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18/09/2025

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17/09/2025

जाह्नवी कपूर ने फिल्म'परम सुंदरी' के प्रमोशन के दौरान एक से बढ़कर एक लुक्स कैरी किए, जो लोग अभी तक भूले भी नहीं हैं. फैंस के दिलों-दिमाग से अभी उन लुक्स का खुमार उतरा भी नहीं था कि एक्ट्रेस अपनी फिल्म 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' के प्रमोशन में अपना फैशनेबल अंदाज दिखा रही हैं. एक्ट्रेक बहुत अच्छे से जानती हैं कि ग्लैमर और स्टाइल को खूबसूरती से कैसे मिलाया जाता है. फिल्म के ट्रेलर लॉन्च इवेंट पर जाह्नवी ने मशहूर डिजाइनर मनीष मल्होत्रा का बनाया हुआ एक खूबसूरत पिंक कलर का लहंगा पहनकर सबका ध्यान खींच लिया. उनका ये लुक बहुत खूबसूरत था. चलिए उनके लुक के बारे में पूरी डिटेल से जानते हैं.
जाह्नवी ने ट्रेलर लॉन्च इवेंट को शानदार बनाने के लिए उन्होंने मनीष मल्होत्रा का डिजाइन किया हुआ पिंक लहंगा पहना. यह लहंगा बहुत ही ज्यादा खूबसूरत था, जो भारतीय ट्रेडिशनल खूबसूरती और मॉडर्न स्टाइल का शानदार कॉम्बिनेशन था. इस पिंक लहंगे को फूलों की कढ़ाई से सजाया गया था. कढ़ाई को और ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए इस पर छोटे-छोटे पर्ल्स लगाए गए थे. एक्ट्रेस ने अपने लहंगे को बारीक कढ़ाई वाले स्ट्रैपी ब्लाउज के साथ पेयर किया था, जो उनके लुक में ग्लैमरस का तड़का लगा रहा था.
जाह्नवी ने अपने लुक को कंप्लीट करने के लिए फूलों की कढ़ाई वाले ट्रांसपेरेंट दुपट्टे के साथ पेयर किया, जो इसे ड्रीमी और रोमांटिक टच दे रहा था. एक्ट्रेस ने जिस तरह से यह लहंगा स्टाइल किया था वो लहंगे की खूबसूरती को और निखार रहा था और पूरे लुक को फ्रेश और बैलेंस्ड बना रहा था. उन्होंने अपने बालों को स्ट्रेट करते हुए खुला छोड़ा. जाह्नवी ने इस आउटफिट के साथ चमकदार ड्रॉप इयररिंग्स पहने, जो उनके लुक में चार-चांद लगा रहे थे. उनका ग्लोइंग मेकअप लुक के साथ परफेक्ट लग रहा था.

आमिर खान बॉलीवुड के एक बेहतरीन एक्टर हैं। उन्होंने अपने करियर में कई हिट्स फिल्में दी हैं। वहीं, कुछ ऐसी फिल्में भी हैं ...
17/09/2025

आमिर खान बॉलीवुड के एक बेहतरीन एक्टर हैं। उन्होंने अपने करियर में कई हिट्स फिल्में दी हैं। वहीं, कुछ ऐसी फिल्में भी हैं जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही हैं। आमिर की ऐसी ही एक फ्लॉप फिल्म है लाल सिंह चड्ढा। आमिर खान ने कहा कि वो लाल सिंह चड्ढा को लेकर बहुत ओवर कॉन्फिडेंट थे क्योंकि उससे पहले वो लगातार हिट्स दे रहे थे।
कोमल नहाटा के साथ खास बातचीत में आमिर खान ने कहा, “मैं लाल सिंह चड्ढा को लेकर थोड़ा ओवर कॉन्फिडेंट हो गया था क्योंकि मैं लगातार हिट्स दी थीं। वहां मैं गलत चला गया।”
आमिर खान ने माना कि उनकी गलती रही कि उन्होंने फिल्म के बजट पर कोई आर्थिक सीमा नहीं रखी थी। आमिर ने कहा, “मुझे पता था कि फिल्म दंगल की एक तिहाई कमाई करेगी। फिल्म (दंगल) ने 385 करोड़ की कमाई की थी, तो मुझे पता था लाल सिंह चड्ढा 100 से 120 करोड़ की कमाई करेगी। मुझे इस प्रोजेक्शन पर फिल्म का बजट तय करना चाहिए था। जब आपको बता है कि फिल्म 120 करोड़ की कमाई करेगी, आप अपने फिल्म का बजट ज्यादा से ज्यादा 80 करोड़ तक रख सकते हो। आदर्श रूप से फिल्म का बजट 50 से 60 करोड़ के बीच होना चाहिए था। हालांकि, हमने 200 रुपये खर्च कर दिए थे।”
आमिर ने कहा कि कोविड 19 की वजह से फिल्म को काफी नुकसान हुआ। शूट रुकने के बाद भी वो क्रू को पैसे दे रहे थे। उन्होंने बताया कि चीन में एक टेबल टेनिस सीक्वेंस शूट हुआ था जिसपर बहुत पैसा खर्च हुआ था। बाद में वो सीन फिल्म से कट गया था।

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज आज उनकी पहचान बन चुकी है। फिल्ममेकर्स उन्हें बतौर एक्टर तो कास्ट करना ही चाहते ह...
17/09/2025

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज आज उनकी पहचान बन चुकी है। फिल्ममेकर्स उन्हें बतौर एक्टर तो कास्ट करना ही चाहते हैं, लेकिन साथ ही साथ अपनी फिल्म या सीरीज में बिग बी की आवाज (VO) पाने के लिए लाइन लगाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार इन्हीं अमिताभ बच्चन को एक फिल्म में गूंगा बना दिया गया था।
फिल्ममेकर्स को ऐसा अमिताभ की आवाज पसंद नहीं आने के चलते नहीं, बल्कि दूसरी मुश्किल के चलते मजबूरी में करना पड़ा था। बात साल 1971 की है जब महानायक फिल्म 'रेशमा और शेरा' की शूटिंग कर रहे थे। अमिताभ बच्चन शूटिंग के दौरान अपनी फिल्म के डायलॉग बार-बार भूल जा रहे थे। इस वजह से बार-बार रीटेक करना पड़ता था।
लिहाजा मेकर्स ने तंग आकर उनके किरदार को ही गूंगा बना दिया। वहीदा रहमान, सुनील दत्त, विनोद खन्ना, संजय दत्त और अमरीश पुरी जैसे सितारों से सजी इस फिल्म में सुनील दत्त डायरेक्टर थे, और अमिताभ के किरदार को गूंगा बनाने का फैसला उन्हीं का था। यह वो फिल्म थी जिसमें अमिताभ बच्चन बिना डायलॉग्स के नजर आए थे। फिल्म में सुनील दत्त ने ही शेरा का रोल किया था।
वहीं अमिताभ बच्चन छोटू के किरदार में नजर आए थे। लेकिन अमिताभ बच्चन ने फिल्म में ऐसी एक्टिंग की, कि अपनी अदाकारी की वजह से उन्हें डायलॉग्स की जरूरत ही नहीं पड़ी। जिस अमिताभ बच्चन को एक वक्त पर फिल्म में डायलॉग्स नहीं मिले थे, उनसे ही डायलॉग बुलवाने के लिए आज करोड़ों फैंस और फिल्ममेकर्स की लाइन लगी रहती है।

17/09/2025
Big thanks to Parasram Sharma, Devendra Meshram, पवन पाठक, Shivam Kurmi Kurmi, Upendra Bhatt, Rajesh Thakur, R S Rajput,...
17/09/2025

Big thanks to Parasram Sharma, Devendra Meshram, पवन पाठक, Shivam Kurmi Kurmi, Upendra Bhatt, Rajesh Thakur, R S Rajput, Pranshu Tripathi, Shubha Chandra Pradhan, Ashokk Jaiswal, Ashara Kiritbhai, Aaryan Kapur, Rapha Hasan, Ektekad Ali, Sunil Gangdhar, Yogesh Sharma

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शानदार VFX फिल्म को और भी मजेदार और आकर्षित बना देता है. हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई तेजा सज्जा की फिल्म ‘मिराई’...
17/09/2025

शानदार VFX फिल्म को और भी मजेदार और आकर्षित बना देता है. हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई तेजा सज्जा की फिल्म ‘मिराई’ को उसके वीएफएक्स के लिए भी खूब सराहना मिल रही है. ऐसे में हम आपके लिए 7 शानदार VFX फिल्में लेकर आए हैं. इनमें से 5 फिल्में आप बिल्कुल फ्री में देख सकते हैं.

अरुंधति (2009)
साल 2009 में आई इस हॉरर-एक्शन फिल्म को आप यूट्यूब पर बिल्कुल फ्री में देख सकते हैं. फिल्म एक ऐसी लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे बाद में पता लगता है कि अतीत में उसके परिवार के साथ बहुत बुरा हुआ था, जिसका वो बदला लेती है.

तुंबाड (2018)
यह एक कमाल की हॉरर फिल्म है. पूरी फिल्म में बारिश का सीन शामिल है. फिल्म की कहानी एक ऐसे आदमी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक खतरनाक राक्षस से खजाना प्राप्त करता है. इस फिल्म को हाल ही में री-रिलीज किया था. इसे आप अमेजन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं.

अखंडा (2021)
साउथ स्टार नंदमुरी बालकृष्ण की ये फिल्म आपको जियो हॉटस्टार और यूट्यूब पर मिल जाएगी. फिल्म की कहानी एक ऐसे आदमी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता है.

कार्तिकेय 2 (2022)
इसे आप यूट्यूब पर बिल्कुल फ्री में देख सकते हैं.इस फिल्म की कहानी लाजवाब है. फिल्म में एक डॉक्टर भगवान कृष्ण के बारे में एक छिपे हुए सत्य का खुलासा करता है.

ब्रह्मास्त्र पार्ट वन: शिवा (2022)
यह एक सुपरहीरो फिल्म है, जिसमें रणबीर कपूर और आलिया भट्ट लीड रोल में हैं. फिल्म की कहानी ब्रह्मास्त्र को पाने की है. इसे आप जियो हॉटस्टार पर फ्री में देख सकते हैं

कांतारा (2022)
साल 2022 में आई इस कन्नड़ एक्शन-थ्रिलर फिल्म को दर्शकों ने भरपूर प्यार दिया. फिल्म की कहानी प्रकृति और मानव के समन्वय को बतलाती है. इसे आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं.

स्मिता पाटिल, एक ऐसी अभिनेत्री जिन्होंने 1970 और 80 के दशक में भारतीय सिनेमा की भाषा को फिर से परिभाषित किया, उनका वर्णन...
17/09/2025

स्मिता पाटिल, एक ऐसी अभिनेत्री जिन्होंने 1970 और 80 के दशक में भारतीय सिनेमा की भाषा को फिर से परिभाषित किया, उनका वर्णन कैसे किया जाए? 1955 में पुणे में जन्मी, वह एक ऐसे परिवार में पली-बढ़ीं, जहाँ मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य थे, जिसने उनकी भूमिकाओं के चयन को गहराई से प्रभावित किया. स्मिता ने श्याम बेनेगल की फिल्म 'चरणदास चोर' (1975) से अपने करियर की शुरुआत की और जल्दी ही भारत के 'समानांतर सिनेमा' (parallel cinema) आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक बन गईं. अपनी स्वाभाविक सुंदरता और दमदार अभिनय के लिए जानी जाने वाली, उन्होंने उन महिलाओं को आवाज़ दी जो उत्पीड़न, पहचान और सामाजिक वास्तविकताओं से जूझ रही थीं. 'मंथन' (1976), 'भूमिका' (1977), और 'आक्रोश' (1980) जैसी फिल्मों ने उन्हें एक ऐसी दुर्लभ कलाकार के रूप में स्थापित किया, जो अपने किरदारों में सच्ची प्रामाणिकता ला सकती थीं.
लेकिन स्मिता पाटिल सिर्फ कला-सिनेमा तक ही सीमित नहीं थीं; उन्होंने 'नमक हलाल' (1982), 'शक्ति' (1982), और 'अर्थ' (1982) जैसी मुख्यधारा की फिल्मों में काम करके अपने करियर में संतुलन बनाए रखा. व्यावसायिक ग्लैमर और समानांतर सिनेमा के बीच तालमेल बिठाने की उनकी क्षमता ने उन्हें अपने समकालीनों के बीच अद्वितीय बना दिया. श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित 'भूमिका' में, उन्होंने भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित प्रदर्शनों में से एक दिया, जिसमें एक महिला के प्यार, शोषण और स्वतंत्रता के संघर्षों को दर्शाया गया था. उन्होंने 'चक्र' (1981) और 'मंडी' (1983) में भी अविस्मरणीय प्रदर्शन दिए. आलोचकों ने अक्सर सिनेमा में महिलाओं की रूढ़िवादिता को चुनौती देने वाली भूमिकाएं चुनने के लिए उनकी प्रशंसा की, जिससे वह नारीवाद और सामाजिक परिवर्तन की एक आवाज़ बन गईं. उन्हें 'भूमिका' के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और वह अपने पीछे सार्थक सिनेमा का खजाना छोड़ गईं.
हालांकि, उनका व्यक्तिगत जीवन उथल-पुथल भरा था. स्मिता पाटिल का अभिनेता राज बब्बर के साथ रिश्ता उस समय काफी चर्चा और आलोचना का विषय था, क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा थे. इसके बावजूद, उन्होंने अपनी शर्तों पर जीवन जीने का फैसला किया. दुखद रूप से, 1986 में 31 वर्ष की कम उम्र में ही उनका निधन हो गया, जब उनके बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म देने के कुछ ही दिनों बाद प्रसव संबंधी जटिलताओं के कारण उनका देहांत हो गया. उनकी असामयिक मृत्यु ने देश को स्तब्ध कर दिया और भारतीय सिनेमा ने अपनी सबसे महान प्रतिभाओं में से एक को खो दिया. अपने छोटे से करियर में भी, स्मिता पाटिल ने एक ऐसी विरासत बनाई है जो अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं को प्रेरित करती रहती है. वह शालीनता, साहस और कलात्मकता का एक शाश्वत प्रतीक बनी हुई हैं - एक ऐसी महिला जिसने सिनेमा को केवल मनोरंजन के रूप में नहीं, बल्कि सच्चाई के एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया.

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो सिर्फ देखी नहीं जातीं, वो जी जाती हैं. मेरे लिए 'Tears of the Sun' ऐसा ही एक अनुभव है. मैंने...
17/09/2025

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो सिर्फ देखी नहीं जातीं, वो जी जाती हैं. मेरे लिए 'Tears of the Sun' ऐसा ही एक अनुभव है. मैंने इसे पहली बार 2005 में देखा था, और आज अचानक से इसका नाम याद आ गया. एक दोस्त को इसे सिफारिश करते हुए मुझे लगा, 'क्यों न दोबारा देखूं?' और दूसरी बार देखने पर इसका असर और भी गहरा महसूस हुआ. यह फिल्म नाइजीरिया में चल रहे खूनी संघर्ष की पृष्ठभूमि पर आधारित है. नेवी सील अधिकारी लेफ्टिनेंट वाटर्स (ब्रूस विलिस) को एक मिशन मिलता है - अमेरिकी डॉक्टर लीना (मोनिका बेलुची) को सुरक्षित बाहर निकालना. लेकिन समस्या यह है कि लीना अकेले आने को तैयार नहीं है. वह इस शर्त पर अड़ी है कि गाँव वाले भी उनके साथ आएं. और यहीं से शुरू होती है कर्तव्य बनाम इंसानियत की यात्रा. जंगल से होते हुए, मौत और ज़िंदगी की जंग लड़ते हुए, वे आगे बढ़ते रहते हैं. रास्ते में गोलियों की बौछार, दुश्मन का पीछा, और मन को झकझोर देने वाली खामोशी का सामना करना पड़ता है. कहानी में मोड़ तब आता है जब पता चलता है कि गाँव वालों में राजा का बेटा भी शामिल है, जो अपने वंश का आखिरी वारिस है. अब मिशन सिर्फ लोगों की जान बचाना नहीं, बल्कि एक वंश के चिराग को ज़िंदा रखना भी है. इस फिल्म की असली ताकत इसके भावनात्मक पलों में है. जब सैनिक और गाँव वाले एक-दूसरे के लिए अपने डर और दर्द से लड़ते हैं, तब दर्शक के रूप में हम भी उनकी यात्रा का हिस्सा बन जाते हैं. और अंत में, जब वे थककर, घायल होकर, लेकिन ज़िंदा, सुरक्षित सरहद पार करते हैं, तो वह पल सीधे दिल को छू जाता है. ब्रूस विलिस ने अपनी भूमिका इतनी ईमानदारी से निभाई है कि उनकी हर मेहनत में सच्चाई महसूस होती है. मोनिका बेलुची का किरदार मानवता की आवाज़ बनकर सामने आता है. निर्देशन भी बहुत ही शानदार, स्थिर है, जिसमें न तो कोई हड़बड़ी है, न ही कोई जबरदस्ती. हॉलीवुड में ऐसे बचाव मिशन पर आधारित कई फिल्में हैं, लेकिन यह उनमें से अलग है. IMDb पर इसकी रेटिंग 6.6 होने के बावजूद, यह फिल्म आपको अंत तक बांधे रखती है. मैंने तो कई साइट्स चेक करके फिर एक साइट से इसे डाउनलोड करके देखा, लेकिन आपके लिए यह Amazon Prime पर उपलब्ध है (Netflix पर नहीं). इसे एक बार ज़रूर देखें, यह फिल्म पैसा वसूल है.

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