11/11/2024
संजय खन्ना बने भारत के नए मुख्य न्यायाधीश: एक ऐतिहासिक पदभार
भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय तब जुड़ गया जब संजीव खन्ना ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पदभार संभाला। उनके न्यायपालिका में 40 वर्षों से अधिक के अनुभव और कानून के प्रति समर्पण ने उन्हें इस उच्चतम न्यायिक पद पर पहुंचा दिया है। न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल भारत की न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर वर्तमान संवैधानिक और कानूनी चुनौतियों के संदर्भ में।
संजीव खन्ना का न्यायिक सफर
दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक करने के बाद, संजीव खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत दिल्ली उच्च न्यायालय में की थी। उन्होंने विभिन्न संवैधानिक, आपराधिक और वाणिज्यिक मामलों पर काम किया और बहुत जल्दी न्यायपालिका में एक उल्लेखनीय छवि बनाई। 2006 में, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ कई महत्वपूर्ण निर्णय सुनाए।
2019 में, न्यायमूर्ति खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में कई ऐतिहासिक निर्णय दिए, जैसे कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और अनुच्छेद 370 के मुद्दों पर। उनके निर्णयों में हमेशा संविधान की मूल भावना को बनाए रखने का प्रयास रहा है।
बतौर मुख्य न्यायाधीश उनकी प्राथमिकताएँ
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया। उनका कहना है कि न्यायपालिका को हर नागरिक के लिए सुलभ बनाना उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। इसके अलावा, वे न्यायिक प्रक्रिया में देरी को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने के पक्षधर हैं। उनकी नज़र में लंबित मामलों की समस्या भारत की न्यायपालिका की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, और वे इसे दूर करने के लिए तकनीकी सुधार और डिजिटल प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने का संकल्प रखते हैं।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का महत्व भी उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र के स्वस्थ्य और संतुलित विकास के लिए आवश्यक है, और वे इस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
तकनीकी सुधार और डिजिटल न्यायपालिका
न्यायमूर्ति खन्ना डिजिटल इंडिया के युग में न्यायपालिका को तकनीकी रूप से उन्नत बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने डिजिटल केस मैनेजमेंट सिस्टम, ऑनलाइन फाइलिंग, और ई-कोर्ट्स को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम करने का संकेत दिया है। उन्होंने हाल ही में कहा कि डिजिटल तकनीक न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने में मदद कर सकती है, जिससे आम जनता को न्याय प्राप्ति में आसानी हो सकती है।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता
भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में संजीव खन्ना ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने और सरकारी हस्तक्षेप से दूर रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। उनका मानना है कि न्यायपालिका का स्वतंत्र होना एक सशक्त लोकतंत्र की निशानी है। इसी दिशा में वे न्यायिक नियुक्ति प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर भी काम करेंगे।
निष्कर्ष
संजय खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्त होना भारतीय न्यायपालिका के लिए एक प्रेरणादायक घटना है। उनके अनुभव, न्याय के प्रति समर्पण, और तकनीकी सुधारों को बढ़ावा देने की योजनाएँ न्यायपालिका के भविष्य को उज्जवल बनाने का संकेत देती हैं। एक निष्पक्ष और पारदर्शी न्यायपालिका के लिए उनके कदम निश्चित रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाएंगे।
उनका कार्यकाल न केवल न्यायपालिका को मजबूत करेगा बल्कि आम नागरिक के न्याय पाने के हक को भी सुरक्षित करेगा।