24/05/2025
असम में आदिवासी समुदाय की स्थिति जटिल और चुनौतियों से भरी हुई है। असम में आदिवासी समुदाय, जिन्हें अक्सर "टी ट्राइब्स" या "एक्स-टी ट्राइब्स" के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, मुख्य रूप से चाय बागानों में काम करने वाले समुदायों से संबंधित हैं। इनमें संथाल, मुंडा, उरांव, खड़िया, गोंड, भील जैसे 35 से अधिक उप-समूह शामिल हैं। असम में इनकी आबादी लगभग 60 लाख है, जो राज्य की कुल आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
# # # सामाजिक और आर्थिक स्थिति:
1. **वर्गीकरण और अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जा**:
- असम में आदिवासियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जबकि बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा जैसे अन्य राज्यों में इन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा प्राप्त है।
- यह वर्गीकरण आदिवासियों को उन संवैधानिक लाभों से वंचित करता है जो ST दर्जे के साथ आते हैं, जैसे शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में आरक्षण।
- आदिवासी समुदाय लंबे समय से ST दर्जे की मांग कर रहा है। ऑल आदिवासी स्टूडेंट्स एसोसिएशन ऑफ असम (AASAA) जैसे संगठनों ने इसके लिए कई विरोध प्रदर्शन किए हैं, जिसमें 2019 में 12 घंटे का बंद और 2023 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन शामिल हैं।
- 2014 और 2016 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आदिवासियों सहित छह समुदायों को ST दर्जा देने का वादा किया गया था, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई, जिससे समुदाय में असंतोष बढ़ा है।
2. **आर्थिक स्थिति**:
- आदिवासी समुदाय का एक बड़ा हिस्सा चाय बागानों में मजदूरी करता है, जहां काम की परिस्थितियां कठिन और वेतन कम हैं।
- केवल आधे से कम आदिवासी चाय बागानों में कार्यरत हैं, बाकी कृषि और अन्य व्यवसायों में लगे हैं। फिर भी, उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर बनी हुई है, और सामाजिक-आर्थिक अवसरों में असमानता बनी रहती है।
- औपनिवेशिक काल से चली आ रही चाय बागान व्यवस्था ने इन समुदायों को सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर रखा है, जिसे पोस्ट-औपनिवेशिक काल में भी पूरी तरह बदला नहीं गया।
3. **सामाजिक चुनौतियां**:
- आदिवासियों को "टी ट्राइब्स" के रूप में वर्गीकृत करने से उनकी आदिवासी पहचान को नकारा गया है, जिसे वे अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा मानते हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच सीमित है, जिसके कारण समुदाय में गरीबी और अशिक्षा का स्तर ऊंचा है।
- सामाजिक भेदभाव और हाशिए पर रहने के कारण आदिवासी समुदाय असम की सामाजिक संरचना में "अन्य" के रूप में देखा जाता है।
# # # सांस्कृतिक योगदान:
- आदिवासी समुदाय असम की सांस्कृतिक विविधता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उदाहरण के लिए, झुमोइर नृत्य, जो चाय बागान समुदाय की एक पारंपरिक कला है, को असम ने वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया है, जैसे कि 2025 में गुवाहाटी में आयोजित मेगा झुमोइर इवेंट में।
- ये समुदाय अपनी प्राचीन परंपराओं, रीति-रिवाजों और प्रकृति के साथ गहरे संबंध के लिए जाने जाते हैं।
# # # राजनीतिक सक्रियता:
- आदिवासी समुदाय राजनीतिक रूप से सक्रिय है और अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज उठा रहा है। 2021 में मार्गेरिटा निर्वाचन क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं ने स्वतंत्र उम्मीदवार इग्नेशियस एक्का को समर्थन दिया, जो उनकी मांगों को उठाने का प्रयास था।
- हालांकि, आदिवासी समुदाय का मानना है कि उन्हें राजनीतिक दलों द्वारा केवल चुनाव के समय याद किया जाता है, और उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं।
# # # निष्कर्ष:
असम में आदिवासी समुदाय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर है। ST दर्जे की कमी, आर्थिक शोषण, और सामाजिक भेदभाव उनकी प्रगति में प्रमुख बाधाएं हैं। हालांकि, उनकी सांस्कृतिक समृद्धि और संगठित प्रयास उनकी पहचान और अधिकारों की लड़ाई को मजबूती प्रदान करते हैं। समुदाय की स्थिति में सुधार के लिए ST दर्जा, बेहतर शिक्षा, और आर्थिक अवसरों की आवश्यकता है।
यदि आप इस विषय पर और गहराई से जानकारी चाहते हैं, जैसे किसी विशिष्ट आदिवासी समूह या उनकी सांस्कृतिक प्रथाओं के बारे में, तो कृपया बताएं!
Aasaa demands the inclusion of Adivasis in the Scheduled Tribes (ST) list, seeking the removal of the 'area restriction' to include the 60-lakh strong Adivasi population of Assam. Join the protest for the rightful ST status for Adivasis in Assam.