15/09/2025
1. पृष्ठभूमि
तारीख़: 28 मई 2008
घटना: नेपाल राजशाही से बदलकर गणतांत्रिक देश बना।
समस्या:
2008 से अब तक राजनीतिक अस्थिरता लगातार बनी रही।
भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और नौकरशाही की जड़ता से जनता नाराज़ रही।
युवा वर्ग (खासतौर पर जेन ज़ी) सोशल मीडिया से बहुत प्रभावित और सक्रिय है।
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2. विरोध की चिंगारी – सोशल मीडिया बैन
तारीख़: 4 सितंबर 2025
जगह: काठमांडू (सरकार का आदेश, पूरे नेपाल में लागू)
घटना: प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आदेश दिया कि नेपाल में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Facebook, Instagram, WhatsApp, Twitter/X, YouTube आदि) पर प्रतिबंध लगे।
कारण:
सरकार का आरोप → सोशल मीडिया कंपनियां नेपाल के कानूनों का पालन नहीं कर रही थीं।
सरकार का बचाव → "फेक न्यूज और असामाजिक गतिविधियों को रोकने के लिए"।
प्रभाव:
लगभग 55% नेपाली (1.6 करोड़+ लोग) इंटरनेट से जुड़े हैं।
इनमें से 50% लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय थे।
अचानक सिर्फ Viber और TikTok बचे।
आम लोगों को कम्युनिकेशन और जानकारी पाने में भारी दिक़्क़त हुई।
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3. पहला विरोध – जेन ज़ी की एंट्री
तारीख़: 8 सितंबर 2025
जगह: काठमांडू, संसद और सिंहदरबार (मंत्रालय परिसर) के बाहर
कौन:
ज़्यादातर 14 से 28 साल उम्र के जेन ज़ी प्रदर्शनकारी
नारों और प्लेकार्ड्स पर लिखा था:
"भ्रष्टाचार खत्म करो"
"सोशल मीडिया नहीं, भ्रष्टाचार पर प्रतिबंध लगाओ"
कैसे:
शुरुआत शांतिपूर्ण प्रदर्शन से हुई।
बाद में कुछ लोग संसद और मंत्रालय की दीवारों पर चढ़ गए।
सरकारी प्रतिक्रिया:
पुलिस ने आंसू गैस, रबर बुलेट और गोलियां चलाईं।
कई प्रदर्शनकारी घायल और कुछ की मौत हो गई।
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4. विरोध का विस्तार और हिंसा
तारीख़: 9 सितंबर 2025
जगह: पूरे नेपाल में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन
घटना:
पुलिस गोलीबारी में 19 लोगों की मौत हुई।
आक्रोश भड़क गया और प्रदर्शन देशभर में फैल गए।
कई ऐतिहासिक और आधुनिक इमारतों को आग लगा दी गई (काठमांडू की प्रमुख इमारतें भी नष्ट हुईं)।
प्रदर्शनकारियों ने दिग्गज नेताओं के घरों पर हमला किया और आगजनी की।
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5. भ्रष्टाचार और घोटाले – विरोध के असली कारण
हाल के घोटाले:
1. पतंजलि योगपीठ नेपाल भूमि अधिग्रहण मामला – इसमें पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल और कई बड़े नेता शामिल पाए गए।
2. गिरिबंधु चाय बागान भूमि गबन मामला – इसमें केपी शर्मा ओली और उनके सहयोगियों पर आरोप लगे।
3. फ़र्ज़ी भूटानी शरणार्थी तस्करी घोटाला –
इसमें दो पूर्व मंत्री (तोप बहादुर रायमाझी और बाल कृष्ण खंड) व एक दर्जन नौकरशाह जेल गए।
पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की पत्नी आरज़ू राणा देउबा का ऑडियो भी सामने आया।
जनता का गुस्सा:
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (2024) ने नेपाल को 180 देशों में 107वां सबसे भ्रष्ट देश बताया।
युवाओं को लगा → असली समस्या भ्रष्टाचार है, सोशल मीडिया नहीं।
6. सरकार की स्थिति और इस्तीफ़ा
तारीख़: 10–11 सितंबर 2025
घटना:
विरोध पूरे देश में फैल गया।
ओली सरकार प्रदर्शनकारियों को “निहित स्वार्थी समूहों द्वारा हाईजैक” बताने लगी।
भारी दबाव और हिंसा में मारे गए लोगों की वजह से प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा।
7. विरोध की राजनीति और पीछे की ताक़तें
राजशाही समर्थक आंदोलन:
मार्च 2025 में राजा ज्ञानेंद्र के समर्थन में बड़े विरोध हुए थे।
इसमें राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) और व्यवसायी दुर्गा प्रसैन शामिल थे।
जेन ज़ी के पीछे:
काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह (अपने तीखे सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मशहूर) ने भी अप्रत्यक्ष समर्थन दिया।
"नेपो किड्स" कैंपेन पहले से चल रहा था → इसमें राजनेताओं के बच्चों पर भाई-भतीजावाद के आरोप लगे।
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8. आर्थिक असर
पहले अनुमान: 2025 में नेपाल की अर्थव्यवस्था 4% से अधिक बढ़ने की उम्मीद थी (ADB रिपोर्ट)।
अब:
राजनीतिक उथल-पुथल, पर्यटन को भारी नुकसान।
निवेशक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रवासी नेपाली (भारत, खाड़ी देश, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया) से भेजे गए पैसे ही अर्थव्यवस्था को संभाल रहे हैं।
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निष्कर्ष
नेपाल में सितंबर 2025 के विरोध प्रदर्शन सिर्फ़ सोशल मीडिया बैन की वजह से शुरू हुए, लेकिन असली वजहें थीं:
1. भ्रष्टाचार और घोटाले
2. भाई-भतीजावाद (नेपो किड्स)
3. युवा वर्ग की बेरोज़गारी और विदेश पलायन
4. राजनीतिक अस्थिरता और सरकार की कठोर नीतियां
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