09/07/2025
दावथ
प्रखंड के परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए संत दर्शन और यज्ञ की महत्व को समझाया। जो माया से दूर रहता है। जिसे संसार की हर वस्तु सामान्य दिखाई पड़ता है। जिसमें अपने पराए का भेदभाव नहीं होता है। वही संत है। कभी-कभी लोग संत को भी दुनिया की माया से ग्रसित समझते हैं। लेकिन संत किसी से भेदभाव नहीं करते हैं। स्वामी जी ने कहा कि कुछ लोग ऐतिहासिक पौराणिक महत्व को नहीं मानते हैं। आप यज्ञ को दूसरे तरीके से भी समझ सकते हैं। आज जब-जब चुनाव होता है तो नेता जनता से कहते हैं कि हम आपके लिए रोजगार की व्यवस्था करेंगे। जहां पर भी यज्ञ होता है। वहां पर भी तो रोजगार की व्यवस्था होती है। जहां पर हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। दुकानदार, टेंट वाले, माइक वाले, लाइट वाले, गाड़ी वाले, खाना बनाने वाले एवं अन्य कई प्रकार के रोजगार का सृजन होता है। जिससे कितने लोगों के रोजगार की व्यवस्था की जाती है। यदि आप कुछ भी नहीं मानते हैं तो भी रोजगार सृजन को तो आप जरूर मानते होंगे। यज्ञ का महत्व केवल इतना ही नहीं है। बल्कि जहां पर यज्ञ होता है वहां हजारों लाखों की संख्या में लोग ज्ञान, शिक्षा व समाज में रहने की जीवन शैली भी सिखाते हैं। जिससे मानव जीवन का कल्याण होता है।