Hindu Stories-Hindi

Hindu Stories-Hindi हमारा Page हिंदू भक्ति कहानियों, भक्ति या भगवान की कहानी, आलोकिक कहानी के बारे में है

20/07/2025

राजगुरु भावदेव को भगवान का आदेश मिला — सूरज उगने से पहले मनोहर दास को लाओ!
मंदिर में हड़कंप मच गया... हर कोने में एक ही आवाज़ — “मनोहर दास कहाँ हैं?”

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19/07/2025

मनोहर दास दूर पर्वतों से भगवान के लिए पुष्प लाए थे — लेकिन पुजारियों ने उसे गंदा कहकर बाहर फेंक दिया।
क्या सच्ची भक्ति को भी अब अमीर offerings की तरह तौला जाएगा?

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19/07/2025

पुरी मंदिर के राजगुरु को आधी रात में भगवान जगन्नाथ का आदेश मिला — “मेरा भक्त मनोहर मंदिर के बाहर पड़ा है, उसे ढूंढो वरना सूरज नहीं उगेगा!”
देखिए इस दिव्य कथा की शुरुआत, जहाँ भगवान खुद अपने भक्त के सम्मान की रक्षा के लिए आगे आए।

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शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल जो अभिषेक के बाद बहकर जाता है, वह मात्र जल नहीं – नवग्रहों के कष्टों का अंत है।उसे तीन स्थानों पर...
18/07/2025

शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल जो अभिषेक के बाद बहकर जाता है, वह मात्र जल नहीं – नवग्रहों के कष्टों का अंत है।
उसे तीन स्थानों पर लगाने से ग्रह कभी पीड़ा नहीं देंगे:

नेत्रों पर – जिससे दृष्टि पवित्र और तेजस्वी बने।

कंठ पर – जिससे वाणी मधुर और प्रभावशाली हो।

मसिस्क (ललाट) पर – जिससे चित्त शांत और बुद्धि निर्मल हो।

हर सोमवार इस नियम को अपनाएं,
शिव स्वयं आपकी रक्षा करेंगे।

❗ सड़े फूल भगवान को क्यों पसंद आए? 📽️ Watch Now: [https://youtu.be/Cn7KGu_V6xA]एक बूढ़ा साधु... सड़ी हुई भेंट... और भगवा...
17/07/2025

❗ सड़े फूल भगवान को क्यों पसंद आए? 📽️ Watch Now: [https://youtu.be/Cn7KGu_V6xA]
एक बूढ़ा साधु... सड़ी हुई भेंट... और भगवान जगन्नाथ का स्वप्न में प्रकट होकर मंदिर को हिला देना!
क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान सिर्फ सोने-चाँदी की नहीं, भाव की भक्ति को क्यों प्राथमिकता देते हैं?

💔 जिस भक्ति को पुजारियों ने ठुकराया,
🙏 उसी भक्ति को भगवान ने अपनाया।

🌸 देखिए ये अद्भुत और सच्ची कथा — जब भगवान ने अपने सबसे प्रिय भक्त के लिए मंदिर के नियम तोड़ दिए!
और जानिए ‘पद्म बेश’ की परंपरा की शुरुआत कैसे हुई…

17/07/2025

"शिव ने माना अन्न का महत्व… और मिला पार्वती का क्षमा!"
अंत में शिव को हुआ बोध — कि माया, अन्न और प्रेम ही जीवन का आधार हैं। माँ अन्नपूर्णा ने उन्हें माफ़ किया और भूखी सृष्टि को फिर से जीवनदान मिला। यह भाग है सीख और आत्मबोध का।

शिव मंदिर में तीन बार ताली क्यों बजाई जाती हैपहली ताली – शिव को उपस्थिति बताने के लिए बजाई जाती है।दूसरी ताली – हम अगर श...
17/07/2025

शिव मंदिर में तीन बार ताली क्यों बजाई जाती है
पहली ताली – शिव को उपस्थिति बताने के लिए बजाई जाती है।
दूसरी ताली – हम अगर शंकरजी से कुछ ना मांगें तो भी शिव हमारे घर में भंडार भरें।
तीसरी ताली – शिव की शरणागति प्राप्त करने के लिए।

पुरी की रथयात्रा केवल उत्सव नहीं, एक दिव्य लीला है — जहाँ राजा झाड़ू उठाता है, और भगवान योद्धा बन जाते हैं।एक राजा का अप...
16/07/2025

पुरी की रथयात्रा केवल उत्सव नहीं, एक दिव्य लीला है — जहाँ राजा झाड़ू उठाता है, और भगवान योद्धा बन जाते हैं।
एक राजा का अपमान… एक अंगूठी की रहस्यमयी चमक… और फिर युद्धभूमि में उतरते खुद भगवान जगन्नाथ! Watch on Youtube https://youtu.be/gI7dRcPY9_Y

16/07/2025

"शिव ने मांगी भिक्षा... और पहुंचे माँ अन्नपूर्णा के द्वार!"
क्या आपने सोचा है कि भगवान शिव कभी दर-दर भिक्षा मांगते घूमे होंगे? इस भाग में देखिए, कैसे शिव और उनके गण भूख से बेहाल होकर माँ अन्नपूर्णा की खोज में निकलते हैं।

15/07/2025

भगवान को याद करने की हर क्रिया है महत्वपूर्ण

1. स्नान करते समय भगवान को याद किया तो,
वह तीर्थ स्नान कहलाएगा।

2. भोजन करते समय भगवान को याद किया तो,
वह प्रसाद बन जाएगा।

3. चलते समय भगवान को याद किया तो,
वह तीर्थ यात्रा बन जाएगी।

4. खाना बनाते समय यदि भगवान को याद किया
तो वह महाप्रसाद बन जाएगा।

5. सोते समय भगवान को याद किया तो,
वह ध्यान निद्रा कहलाएगी।

6. काम करते समय भगवान को याद किया
तो वह कर्मयोग बन जाएगा।

7. घर में भगवान को याद किया तो,
वह घर मंदिर बन जाएगा।

15/07/2025

"जब पार्वती बनीं माँ अन्नपूर्णा... और शुरू हुई चमत्कारी रसोई!"


काशी नगरी में अवतरित हुईं माँ अन्नपूर्णा! भोजन से तड़पती पृथ्वी को मिला पुनर्जीवन। जानिए कैसे माँ ने हर भूखे को भरपेट भोजन देने का संकल्प लिया।

Watch on youtube https://youtu.be/gI7dRcPY9_Yपुरी की रथयात्रा केवल उत्सव नहीं, एक दिव्य लीला है — जहाँ राजा झाड़ू उठाता ...
14/07/2025

Watch on youtube https://youtu.be/gI7dRcPY9_Y
पुरी की रथयात्रा केवल उत्सव नहीं, एक दिव्य लीला है — जहाँ राजा झाड़ू उठाता है, और भगवान योद्धा बन जाते हैं।
एक राजा का अपमान… एक अंगूठी की रहस्यमयी चमक… और फिर युद्धभूमि में उतरते खुद भगवान जगन्नाथ!

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