20/03/2025
नई दुनिया यानी अमेरिका महाद्वीप के मूलनिवासियों ने पुरानी दुनिया को आलू, मक्का, कद्दू, सूरजमुखी, अनन्नास, वनीला के अलावा "तंबाकू" भी दिया.
अमेरिकी मूलनिवासी सभ्यता में तंबाकू ज़हर नही औषधि थी. तंबाकू निकोटियाना प्रजाति की वनस्पति है जिसका उत्पादन 8,000 साल पहले मेसोअमेरिका इलाकों में शुरू हुआ.
स्थानीय निवासी इसका उपयोग धूप, उपचार, जादू टोना, दर्द निवारक दवाओं के रूप में, जैसे दांतों के इलाज में भी तंबाकू का उपयोग किया जाता था.
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एज़्टेक, माया और इंका सभ्यताओं में तंबाकू धार्मिक अनुष्ठानों के अलावा धूम्रपान के लिए भी इस्तेमाल की वस्तु था.
15वीं शताब्दी में यूरोपीय साम्राज्यवाद की घुसपैठ के बाद तंबाकू का पौधा स्पेन पहुंचा, इसके बाद 1586 में इंग्लैंड और 1560 में फ्रांस. यूरोपीय ज़मींदारों और व्यापारियों ने तंबाकू की खेती बड़े पैमाने पर शुरू की. 1600 सदी में अफ्रीका महाद्वीप, अरब, भारतीय महाद्वीप और चीन जापान तक धीरे धीरे फैल गया.
अकबर को तोहफे में पहली बार मिला तंबाकू मिला जो एक चांदी के छोटे से डिब्बे में पाइप में था. पाइप में सुलगते हुए तंबाकू का कस्त मारते हुए अकबर ने कहा बड़ा नशीला पदार्थ है.
मुग़ल साम्राज्य में तंबाकू बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने लगा. मुग़ल बादशाहों ने तंबाकू पर भारी लगान लगाया. मुग़ल ख़ज़ाने में तंबाकू व्यापार से हर दिन 5,000 रुपए लगान आता था.
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यूरोपीय ज़मींदारों ने तंबाकू की जन्नी, अमेरिका में बड़े पैमाने पर तंबाकू की खेती शुरू की, अफ्रीका के गुलाम तंबाकू के पत्ते तोड़ते और यूरोप के कुलीन तंबाकू का धुआं उड़ाते. इंग्लैंड और फ्रांस में तंबाकू उद्योगपतियों के नाम सड़को और महलों के नाम रखे गए. काश कोई तंबाकू के पत्ते तोड़ने वाले गुलामों के नाम भी भी कोई सड़क कर देता.
स्कॉटलैंड के ग्लॉसकोव शहर की विशाल यूनिवर्सिटी स्कॉटिश तंबाकू व्यापारी के अनुदान राशि पर बनी है. यूरोप के बाद अब अमेरिका के कुलीन भी तंबाकू के व्यापार से अमीर बनने के लिए अतुर थे. सिगरेट और सिगार के आविष्कार के बाद अमेरिका में Taste The Smoke नाम से प्रचार प्रसार चला.
ओटोमन साम्राज्य ने तंबाकू उत्पादों पर पाबंदी लगा दी, चीनी साम्राज्य ने भी तंबाकू पर पाबंदी लागई. लेकिन ब्रिटिश राज में दक्षिण भारत के तटीय इलाकों में तंबाकू की खेती जोरो पर होने लगी.
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धूम्रपान अब महामारी की शक्ल अख्तियार कर चुका था. जिसकी चपेट में भारत का गरीब तबका भी आ गया जिन्हें तेंदू के पत्ते में तंबाकू भर कर बीड़ी की लत लगा दी गयी. 20वीं सदी की शुरुआत में तंबाकू को सुरती बनाकर बेचा जाने लगा जो आम आदमी के लिए नशा बन गया.
1920 - 1940 के बीच तंबाकू सेवन से फेफड़ों का कैंसर होने का प्रमाण मिलने लगा, लेकिन तंबाकू की ताकतवर लॉबी के आगे सरकारें ने घुटने टेक दिए.
1957 में BRITISH MEDICAL RESERACH COUNCIL ने नए ठोस प्रमाण और तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट पेश की धूम्रपान का सीधा संबंध फेफड़ों के कैंसर से है.
सिगरेट बॉक्स और तंबाकू उत्पादों पर केवल कैंसर होने के खतरों का उल्लेख करने का नियम बना. आज भी तंबाकू सेवन और धूम्रपान एक महामारी है.
पूरी दुनिया में हर साल 80,00,000 लाख लोग धूम्रपान से होने वाले कैंसर से मारे जाते हैं. नई दुनिया तंबाकू जो उनके लिए औषधि था, पूरानी दुनिया ने अपने लिए ज़हर बना लिया.