29/07/2025
*"जब सड़क बन जाए खेत — भंडार गांव की बेबसी की अनसुनी दास्तान..."*
*ढाका प्रखंड के भंडार गांव में सड़क की बदहाली अब लोगों की सहनशक्ति से बाहर हो चुकी है।*
*✍️अब्दुस्समद*
बरसात का मौसम आते ही यह सड़क गड्ढों और कीचड़ में तब्दील हो जाती है। न पैदल चलना आसान, न ही किसी वाहन का गुजरना मुमकिन। सबसे ज्यादा मुश्किल स्कूली बच्चों, मरीजों और बुज़ुर्गों को होती है।
लेकिन इस बार गांववालों ने विरोध का तरीका भी अलग चुना।
जिस सड़क से रोज़ गुज़रते हुए उनके कपड़े और शरीर कीचड़ से भर जाते थे,
अब उसी सड़क को खेत मानकर उस पर धान की रोपनी कर डाली।
हां, आपने सही सुना — सड़क पर धान की रोपनी।
एक महिला कहती हैं,
"अगर यह सड़क बन नहीं सकती, तो इसे खेत ही बना देते हैं, कम से कम काम तो आएगी।"
ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार पंचायत और प्रशासन को लिखित एवं मौखिक रूप से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
"नेता चुनाव के समय वादा करते हैं कि सड़क बनवाएंगे, लेकिन जीतते ही सब भूल जाते हैं।"
बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना हो या बच्चों को स्कूल भेजना — इस सड़क की वजह से हर दिन एक संघर्ष बन चुका है।
इस प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और लोग सवाल उठा रहे हैं —
"क्या आज़ादी के इतने सालों बाद भी गांवों की यही हालत रहेगी?"
"क्या आम जनता की आवाज़ तब तक नहीं सुनी जाएगी, जब तक वो ऐसे अनोखे विरोध ना करें?"
अब देखने वाली बात ये है कि क्या प्रशासन इस आवाज़ को गंभीरता से लेगा या फिर ये प्रदर्शन भी बाकी सबकी तरह अनदेखा कर दिया जाएगा?