15/08/2025
राहुल गांधी और विपक्षी दलों ने EVM, वोटर लिस्ट और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर लंबे समय से सवाल उठाए हैं। “Black box” की बात से शुरू होकर “vote chori” तक, ये मुद्दे सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग तक पहुंच चुके हैं। अब सवाल यह है—अब तक क्या हुआ? चलिए विस्तार से जानते हैं।
ताज़ा घटनाक्रम और वर्तमान हालात
• सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) के तहत 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची 48 घंटे में प्रकाशित करने का आदेश दिया—जो राहुल गांधी के वोटर डिलीट करने के आरोप को प्रमाणित करता है। 
• विपक्षी नेता मनीष तिवारी की अगुवाई में चंडीगढ़ में “vote theft” के खिलाफ कैंडल मार्च हुआ, जिसमें राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों को चुनाव आयोग पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया। 
• हरियाणा में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि EVM गिनती में गणना पलट दी गई; राजेंद्र नगर युनियन MP Deepender Hooda ने दावा किया कि कांग्रेस ने पहले वोटरों से बढ़त हासिल की थी, लेकिन EVM मतगणना में परिणाम उलट गया। 
• राहुल गांधी समेत लगभग 300 विपक्षी नेताओं को दिल्ली में ECI के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया। उनका आरोप था कि मतदाता सूची में छेड़छाड़ हुई है। 
• चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को चुनौती दी—या तो आरोपों का लिखित प्रमाणपत्र (affidavit) दें, या फिर राष्ट्र से माफी मांगें। आरोपों को “false and absurd” बताया गया।  
• राहुल गांधी ने “atomic bomb” साबित करने वाला डेटा का दावा करते हुए कहा कि “vote chori” हुई है—EC पर collusion का आरोप लगाया और डेटा को गोपनीय रखने का भी आरोप लगाया।   
• पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह Hooda का कहना है कि सरकार राहुल गांधी की रिपोर्ट से डर गई है—उन्होंने EVM की पारदर्शिता बढ़ाने और ballot paper प्रणाली अपनाने की माँग रखी। 
⸻
निष्कर्ष (Conclusion)
अजीब राजनीतिक दौर है—राहुल गांधी और विपक्ष ने EVM, मतदाता सूची में गड़बड़ी, और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाकर चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को सक्रिय कर दिया। विरोध प्रदर्शन, गिरफ्तारी, अदालतों का ध्यान—सब हुआ। लेकिन अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई है। EVM अब भी चुनावी आधार बना हुआ है। क्या यह लोकतंत्र के मजबूत होने का संकेत है या सवालों का सिलसिला बिना हल के चलता रहेगा? यह वक्त ही बताएगा।