02/08/2024
एक प्लेट चावल
गांव का जीवन
एक बार की बात है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। रामू मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था, लेकिन उसकी गरीबी उसे और उसके परिवार को हमेशा सताती रहती थी। गांव में बारिश नहीं होने के कारण उसकी फसलें बार-बार खराब हो जाती थीं।
संघर्ष का जीवन
एक दिन, रामू के घर में खाने के लिए केवल एक प्लेट चावल बचा था। रामू की पत्नी, गीता, ने चावल पकाया और अपने दोनों बच्चों, सोनू और मोनू, को खाने के लिए दे दिया। खुद रामू और गीता भूखे रह गए। रामू ने अपनी पत्नी से कहा, "गीता, हमें ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए। वह हमें जरूर मदद करेगा।"
गांव के बुजुर्ग की सलाह
गांव में एक बुजुर्ग व्यक्ति, बाबा रामदास, रहते थे। वे हमेशा गांव वालों की मदद करते थे और उन्हें सही रास्ता दिखाते थे। रामू ने अपने हालात बाबा रामदास को बताए। बाबा रामदास ने रामू से कहा, "बेटा, तुम्हारे दिल में जो सच्चाई और ईमानदारी है, वह तुम्हें कभी भूखा नहीं रहने देगी। किसी की मदद करो, और तुम्हें मदद जरूर मिलेगी।"
अनजाने मेहमान
उस शाम, एक साधु महाराज गांव में आए। वे बहुत भूखे और थके हुए थे। उन्होंने रामू के दरवाजे पर दस्तक दी और भोजन मांगा। रामू ने बिना सोचे-समझे, अपने बच्चों के लिए बचा हुआ एक प्लेट चावल साधु महाराज को दे दिया। साधु महाराज ने रामू और उसके परिवार को आशीर्वाद दिया और कहा, "ईश्वर तुम्हें इस दान का फल जरूर देंगे।"
चमत्कार
अगले दिन, रामू के खेतों में एक अजीब सा चमत्कार हुआ। रात भर में ही उसके खेत हरे-भरे हो गए और उनमें अनाज की बालियाँ लहलहाने लगीं। रामू ने खुशी-खुशी अपने खेतों से अनाज काटा और गांव में बेच दिया। उसकी मेहनत और ईमानदारी की वजह से उसकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चाई, ईमानदारी और दूसरों की मदद करना हमारे जीवन में चमत्कार ला सकता है। ईश्वर हमेशा उन लोगों की मदद करता है जो दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। रामू की तरह, हमें भी अपनी कठिनाइयों के बावजूद दूसरों की मदद करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि हमारी छोटी सी मदद किसी की जिंदगी बदल सकती है।
कहानी का अंत
रामू और गीता अब खुशहाल जीवन जी रहे थे। उनके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ने लगे थे और पूरे गांव में रामू की ईमानदारी और मेहनत की तारीफ होती थी। यह कहानी गांव के बच्चों को भी सिखाई जाती थी ताकि वे भी सच्चाई और ईमानदारी का महत्व समझ सकें।