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Bachpan_with               's_amazing_friends
31/05/2024

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27/05/2024
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हरे कृष्णा मित्रो ! नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥(द्वितीय अध्याय, श्ल...
08/04/2024

हरे कृष्णा मित्रो !

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23) इस श्लोक का अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।)

The meaning of this Geeta shloka: Neither can the soul cut off its weapon, nor can the fire burn it. Neither water can soak it, nor air can dry it. (Here Lord Krishna has spoken of the soul as being immortal and eternal.)

श्री कृष्णा की अमृतभरी वाणी के लिए बने रहिये हमारे ब्लॉग्स में, ऐसे ही अमृत भरे श्लोक पढ़ने के लिये हमे फॉलो करे: हम जल्दी ही अमृतभरा नेक्स्ट स्लोक ब्लॉग लेकर आएंगे! हरे कृष्ण हरे राम

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हरे कृष्णा मित्रो ! यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥(तृतीय अध्याय, श्लोक 21) इस ...
08/04/2024

हरे कृष्णा मित्रो !

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

(तृतीय अध्याय, श्लोक 21) इस श्लोक का अर्थ है: श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य (आम इंसान) भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह (श्रेष्ठ पुरुष) जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।

The meaning of this Geeta shloka is: The superior man who conducts, whatever he does, the other human beings (ordinary human) also do the same behavior, the same thing. He (the superior man) who presents the proof or example, all human communities start following him.

श्री कृष्णा की अमृतभरी वाणी के लिए बने रहिये हमारे ब्लॉग्स में, ऐसे ही अमृत भरे श्लोक पढ़ने के लिये हमे फॉलो करे: हम जल्दी ही अमृतभरा नेक्स्ट स्लोक ब्लॉग लेकर आएंगे! हरे कृष्ण हरे राम

हरे कृष्णा! श्रीमद्भगवदगीता - गीता श्लोक अर्थ सहित!परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि ...
07/04/2024

हरे कृष्णा! श्रीमद्भगवदगीता - गीता श्लोक अर्थ सहित!

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 8) इस श्लोक का अर्थ है: सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।

हम अब इसी तरह से आने वाले शार्ट ब्लोग्स मै अपने आराधय श्री कृष्णा के द्वारा कही गयी अनमोल वाणी को प्रस्तुत करेंगे !

ऐसे ही अमृत भरे श्लोक पढ़ने के लिये हमे फॉलो करे: https://gauravlive.com/geeta-shlok/

अगर हमसे कोई त्रुटि हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा कर दीजिएगा! अपने सुझाव हमारे साथ कमैंट्स में साझा कीजिये!

हरे कृष्णा!

हरे कृष्णा! श्रीमद्भगवदगीता - गीता श्लोक अर्थ सहित!यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृ...
07/04/2024

हरे कृष्णा! श्रीमद्भगवदगीता - गीता श्लोक अर्थ सहित!

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7) इस श्लोक का अर्थ है: हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म ग्लानि यानी उसका लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयम् की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं।

हम अब इसी तरह से आने वाले शार्ट ब्लोग्स मै अपने आराधय श्री कृष्णा के द्वारा कही गयी अनमोल वाणी को प्रस्तुत करेंगे !

ऐसे ही अमृत भरे श्लोक पढ़ने के लिये हमे फॉलो करे: https://gauravlive.com/geeta-shlok/

अगर हमसे कोई त्रुटि हुई हो तो उसके लिए हमे क्षमा कर दीजिएगा! अपने सुझाव हमारे साथ कमैंट्स में साझा कीजिये!

हरे कृष्णा!

हरे कृष्णा मित्रो ! हम अब इसी तरह से आने वाले शार्ट ब्लोग्स मै अपने आराधय श्री कृष्णा के द्वारा कही गयी अनमोल वाणी को प्...
07/04/2024

हरे कृष्णा मित्रो ! हम अब इसी तरह से आने वाले शार्ट ब्लोग्स मै अपने आराधय श्री कृष्णा के द्वारा कही गयी अनमोल वाणी को प्रस्तुत करेंगे ! आज से हम अपना भगवद गीता का सफर शुरू करते हैं........

महाभारत युद्ध के आरंभ होने से पहले, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया, वह "श्रीमद्भगवदगीता" के नाम से प्रसिद्ध है। महाभारत के युद्ध के समय, जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं, तब श्रीकृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं और कर्म और धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं। इन उपदेशों को "भगवद गीता" नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। यहाँ हम कुछ प्रसिद्ध भगवद गीता श्लोक और उनके अर्थ को शामिल करना चाहते हैं। गीता में अर्जुन और उनके मार्गदर्शक, कृष्ण, के बीच एक वार्तालाप की कथा संरचित है। पांडवों और कौरवों के बीच धर्म युद्ध की शुरुआत में, अर्जुन हिंसा के बारे में नैतिक दुविधा और निराशा से भर जाता है और युद्ध अपने स्वयं के रिश्तेदारों के खिलाफ संघर्ष का कारण होता है। अर्जुन आश्चर्य करता है कि क्या उसे त्यागना चाहिए और कृष्ण के वकील की तलाश करनी चाहिए, जिनके जवाब और प्रवचन भगवद गीता का गठन करते हैं। कृष्ण ने अर्जुन को "निस्वार्थ कर्म" के माध्यम से धर्म का पालन करने के लिए अपने कर्तव्य का हवाला दिया। इस संवाद में आध्यात्मिक विषयों पर ध्यान केंद्रित है, जो युद्ध की स्थिति के परे होते हैं और कृष्ण को मानव इतिहास के प्रेरणास्रोत के रूप में प्रथम वक्ता कहा जाता है।

यहाँ हम कुछ प्रसिद्ध भागवत गीता श्लोक और हिंदी में उनका अर्थ शामिल करना चाहते हैं। गीता की कथा में, अर्जुन और कृष्ण के बीच एक वार्तालाप संरचित है। यह वार्ता पांडवों और कौरवों के बीच धर्म युद्ध की शुरुआत में होती है, जब अर्जुन को हिंसा के बारे में नैतिक दुविधा और निराशा महसूस होती है, और वह अपने रिश्तेदारों के खिलाफ युद्ध करने का विचार करता है। अर्जुन आश्चर्य करता है कि क्या उसे युद्ध करना चाहिए या नहीं, जिस पर कृष्ण उन्हें "निस्वार्थ कर्म" के माध्यम से धर्म का पालन करने के लिए उनके कर्तव्य का हवाला देते हैं। गीता का यह संवाद आध्यात्मिक विषयों पर ध्यान केंद्रित है, जो युद्ध की स्थिति के परे होते हैं और मानव इतिहास के प्रेरणास्त्रोत के रूप में कृष्ण को प्रथम वक्ता कहा जाता है।

19/06/2023

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