20/07/2025
मैंने दुःख को चखा है। / वर्तिका गुप्ता ✍🏼
पूरी कविता पढ़े। 👇
मैंने,
दुनिया की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख को चखा है।
जो सुख की भूख को मिटाता चला हुआ,
जिसको मैं,
और जो मुझे अपनाता चला गया,
मैंने,
दुनिया की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख को चखा है।
मैंने, दुःख को निहारा है,
दुःख को प्यार किया है,
दुःख को अपना प्रिय बनाया है,
मैंने सुख को मिटाया है,
दुःख ने ही,
मुझे पाला है,
दुःख ने ही,
मुझे जीना सिखाया है।
दुःख ने मुझे जलाया नहीं,
दुःख ने मुझे शीतल किया,
दुःख ने मुझे सताया नहीं,
दुःख ने मुझे अपनी गोद दी है,
दुःख ने मुझे जगाया नहीं,
दुःख ने मुझे सुलाया है,
दुःख ने मुझे हराया नहीं,
दुःख ने मुझे,
जीतने का हौंसला दिया,
दुःख ने मुझे रुलाया नहीं,
दुःख ने मुझे केवल प्यार किया।
मैंने,
दुनिया की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख को चखा है।
जो सुख की भूख को मिटाता चला गया,
जिसको मैं,
और जो मुझे अपनाता चला गया,
मैंने,
दुनिया की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख को चखा है।
इस दुनिया ने दुःख को धिक्कारा है,
मुझे भी दुत्कारा है,
जब किसी ने शरण् नहीं दिया,
हमदोनों को,
दुःख ने मुझे,
मैंने दुःख को अपनाया है,
लोगों ने दुःख को,
"दुःख के बादल" सा जाना है,
मैंने दुःख के आंचल को थामा है।
मैंने, दुःख के साथ छुपम–छुपाई खेली है,
मैंने दुःख को हृदय में छिपाया है,
दुःख ने हर बार मुझे ढूंढ लिया,
मैंने दुःख को गले लगाया है,
दुःख का हाथ थाम–थाम,
मैंने बिताई है,
अपनी हर एक शाम।
मैंने,
दुनिया की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख चखा है।
जो सुख की भूख मिटाता चला गया,
जिसको मैं,
और जो मुझे अपनाता चला गया,
मैंने,
दुनिया की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख को चखा है।
साथ रहा,
और सतत् साथ रहा,
अमावस्या वाली रातों में,
नहीं जानती किसी अपने को,
जो खरा उतरा हो,
अपने वादों में,
चुभते रहें कांटे,
सबने अपना काम किया,
दुःख ही ऐसा मीत मेरा,
जिसने मेरे दुःख बांटे।
मैंने,
दुनिया की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख चखा है।
जो सुख की भूख मिटाता चला गया,
जिसको मैं,
और जो मुझे अपनाता चला गया,
मैंने,
दुनियाँ की सबसे मीठी मिठाई चखी है,
मैंने दुःख को चखा है।
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