Shakambhari Bhawan

Shakambhari Bhawan � हे महाकाल पापाजी का गलत ईलाज करने वा?

25/08/2024

*जन्माष्टमी पर्व 26 अगस्त 2024*
सभी सनातनीय पाठकों धर्मावलंबियों को सादर प्रणाम🙏।
आप सभी को जन्माष्टमी महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। अवगत कराना चाहूंगी 26 अगस्त 2024 दिन सोमवार को (सभी का) जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा।

*अर्द्धरात्रे तु रोहिण्यां यदा कृष्णाष्टमी भवेत्।*
*तस्यामभ्यर्चनं शौरिहन्ति पापों त्रिजन्मजम्।*

अपनी लीलाओं से सबको अचंभित कर देने वाले भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है।
कारा-गृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्मे कृष्ण के नामकरण के विषय में कहा जाता है कि आचार्य गर्ग ने रंग काला होने के कारण इनका नाम “कृष्ण” रख दिया था।
*जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त*
अष्टमी तिथि प्रारम्भ 26 अगस्त 2024 प्रातः 3:41 से 27 अगस्त 2024 रात्रि/ प्रातः 2:22 तक।
*शुभ योग*
जन्माष्टमी पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रोहिणी नक्षत्र रहेगा। तथा चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहकर गुरु तथा मंगल के साथ गज केसरी योग और महालक्ष्मी योग का निर्माण करेंगे।

*पूजा विधि*
इस दिन जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के उपरान्त घर व मंदिर को स्वच्छ करें। उपवास का संकल्प लें और एक साफ चौकी रखें चौकी पर पीले रंग का धुला हुआ वस्त्र बिछा लें। सभी स्थापित देवी देवताओं का जलाभिषेक करें और चौकी पर बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान श्रीकृष्ण को रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले पुष्प, अर्पित करें। पूरे दिन घी की अखंड ज्योति जलाएं। उन्हें लड्डू और उनके पसंदीदा वस्तुओं का भोग लगाएं। बाल गोपाल की अपने पुत्र की भांति सेवा करें। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है क्योंकि श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। ऐसे में मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना करें बाल गोपाल को झूले में बिठाएं। उन्हें झूला झुलायें भगवान कृष्ण को मिश्री, घी, माखन, खीर, पंजीरी इत्यादि का भोग लगाएं। अंत में उनकी घी के दीपक से आरती करें और प्रसाद वितरित व ग्रहण कर उपवास का संकल्प पूर्ण करें।
*जन्माष्टमी का महत्व व लाभ*
ऐसी मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से वर्ष में होने वाले कई अन्य उपवासों का फल मिल जाता है। भगवान विष्णु के आठवें अवतार कहे जाने वाले कृष्ण के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सभी दुःख दूर हो जाते हैं। जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते है, उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी का उपवास संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि, वंश वृद्धि, दीर्घायु और पितृ दोष आदि से मुक्ति के लिए भी एक वरदान है। जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर हो, वे भी जन्माष्टमी पर विशेष पूजा कर के लाभ पा सकते हैं।
जिन दंपतियों को संतान उत्पत्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है जन्माष्टमी के पर्व पर घर में बाल गोपाल स्थापित करें एवं उनकी प्रतिदिन सेवा करें।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर लाभ हेतु इन मंत्रों का उच्चारण अवश्य करें -:
1- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:।
2 - श्रीवृंदावनेश्वरी राधायै नम:।
3 - ॐ नमो नारायणाय ।
4 - ॐ र्ली गोपीजनवल्लभाय नम:।
(निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति हेतु जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर इस मंत्र का अधिक से अधिक जप करना या करवाना चाहिए -:)
5 - ॐ देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ।।

25/08/2024

🙏 *नमस्कार* 🙏

*याद रखिये*

*जिसको किसी से कुछ नहीं चाहिए, वह किसी से दबेगा भी नहीं…!*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

*15 अगस्त को शराब की दुकानें बंद रहती हैं और 16 अगस्त को अखबार नहीं आता है*
*26 जनवरी को भी शराब की दुकानें बंद रहती हैं और 27 जनवरी को अखबार नहीं आता है*
*2 अक्टूबर को फिर वही बात, कि शराब की दुकानें बंद रहती हैं और 3 अक्टूबर को अखबार नहीं आता है*

*क्या बिना पिये अखबार नहीं छाप सकते ये अखबार वाले?*
*जानना चाहते हैं देशवासी*
😜😜😜😜😜😜😜😜

*दो चीज़ें मर्दो को हंमेशा*
*अपनी ओर खींचती हैं..*

*मदिरा की दुकान* और

*पड़ोसन की मुस्कान!*
😂😂👩🏻‍🦰🥂👩🏻‍🦰😜😂😂

DP देखते ही फिदा होने वाले जरा ध्यान दें,
यूरिया भी दूर से चीनी दिखाई देती है..
😂😂😂🌹🌹😜😜😜

आज का ज्ञान

जिंदगी में कोई भी
निर्णय जल्दी में ना लें..
याद रखें,
आपको
जिंदगी बनानी है, मैगी नहीं
🤣😂😂🤣🤣😂😄🙄

24/08/2024

घटना 19 मार्च 2013 की है जब प्रदेश में स.पा. सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। इटावा जिले का संतोषपुर गांव और गांव के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित व्यक्ति शिव कुमार बाजपेई।

सपाई ब्राह्मण थे बेचारे..

शिव कुमार बाजपेई की पत्नी उर्मिला बाजपेई अपने घर में बैठी थीं। एकाएक 20 -25 आदमी घर में प्रवेश करते हैं और उर्मिला बाजपेई को लातों से मारना शुरू कर देते हैं। वह गिर जाती हैं , उनका बाल और पैर पकड़कर खींचते हुए बाहर लाते हैं। उनके मुख पर कालिख पोतते हैं, उनके गले में जूतों और चप्पलों की माला पहनाते हैं और उन्हें गांव में घुमाते हैं और जब वे दर्द और अपमान से रोते हुए अपना मुंह हथेलियों से छुपाना चाहती हैं तो उनका हाथ पीछे बांध देते हैं।

आपको यह घटना अविश्वसनीय लगती होगी लेकिन इसमें एक-एक शब्द अखबारों का है। तारीख 20 मार्च 2013)

उर्मिला बाजपेई का दोष क्या था? कोई दोष नहीं। घटना कुछ इस तरह थी कि उनके पति शिव कुमार बाजपेई के पड़ोसी प्रदीप त्रिपाठी के बेटे के साथ राज बहादुर यादव की बेटी फरार हो गई।

प्रदेश में यादव शासन था और यादवों की लड़की भागी थी तो पुलिस को तो सक्रिय होना ही था। बेटा न मिला तो बाप ही सही। पुलिस ने प्रदीप त्रिपाठी को पकड़ मंगाया और कुछ दिन तो थाने में उन्हें बैठाकर, प्रताड़ित करके लड़के का पता पूछती रही और जब वह नहीं बता पाए तो उन्हें जेल भेज दिया। उर्मिला बाजपेई के पति शिवकुमार का दोष बस इतना था कि वह प्रदीप त्रिपाठी की जमानत के लिए भागदौड़ कर रहे थे।

शिव कुमार बाजपेई के सिर्फ इस गुनाह के कारण ही उनकी पत्नी उर्मिला बाजपेई के मुंह पर कालिख पोत कर, चप्पलों की माला पहनाकर और हाथ पीछे बांधकर पूरे गांव में घुमाया गया और उसके बाद यादवों का झुंड पूरे गांव में घूमा। जो भी सामने मिलता, उसे पीट-पीटकर गिरा देते और बेहद फूहड़ गालियां बकते हुए तथा औरतों को घर से निकाल कर पूरे गांव में नंगी घुमाने की धमकी देते हुए। गांव के प्राय: सभी ब्राह्मण परिवार घर के अंदर बंद , भय से कांप रहे थे और बाहर यादवों का चीख- चीख कर गालियां देने का क्रम चालू था । गांव के कुछ युवक हिम्मत करके पुलिस स्टेशन पहुंचे लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई। यह सूचना कुछ ही देर में पूरे जिले में फैल गई और करीब 7 घंटे बाद आई. जी.के आदेश पर गांव में पी.ए.सी तैनात हुई और यादवी अत्याचार रुका।

लेकिन अभी सपा छाप पुलिस का परिचय बाकी है। इतने शर्मनाक कांड के बाद और ग्राम प्रधान सुशील यादव सहित कई पर नाम सहित की गई रिपोर्ट पर भी पुलिस ने एक भी गिरफ्तारी नहीं की। लेकिन पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने गए लोगों में जिसमें ब्राह्मण सभा और परशुराम सेना के पदाधिकारी भी शामिल थे, उनमें से एक दर्जन से अधिक लोगों को जेल भेज दिया गया कि इनसे शांति भंग का अंदेशा है।

और जानते हैं कि शासन स्तर पर क्या हुआ ? पीड़ितों का एक दल जीप में लदकर इटावा से लखनऊ पहुंचा और ब्राम्हण प्रतिनिधि तथा मुख्यमंत्री का विश्वासपात्र समझकर राज्य सरकार के मंत्री अभिषेक मिश्र से मिला।

उस दिन (20 मार्च 2013) प्रायः सभी अखबारों में यह घटना बहुत विस्तार से छपी थी । अतःश्री अभिषेक मिश्र जी भी इससे पूरी तरह अवगत थे लेकिन उन्होंने यह कह कर प्रतिनिधिमंडल को लौटा दिया कि यह मुख्यमंत्री के जिले का मामला है, मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता।

आज सुना है अभिषेक मिश्र लखनऊ के सरोजनी नगर से सपा उम्मीदवार हैं और अखिलेश यादव को विश्वास दिलाया है कि क्षेत्र के सारे ब्राम्हण वोट उन्हें ही मिलेंगे।

यह एक बानगी है उस जंगलराज की जब एक यादव सिपाही अपने अधिकारी दरोगा को बिल्ला उतरवा लेने की धमकी देता था। बहुतों को याद होगा हजरतगंज (लखनऊ ) के सी.ओ अतर सिंह यादव की जिसने अपने एस.एस.पी. को कभी सैल्यूट नहीं किया बल्कि हमेशा उनसे हाथ मिलाया। एस.एस .पी .की भी बर्दाश्त करने की मजबूरी थी क्योंकि अतर सिंह के नाम के साथ 'यादव' जुड़ा था।

सब छोड़िए, आपको झांसी की घटना याद है ?
अखिलेश यादव के ही कार्यकाल का है। 20 जनवरी 2014 को क्षेत्र के जाने-माने भाजपा नेता बृजेश तिवारी अपनी पत्नी ,बेटे और भतीजे के साथ जा रहे थे। एक स्थानीय स.पा. नेता तेजपाल यादव के नेतृत्व में करीब एक दर्जन सपाइयों ने उन्हें घेर लिया और बृजेश तिवारी सहित उनके पूरे परिवार को भून डाला। पूरे शहर में जैसे मातम छा गया।
हत्या की रिपोर्ट लिखी गई। तत्कालीन पुलिस एस.पी. अपर्णा गांगुली के नेतृत्व में पुलिस ने तेज कार्यवाही की और पुलिस ने शीघ्र ही हत्या में प्रयुक्त हथियार सहित मुख्य अभियुक्त तेजपाल यादव को गिरफ्तार कर लिया।

मगर एस.पी. अपर्णा गांगुली ने प्रेस को बताया कि साक्ष्य तो यही मिल रहे हैं कि हत्या राजनीतिक कारणों से की गई है। 11 हमलावरों में से 8 को पहचान लिया गया है और एक- तेजपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन अभी तो सरकार का जातिवादी रूप आना शेष था। पुलिस डी.जी.पी. को ऊपर से निर्देश दिया गया और लखनऊ में डी.जी.पी. रिजवान ने बयान दिया कि " बृजेश तिवारी और उनके परिवार की हत्या में समाजवादी पार्टी के किसी भी नेता या कार्यकर्ता का हाथ नहीं था।"

इस बयान पर हालांकि तमाम अखबार और राजनैतिक दल डी.जी.पी. रिजवान पर टूट पड़े। तमाम अखबारों ने लिखा कि झांसी की पुलिस अधीक्षक ने जब जांच कर सपा नेता और मुख्य अपराधी तेजपाल को हथियार सहित गिरफ्तार कर लिया है और 11 में से 8 सपा कार्यकर्ताओं की पहचान भी कर ली है तो लखनऊ में बैठकर डीजीपी कैसे कह सकते हैं कि वारदात में समाजवादी पार्टी के लोग शामिल नहीं हैं ??

टाइम्स ऑफ इंडिया ने तो यहां तक लिखा था कि श्री रिजवान एक पुलिस अधिकारी की तरह नहीं बल्कि राजनीतिक निष्ठा के अनुसार कार्य कर रहे हैं। लेकिन डी.जी.पी. का बयान ही उनका एक तरह से आदेश था और बृजेश तिवारी और उनके पूरे परिवार की हत्या के आरोपी छोड़ दिए गए। और समाजवादी पार्टी को इसका नतीजा भी मिला।

याद होगा कि कुछ महीने पहले स.पा. ज़िलों- जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन करवा रही थी। ऐसा ही एक सम्मेलन झांसी में भी आयोजित किया गया लेकिन बृजेश तिवारी हत्याकांड और उसमें हुए जातीय पक्षपात से आहत झांसी के ब्राह्मणों ने स.पा. के उस आयोजन के बहिष्कार का निर्णय लिया और उस आयोजन में जिले का एक भी ब्राह्मण नहीं पहुंचा इसलिए उन्हें यह आयोजन रद्द करना पड़ा।

कहीं भी, कोई भी मुख्यमंत्री होगा, उसकी कोई जाति भी होगी । क्या उस जाति के लोगों द्वारा इटावा के संतोषपुर जैसी घटना का कोई दूसरा उदाहरण देश में मिलेगा?

जहां एक निर्दोष, सम्भ्रांत महिला को बिना किसी दोष के, मुंह काला करके, जूतों की माला पहना कर गांव में घुमाया गया हो और पुलिस ने कोई कार्यवाही न की हो -यह अखिलेश यादव के राज में ही संभव है...!!

निर्णय आपका है 🙏

जय जय श्री राम
🙏💕🚩

18/08/2024

हिजाब के विवाद में एक बात गौर करने वाली है😃 वो ये कि केवल मुस्लिम युवतियां ही अपने मजहब को जिंदा रखने के लिए इस्लाम के अनुसार पोशाक पहनकर स्कूल या कालेज आने देने की मांग कर रही हैं😎 मुस्लिम युवक क्यों नहीं कर रहे कि हमें भी कुर्ता,ऊंचा पाजामा,बकरा दाढ़ी और जालीदार गोल टोपी पहनकर स्कूल कालेज आएंगे😎क्या ये मजहब नहीं❓😎बस यही पर "पेंच" है😎यदि इन्होंने कुर्ता,ऊंचा पाजामा,बकरा दाढ़ी और जालीदार गोल टोपी पहनकर स्कूल कालेज आने की मांग रखी तो ये पहचान छुपाकर "लवजिहाद" कैसे करेंगे ❓हिंदू लड़कियों को अपने जाल में कैसे फंसाएंगे❓यही कारण है कि ये अपने लिए उपयुक्त मजहबी पोशाक की मांग नहीं करते 😎

17/08/2024

*⚘️ब्रह्मांड में 14 लोकों का नाम एवं इनमें कौन-कौन निवास करते है | संपूर्ण विस्तृत ज्ञान.*
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विष्णु पुराण में लोको के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है जिसके अनुसार लोको की संख्या 14 है. ब्रह्मांड में 14 लोकों का नाम एवं इनमें कौन-कौन निवास करते है?14 लोकों का नाम एवं इनके निवासी

♥️⚘️ इनमें 7 लोको को ऊर्ध्व लोक व 7 को अधो लोक कहा गया है.

🔥 1● भूलोक

मित्रों सबसे पहले आता है जिसे हमलोग धरती लोक के नाम से जानते है. जिसे कर्म लोक भी कहते हैं, जहां पर 8400000 योनियों के जीव जंतु एवं मनुष्य समुदाय निवास करते हैं. भूलोक वह लोक जहां मनुष्य पैरों से या हवाई जहाज , वाहन आदि से जा सकता है. हमारी पूरी पृथ्वी भूलोक के अंतर्गत है यहां आपको कई तरह के विद्युत चालित वाहन देखने को मिलते हैं.

🔥 2● भुवर्लोक

पृथ्वी और सूर्य की बीच के स्थान को भूवर्लोक कहते हैं. इस लोक मैं अंतरिक्ष वासी देवता निवास करते हैं.

🔥3 ● स्वर्लोक

हिंदू धर्म में संस्कृत शब्द में स्वर का निरु पर्वत ऊपर लोको हेतु प्रयुक्त होता है यह वह स्थान है जहां पुण्य करने वाला अपने पुण्य क्षीण होने तक अगले जन्म लेने से पहले तक रहता है. यह स्थान उन आत्माओं के लिए है जिन्होंने पुण्य तो किए हैं लेकिन उनमें अभी मोक्ष या मुक्ति नहीं मिली है. यहां सब प्रकार के आनंद है एवं पापों से परे रहते हैं इस क्षेत्र में इंद्र आदि स्वर्गवासी देवता निवास करते हैं. इन्ही 3 लोको को ही त्रिलोकी या त्रिभुवन कहा गया है इंद्र आदि देवताओं का अधिकार क्षेत्र इन्हीं लोको तक सीमित है.

🔥 4 ● महर लोक

मित्रों यह अपने आप में से सबसे विचित्र और बिरला लोक हैं. यह लोक ध्रुव से एक करोड़ योजन दूर है. यहाँ भृगु आदि सिद्धगण निवास करते हैं। यह स्थान जन शून्य अवस्था में रहता है जहां प्रलय काल में सामान्य या पापी आत्माएं स्थिर अवस्था में रहती है. यहीं पर महाप्रलय के दौरान सृष्टि भस्म के रूप में विद्यमान रहती है यह लोक कृतक त्रिलोक और अकृतक त्रिलोक के बीच स्थित है.

🔥 5 ● जनलोक

यह लोक महर लोक से दो करोड़ योजन ऊपर है. इस लोक मैं यहाँ सनकादिक आदि ऋषि निवास करते हैं एवम् कई प्रकार विद्वान व तपस्विनी ऋषि आदि निवास करते हैं.

🔥 6 ● तप लोक

यह लोक जनलोक से 8 करोड़ योजन दूर है यहां विराज नाम के देवता का निवास स्थल है.

🔥 7 ● सत्यलोक

यह लोक तप लोक से 12 करोड़ योजन ऊपर है यहां ब्रह्मा निवास करते हैं अर्थात इसे ब्रह्मलोक भी कहते हैं. सर्वोच्च श्रेणी के ऋषि मुनि यही निवास करते हैं इसीलिए इस लोक का एक अलग ही पुराणिक महत्व है जैसा कि विष्णु पुराण में कहा गया है कि नीचे के तीनों लोकों का स्वरूप उस तरह से चिरकालिक नहीं है जिस तरह से ऊपर के लोको का है और वे प्रलय काल में नष्ट हो जाते हैं. जबकि ऊपर के तीनो लोक इससे अप्रभावित रहते हैं अतः भूलोक भुवर्लोक और स्वर्लोक को कृतक लोक कहा गया है और जन लोक , तपलोक और सत्यलोक को अकृतक लोक महरलोक प्रलय काल के दौरान नष्ट नहीं होता पर रहने के आयोग हो जाता है अतः वहां के निवासी जनलोक चले जाते हैं जिस कारण महर लोक को कृतकाकृतक कहा गया है.

♥️⚘️जिस तरह से ऊर्ध्व लोक है उसी तरह 7 अधो लोक भी हैं जिन्हें पाताल कहा गया है इन सात पाताल लोको के नाम इस तरह है

🔥 8 ● अतल

यह हमारी पृथ्वी से 10000 योजन की गहराई पर है इसकी भूमि सुकल यानि सफेद है. जिसमें इस पाताल लोक के राजा मयदानव का पुत्र असुर बल है उसने 96 प्रकार की माया रची हुई है.

🔥 9 ● वितल

यह अतल से भी 10 हजार योजन नीचे है इसकी भूमि कृष्ण यानी काली है. इस लोक में भगवान हाटकेश्वर महादेव जी अपने भूत गण एवं पार्षदों के साथ रहते हैं और वे इस लोक पर राज करते हैं।वे प्रजापति की सृष्टि वृद्धि के लिए भवानी के साथ विहार करते रहते हैं। उन दोनों के प्रभाव से वहां हाट के नाम की सुंदर नदी बहती रहती है।

🔥 10 ● नितल

यह वितल से भी 10000 योजन नीचे है इसकी भूमि अरुण यानी प्रातः कालीन सूर्य के रंग की है.वितल लोक के नीचे नितल लोक के राजा बलि है जिसको भगवान विष्णु ने सतयुग मे वामन अवतार के समय 3 पग धरती मांग कर उसे सुतल लोक का राजा बना दिया।

🔥 11 ● गभस्तिमान

यह नितल से भी 10000 योजन नीचे है इसकी भूमि पीट यानि पीली है. इस लोक में त्रिपुरादीपति दानवराज मय का शासन काल है।

🌹🔅सप्तपाताल

हिंदू संस्कृति के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में मुख्यतः 14 भुवन या लोक हैं– 7 ऊर्ध्वलोक और 7 अधोलोक। इनमें अधोलोक को विलस्वर्ग भी कहा है। ये सब पृथ्वी के गर्भ में भूमि के नीचे हैं। इनका वैभव ऊर्ध्वलोकान्तर्गत स्वर्ग की अपेक्षा भी किंचित् अधिक वर्णित हुआ है। यहाँ दिन और रात का भेद नहीं है।

अतः सुखोपभोग में कोई प्रत्यवाय नहीं है। इन सप्तपाताल रूप विचारों में रहने वाले जीव सदा आनंद में रहते हैं। यहाँ के सुखोपभोग और सौन्दर्य विलास को असुरों की कपट विद्या और माया ने बहुत समृद्ध किया है। इन भूगर्भात सात स्तर में से ..

🔥(1) अतल में मयासुर पुत्र वल स्वामी है|

🔥(2) वितल में हाटकेश्वर शंकर भवानी के साथ युग्म भाव से रहते हैं|

🔥(3) सुतल सुप्रसिद्ध बली राजा का स्थान है। ये तीनों स्तर आपोमय माने जाते हैं।

🔥(4) तलातल में मयासुर का राज्य है|

🔥(5) महातल में क्रोधवश नामक सर्प-समुदाय का निवास है|

🔥(6) रसातल में दैत्य और दानव रहते हैं। ये तीन स्तर अग्निमय माने जाते हैं।

🔥(7) पाताल प्राण अग्निमय है और यहाँ नागों के अधिपति रहते हैं।

🌹🔅सप्तस्वर्ग

सात ऊर्ध्वलोक में (1) भूर्लोक और (2) भुवर्लोक को भौम स्वर्ग कहते हैं। इन दोनों के भीतर सूर्य, चन्द्र, ध्रुव, नक्षत्र, पृथ्वी आदि सब स्थूल लोक आ जाते हैं ।

इनके ऊपर स्थित दिव्य स्वर्ग में से (3) तीसरे स्वर्लोक को माहेन्द्र स्वर्ग कहते हैं, (4) महर्लोक को प्राजापत्य स्वर्ग, (5) जनलोक, (6) तपोलोक और (7) सत्यलोक-इन तीनों लोकों को ब्रह्म स्वर्ग कहते हैं। इन पांच दिव्य स्वर्गों में सात्विक अंश की अधिकता है और वे एक-से-एक बढ़कर हैं|

🌹🔅जम्बूद्वीप

⚘️भू-लोक के अंतर्गत जो अनेक भाग या उपलोक हैं, वे हमारे इस स्थूल मृत्युलोक से सूक्ष्म और इस कारण सामान्यतः अदृश्य होने के कारण इहलोक से भिन्न परलोक माने गये हैं। उनमें उपरिनिर्दिष्ट सप्तद्वीप और सप्त समुद्र स्थूल नहीं, किंतु पृथ्वी के चारों ओर सूक्ष्म द्रव्य के विभाग हैं।

⚘️उनमें जम्बूद्वीप केन्द्र है और उसके गर्भ में पृथ्वी है। इस जम्बूद्वीप के (1) इलावृत, (2) भद्राश्व, (3) किंपुरुष, (4) भारत, (5) हरि, (6) केतुमाल, (7) रम्यक, (8) कुरु और (9) हिरण्यमय-ये नव वर्ष यानी विभाग हैं।

⚘️इनमें भारतवर्ष ही मृत्युलोक और अन्य सब देवलोक हैं। इनमें इलावृत बीचो बीच है और उसके नाभिस्थान में मेरु पर्वत है। यह पर्वत स्थूल पाषाण मय नहीं, बल्कि एक शक्तिमय आधारस्तंभ है।

⚘️इन नौ वर्षों के उपास्यदेव यथाक्रम (1) श्री शंकर (2) श्री हयग्रीव (3) श्री मारुति (4) श्री नर-नारायण, (5) श्री नृसिंह, (6) श्री कामदेव, (7) श्री वैवस्वत मनु, (8) श्री कूर्मावतार और (9) श्री यज्ञ पुरुष वाराह हैं।

⚘️इसी जम्बूद्वीप में (1) नरक लोक (2) पितृलोक और (3) प्रेतलोक स्थित है। इस प्रकार हमारे ब्रह्मांड के 14 भुवनों, 7 द्वीपों, 9 वर्षों और 3 लोकों में मृत्युलोक यानी भारत वर्ष अखिल ब्रह्माण्ड का 1/1176 वाँ अंश है और इसके नौ विभागों में से एक|

🌹🔅नरक लोक

⚘️जम्बूद्वीप के नौ वर्ष निर्दिष्ट हुए। अब उसी के अन्तर्गत नरक लोक, प्रेतलोक और पितृलोक के विवरण आगे देते हैं। इस जम्बूद्वीप के चतुर्दिक इतना ही बड़ा वातावरण रूप लवण समुद्र है। उसी के साथ भारत वर्ष के नीचे मुख्य सात नरक लोक हैं। इन्हें आवरण लोक कहते हैं।

⚘️इनके सूर्य-नाड़ियों के हिसाब से 7, और 27 नक्षत्रों के हिसाब से 27 तथा अभिजित् मिलाकर 28 विभाग माने गये हैं। इनमें ये 21 मुख्य हैं-

⚘️(1) तामिस्र ● इसमें परस्त्री-परधन-हरण का यम दण्ड भोगना पड़ता है, उससे जीव मूर्छित हो जाते हैं।

⚘️(2) अंधतामिस्र ● इसमें धोखा देकर परस्त्री-परधन-हरण करने का यह दंड मिलता है कि बुद्धिनाश और दृष्टिनाश हो जाता है और विविध यातनाएं भोगनी पड़ती हैं।

⚘️ (3) रौरव ● इसमें देहाभिमान, परपीड़ा और अन्याय करने का यह दंड मिलता है कि उसे कृमियों का आहार बनना पड़ता है।


⚘️(4) महारौरव ● इसमें परद्रोह के दंडस्वरूप जीव को क्रव्याद प्राणी खाते हैं।

⚘️ (5) कुम्भीपाक ● इसमें जीवित पशु-पक्षियों को उबालने के पाप का यह फल मिलता है कि जीव तेल में तले जाते हैं।

⚘️(6) कालसूत्र ● इसमें वेद, ब्राह्मण और पिता का द्रोह करने के पाप में अग्निदाह, भूख और प्यास का दुःख दीर्घ काल तक भोगना पड़ता है।

⚘️(7) असिपत्रवन ● इसमें पाखण्डी लोग तलवार की सी धार वाले ताड़पत्रों से काटे जाते हैं।

⚘️(8) सूकर मुख ● इसमें अन्यायी राजाओं को ऊख की तरह पेरा जाता है।

⚘️(9) अन्धकूप ● इसमें अन्य प्राणियों को पीड़ा पहुंचाने वाले उन-उन प्राणियों द्वारा पीड़ित किए जाते हैं।

⚘️ (10) कृमि भोजन ● इसमें पंचमहायज्ञ न करने वालों को कृमियों पर निर्वाह करना पड़ता है।

⚘️ (11) संदंश ● इसमें चोरी के अपराध र्मे लाल पलीतों से भूनते हैं|

⚘️ (12) तप्तसूर्मि ● इसमें व्यभिचार के पाप में तप्त पुतले से बांधकर मारते हैं।

⚘️(13) वज्रकण्टक शाल्मलि ● इसमें पश्वादिगमन के पाप में काँटों पर से खींचते हैं।

⚘️ (14) वैतरणी ● इसमें धर्म विरोधी राजाओं और राज सेवकों की विष्ठा-मूत्र-पीब आदि अमंगल प्रवाहों में डाल दिया जाता है।

⚘️ (15) पयोद ● इसमें कर्मभ्रष्ट और शूद्र-स्त्री- समागम करने वाले अमंगल विष्ठा-मूत्रादि में गिरकर वही भक्षण करते हैं।

⚘️(16) प्राणरोध ● इसमें हिंसादि निषिद्ध कर्म करने वाले ब्राह्मणों की यमदूतों द्वारा हिंसा की जाती है।

⚘️(17) विशसन ● इसमें मांसभक्षण के लोभ से यज्ञ-याग करने वाले ब्राह्मण यमदूत द्वारा काटे जाते हैं।

⚘️(18) लाला भक्ष ● इसमें स्त्री पर बलात्कार करने के पाप में रेतः प्राशन करना पड़ता है।

⚘️(19) सारमेय दन ● इसमें प्रजा पीड़न करने वाले राजा और राज सेवक कुत्तों द्वारा नोचे जाते हैं।

⚘️(20) अवीचि ● इसमें झूठ बोलने वालों को पत्थर पर पटक कर उनके टुकड़े किये जाते हैं।

⚘️(21) अय: पान ● इसमें मद्यपान किये हुए ब्राह्मण के मुँह में लोहे का गरम पानी छोड़ा जाता है।

⚘️(22) क्षारकर्दम ● इसमें विद्वानों का अपमान करने के अपराध में बहुत कठिन यातनाएं भोगनी पड़ती है।

⚘️(23) रक्षोगण भोजन ● इसमें नर-मांस खाने वाले कुल्हाड़ी से तोड़े जाते हैं।

⚘️ (24) शूलप्रोत ● इसमें विश्वासघात करने वाले को शूली पर चढ़ाया जाता है।

⚘️ (25) दन्दशूक ● इसमें प्राणियों को पीड़ा पहुंचाने वालों को साँपों से पीड़ा पहुंचाई जाती है।

⚘️ (26) अवटनिरोधन ● प्राणियों को बंद करने के पाप में आग और धुएं से गला घोंटा जाता है।

⚘️(27) पर्यावर्तन ● अतिथि की ओर क्रूर दृष्टि से देखने के पाप में पक्षियों से आंखें फोड़कर निकलवायी जाती हैं।

⚘️ (28) सूचीमुख ● इसमें कृतघ्नता, कृपणता, द्रव्य लोभ इत्यादि दोषों के फलस्वरूप नाना प्रकार की भयंकर यातनाएं भोगनी पड़ती है|

⚘️अन्य पुराणों में ऐसे ही सैकड़ों नरक बताये गये हैं। इनमें जो पाप और उनके फल गिनाये गये हैं, उन्हें उपलक्षण ही जानना होगा। सारोद्धार गरुड़पुराणमें चौरासी लाख नरक बतलाये हैं। इस छोटे-से लेख में इस कटु विषय का अधिक विस्तार उचित नहीं जँचता। लोग पाप कर्मों से निवृत्त हो यही इस वर्णन का अभिप्राय मालूम होता है।

🌹🔅पितृलोक

⚘️नरक लोक के समीप ही यम लोक है। उसे पितृलोक कहते हैं। भू-लोक में ही दक्षिण और पृथ्वी के नीचे और अतल लोक के ऊपर नित्य-नैमित्तिक पितृगण रहते हैं। नित्य पितर अमर होते हैं। मनुष्यों से ये भिन्न हैं। इनकी उत्पत्ति पृथक् और स्वतन्त्र रूप से हुई है | इन्हें देव भी कहा है। यहाँ से मृत होकर ऊपर गए हुए जो पितर हैं, वे नैमित्तिक हैं।

⚘️पितरों में यम प्रथम पितर माने गये हैं। मृत जीवात्माओं की यथायोग्य व्यवस्था करना इन्हीं का काम है। मृतकों के ये मार्गदर्शक हैं। नित्य-नैमित्तिक पितरों में इहलोक का नियमन करने की सामर्थ्य है, इसी से पितृ पूजन का विशेष महत्व है। ऋग्वेद से लेकर पुराणों तक पितृ पूजन का वर्णन स्थान-स्थान में आया है।

⚘️स्वर्गलोक का द्वार ईशान में है और पितृ लोक का द्वार आग्नेय दिशा मेंदेवों और पितरों के मार्ग भिन्न-भिन्न हैं। पितरों के अनेक वर्ग हैं। ये सब एक ही स्थान में हों, ऐसा नहीं मालूम होता। वेदों में इस आशय की प्रार्थनाएँ हैं कि जो पितर पृथ्वी पर हैं, वे उन्नत स्थान को प्राप्त हों; जो स्वर्ग में अर्थात उच्च स्थान में हैं, वे वहाँ से कभी च्युत न हों; और जो मध्यम स्थान का आश्रय लिये हुए हैं, वे उन्नत पद को प्राप्त हों | इस प्रकार श्राद्धादि कर्म-कर्ता और पितर दोनों का ही उपकार करने वाले होते हैं, यह श्राद्ध कर्म में की जाने वाली प्रार्थनाओं से स्पष्ट होता है।

🌹🔅प्रेतलोक

⚘️भारतवर्ष के चारों ओर निकट अंतरिक्ष में प्रेतलोक स्थित है। जो जीव मृत्यु के पश्चात् भूकर्षित होते हैं। और विभिन्न वासनाओं के वश नीचे आकर्षित होते हैं, वे कुछ काल प्रेतलोक में रहते हैं। प्रेत वायुरूप होते हैं। और श्मशान, कब्रिस्तान, अन्धकार, शून्य और उजड़े हुए स्थानों में रहते हैं।

⚘️मनुस्मृति अ०12 में मरणोत्तर प्रेतत्व प्राप्त होने के कारणों में कुछ उदाहरण दिए हैं। पर इनके सिवा और भी कारण हो सकते हैं। भूत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, ब्रह्मसम्बन्ध, जिंद, बेताल आदि प्रेत योनियां ही हैं। सूर्यप्रकाश में इनका बल कम होता है। इन्हें कुछ खाने-पीने को दिया जाय तो ये आघ्राणमात्र से तृप्त होते हैं। मानसिक रूप से भी कुछ दिया जाय तो इन्हें मिल जाता है।

⚘️अन्त्येष्टि, श्राद्ध, गया में पिंडदान, नारायण-नागबली आदि विधियों से प्रेतलोक से प्रेतों का उद्धार होता है। प्रेतयोनि क्लेशकारक ही मानी गयी है। प्रेत कभी आकार धारण किये देख पड़ते हैं। कभी दीया, ज्वाला, आवाज, उत्पाद, किसी के शरीर में संचार आदि रूपों में वे गोचर होते हैं।

⚘️शंख-घण्टा, ध्वनि, भगवान की आरती, मंत्र पाठ, नाम-स्मरण, शास्त्र चर्चा, पवित्र वातावरण, कुछ पवित्र धूप इत्यादि से प्रेत स्थान छोड़कर चले जाते हैं। प्रेतलोक के जीवों में बड़ी अशान्ति, तीव्र मनोविकार, प्रबल वासना और अज्ञानके होनेसे प्रेतयोनि बहुत कष्टदायक होती है।

🌹🔅सप्तद्वीप

⚘️यहाँ तक भूलोकान्तर्गत जम्बूद्वीप का वर्णन हुआ। इस जम्बूद्वीप के चतुर्दिक् वातावरण रूप लवण समुद्र है। उसके चतुर्दिक् उससे द्विगुण प्लक्षद्वीप है। जिस प्रकार जम्बूद्वीप नाम जामुन के वृक्ष के नाम पर है, वैसे ही प्लक्षद्वीप में प्लक्ष अर्थात पाकर का वृक्ष माना है।

⚘️यहाँ के उपास्य देव सूर्य हैं। इस द्वीप के चौतरफा उतना ही बड़ा इक्षुरस-समुद्र है। उसके चौतरफा से द्विगुण शाल्मलि द्वीप है। वहाँ चन्द्रमा की उपासना होती है। इसके चौतरफ सोमासमुद्र है। उसे घेरे हुए उससे द्विगुण कुशद्वीप है।

⚘️यहाँ के लोग अग्नि की आराधना करते हैं। इसके बाहर घृत समुद्र है और उसे घेरे हुए क्रौंचद्वीप है। यहाँ क्रौंच नामक पर्वत है। यहाँ के लोग जल-देवता के पूजक हैं। इसके चौतरफ क्षार समुद्र है और उसे घेरे हुए शाकद्वीप है। यहाँ वायु की उपासना होती है। इसके चौतरफ दधिमण्ड-समुद्र है और उसे घेरे हुए पुष्करद्वीप है।

⚘️पुष्करद्वीप के चौतरफ शुद्धोदक समुद्र है। यहाँ के लोग ब्रह्म प्राप्ति के पथ पर विचरते हैं। इस द्वीप के परे लोकालोक-पर्वत है। इन द्वीपों में से प्रत्येक के सात-सात विभाग हैं। यहाँ की नदियों, पर्वतों और लोक-समाजों का वर्णन पुराणों में है। यह सारा वर्णन लाक्षणिक है।

🌹🔅सप्तलोक:

⚘️यहाँ तक सप्तलोक अंतर्गत भूलोक का वर्णन हुआ। इसके ऊपर दूसरा ऊर्ध्वलोक भुवर्लोक है। यह भू और सूर्य के बीच में है। इसमें सिद्ध और मुनि निवास करते हैं। सूर्य की परली तरफ ध्रुव पर्यंत चौदह लाख योजन विस्तार स्वर्गलोक है। ये पूर्वोक्त तीनो लोक कृतक अर्थात नाशवान् माने गये हैं। इनके ऊपर ध्रुव की परली तरफ एक कोटि योजन विस्तृत महर्लोक है।

⚘️यहाँ एक कल्प तक जीवित रहने वाले महात्मा रहते हैं। इसके ऊपर दो कोटि योजन जनलोक है। यहाँ शुद्धान्त:करण ब्रह्मकुमार सनन्दनादि महात्मा रहते हैं। इसके ऊपर इससे चतुर्गुण तपोलोक है। वहाँ देह रहित वैराज आदि देवता रहते हैं। तपोलोक के ऊपर उससे षड्गुण सत्यलोक है। वहाँ सिद्धादि मुनिजन निवास करते हैं।

⚘️ये जनन-मरण से मुक्त हैं। महर्लोक में मानसिक राज्य पर अधिकार, जनलोक में इन्द्रिय सुख से विराग, तपोलोक में बुद्धि राज्य पर और सतलोक में प्रकृति राज्य पर अधिकार होता है। ये इन चार लोकों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। ये लोक साधारण मनुष्यों को नहीं प्राप्त होते । प्रथम तीन लोक सबके आश्रय लेने योग्य हैं।

⚘️वैज्ञानिक पृथ्वी मंडल को भूर्लोक, चन्द्र लोक को भुवर्लोक, सूर्यमण्डल को स्वर्लोक, परमेष्ठी मंडल को महर्लोक और जनलोक तथा स्वयम्भू मंडल को तपोलोक और सतलोक मानते हैं। और खगोलीय त्रैलोक्य का इस प्रकार विभाग करते हैं- उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी में 24 अंश तक स्वर्ग, उसके आगे 42 अंश तक अन्तरिक्ष और उसके आगे 48 अंश पृथ्वी, उसके नीचे दक्षिण और ४२ अंश पितृलोक और उसके नीचे 24 अंश नरक लोक।

⚘️असंख्य लोक यहाँ तक हिंदू संस्कृति-सम्मत परलोकों का मुख्य विवरण अत्यंत संक्षेप से दिया गया। वस्तुतः परलोकों की पूरी गणना करना असम्भव है। शाक्त ग्रन्थों में शुद्धाशुद्ध तत्त्वों और शान्त्यतीतादि पंचकलाओंके 240 भुवन माने गये हैं|

⚘️पुराणों में इन्द्रसभा, वरुण सभा इत्यादि सभाओं के नामों से लोक वर्णन किये गये हैं। वायु, अग्नि, विद्युत आदि विभिन्न तत्त्वों के लोक, सूर्य, चन्द्र, इन्द्र वरुण, यम इत्यादि देवताओं के लोक, उसी प्रकार तंगणपुत्र - सृष्टि, विश्वामित्र-सृष्टि, सिद्ध-ऋषि-मुनियों की विविध सिद्ध संकल्प सृष्टि आदि|
राणा जी खेड़ांवाली🚩

14/08/2024

*पांच लाख श्लोकों वाले महाभारत का सार समझें :*

नीचे दिए गए महाभारत के अनमोल "8 मोती" को पढ़ें और समझें :

1. अगर आप समय रहते अपने बच्चों की अनुचित मांगों और इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रखते हैं, तो आप जीवन में असहाय हो जाएंगे... *"कौरव"*

2. आप चाहे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, अगर आप अधर्म का साथ देंगे, तो आपकी ताकत, हथियार, कौशल और आशीर्वाद सब बेकार हो जाएंगे... *"कर्ण"*

3. अपने बच्चों को इतना महत्वाकांक्षी न बनाएं कि वे अपने ज्ञान का दुरुपयोग करें और कुल विनाश का कारण बनें... *"अश्वत्थामा"*

4. कभी भी ऐसे वादे न करें कि आपको अधर्मियों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़े... *"भीष्म" पितामह"*

5. धन, शक्ति, अधिकार का दुरुपयोग और गलत काम करने वालों का समर्थन अंततः पूर्ण विनाश की ओर ले जाता है... *"दुर्योधन"*

6. यदि ज्ञान के साथ बुद्धि भी हो, तो आप निश्चित रूप से विजयी होंगे... *"अर्जुन"*

7. छल आपको हर समय सभी मामलों में सफलता नहीं दिलाएगा..*"शकुनि"*

8. यदि आप नैतिकता, धर्म और कर्तव्य को सफलतापूर्वक बनाए रखते हैं, तो दुनिया की कोई भी शक्ति आपको नुकसान नहीं पहुँचा सकती... *"युधिष्ठिर"

*"सर्वे भवन्तु सुखिनः - सर्वे सन्तु निरामयाः।"*

🌹🙏 🌹

12/08/2024

दूसरे की निंदा करिए और अपना घड़ा भरिए

राजा पृथु सुबह सुबह घोड़ों के तबेले पहुंचे थे। वहां एक साधु भी भिक्षा मांगने आ पहुंचा। पृथु ने क्रोध में भरकर बिना विचारे उस साधु के पात्र में घोडे़ की लीद डाल दी। साधु वह भिक्षा ले वहाँ से चला गया और लीद कुटिया के बाहर कोने में रख दी। कुछ समय उपरान्त राजा शिकार के लिए जंगल गए। पृथु ने कुटिया के बाहर घोड़े की लीद का एक बहुत बड़ा ढेर देखा। वह आश्चर्यचकित हो कटिया में साधु से बोले, "महाराज! यहाँ कोई घोड़ा भी नहीं है और न ही तबेला, तो इतनी सारी लीद कहा से आई !" साधु ने कहा " यह लीद मुझे एक राजा ने भिक्षा में दी है। समय आने पर यह लीद उसी को खानी पड़ेगी। राजा पृथु को पूरी घटना याद आ गई। वे साधु के पैरों में गिर कर क्षमा मांगने लगे। उन्होंने साधु से प्रश्न किया, "हमने तो थोड़ी-सी लीद दी थी, पर यह तो बहुत अधिक हो गई?" साधु ने कहा, "हम किसी को जो कुछ भी देते हैं, वह दिन-प्रतिदिन प्रफुल्लित होता जाता है, समय आने पर हमारे पास लौट कर आ जाता है।" यह सुनकर पृथु की आँखों में अश्रु भर आये। वे साधु से विनती कर बोले, "महाराज! मुझे कृपया वह उपाय बताईए जिससे मैं अपने दुष्ट कर्म का प्रायश्चित कर सकूँ!" साधु बोले- "राजन्! आपको कोई ऐसा कार्य करना है जो देखने मे गलत हो पर वास्तव में गलत न हो। इसपर जितने अधिक लोग आपकी निंदा करेंगे आपका पाप उतना हल्का होता जाएगा। आपका अपराध निंदा करने वालों के हिस्से में आ जायेगा।"
यह सुन राजा पृथु सोच-विचार कर अगले दिन सुबह शराब की बोतल लेकर चौराहे पर बैठ गए। सुबह- सुबह राजा को एसे देखकर सब लोग आपस में राजा की निंदा करने लगे कि कैसा राजा है? कितना निंदनीय कृत्य कर रहा है? क्या यह शोभनीय है ?? आदि आदि !! निंदा की परवाह किये बिना राजा पूरे दिन वहा शराबियों की तरह अभिनय करते रहे।
इसके पश्चात् जब राजा पृथु पुनः साधु के पास पहुंचे तो लीद के ढेर के स्थान पर केवल एक मुट्ठी लीद देखी !
साधु ने कहा, "यह आप की अनुचित निंदा के कारण हुआ है। राजन्। जिन जिन लोगों ने आपकी अनुचित निंदा की है, आपका पाप उन सबमें बराबर-बराबर बंट गया है।"
जब हम किसी की बेवजह निंदा करते हैं, तो हमें उसके पाप का बोझ भी उठाना पड़ता है तथा हमें अपने किये गए कर्मो का फल भुगतना ही पड़ता है, अब चाहे हँस के भुगतें या रो कर। हम जैसा देंगें वैसा ही लौट कर वापिस आयेगा।
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,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🙏🌷हर हर महादेव🌷🙏,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

वीडियो शीर्षक- बांग्लादेश में हिंदू नरसंहार पर योगी आदित्यनाथ की पहली प्रतिक्रिया👇https://youtu.be/rgYiX_1gYYU?feature=s...
08/08/2024

वीडियो शीर्षक- बांग्लादेश में हिंदू नरसंहार पर योगी आदित्यनाथ की पहली प्रतिक्रिया
👇
https://youtu.be/rgYiX_1gYYU?feature=shared
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लेख शुरू...

*लज्जो को सलीम ले जाएगा। रज्जो को शेख मुहम्मद*

बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ क्या हो रहा होगा? इस सच्ची घटना से समझिए जो बंटवारे के वक्त गुजरांवाला में घटी जो आज पाकिस्तान में है

1 बाप, 7 बेटियां और एक कुआं...

एक जमीन...

गुजरांवाला। पाकिस्तान पंजाब का एक शहर। सरदार हरि सिंह नलवा की जमीन। यहां कभी एक पंजाबी हिंदू खत्री परिवार रहता था। मुखिया थे- लाला जी उर्फ बलवंत खत्री। बड़े जमींदार। शानदार कोठी थी। लाला जी का एक भरा-पूरा परिवार इस कोठी में रहता था। पत्नी थी- प्रभावती और बच्चे थे आठ। सात बेटियां और एक बेटा।

एक परिवार...

लाला जी के बेटे बलदेव की उम्र तब 20 साल थी। उससे छोटी लाजवंती (लाजो) 19 साल की थी। राजवती (रज्जो) 17 तो भगवती (भागो) 16 की थी। पार्वती (पारो) 15 साल और गायत्री (गायो) 13 तथा ईश्वरी (इशो) 11 बरस की थी। सबसे छोटी उर्मिला (उर्मी) 9 बरख की थी। जल्द ही फिर से कोठी में किलकारियां गूंजने वाली थी। प्रभावती पेट से थीं। लेख के लिए 8527524513 को जरूर जरूर सेवकर मिस्डकॉल करें

एक साल...

यह साल 1947 की बात है। हम आजाद हो गए थे। भारत का बंटवारा हो गया था। जिन्ना ने डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान कर दिया था। गुजरांवाला के आसपास के इलाकों से हिंदू-सिखों के कत्लेआम की खबरें आने लगी थी। 'अल्लाह हू अकबर' और 'ला इलाहा इल्लल्लाह' का शोर करती भीड़ यलगार करती- काफिरों की औरतें भारत न जा पाएं। हम उन्हें हड़प लेंगे।

एक उम्मीद...

पर लाला जी बेफिक्र थे। उन्हें गांधी के आदर्शों पर यकीन था। उन्हें लगता था ये कुछ मजहबी मदांध हैं। दो-चार दिन में शांत हो जाएंगे। और गुजरांवाला तो जट, गुज्जरों और राजपूत मुसलमानों का शहर है। सब 'अव्वल अल्लाह नूर उपाया' गाने वाले लोग हैं। बाबा बुल्ले शाह और बाबा फरीद की कविताएं पढ़ते हैं। सूफी मजारों पर जाते है। लाला जी का मन कहता था- सब भाई हैं। एक-दूसरे का खून नहीं बहाएंगे।

एक तारीख...

18 सितंबर 1947। एक सिख डाकिया हांफते हुए हवेली पहुॅंचा। चिल्लाया- लाला जी इस जगह को छोड़ दो। तुम्हारी बेटियों को उठाने के लिए वे लोग आ रहे हैं। लज्जो को सलीम ले जाएगा। रज्जो को शेख मुहम्मद। भगवती को… लाला बलवंत ने उस डाकिए को जोरदार तमाचा जड़ा। कहा- क्या बकवास कर रहे हो। सलीम, मुख्तार भाई का बेटा है। मुख्तार भाई हमारे परिवार की तरह हैं।

एक चेतावनी...

उसका जवाब था, “मुख्तार भाई ही भीड़ लेकर निकले हैं, लाला जी। सारे हिंदू-सिख भारत भाग रहे हैं। 300-400 लोगों का एक जत्था घंटे भर में निकलने वाला है। परिवार के साथ शहर के गुरुद्वारे पहुंचिए।” यह कह वह सिख डाकिया सरपट भागा। उसे दूसरे घर तक भी शायद खबर पहुंचानी रही होगी।

एक संवाद...

लाला जी पीछे मुड़े तो सात महीने की गर्भवती प्रभावती की आंखों से आंसू निकल रहे थे। उसने सारी बात सुन ली थी। उसने कहा- लाला जी हमे निकल जाना चाहिए। मैंने बच्चों से गहने, पैसे, कागज बांध लेने को कहा है। पर लाला जी का मन नहीं मान रहा था। कहा- हम कहीं नहीं जाएंगे। सरदार झूठ बोल रहा है। मुख्तार भाई ऐसा नहीं कर सकते। मैं खुद उनसे बात करूंगा। प्रभावती ने बताया- वे पिछले महीने घर आए थे। कहा कि सलीम को लाजो पसंद है। वे चाहते हैं कि दोनों का निकाह हो जाए। लज्जो ने भी बताया था कि सलीम अपने दोस्तों के साथ उसे छेड़ता है। इसी वजह से उसने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया। लाला बलवंत बोले- तुमने यह बात पहले क्यों नहीं बताई। मैं मुख्तार भाई से बात करता। प्रभावती बोलीं- आप भी बहुत भोले हैं। मुख्तार भाई खुद लज्जो का निकाह सलीम से करवाना चाहते हैं। अब उसे जबरन ले जाने के लिए आ रहे हैं।

एक गुरुद्वारा...

गुरुद्वारा हिंदू-सिखों से खचाखच भरा था। पुरुषों के हाथों में तलवारें थी। गुजरांवाला पहलवानों के लिए मशहूर था। कई मंदिरों और गुरुद्वारों के अपने अखाड़े थे। हट्टे-कट्टे हिंदू-सिख गुरुद्वारे के द्वार पर सुरक्षा में मुस्तैद थे। कुछ लोग छत से निगरानी कर रहे थे। कुछ लोग कुएं के पास रखे पत्थरों पर तलवारों को धार दे रहे थे। महिलाएं, लड़कियां और बच्चे दहशत में थे। माएं नवजातों और बच्चों को सीने से चिपकाए हुईं थी।

एक भीड़...

अचानक एक भीड़ की आवाज आनी शुरू हुई। यह भीड़ बड़ी मस्जिद की तरफ से आ रही थी। वे नारा लगा रहे थे,
- पाकिस्तान का मतलब क्या, ला इलाहा इल्लल्लाह
- हंस के लित्ता पाकिस्तान, खून नाल लेवेंगे हिंदुस्तान
- कारों, काटना असी दिखावेंगे
- किसी मंदिर विच घंटी नहीं बजेगी हून
- हिंदू दी जनानी बिस्तर विच, ते आदमी श्मशान विच

एक निशाना...

प्रभावती एक खिड़की के पास बेटियों के साथ बैठी थी। इकलौता बेटा मुख्य दरवाजे के बाहर मुस्तैद था। अचानक भीड़ की आवाज शांत हो गई। फिर मिनट भर के भीतर ही 'ला इलाहा इल्लल्लाह' का वही शोर शुरू हो गया। हर सेकेंड के साथ शोर बढ़ती जा रही थी। भीड़ में शामिल लोगों के हाथों में तलवार, फरसा, चाकू, चेन और अन्य हथियार थे। गुरुद्वारा उनका निशाना था।

एक प्रतिज्ञा...

गुरुद्वारे का प्रवेश द्वार अंदर से बंद था। कुछ लोग द्वार पर तो कुछ दीवार से सट कर हथियारों के साथ खड़े थे। अचानक पुजारी और पहलवान सुखदेव शर्मा की आवाज गूंजी। वे बोले, “वे हमारी मां, बहन, पत्नी और बेटियों को लेने आ रहे हैं। उनकी तलवारें हमारी गर्दन काटने के लिए है। वे हमसे समर्पण करने और धर्म बदलने को कहेंगे। मैंने फैसला कर लिया है। झुकुंगा नहीं। अपना धर्म नहीं छोड़ूंगा। न ही उन्हें अपनी स्त्रियों को छूने दूंगा।” चंद सेकेंड के सन्नाटे के बाद 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल, वाहे गुरु जी दा खालसाए वाहे गुरु जी दी फतह' से गुरुद्वारा गूंज उठा। वहां मौजूद हर किसी ने हुंकार भरी- हममें से कोई अपने पुरखों का धर्म नहीं छोड़ेगा।

एक इंतजार...

50-60 लोगों ने गुरुद्वारे में घुसने की कोशिश की। देखते ही देखते ही सिर धड़ से अलग हो गया। गुरुद्वारे में मौजूद लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ था। महिलाएं और बच्चे भी अंदर हॉल में सुरक्षित थे। यह देख वह मजहबी भीड़ गुरुद्वारे से थोड़ा पीछे हट गई। करीब 30 मिनट तक गुरुद्वारे से 50 मीटर दूर वे खड़े होकर मजहबी नारे लगाते रहे। ऐसा लगा रहा था मानो उन्हें किसी चीज का इंतजार है। जिसका इंतजार था, वे आ गए थे। हजारों का हुजूम। बाहर हजारों लोग। गुरुद्वारे के अंदर मुश्किल से 400 हिंदू-सिख। उनमें 50-60 युवा। बाकी बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे।

एक उन्माद...

अंतिम लड़ाई का क्षण आ चुका था। भीड़ ने एक सिख महिला को आगे खींचा। वह नग्न और अचेत थी। भीड़ में शामिल कुछ लोग उसे नोंच रहे थे। अचानक किसी ने उसका वक्ष तलवार से काट डाला और उसे गुरुद्वारे के भीतर फेंक दिया।

एक सवाल...

गुरुद्वारे में मौजूद गुजरांवाला के हिंदू-सिखों ने इससे पहले इस तरह की बर्बरता के बारे में सुना ही था। पहली बार आंखों से देखा। अब हर कोई अपनी स्त्री के बारे में सोचने लगा। यदि उनकी मौत के बात उनकी स्त्री इनके हाथ लग गईं तो क्या होगा? उन्हें अब केवल मौत ही सहज लग रही थी। उसके अलावा सब कुछ भयावह।

एक कत्लेआम...

भीड़ ने दरवाजे पर चढ़ाई की। कत्लेआम मच गया। हिंदू-सिख लड़े बांकुरों की तरह। पर गिनती के लोग, हजारों के हुजूम के सामने कितनी देर टिकते...

एक मुक्ति...

लाजो ने कहा- तुस्सी काटो बापूजी, मैं मुसलमानी नहीं बनूंगी। लाला बलवंत रोने लगे। आवाज नहीं निकल पा रही थी। लाजो ने फिर कहा- जल्दी करिए बापूजी। लाला बलवंत फूट-फूटकर रोने लगे। भला कोई बाप अपने ही हाथों अपनी बेटियों की हत्या कैसे करे? लाजो ने कहा- यदि आपने नहीं मारा तो वे मेरे वक्ष... बात पूरी होने से पहले ही लाला जी ने लाजो का सिर धड़ से अलग कर दिया। अब राजो की बारी थी। फिर भागो... पारो... गायो... इशो... और आखिरकार उर्मी। लाला जी हर बेटी का माथा चमूते गए और सिर धड़ से अलग करते गए। सबको एक-एक कर मुक्ति दे दी। लेकिन उस मजहबी भीड़ से मृत महिलाओं का शरीर भी सुरक्षित नहीं था। नरपिशाचों के हाथ बेटियों का शरीर न छू ले, यह सोच सबके शव को लाला जी ने गुरुद्वारे के कुएं में डाल दिया।

एक आदेश...

लाल बलवंत ने प्रभावती से कहा- गुरुद्वारे के पिछले दरवाजे पर तांगा खड़ा है, तुम बलदेव के साथ निकलो। कुछ लोग तुम्हें सुरक्षित स्टेशन तक लेकर जाएंगे। वहां से एक जत्था भारत जाएगा। तुम दोनों निकलो। प्रभावती ने कहा- मैं आपके बिना कहीं नहीं जाऊंगी। लाला जी बोले- तुम्हें अपने पेट में पल रहे बच्चे के लिए जिंदा रहना होगा। तुम जाओ, मैं पीछे से आता हूं। लाला जी ने प्रभावती का माथा चूमा। बलदेव को गले लगाया और कहा जल्दी करो। तांगा प्रभावती और बलदेव को लेकर स्टेशन की तरफ चल दिया।

एक पिता...

फिर लाला जी ने खुद को चाकुओं से गोदा। उसी कुएं में छलांग लगा दी, जिसमें सात बेटियों को काट कर डाला था। आखिर दो बच्चों के पास उनकी मां थी। सात बच्चों के पास उनके पिता का होना तो बनता था।

एक नोट...

यह आलेख मूल रूप से अंग्रेजी में वाशी शर्मा ने लिखा है। आप इसे vashisharma.com पर जाकर पढ़ सकते हैं। तथ्यों से छेड़छाड़ किए बिना मैंने इसका भावानुवाद करने की कोशिश की है। बकौल, वाशी शर्मा उन्होंने यह आलेख, अमेरिका में रह रहे अपने एक वैज्ञानिक दोस्त के कहने पर लिखी है। यह दास्तान उनके उसी दोस्त के पुरखों की है। उनका दोस्त लाला जी के बेटे बलदेव का पोता है। भारत के विभाजन में उनके दोस्त ने अपने परिवार के 28 सदस्य खोए थे। लाला जी, उनके भाई-बहन और उनके परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी। लाला जी की पत्नी, बेटे बलदेव और अजन्मे संतान के साथ जान बचाकर भारत आने में कामयाब रही थीं। वे पंजाब के अमृतसर में रहते थे। वैसे, वाशी शर्मा ने यह आलेख 19 जनवरी 2020 को लिखी थी, जब सीएए के विरोध में समुदाय विशेष के लोग सड़कों पर थे। हाल ही में मुझे किसी ने यह लिंक, इस आग्रह के साथ पढ़ने के लिए भेजा था कि इसे हिंदी में अनुवाद कर लोगों के सामने रखा जाना चाहिए। वह लगातार अनुरोध करती रहीं, पर मैं नौकरी की व्यस्तताओं की वजह से उन्हें जवाब नहीं दे पा रहा था। उनसे क्षमा याचना करता हूं और छुट्टी आते ही यह आपको सुपुर्द करता हूं। वाशी शर्मा का यह भी दावा है कि वास्तविकता जो बयां किया गया है उससे भी भयावह है।

एक पेंटिंग...

पाकिस्तान में सन् 1947 में हिंदू-सिखों का कत्लेआम हुआ। स्त्रियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उन्हें नग्न कर घुमाया गया। उनके वक्ष काट डाले गए। कइयों ने कुएं में कूद जान दे दी। उसी भयावहता को बयां करते हुए केसी आर्यन ने यह पेंटिंग बनाई थी।

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