Megaram Jani Barmer

Megaram Jani Barmer मेरी नजरों में इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता🌹🙏 Page ko like and share Karo please support following me

कभी कूड़े का ढेर था, आज बना है सीखने का हरा-भरा बग़ीचा।बिहार के सूर्यापुरा गांव का एक सरकारी स्कूल, जो कभी कचरे और असामा...
31/08/2025

कभी कूड़े का ढेर था, आज बना है सीखने का हरा-भरा बग़ीचा।

बिहार के सूर्यापुरा गांव का एक सरकारी स्कूल, जो कभी कचरे और असामाजिक तत्वों के लिए बदनाम था, आज उम्मीद और हरियाली की मिसाल बन गया है। यह बदलाव आया है एक व्यक्ति की चुपचाप की गई मेहनत से — स्कूल के प्रधानाचार्य बैजनाथ कुमार की।

2020 में कोरोना महामारी के दौरान जब देशभर के स्कूल बंद हो गए, तब यह स्कूल भी वीरान हो गया। चारदीवारी न होने की वजह से लोग इसमें कचरा फेंकने लगे और असामाजिक लोग वहाँ डेरा जमा बैठे।

लेकिन स्कूल दोबारा खुलने पर बैजनाथ कुमार ने हालात से हार मानने के बजाय बदलाव की ठानी।
उन्होंने सबसे पहले स्कूल परिसर से कचरा हटाया। बागवानी के शौकीन बैजनाथ ने अपनी जमा पूंजी से 2 लाख रुपये खर्च कर अस्थायी बाड़ लगवाई और जगह को धीरे-धीरे एक खुशबूदार बग़ीचे में बदल दिया।

अब यहां गुलाब, मोगरा और चंपा जैसे 25 से ज़्यादा पौधे और पेड़ लहलहा रहे हैं। जहां कभी बदबू फैली रहती थी, वहां अब हरियाली और सुकून है। बच्चे अब प्रकृति के बीच, सुरक्षित माहौल में गर्व से पढ़ाई करते हैं।

छात्रों, शिक्षकों, माता-पिता और स्थानीय पुलिस के सहयोग से बैजनाथ कुमार ने इस जर्जर स्कूल को बच्चों के सपनों की रंगीन दुनिया में बदल दिया।

कोई सात तो कोई दस दिन के लिए करता है गणेश जी की स्थापना, जानिए इसका कारणआपने देखा होगा कि कुछ लोग ढाई दिन कुछ सात दिन तो...
31/08/2025

कोई सात तो कोई दस दिन के लिए करता है गणेश जी की स्थापना, जानिए इसका कारण
आपने देखा होगा कि कुछ लोग ढाई दिन कुछ सात दिन तो कुछ 10 दिन के लिए गणेश जी की स्थापना करते हैं। अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाता है। कुछ लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार कम दिनों के लिए भी गणेश जी की स्थापना करते हैं। अलग-अलग दिनों पर गणेश स्थापना करने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं मिलती हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।
लोग अपने घर में गणपति जी की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक उनकी सेवा करते हैं। कुछ लोग गणेश उत्सव के बाद तुरंत विसर्जन कर देते हैं, जबकि कुछ डेढ़, तीन, पांच, सात या ग्यारहवें दिन गणेश जी का विसर्जन करते हैं।
डेढ़ या तीन दिन बाद विसर्जन
गणपति महोत्सव दस दिनों तक चलता है। इस दौरान गणपति बप्पा की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर दस दिनों तक बप्पा की पूजा होती है। वहीं, भक्तजन अपने घरों पर प्रतिमा स्थापित कर बप्पा की पूजा, भक्ति और सेवा करते हैं। रात्रि में जागरण कर गणपति बप्पा का भजन कीर्तन करते हैं। अगले दिन पूजा-पाठ कर दोपहर बेला के बाद भगवान गणेश को विदा करते हैं।
इसके पीछे यह मान्यता है कि भक्तजन अतिथि की तरह गणेश जी का सेवा और सत्कार करते हैं और अतिथि की तरह ही उन्हें विदा भी करते हैं। इसके पीछे और भी कारण हो सकते हैं, जैसे बिजी शेड्यूल के चलते कई लोगों के लिए 10 दिनों तक गणेश जी की सेवा करना संभव नहीं होता।
क्या 5वें दिन विसर्जन नहीं करना चाहिए?
वहीं, कई भक्त 5वें दिन भी गणेश विसर्जन (Ganesh Chaturthi belief) करते हैं। लेकिन ऐसा करना शास्त्र संगत नहीं माना जाता है। शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि स्कंदमाता को समर्पित माना जाता है। माता पार्वती को देवी स्कंद भी कहा जाता है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद कहा जाता है। अतः गणेश चतुर्थी के पंचमी तिथि पर भगवान गणेश संग स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इसके लिए पंचमी तिथि पर गणेश जी को विदा न करें।
अनंत चतुर्दशी पर क्यों किया जाता है विसर्जन?
पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी लगातार 10 दिनों तक महाभारत ग्रंथ लिखते रहे, जिस कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ गया था। शरीर पूरा तपने लगा था। 10 दिनों के बाद गणेश जी के शरीर के ताप को संतुलित करने के लिए वेद व्यास जी ने उन्हें सरोवर में स्नान करने की विनती की। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश ने जल में डुबकी लगाई। अतः अनंत चतुर्दशी के शुभ अवसर पर भगवान गणेश जी को विदा किया जाता है।

धर्म पंडितों की मानें तो चिरकाल में एक बार भगवान गणेश अपने बड़े भाई भगवान कार्तिकेय से मिलने उनके घर (दक्षिण) पहुंचें। अपने भाई के घर पर भगवान गणेश दस दिनों तक रहें। इसके बाद वहां से अपने लोक लौट गए। उस समय समस्त भक्तजनों ने उन्हें दोबारा आने की विनती की। इसके लिए गणपति विसर्जन के समय का उद्घोष करते हैं।

गणपती बाप्पा मोरया,

नीता अंबानी A2 दूध का सेवन करती हैं, जिसकी कीमत 2000 रुपये प्रति लीटर है।पुणे में महालक्ष्मी डेयरी उन्हें अपना अल्ट्रा प...
31/08/2025

नीता अंबानी A2 दूध का सेवन करती हैं, जिसकी कीमत 2000 रुपये प्रति लीटर है।
पुणे में महालक्ष्मी डेयरी उन्हें अपना अल्ट्रा प्रीमियम A2 दूध देती है। होलस्टीन फ्रीसियन गायों को RO पानी, साफ चटाई और लक्जरी दूध के लिए विशेष चारा खिलाकर पाला जाता है।

GDP में धमाकेदार छलांग! भारत की अर्थव्यवस्था 7.8% की रफ्तार से दौड़ी, शेयर बाजार और नौकरियों में दिखेगा बूमभारत की अर्थव...
30/08/2025

GDP में धमाकेदार छलांग! भारत की अर्थव्यवस्था 7.8% की रफ्तार से दौड़ी, शेयर बाजार और नौकरियों में दिखेगा बूम
भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत दिखाई है. शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अप्रैल-जून तिमाही (वित्त वर्ष 2025-26) में 7.8% की शानदार वृद्धि दर्ज की. यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि इस बात का सबूत है कि दुनिया भर की चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है. एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक जीडीपी इस तिमाही में 47.89 लाख करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान तिमाही में 44.42 लाख करोड़ रुपये थी. वहीं, नाममात्र जीडीपी 86.05 लाख करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की 79.08 लाख करोड़ रुपये से 8.8% ज्यादा है. यह मजबूत परफॉर्मेंस इकोनॉमिस्ट के अनुमानों को पार कर गया, जिन्होंने 6.3% से 7% के बीच वृद्धि की उम्मीद जताई थी, जिसमें औसत अनुमान 6.7% था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी 6.5% की वृद्धि का अनुमान लगाया था.
प्रायोरिटी सेक्टर में कृषि और खनन ने 2.8% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल की समान तिमाही में 2.2% थी. कृषि क्षेत्र ने 3.7% की उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई, जो पिछले साल की 1.5% से कहीं बेहतर है. हालांकि, खनन क्षेत्र में 3.1% की गिरावट देखी गई. सेकेंडरी सेक्टर, जिसमें विनिर्माण और बिजली शामिल हैं, ने 7% की वृद्धि हासिल की. विनिर्माण क्षेत्र ने 7.7% की वृद्धि के साथ अपनी मजबूती दिखाई. टर्टियरी सेक्टर ने 9.3% की शानदार वृद्धि दर्ज की. व्यापार, होटल, परिवहन, कम्युनिकेशन और प्रसारण सेवाओं ने 8.6% की वृद्धि दिखाई, जो पिछले साल की 5.4% से कहीं बेहतर है. वित्तीय, रियल एस्टेट और पर्सनल सर्विसेस में 9.5% की वृद्धि हुई, जबकि सार्वजनिक प्रशासन और रक्षा क्षेत्र में 9.8% की वृद्धि दर्ज की गई.
केंद्र सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर में 52% की वृद्धि ने अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. निर्माण और कृषि क्षेत्रों ने मजबूत प्रदर्शन किया, जबकि विमानन कार्गो, जीएसटी संग्रह और इस्पात उत्पादन में भी वृद्धि देखी गई. केयरएज रेटिंग्स की मुख्य इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा ने कहा कि सार्वजनिक खर्च, ग्रामीण मांग में सुधार और मजबूत सेवा क्षेत्र जीडीपी वृद्धि को सपोर्ट देंगे. ASSOCHAM के अध्यक्ष संजय नायर के अनुसार, भारत की वास्तविक GDP वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8% की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो पिछले वर्ष की 6.5% वृद्धि से कहीं अधिक है और यह अर्थव्यवस्था की शानदार शुरुआत को दर्शाता है. सर्विसेस के सेक्टर ने भी 7.6% की वास्तविक GVA वृद्धि के साथ इस मजबूती में योगदान दिया, जो प्रमुख क्षेत्रों में गहराते हुए आर्थिक उत्साह को दिखाता है. यह उत्साहजनक प्रदर्शन भारत की लचीलापन और अनुकूलन क्षमता को रेखांकित करता है, देश की जीवंत विकास गति को दोबारा साबित करता है और सुनिश्चित करता है कि भारत दुनिया भर की चुनौतियों के बावजूद आत्मविश्वास से आगे बढ़ेगा.

वो पूरी दुनिया में हथियार,गोला-बारूद, बम,लड़ाकू विमान, मिसाइल बेचकर भी युद्ध की फंडिंग नहीं कर रहे हैं,लेकिन हम रूस से त...
30/08/2025

वो पूरी दुनिया में हथियार,गोला-बारूद, बम,लड़ाकू विमान, मिसाइल बेचकर भी युद्ध की फंडिंग नहीं कर रहे हैं,
लेकिन हम रूस से तेल खरीदकर युद्ध की फंडिंग कर रहे हैं।

पूरे देश में इन दिनों गणेश उत्सव की धूम है। बॉलीवुड सेलेब्स भी इस त्योहार को धूमधाम से मना रहे हैं। सोनाक्षी सिन्हा भी उ...
30/08/2025

पूरे देश में इन दिनों गणेश उत्सव की धूम है। बॉलीवुड सेलेब्स भी इस त्योहार को धूमधाम से मना रहे हैं। सोनाक्षी सिन्हा भी उन्हीं में से एक हैं। उन्होंने अपने पति जहीर इकबाल संग गणपति बप्पा की आरती की। इसका एक प्यारा वीडियो एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इस वीडियो में वो गणेश जी की आरती गाती हुई दिखाई दे रही हैं।

सोनाक्षी सिन्हा ने इसे शेयर करते हुए लिखा, 'ॐ गं गणपतये नमः। आप सबको गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं, बप्पा हम सबको शांति, प्रेम और धैर्य प्रदान करें।' यह वीडियो अर्पिता खान शर्मा के घर का है। इस साल यह उत्सव उनके घर पर आयोजित किया गया, जहां सलमान ने गणपति बप्पा का स्वागत किया था। इस दौरान सलमान खान सहित उनके परिवार वालों ने गणपति जी की आरती की।

अचानक बाहर के कमरे से बाबा के जोर जोर से बोलने की आवाज आने लगी। मैं भागकर दरवाजे की ओट पर खड़ी हो गई और देखने लगी,"ऐसे प...
30/08/2025

अचानक बाहर के कमरे से बाबा के जोर जोर से बोलने की आवाज आने लगी। मैं भागकर दरवाजे की ओट पर खड़ी हो गई और देखने लगी,

"ऐसे प्यार करते हैं तुम्हारे मायके वाले तुमसे?? लोगों को देखो उनके भाई दौड़े चले आते हैं अपनी बहनों से मिलने और उन्हें लेने के लिए। और एक तुम्हें देखो। कोई नहीं आता तुमसे मिलने"
" पर भाई तो अभी छोटा है ना जी, इसलिए ही तो कह रही हूं। रक्षाबंधन का त्यौहार है तो जाना तो पड़ेगा ही"
" मेरे पास तो वक्त नहीं है कि तुम्हें इधर से उधर लेकर डोलता फिरूँ। अपने भाई से कह दो कि वो लेने आ जाए या राखी बंधवा जाए "

बाबा दो टूक जवाब दे गए थे माँ को।और माँ कुछ ना कह सकी। चुपचाप बस बाबा को जाते हुए देखती रह गई। हर बार का यही था। मां कभी बाबा से जिद नहीं करती थी, पर बाबा भी मां को समझने की कोई कोशिश नहीं करते।

कई सालों से देखती आ रही है। मां चुपचाप रसोई में आ गई और अपना काम निपटाने लगी, पर वह उदास थी। उसके बाद उन्होंने अपनी लाई हुई राखियों को लिफाफे में बंद किया और अपने भाई के लिए राखी डाक द्वारा भिजवा दी। पर वो अभी भी उदास थी। मैंने मां को उदास देखा है। कई सालों से देखती आ रही हूं।

हर रक्षाबंधन पर वे अपने मायके जाने के लिए पूछती है और हर बार बाबा समय ना होने का रोना रोकर मां को चुप करा देते हैं। अगर माँ थोड़ा भी ज्यादा बोलती तो यही कहते कि अपने भाई को बुला लो। वो लेने आ जाएगा। और फिर मां अपनी आंखों में आंसू लेकर चुपचाप घर के कामों में लग जाती और मैं बस उनके चेहरे की तरफ देखती रहती।

अररऱरेरेरे!!!!!!! मैंने तो अपना परिचय कराया ही नहीं। मेरा नाम डिंपल है। मेरी उम्र नौ वर्ष है। मैं अपने मां बाबा की पहली संतान हूँ। मुझसे छोटे मेरे दो भाई हैं। हम लोग निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के लोग हैं, जिनकी जरूरतों और कमाई और खर्चों में हमेशा जुगलबंदी चलती ही रहती है। पर हमेशा कमाई से पहले खर्चे जीत जाते हैं।
हमारा छोटा सा परिवार है बाबा, मां, मैं और दोनों छोटे भाई। रिश्तेदारी के नाम पर बुआ जी ही है जो हमारे घर से लगभग एक घंटे की दूरी पर रहती है, बाकी सारी रिश्तेदारी गांव में है। मां का मायका भी गांव में ही है। जहाँ नाना, नानी और मामा रहते हैं।
और पता है आपको, मां के भाई मतलब मेरे मामा, उम्र में मेरे बराबर ही है। अब आप समझ सकते हैं कि उनके परिवार वाले इतनी छोटी उम्र में उनको कैसे इतनी दूर भेज सकते हैं। नाना जी की तबीयत भी अधिकतर खराब ही रहती है। और मां का भी दो-तीन साल में एक बार ही जाना होता है, पर रक्षाबंधन पर तो बिल्कुल नहीं इसलिए हर रक्षाबंधन पर वह उदास रहती है।

हर बार पापा के हाथों पर बुआ जी की लाई राखी सजी होती है। मेरे दोनों भाइयों के हाथों में भी मेरी राखी सजी होती है। सब हंसते मुस्कुराते हैं, पर मां चेहरे पर नकली मुस्कुराहट का आवरण ओढ़े सिर्फ काम करती हैं। पहले समझ नहीं थी पर अब मैं बड़ी हो रही हूं ना, इसलिए अब मुझे सब समझ में आता है। यह भी समझ में आता है कि बाबा का मां को मायके के लिए 'ना' कहना गलत है।

पर बाबा के सामने जुबान खोलना बहुत हिम्मत वाला काम है। बाबा बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं और जोर जोर से चिल्लाने लगते हैं। इतनी हिम्मत शायद मुझ में अभी तक नहीं आई कि मैं उनके सामने बोल सकूं। पर इस रक्षाबंधन को मैं अपनी मां को उदास देखने को तैयार नहीं थी। मन में कुछ ठान चुकी थी। मैं अपने मामा को गांव से शहर नहीं ला सकती थी और ना ही मैं अपनी मां को शहर से गांव भेज सकती थी। उसके लिए उम्र मेरी बहुत छोटी है, इसलिए कुछ और ही करने की सोची।

हर रक्षाबंधन पर शाम को हम तीनो भाई बहन अपने बाबा के साथ मंदिर जाते हैं, तो इस बार भी जाएंगे। यह तो पहले से तय था। तो उस दिन सुबह बुआजी घर पहुंच गई। उन्होंने अपने भाई भाभी को राखी बांधी। उसके बाद मैंने अपने दोनों भाइयों को राखी बांधी। और पता है दोनों भाइयों ने मिलकर मेरी थाली में पूरे सौ रुपये रखें। हालांकि मैं जानती थी कि सौ रुपए बाबा ने दिए हैं पर उन सौ रूपयों को देखकर तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं दुनिया की सबसे धनवान इंसान बन गई हूँ।

उसके बाद बुआ ने भी मुझे पचास रूपये दिए। उसके बाद माँ ने जो खीर पूरी बनाई थी हमने मिलकर खायी और उसके बाद बुआ रवाना हो गई। जब हम लोग शाम को मंदिर के लिए रवाना होने लगे तो अपने गुल्लक में से मैने सारे पैसे निकाले और अपनी पॉकेट में डालकर निकल गई अपने बाबा और भाइयों के साथ। मंदिर पहुंचकर हम लोगों ने दर्शन किए। उसके बाद बाहर लगे बाजार में घूमने लगे।

तन से, मन से, धन से, तीनों से ही सोच कर आई थी कि आज तो मुझे कुछ भी हो जाए अपनी मां के चेहरे पर खुशी देखनी है। इसलिए बाजार की रौनक देखने की जगह मैं पहुंच गई सीधे उस दुकान पर, जहाँ छोटे छोटे कान्हा जी रखे हुए थे। मुझे वहां देखकर बाबा ने अपनी रौबदार आवाज में पूछा,
" अरे डिम्पल, क्या लेना है तुझे?"
बाबा की आवाज सुनकर एक बार तो दिल धक से रह गया। कही बाबा नाराज ना हो जाए, पर फिर भी डरते हुए मैंने कहा
" बाबा मुझे वो छोटे से कान्हा जी चाहिए "
सुनते ही बाबा ने मुझे ऊपर से नीचे की तरफ ऐसे घूर कर देखा जैसे मैंने उनकी प्रॉपर्टी मांग ली हो,

"अरे क्या करेगी इसका? रहने दे। वैसे भी महंगे बिकेंगे"

" नहीं बाबा, पैसे मैं दूंगी। मैं अपने गुल्लक के और जो भाई ने और बुआ ने दिए थे वो सारे पैसे लाई हूं। प्लीज दिला दो ना "

मेरी बात सुनकर बाबा हैरान रह गए। पर थोड़ी देर चुप रहने के बाद फिर उन्होंने दुकानदार भैया से पूछा,
" भैया यह छोटे कान्हा जी कितने के दिए?"

"साडे़ तीन सौ रुपए में "
मेरा तो पैसे सुनते ही दिल बैठ गया। मेरे पास तो सिर्फ तीन सौ रुपये ही थे। और बाबा मुझे कान्हा जी दिलाने के लिए पैसे तो नहीं देंगे, इतना तो मैं अच्छे से जानती थी। मैंने धीरे से कहा,

" मेरे पास तो सिर्फ तीन सौ रुपए है इतने में ही दे दो ना अंकल "
" नहीं नहीं बेटा, छोटी बच्ची हो इसलिए मैं तो जो भाव आया हैं, वही भाव दे रहा हूं। इतना कम कैसे करूं"
" दे दो ना अंकल, मुझे कान्हा जी चाहिए"
मैंने उदास होते हुए कहा।
कहते हैं ना कि अगर कान्हा दिल में ही बैठ जाए तो उसे आपके घर में आने से कोई रोक नहीं सकता। मुझे अंकल से भाव ताव करते देखकर पता नहीं मेरे बाबा के मन में क्या आया कि पहली बार वह मुझे कोई चीज दिलाने को खुद ही तैयार हो गए,
" अरे बाकी के पैसे मैं मिला दूंगा। तुम इसे कान्हा जी दे दो"
आखिर बाबा की बात सुनकर दुकानदार अंकल ने वो छोटे से कान्हा जी मुझे दे दिए। छोटे से कान्हा जी को लेकर मैं बहुत खुश हो गई। और उन्हें लेकर सीधे घर की तरफ रवाना हो गई। यह तक नहीं देखा कि छोटे से कान्हा जी के लिए कपड़े भी ले लूं। इतनी समझ तो मुझ में थी भी नहीं। घर आई तो मुझे इतनी खुश देखकर मां बोली,
" अरे क्या बात है कोई खजाना मिल गया क्या तुझे"
" हां मां, देखो तो दीदी क्या लाई" छोटे भाई ने कहा।
मेरे हाथ में छोटे से कान्हा जी देखकर माँ हैरान रह गई। उन्होंने बाबा की तरफ देखा,

" अरे इसकी बड़ी इच्छा थी। अपने गुल्लक के सारे पैसे और दीदी ने जो पैसे दिए वह सब इस कान्हा जी को लाने में खर्च कर दिए इसने। पता नहीं ऐसा क्या मोह हो गया है इसे "

मां ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा। मैं कान्हा जी लेकर मां के पास गई और बोली,
" मां आप हर रक्षाबंधन पर उदास रहते हो ना क्योंकि सब अपने भाइयों को राखी बांधते हैं। पर आप नहीं बाँध पाती। पर अब से आप परेशान मत रहना। जब तक मामा बड़े ना हो जाए आप कान्हा जी के हाथ में राखी बांध देना। इसलिए मैं कान्हा जी को घर ले आई हूं"

मेरी बातों को सुनकर मां की आंखों में आंसू आ गए, वही बाबा एकटक मुझे देखते रह गए। बाबा भी कुछ बोल ना सके, शायद उन्हें उनकी गलती का एहसास हो रहा था। बाबा को शायद उम्मीद नहीं थी कि उनकी नन्ही कली इतनी बड़ी हो चुकी है कि अपनी मां की भावनाओं को समझने लग गई है।

कुछ पल की चुप्पी के बाद मां ने कान्हा जी को मेरे हाथ से लिया और फटाफट पहले उसके कपड़े तैयार करे और फिर कपड़े पहनाने के बाद उसे राखी बांधकर मिश्री का भोग लगाया।

यह सब करते समय मैं निरंतर मां के चेहरे की तरफ देखे जा रही थी, उनके चेहरे पर आज बहुत खुशी और सुकून था। अब कान्हा जी हमारे परिवार का हिस्सा बन चुके थे।

सबसे बड़ा परिवर्तन तो हमने हमारे बाबा में देखा। अब बाबा ज्यादा चिल्लाते भी नहीं थे। पहले सबकी सुनते थे, फिर जवाब देते थे। अगले रक्षाबंधन पर मां के कहने से पहले ही बाबा ने गांव जाने के लिए टिकट करवा दिए। अब मां को उदास रहना नहीं पड़ता। हां, कान्हा जी हमारे साथ ही आते जाते हैं और आज भी मां कान्हा जी को पहले राखी बाँधती है।

अमेरिकी की ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने भारत पर लगाए गए ट्रैप टैरिफ (Trump Tariffs) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। उसने कहा कि ट...
30/08/2025

अमेरिकी की ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने भारत पर लगाए गए ट्रैप टैरिफ (Trump Tariffs) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। उसने कहा कि ट्रंप को भारत ने मध्यस्था का क्रेडिट नहीं दिया, जिसके चलते उनका ईगो हर्ट हो गया और उन्होंने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया।

इससे रूना तेल का कोई लेना देना नहीं है।

जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 प्रतिशत के भारी शुल्क मुख्यतः राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यक्तिगत नाराजगी का परिणाम है। क्योंकि उन्हें भारत-पाकिस्तान संघर्ष (India Vs Pakistan Conflict) में मध्यस्थता करने की अनुमति नहीं दी गई थी।

ट्रंप तेना चाहते थे क्रेडिट

Jefferies ने रिपोर्ट में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कषित तौर पर मई में दोनों देशों के बीच चार दिवसीय सैन्य संघर्ष के बाद हस्तक्षेप करने की उम्मीद की थी। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि Tarilt मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति की "व्यक्तिगत नाराजगी का परिणाम हैं। क्योंकि उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही कटुता को समाप्त करने में भूमिका निभाने की अनुमति नहीं दी गई।

वो कारण जिसके चलते ट्रंप ने भारत पर लगाया टैरिफ

अमेरिकी की ब्रोकरेज फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत पर लागए गए भारी टैरिफ कई घटनाओं से जुड़े हुए हैं। ट्रंप रूस-यूक्रेन के युद्ध को अपने वादे के अनुसार समाप्त नहीं करा पाए और भारत लगातार रूस से तेल खरीद रहा है।

इन सबके बीच भारत पाक के बीच हुए संघर्ष की मध्यस्था का क्रेडिट ट्रंप लेना चाहते हैं लेकिन इंडिया ने साफ इंकार किया कि किसी तीसरे देश की वजह से मध्यस्था नहीं हुई है। इन सभी कारणों से अमेरिकी राष्ट्रपति का व्यक्तिगत ईगो हर्ट हुआ और इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने भारतीय सामानों पर 50 फीसदी का टैरिफ लगा दिया।

भारत का बाजार चाहते हैं ट्रंप- जेफरी

जेफरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत उसके लिए अपना कृषि बाजार खोले। लेकिन वर्तमान सरकार समेत कोई भी भारतीय सरकार कृषि क्षेत्र को आयात के लिए खोलने को तैयार नहीं है क्योंकि इससे लाखों लोगों पर गंभीर असर पड़ेगा।

ब्रोकरेज फर्म ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में लगभग 25 करोड़ किसान और संबंधित मजदूर अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं, और यह क्षेत्र भारत के कार्यबल का लगभग 40 प्रतिशत है।

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि मूल कारण पाकिस्तान मुद्दे में ट्रंप के व्यक्तिगत हस्तक्षेप की अनुमति देने से भारत का इनकार है।

अमेरिका के हित में सही नहीं ट्रंप का टैरिफ

जेफरी ने चेतावनी दी कि ऐसे निर्णय अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नहीं हैं। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि भारत को दूर धकेलने से वह चीन के और करीब आ जाएगा। रिपोर्ट में 5 साल से अधिक समन सितंबर की शुरुआत में दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू होने का भी हवाला दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे का आज दूसरा दिन है पीएम मोदी शनिवार को जापानी पीएम शिगेरू इशिवा के साथ बुलेट ट्रेन में सफर करते हुए टोक्यो से सेडाई जा रहे हैं जापानी पीएम ने एक्स पर इस यात्रा की कुछ तस्वीर शेयर की और लिखा 'प्रधानमंत्री मोदी के साथ सेंडाई बता दें जापान की मदद से ही भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है और कई भारतीय ट्रेन चालकों को जापान में ट्रेनिंग भी दी

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट करते हुए ट्रेनिंग ले रहे भारतीय ट्रेन चालकों को बधाई भी दी. उन्होंने लिखा, "जे.आर ईस्ट में प्रशिक्षण ले रहे भारतीय ट्रेन चालकों को बधाई."
https://x.com/shigeruishiba/status/1961610621365227862?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1961610621365227862%7Ctwgr%5Ee93d16bba6827b89438f065470eda09f1f2d182c%7Ctwcon%5Es1_c10&ref_url=https%3A%2F%2Fm.dailyhunt.in%2Fnews%2Findia%2Fhindi%2Fndtvindiahindi-epaper-dh413d09b892d54d6daaf0b764dd6f488f%2Fjapanipiemkesathmodinekibulettrenmesavaritokyosesendaikeliehueravana-newsid-n678904942

भारत में मुंबई अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन दौड़ाने का काम तेजी से किया जा रहा है. बुलेट ट्रेन भारत और जापान के बीच एक प्रमुख परियोजना है ये सेवा कुछ सालों में शुरू हो जाएंगी तक्ष्य देश में उच्च गति रेत का 7,000 किलोमीटर लंबा नेटवर्क बनाना है इसका अधिकतर हिस्सा 'मेक इन इंडिया के माध्यम से होगा

https://x.com/shigeruishiba/status/1961610432839626974?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1961610432839626974%7Ctwgr%5Ee93d16bba6827b89438f065470eda09f1f2d182c%7Ctwcon%5Es1_c10&ref_url=https%3A%2F%2Fm.dailyhunt.in%2Fnews%2Findia%2Fhindi%2Fndtvindiahindi-epaper-dh413d09b892d54d6daaf0b764dd6f488f%2Fjapanipiemkesathmodinekibulettrenmesavaritokyosesendaikeliehueravana-newsid-n678904942

पीएम ने गवर्नर से की मुलाकात

टीक्यों से रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान के 16 प्रांतों के गवर्नर से मुलाकात की और भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी के तहत राज्य प्रांत सहयोग को मजबूत किए जाने का आह्वान किया जापान के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक बयान में कह "भारत आपान के मजबूत संबंधों को और सुदृढ़ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यों में 16 प्रांतों के गवर्नर से मुलाकात की

प्रधानमंत्री ने (भारत के) राज्यों और (जापान के) प्रांतों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला और साझा प्रगति के लिए 15वें भारत जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान इस संबंध में शुरू की गई राज्य प्रांत साझेदारी पहल के तहत कदम उठाए जाने का आग्रह किया

शीतल देवी और आनंद महिंद्रा - साहस की एक कहानी और एक वादा रखासच्चे नेताओं को न केवल उनकी उपलब्धियों के लिए बल्कि उनके शब्...
30/08/2025

शीतल देवी और आनंद महिंद्रा - साहस की एक कहानी और एक वादा रखा

सच्चे नेताओं को न केवल उनकी उपलब्धियों के लिए बल्कि उनके शब्द से खड़े होने की क्षमता के लिए याद किया जाता है। आनंद महिंद्रा, जिसे दुनिया भर में एक दूरदर्शी उद्यमी के रूप में जाना जाता है, ने एक बार फिर अखंडता और दयालुता की शक्ति दिखाई है।

29 अगस्त, 2024 को, स्पॉटलाइट 17 वर्षीय शीतल देवी पर थी क्योंकि उसने एक आश्चर्यजनक पैरालंपिक शुरुआत की थी। उसके लचीलेपन और कौशल ने उसके पदक जीते, लेकिन उसकी यात्रा ने लाखों लोगों की प्रशंसा की। प्रेरित लोगों में आनंद महिंद्रा थे, जिन्होंने उसे एक महिंद्रा वृश्चिक एसयूवी को उपहार में देने का वादा किया था - उसकी धैर्य और महिमा के लिए मान्यता का प्रतीक।

2025 में, उन्होंने उस वादे को पूरा किया, जिसमें एक्स (पूर्व में ट्विटर) की घोषणा की गई थी कि कार वितरित की गई थी। यह खबर तुरंत फैल गई, लोगों के साथ न केवल उपहार बल्कि किसी के शब्द को रखने का कार्य। कई लोगों के लिए, यह एक अनुस्मारक बन गया कि वास्तविक धन उदारता और प्रतिबद्धताओं को सम्मानित करने में निहित है।

जो दिलों को छूता है, वह कार का मूल्य नहीं था, बल्कि इशारे का मूल्य था। महिंद्रा की विनम्रता और युवा अचीवर्स के प्रोत्साहन ने साबित कर दिया कि सच्चे नेतृत्व व्यक्तियों को उत्थान करते हैं और एक पूरे राष्ट्र को प्रेरित करते हैं।

यह एक इनाम से अधिक है; यह साहस, विश्वास और वादों की शक्ति का उत्सव है।

शिर्षक:- "सच तुम्हारी और हमारी"पहला दिन... (सोनू , सुप्रिया)हायहाय(कोई बातचीत नहीं)दूसरा दिन...(सोनू , सुप्रिया)ठीक हैठी...
30/08/2025

शिर्षक:- "सच तुम्हारी और हमारी"
पहला दिन... (सोनू , सुप्रिया)
हाय
हाय
(कोई बातचीत नहीं)
दूसरा दिन...(सोनू , सुप्रिया)
ठीक है
ठीक हूँ
(कोई बातचीत नहीं
तीसरा दिन...
नंबर दो। (सोनू)
क्यों? (फिर चुपचाप लिख दि सुप्रिया)

(सोनू मन ही मन)
बड़ी सुंदर है, आँखों की ग़ज़ल कहानी है,
धड़कन में बसा कर रखूँगा,
मनोहर दृश्य सुहानी है।

खूबसूरती बहती धारा,
मन रंग सप्तबयानी है,
झिलमिल-झिलमिल करती,
कणिका बहता पानी है।

सुंदर संरचना जैसे मोती,
परी रूप सुहानी है,
बड़ी ही प्यारी खनकती आवाजें,
दिल को छूती बानी हैं।

(सुप्रिया अंदर ही अंदर)
बड़े उतावले हैं,
मन के गोरे-चिट्ठे हैं,
कितने रंग समेटे,
निर्मल धारा बहते हैं।

किधर से भी एक चक्कर,
देखने मुझको एक नजर आते हैं,
भले कुछ कह नहीं पाते,
लेकिन मन ही मन बहते हैं।

चितवन के चकोर में,
चंद रूप बिखराते हैं,
प्रयास तो करते,
पर बोल नहीं पाते हैं।

एक सप्ताह बाद
ट्रीग-ट्रीग (कॉल बजी उठाई — कौन?)
नहीं पहचाना।(सोनू)
नहीं। (सुप्रिया)
ओ, हां सोनू पहचान ली बोलिए
बोलों(सोनू)
क्या बोलूँ? किस काम से नंबर लिए थे (सुप्रिया)
आपसे बात करने के लिए।(सोनू)
हमने तो यह सोचकर नंबर नहीं दिया था।(सुप्रिया)
तो क्या सोचा था?(सोनू)
शायद कोई विशेष काम हो।(सुप्रिया)
पर मैंने आपसे...(सोनू अधुरा वाक्य)
क्या "पर मैंने आपसे"?(सुप्रिया)
गुमसुम.... फिर कुछ देर बाद (सोनू)
समय के साथ समझ जाओगी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
जो कहना है, कहिए। (धीरे-धीरे हँसने लगी और दबाव बनाने लगी सुप्रिया)
चुप्पी... (गले में आवाज नहीं , क्या बोलूँ? शब्द कहाँ से लाऊँ? असमंजस भरा क्षण मोनू के लिए)
बोलों क्या बोलना है?(शेर की तरह सवाल दागती सुप्रिया जैसे इसके मन से सब कुछ उगलवाकर ही छोड़ूँगी।")
खामोश — चुपचाप, कुछ नज़र नहीं आता, क्या बोलूँ? क्या जवाब दूँ?(सोनू)
कुछ बोल नहीं रहे हैं, तो कॉल रखती हूँ। (सुप्रिया)
ठीक है, एक कविता भेज देता हूँ। सब समझ आ जाएगा कि मैं क्या कहना चाहता हूँ। (सोनू)
आप कविता लिखते हैं? (थोड़ी नर्म आवाज में)
हाँ। (सोनू)
ठीक है... आप कुछ बोलते नहीं हैं कांल रखती हूं बाय-बाय।
बाय-बाय।
नमस्ते।
नमस्ते।
अब कुछ ध्यान आया, कुछ कहना चाह रहा था... कि तब तक कॉल कट गया।(सोनू)

(सोनू — कॉल कटने के बाद)
मन की उत्प्लावित धारा को,
कहते-कहते रह गए,
चाहा भावना में बहना,
बहते-बहते रह गए।

समय सार्थक न हुआ,
कुछ गढ़ते-गढ़ते रह गए,
दिल की दिल को दिल से,
छूते-छूते रह गए।

निकल गई समय वेग से,
मन को संवारते-संवारते रह गए,
कोयल प्यारी को,
प्यारा दो शब्द कहते-कहते रह गए।

ढल गई साँझ द्वंद्व लिए,
मन की उद्दीपन खोलते-खोलते रह गए,
सुमन पहर की सुंदर स्मृति,
हृदय में निकलते-निकलते ठहर गए।

(सुप्रिया मन ही मन)
सोचा तो होगा उड़ानें,
पर हमारी सवाल घाल गईं,
कुछ न कह पाए,
मन की बातें मन ही रह गईं।

हरा-भरा सवेरा, किरण
जैसे शांत निशा कर गई,
जगमगाती हुई दिल की बानी,
शब्दों में ही पहर गई।

उड़ते थे मन की गरिमा में,
पर रक्तिम दिल की हो लहर गई,
लगता है कि अब वह,
यहाँ से आगे आने को ठहर गई।

हिम्मत-कुंज धरा,
द्रवित आँखों की मोती कर गई,
बनाने की मन की दुल्हन,
मन ही मन में रह गई।

कभी मिली तो सुनाऊँगी...
(मोनू)

एक नाम तुम्हारे होठों पर,
बसता डेरा-डेरा,
तुझसे ही जग में हरियाली,
तू खिला सवेरा।

तू नभ की चादर,
सैर-समर दिलारा,
रंग ओढ़ी मधुबन की,
आकर्षित मन हमारा।

तू स्वप्नों की रचना,
तूं पुष्प यादों भरा गुज़ारा,
निर्मल निर्झर बहती,
आँसुओं में तड़प की धारा।

अंतस-गगन मधुबन,
तुमसे नूतन सवेरा,
तेरे बिन अधूरे हम
अधूरा संसार हमारा।

पारले जी… बचपन की हर याद का हिस्सा। चाय के साथ डूबकर नरम होना, भूख में सबसे आसान सहारा बनना, और जेब में रखे पैकेट से बच्...
30/08/2025

पारले जी… बचपन की हर याद का हिस्सा। चाय के साथ डूबकर नरम होना, भूख में सबसे आसान सहारा बनना, और जेब में रखे पैकेट से बच्चों की आँखों में चमक भरना।

आज वही पारले जी काले रंग में सामने है। सच कहूँ, दिल भारी हो गया। ये सिर्फ एक बिस्किट नहीं था, ये हमारी यादों का स्वाद था—जिसका रंग बदलना नहीं चाहिए था।

पारले जी को देखकर लगता था जैसे माँ की ममता सस्ती सी थैली में भी कितनी मीठी हो सकती है।

अब ये काला रूप देखकर बस यही लगता है—कुछ चीज़ें जैसी हैं वैसी ही रहने दो, क्योंकि रंग बदलना ठीक नहीं चाहे वो इंसान हो या बिस्किट।😊

Parle-G

यह शाकाहारी शेरनी स्वामी कृष्णानंद की  संगिनी थी। नीचे उसे 1936 के कुंभ मेले में अपने गुरु के साथ दिखाया गया है।परमहंस य...
29/08/2025

यह शाकाहारी शेरनी स्वामी कृष्णानंद की संगिनी थी। नीचे उसे 1936 के कुंभ मेले में अपने गुरु के साथ दिखाया गया है।

परमहंस योगानंद इस भेंट का वर्णन "योगी कथामृत" (Autobiography of a Yogi), अध्याय 42 में इस प्रकार करते हैं:
"जब मैंने वेदांत पर संक्षेप में हिन्दी में प्रवचन दिया, तो हमारा दल शांत आश्रम से निकलकर पास ही के एक स्वामी—कृष्णानंद—से मिलने गया। वह गुलाबी गालों और प्रभावशाली कंधों वाले एक सुंदर संन्यासी थे। उनके पास ही एक पालतू शेरनी विश्राम कर रही थी। उस संन्यासी के आध्यात्मिक आकर्षण के वशीभूत होकर—निश्चित ही उनके बलशाली शरीर के कारण नहीं!—जंगल की उस शेरनी ने मांस का त्याग कर दिया और चावल व दूध को ही अपना आहार बना लिया। स्वामी ने उस सुनहरे बालों वाली शेरनी को ‘ॐ’ का उच्चारण करना भी सिखा दिया था, जिसे वह गहरे, आकर्षक गर्जन में प्रकट करती थी—मानो कोई ‘भक्त’ हो!"

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