉक्टरों ने कहा कि अगर जल्द ही डोनर नहीं मिला, तो उनके पास केवल 6 महीने का समय है। बेटे ने खुद को बेहद असहाय महसूस किया, लेकिन जब उसके पिता ने कहा, "मैं मरना नहीं चाहता। मैं तुम्हें स्नातक होते देखना चाहता हूं," तो उसने ठान लिया कि वह अपने पिता को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएगा।
घर का माहौल पूरी तरह बदल चुका था। खुशियां गायब हो गई थीं और हर ओर चिंता छा गई थी। इसी बीच कोविड की दूसरी लहर आई, जिसमें बेटा संक्रमित हो गया। आइसोलेशन में रहने के दौरान वह खूब रोया, क्योंकि वह अपने पिता के पास नहीं जा सकता था। हालांकि, वह उन्हें वीडियो कॉल करके हौसला देता और लूडो खेलते हुए जानबूझकर हार जाता, ताकि उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहे।
"मैं अपने पिता को लीवर दूंगा!"
कोविड से उबरने के बाद, बेटे ने देखा कि अब उसके पिता वायरस की चपेट में आ गए हैं। वह हर दिन अस्पताल जाते और उनके पास बैठकर अपनी परीक्षाओं की तैयारी करते। लेकिन अपने पिता को दर्द में देखकर वह और सहन नहीं कर सका। उसने परिवार से कहा, "मैं उन्हें बचाने जा रहा हूं, मैं अपना लीवर डोनेट करूंगा!"
पिता की चिंता – "अगर तुम्हें कुछ हो गया तो?"
सौभाग्य से बेटे का लीवर मैच हो गया, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि वह थोड़ा फैटी है। बेटे को 65% लीवर दान करना था, इसलिए उसने खुद को फिट करने के लिए कड़ी मेहनत की, सही खानपान अपनाया और व्यायाम किया। टेस्ट के बाद डॉक्टरों ने उसे सर्जरी के लिए स्वस्थ घोषित कर दिया। यह सुनकर उसे राहत मिली, लेकिन पिता की आंखों में आंसू आ गए।
उन्होंने रोते हुए कहा, "अगर तुम्हें भविष्य में कोई समस्या हुई तो? मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा!" लेकिन बेटे ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "आपकी लड़ाई मेरी भी है। हम हारने वालों में से नहीं हैं!"
इस बेटे का प्यार और बलिदान न केवल एक परिवार की कहानी है, बल्कि यह हर किसी के लिए प्रेरणा है कि जब परिवार पर संकट आए, तो हर संभव कोशिश करनी चाहिए। आखिरकार, परिवार ही सब कुछ है।