05/09/2025
♦घटनाओं के बाद भी नहीं खुल रही आंखें…?
👉एक बाइक पर चार- चार युवक सवार, खुद के साथ मां-बाप को भी दे रहे हैं धोखा।
✍️सड़क हादसों की खबरें रोज़ अख़बार और टीवी की सुर्खियां बन रही हैं। कहीं तेज रफ्तार ने किसी की जिंदगी छीन ली, तो कहीं लापरवाही ने परिवार को उजाड़ दिया। इसके बावजूद सड़कों पर एक आम नज़ारा है – एक ही बाइक पर तीन-तीन, चार-चार युवक सवार। हेलमेट गायब, ट्रैफिक नियमों का नामोनिशान नहीं।
🔷युवाओं का मानना है कि "दोस्तों संग मस्ती करना" या "स्टाइल दिखाना" ज़रूरी है। लेकिन क्या यह मस्ती और स्टाइल परिवार की आंखों से बहने वाले आंसुओं से बड़ी है? जब हादसे में किसी का बेटा, भाई या दोस्त सदा के लिए चला जाता है, तब न स्टाइल काम आता है, न शान।
♦हर मां-बाप अपने बच्चे को सुरक्षित देखना चाहते हैं। वह बेटे को बाइक इसलिए देते हैं कि वह पढ़ाई या काम पर आसानी से जा सके। लेकिन जब वही बेटा बाइक को "खिलौना" बना देता है, तो यह सिर्फ उसकी ज़िंदगी के साथ खेल नहीं होता, बल्कि मां-बाप के विश्वास और सपनों के साथ भी धोखा होता है।
🔶पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि सड़कों पर होने वाले अधिकतर हादसों में तेज रफ्तार और ओवरलोडिंग (एक बाइक पर कई लोग सवार होना) मुख्य कारण हैं। हेलमेट न पहनना इन हादसों को और घातक बना देता है।
🙏 युवाओं से देवरिया टाइम्स अपील करता हैं!
🔷1. युवाओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। बाइक चलाना शौक हो सकता है, लेकिन यह जानलेवा नहीं होना चाहिए।
🔷2. मां-बाप को भी सख्त होना होगा। यदि बच्चा हेलमेट नहीं पहनता या नियम तोड़ता है, तो उसे बाइक ही न दी जाए।
🔷3. पुलिस-प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। सिर्फ चालान काटने से नहीं, बल्कि जागरूकता अभियान और कड़े नियमों से फर्क पड़ेगा।