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जयगुरूदेव नाम प्रभु का🙏 जयगुरुदेव🙏↪️गुरु नानक ने कई बार अपने उत्तराधिकारी के लिए अपने पुत्रो और शिष्यों की गुरु-भक्ति की...
10/09/2025

जयगुरूदेव नाम प्रभु का
🙏 जयगुरुदेव🙏

↪️गुरु नानक ने कई बार अपने उत्तराधिकारी के लिए अपने पुत्रो और शिष्यों की गुरु-भक्ति की परीक्षा ली। नानक जी के डेरे की एक दीवार गिर गई। एक बार रात्रि में तेज बारिश हुई तो गुरु जब पानी बन्द हुआ तो अपने बेटों और सेवकों को बुलाकर कहा कि इस दीवार को अभी बनाओ ।

आदेश तो आदेश था। बेटों ने कहा कि पिता जी रात में दीवार नहीं बन पायेगी, सुबह राज मजदूर बुलाकर दीवार बनवा देंगे। शिष्यों ने भी यही बात दोहराई कि बारिश धीमी धीमी हो रही है अभी बनाना ठीक न होगा और अंधेरा भी है। एक शिष्य जिसका नाम लहणा था (जो बाद में अंगददेव के नाम से विख्यात हुआ) वो जाकर फावड़ा, टोकरी, करनी ले आया और उसने दीवार बनानी शुरू कर दी ।

दीवार सुबह तक जब बनकर तैयार हुई तो नानक जी ने देखा और कहा कि यह टेढ़ी बन गई है इसे गिराकर दूसरी बनाओ ।

लहणा ने दीवार गिरा दी और नये सिरे से दीवार बनाना शुरू कर दिया। बनने पर नानक जी ने देखा और बोले कि ठीक नहीं बनी है, नाप-जोख कर बिल्कुल सीधी दनाओ। लहणा ने फिर दीवार गिरा दी और बनाने लगा । उसे तनिक भी आलस, क्रोध कुछ भी नहीं आया। वह जब बनाने लगा तो अन्य शिष्यों ने कहा कि तुम क्यों बार-बार गिराकर दीवार बनाते हो ? इस पर लहणा ने जवाब दिया कि सेवक को तो सेवा करनी है दीवार बने या न बने
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🙏🏻जयगुरुदेव🙏🏻स्वामी जी ने कहा.....संगत में कोई दूध का धोया नही है गुनाह सबने किये है।चाहे वे छोटे हो या बड़े।अगर माफी न म...
09/09/2025

🙏🏻जयगुरुदेव🙏🏻
स्वामी जी ने कहा.....
संगत में कोई दूध का धोया नही है गुनाह सबने किये है।चाहे वे छोटे हो या बड़े।अगर माफी न मिले तो जीवात्मा कभी नही उठ सकती, कभी होश में नही आ सकती। भजन करो और घाट पर बैठकर दो आँसू रोज गिराओ। जो दीन हो जाते है मालिक उन पर दयालु हो जाता है एक बात याद रखना कि यह मनुष्य जीवन अनमोल है इसकी क़द्र करना।

🙏जयगुरुदेव🙏*सुखों की परछाई*एक रानी अपने गले का हीरों का हार निकाल कर खूंटी पर टांगने वाली ही थी कि एक बाज आया और झपटा मा...
09/09/2025

🙏जयगुरुदेव🙏

*सुखों की परछाई*

एक रानी अपने गले का हीरों का हार निकाल कर खूंटी पर टांगने वाली ही थी कि एक बाज आया और झपटा मारकर हार ले उड़ा

चमकते हीरे देखकर बाज ने सोचा कि खाने की कोई चीज हो वह एक पेड़ पर जा बैठा और खाने की कोशिश करने लगा

हीरे तो कठोर होते हैं उसने चोंच मारा तो दर्द से कराह उठा उसे समझ में आ गया कि यह उसके काम की चीज नहीं वह हार को उसी पेड़ पर लटकता छोड़ उड़ गया

रानी को वह हार प्राणों सा प्यारा था. उसने राजा से कह दिया कि हार का तुरंत पता लगवाइए वरना वह खाना-पीना छोड़ देगी. राजा ने कहा कि दूसरा हार बनवा देगा लेकिन उसने जिद पकड़ ली कि उसे वही हार चाहिए

सब ढूंढने लगे पर किसी को हार मिला ही नहीं रानी तो कोप भवन में चली गई थी. हारकर राजा ने यहां तक कह दिया कि जो भी वह हार खोज निकालेगा उसे वह आधे राज्य का अधिकारी बना देगा

अब तो होड़ लग गई. राजा के अधिकारी और प्रजा सब आधे राज्य के लालच में हार ढूंढने लगे

अचानक वह हार किसी को एक गंदे नाले में दिखा हार दिखाई दे रहा था, पर उसमें से बदबू आ रही थी लेकिन राज्य के लोभ में एक सिपाही कूद गया

बहुत हाथ-पांव मारा, पर हार नहीं मिला फिर सेनापति ने देखा और वह भी कूद गया दोनों को देख कुछ उत्साही प्रजा जन भी कूद गए फिर मंत्री कूदा

इस तरह जितने नाले से बाहर थे उससे ज्यादा नाले के भीतर खड़े उसका मंथन कर रहे थे लोग आते रहे और कूदते रहे लेकिन हार मिला किसी को नहीं

जैसे ही कोई नाले में कूदता वह हार दिखना बंद हो जाता थककर वह बाहर आकर दूसरी तरफ खड़ा हो जाता

आधे राज्य का लालच ऐसा कि बड़े-बड़े ज्ञानी, राजा के प्रधानमंत्री सब कूदने को तैयार बैठे थे. सब लड़ रहे थे कि पहले मैं नाले में कूदूंगा तो पहले मैं अजीब सी होड़ थी

इतने में राजा को खबर लगी. राजा को भय हुआ कि आधा राज्य हाथ से निकल जाए, क्यों न मैं ही कूद जाऊं उसमें ? राजा भी कूद गया

एक संत गुजरे उधर से उन्होंने राजा, प्रजा, मंत्री, सिपाही सबको कीचड़ में सना देखा तो चकित हुए वह पूछ बैठे- क्या इस राज्य में नाले में कूदने की कोई परंपरा है ? लोगों ने सारी बात कह सुनाई

संत हंसने लगे, भाई ! किसी ने ऊपर भी देखा ? ऊपर देखो, वह टहनी पर लटका हुआ है. नीचे जो तुम देख रहे हो, वह तो उसकी परछाई है. राजा बड़ा शर्मिंदा हुआ हम सब भी उस राज्य के लोगों की तरह बर्ताव कर रहे हैं. हम जिस सांसारिक चीज में सुख-शांति और आनंद देखते हैं दरअसल वह उसी हार की तरह है जो क्षणिक सुखों के रूप में परछाई की तरह दिखाई देता है

हम भ्रम में रहते हैं कि यदि अमुक चीज मिल जाए तो जीवन बदल जाए, सब अच्छा हो जाएगा. लेकिन यह सिलसिला तो अंतहीन है

सांसारिक चीजें संपूर्ण सुख दे ही नहीं सकतीं. सुख शांति हीरों का हार तो है लेकिन वह परमात्मा में लीन होने से मिलेगा. बाकी तो सब उसकी परछाई

*जयगुरुदेव........*

🙏जयगुरुदेव🙏देश में बाबा जी के करोड़ों प्रेमी हैं। ऐसे ही भीड़ नहीं हर स्थान पर होती है कोई बात तो जरूर है। इतिहास में एक...
07/09/2025

🙏जयगुरुदेव🙏
देश में बाबा जी के करोड़ों प्रेमी हैं। ऐसे ही भीड़ नहीं हर स्थान पर होती है कोई बात तो जरूर है। इतिहास में एक डाकू बाल्मीकि का नाम है जो महात्मा के संपर्क में आने पर साधू हो गए। बाबा जी के यहां दर्जनों बाल्मीकि पड़े हुए हैं जिन्हें आज कोई गाली भी दे दे तो हंसकर चुप हो जाते हैं।
यह मृत्युलोक संसार अपना देश नहीं है, पराया है। यहाँ न कोई रहा न कोई रह सकता है न कोई रहेगा। तुम इस पराये देश के मोह ममता में फंस गए इसलिए इसको छोड़ना नहीं चाहते हो। पर तुम चाहो न चाहो समय पूरा होगा वो सब कुछ तुमसे रखवा लेगा और तुम्हें निकाल बाहर करेगा। यह शरीर यहां पड़ा रहेगा।
भाग्य से अवसर मिला है तो अपनी जीवात्मा के लिए कुछ कर लो। सत्संग वचनों को ध्यान से सुनो और गुनो। रास्ता मिल जाए तो भजन में लग जाओ, उस प्रभु से दया की भीख मांगो। उसी को कहते हैं भक्ति। भक्ति कोई गाना बजाना नहीं, कोई छापा तिलक नहीं, कोई नीला पीला लाल कपड़ा नहीं, दाढ़ी बाल नहीं। भक्ति तो वो है जो तुम्हारे कर्मो के पर्दे में छुप गई हैं कर्मो के बादल फटेंगे तो उसको तुम पकड़ लोगे। उसमें प्रकाश है, उसमें आनन्द है, उसमें ठण्डक है। उल्टा कुवां गगन में। इसको कोई बिरला पंक्षी पीता है।
अपनी साधना के लिए सब सामान तैयार करो, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को दूर करो। इसकी जगह शील, क्षमा, सन्तोष, विरह, विवेक को खड़ा करो तब ये कमजोर पड़ जायेंगे। शील क्षमा, विरह विवेक में बरतो फिर साधन में बैठो तो अन्दर से जोर लगता है तब ये पर्दे हटते हैं। सारी जीवात्मायें इसी धार पर टिकी हुई हैं। यह सिमट जाय तो सब कुछ सिमट जायेगा।
यह इतनी तेजस्वी धार है जब हम साधना करते हैं और इस धार से जुड़ते हैं तब हमें ये पता लगता है कि हमने जो-जो कर्म किए वो कैसे सूक्ष्म कर्म बने, कारण कर्म बने, संचित कर्म बने प्रारब्ध कर्म बने। इसलिए तो कृष्ण ने कहा कि अर्जुन कर्मो का इतना गहन विषय है- उसे कोई नहीं समझ सकता। जब साधक गुरू भक्ति करता है और साधना में चलता है तब उसे कर्मो की गहन गति समझ में आती है। गुरू भक्ति के बिना नहीं इसलिए कहा है कि नित गुरू भक्ति कमाय।
यह असली चीज है। इसे तुम लोग नहीं समझ पाते हो कि गुरू भक्ति किसको कहते हैं। इसलिए कहा जाता है कि सत्संग के एक एक वचनों को बड़ी बारीकी से सुनो और बारीकी से गुनो और पकड़ लो।
🙏जयगुरुदेव🙏

07/09/2025
जय गुरूदेव संगत भजन घर मनोरपूर पकडी छपरा मे 72, घंटा का साधना शिविर समापन एवं माननीय महाराज जी के आदेश मे पूर्णिमा तिथि ...
07/09/2025

जय गुरूदेव संगत भजन घर मनोरपूर पकडी छपरा मे 72, घंटा का साधना शिविर समापन एवं माननीय महाराज जी के आदेश मे पूर्णिमा तिथि के अवसर पर सत्संग कार्यक्रम में उपस्थित होकार साधना शिविर में आने और साधना पर विशेष लाभ के विषय में प्रेमी जन कोप्रांतीय वक्ता दिनेश सिंह और भगवान दास के द्वारा बात कोसमझने के बाद भोजन प्रसाद ग्रहण kraya गया जय गुरूदेव संगत भजन घर मनोरपूर पकडी सारण

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06/09/2025

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जयगुरूदेव नाम प्रभु काडिस्क्रप्शन एक सेवक ने अपने गुरू को अरदास की, जी मैं सत्सँग भी सुनता हूँ, सेवा भी करता हूँ, मग़र फि...
06/09/2025

जयगुरूदेव नाम प्रभु का
डिस्क्रप्शन
एक सेवक ने अपने गुरू को अरदास की, जी मैं सत्सँग भी सुनता हूँ, सेवा भी करता हूँ, मग़र फिर भी मुझे कोई फल नहीं मिला
सतगुरु ने प्यार से पूछा, बेटा तुम्हे क्या चाहिए ?
सेवक बोला
मैं तो बहुत ही ग़रीब हूँ दाता 👏👏
सतगुरु ने हँस कर पूछा, बेटा तुम्हें कितने पैसों की ज़रूरत है ?

सेवक ने अर्ज की, सच्चे पातशाह, बस इतना बख्श दो, कि सिर पर छत हो, समाज में पत हो 🙏

गुरु ने पूछा और ज़्यादा की भूख तो नहीं है बेटा ?

सेवक हाथ जोड़ के बोला नहीं जी, बस इतना ही बहुत है ।

गुरु ने उसे चार मोमबत्तियां दीं और कहा मोमबत्ती जला के पूरब दिशा में जाओ, जहाँ ये बुझ जाये, वहाँ खुदाई करके खूब सारा धन निकाल लेना

अगर कोई इच्छा बाकी हो तो दूसरी मोमबत्ती जला कर पश्चिम में जाना

और चाहिए तो उत्तर दिशा में जाना,

लेकिन सावधान, दक्षिण दिशा में कभी मत जाना, वर्ना बहुत भारी मुसीबत में फँस जाओगे ।
सेवक बहुत खुश हो कर चल पड़ा
जहाँ मोमबत्ती बुझ गई, वहाँ खोदा, तो सोने का भरा हुआ घड़ा मिला
बहुत खुश हुआ और सतगुरु का शुक्राना करने लगा

थोड़ी देर बाद, सोचा, थोड़ा और धन माल मिल जाये, फिर आराम से घर जा कर ऐश करूँगा
मोमबत्ती जलाई पश्चिम की ओर चल पड़ा हीरे मोती मिल गये ।
खुशी बहुत बढ़ गई, मग़र मन की भूख भी बढ़ गई ।

तीसरी मोमबत्ती जलाई और उत्तर दिशा में चला वहाँ से भी बेशुमार धन मिल गया।

सोचने लगा के चौथी मोमबत्ती और दक्षिण दिशा के लिये गुरू ने मना किया था,
सोचा, शायद वहाँ से भी क़ोई अनमोल चीज़ मिलेगी ।

मोमबत्ती जलाई और चला दक्षिण दिशा की ओर, जैसे ही मोमबत्ती बुझी वो जल्दी से ख़ुदाई करने लगा

खुदाई की तो एक दरवाजा दिखाई दिया, दरवाजा खोल के अंदर चला गया

अंदर इक और दरवाजा दिखाई दिया उसे खोल के अन्दर चला गया।

अँधेरे कमरे में उसने देखा, एक आदमी चक्की चला रहा है 😳😳😳😳
सेवक ने पूछा भाई तुम कौन हो ?
चक्की चलाने वाला बहुत खुश हो कर बोला, ओह ! आप आ गये ?
यह कह कर उसने वो चक्की गुरू के सेवक के आगे कर दी
सेवक कुछ समझ नहीं पाया,

सेवक चक्की चलाने लगा,

सेवक ने पूछा भाई तुम कहाँ जा रहे हो ?
अपनी चक्की सम्भालो,

आदमी ने केहा,
मैने भी अपने सतगुरु का हुक्म नहीं माना था, और लालच के मारे यहाँ फँस गया था, बहुत रोया, गिड़गिड़ाया, तब मेरे सतगुरु ने मुझे दर्शन दिये और कहा था, बेटा जब कोई तुमसे भी बड़ा लालची यहाँ आयेगा, तभी तुम्हारी जान छूटेगी
आज तुमने भी अपने गुरु की हुक्म अदूली की है, अब भुगतो 😡

सेवक बहुत शर्मसार हुआ और रोते रोते चक्की चलाने लगा

वो आज भी इंतज़ार कर रहा है, कि कोई उससे भी बड़ा लालची, पैसे का भूखा आयेगा, तभी उसकी मुक्ति होगी 😭😭😭😭

हमेशा सतगुरु की रज़ा में राज़ी रहना चाहिए, सतगुरू को सब कुछ पता है, कि उनके बच्चों को, कब और क्या चाहिए 👏

जितना भी सतगुरु ने हमें बख्शा है, हमारी औकात से भी ज़्यादा है, बस अब सब्र करो और प्रेम से भजन करो 👏🌹🙏👏
कल तो क्या एक पल का भी भरोसा नहीं है जी, आज मौका है, कुछ कर लो, नहीं तो बहुत पछताओगे, लेकिन कुछ नहीं होगा
*यही घड़ी, यही वेला साधो, यही घड़ी, यही वेल्ला, लाख खरच, फिर हाथ ना आवे, माणस जनम दुहेला, साधो, यही घड़ी, यही वेल्ला*

*इस सन्देश को पढ़ कर यदि हम दस मिनट भी सिमरन पर बैठ गये, तो हमारी सेवा सफल होगी
जी*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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Jaygurudev mere Malik          #ध्यान  #जयगुरूदेव
05/09/2025

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