17/07/2025
🙏🌹 जय गुरुदेव 🌹🙏
🌹खोजि पकड़ बैठे रहो , प्रभु मिलेंगे आय।🌹
🌹अजया गज मस्तक चढ़े , निर्भय कोंपल खाय॥🌹
👉बहुत सारी भेड़ बकरियाँ जंगल में चरने गयीं , उनमें से एक बकरी चरते - चरते एक झाड़ी में उलझ गयी । उसको उसमें से निकलने में बहुत देर लग गई और शाम हो गई , तब तक अन्य भेड़ - बकरियाँ अपने घर पहुँच गईं ।अब वह बकरी घूमते घूमते एक सरोवर के किनारे पहुँची , वहाँ किनारे की गीली ज़मीन पर सिंह का एक चरण चिह्न बना हुआ था। वह उस चरण चिह्न के शरण होकर उसके पास बैठ गयी। रात में जंगली सियार , भेड़िया , बाघ आदि जंगली जानवर उसे खाने के इरादे से उसके पास में आए तो वह बकरी बोली , " पहले देख लेना कि मैं किसकी शरण में हूँ ; तब मुझे खाना।" उन जानवरों ने चिह्न को देख कर कहा, " अरे , यह तो सिंह के चरण - चिह्न के शरण में है, जल्दी भागो यहाँ से , सिंह आ गया तो हम सबको मार डालेगा।" सभी जंगली जानवर भयभीत होकर भाग गए। अन्त में जिसका चरण-चिह्न था , वह सिंह स्वयं वहाँ आया और बकरी से बोला, " तू जंगल में यहाँ अकेली कैसे बैठी है ? " बकरी ने कहा, " यह चरण-चिह्न देख लेना, फिर बात करना, जिसका यह चरण-चिह्न है, मैं उसी के शरण में बैठी हुई हूँ। "
👉सिंह ने गौर से देखा और सोचा कि अरे ! यह तो मेरा ही चरण - चिह्न है यानी यह मेरे ही शरण में है , लिहाजा शरणागत रूप से इसकी हिफ़ाज़त करना मेरा फ़र्ज़ है और सिंह ने बकरी को आश्वासन दिया कि अब तुम डरो मत , निर्भय होकर रहो ।रात में जब हाथी पानी पीने के लिए आया तो सिंह ने हाथी से कहा, " तू इस बकरी को अपनी पीठ पर बिठा ले, इसको रोज़ जंगल में घास चरा कर लाया कर और हरदम अपनी पीठ पर ही रखा कर, नहीं तो तू जानता है कि मैं कौन हूँ ? तुम्हें मार डालूँगा। " सिंह की बात सुन कर हाथी थर-थर काँपने लगा, और अपनी सूँढ़ से झट उठा कर बकरी को अपनी पीठ पर चढ़ा लिया। अब वह बकरी निर्भय होकर हाथी की पीठ पर बैठे-बैठे ही वृक्षों की ऊपर की हरी ताजी मुलायम कोंपलें खाकर मस्त रहती थी।ऐसे ही मनुष्य जब सतगुरु की शरण-ग्रहण कर, उनके चरणों का सहारा ले लेता है तो वह समस्त विघ्न - बाधाओं से निर्भय हो जाता है। उसका कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता है।
🌹जो जाको शरणो गहै, वाको ताकी लाज।🌹
🌹उलटे जल मछली चले,बह्यो जात गजराज॥🌹
🙏हाथ जोड़कर विनय हमारी हो जाएं सब शाकाहारी 🙏
🙏आप सभी को सादर प्रणाम एवं जय गुरुदेव 🙏
#अध्यात्म #आध्यात्मिक #भजन #भक्ति #सदगुरु #जयगुरूदेव #संत #वचन #सुरत #शब्द #योग #आत्मा #रूह #रूहानी #मन