GokulDham Foundation

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खामोशी..... इतिहास लिखने वालों ने इतिहास शायद इसलिए लिखा होगा ताकि भविष्य में लोग इस चीज से सीख लें लेकिन यहां अभी भी नफ...
15/05/2025

खामोशी..... इतिहास लिखने वालों ने इतिहास शायद इसलिए लिखा होगा ताकि भविष्य में लोग इस चीज से सीख लें लेकिन यहां अभी भी नफरत की वजह से लोग एक दूसरे को नीचा दिखाने में दूसरे को नीचे गिराने में लगे हुए हैं नफरत ने लोगों को इस तरीके से बना दिया है कि वह एक दूसरे को देख भी नहीं सकते।
(तस्वीर पहलगाम से आई है)

श्री प्रेमानंद महाराज जी
15/05/2025

श्री प्रेमानंद महाराज जी

राहगीर
14/05/2025

राहगीर

12/05/2025
ये छोटा सा बच्चा सिर्फ़ कक्षा 2 में पढ़ता है, लेकिन सोच और ज़िम्मेदारी बड़ों से कहीं बड़ी है।सरकारी स्कूल में पढ़ाई के ब...
11/05/2025

ये छोटा सा बच्चा सिर्फ़ कक्षा 2 में पढ़ता है, लेकिन सोच और ज़िम्मेदारी बड़ों से कहीं बड़ी है।सरकारी स्कूल में पढ़ाई के बाद अपनी माँ के साथ रोड किनारे बेल की दुकान लगाता है।इस उम्र में जहाँ बच्चे खेलते हैं, ये अपनी माँ का हाथ बंटा रहा है।इसकी मेहनत, लगन और समझदारी को दिल से सलाम है। ऐसे बच्चों से हमें सीखना चाहिए कि ज़िम्मेदारी उम्र नहीं, जज़्बा माँगती है।🙏🏻🙏🏻

#मेहनतकीमिसाल #ज़िम्मेदारीकीउम्र_नहींहोती #दिलसेसलाम #आशाकीपाठशाला

कई लोग आज भी फूटपाथ पर सोते हैं, बच्चों का बचपन भूख में बीतता है, और सपने सिर्फ पेट भरने तक सिमटे होते हैं। ये वही लोग ह...
09/05/2025

कई लोग आज भी फूटपाथ पर सोते हैं, बच्चों का बचपन भूख में बीतता है, और सपने सिर्फ पेट भरने तक सिमटे होते हैं। ये वही लोग हैं जिनकी मेहनत से हमारे शहर चलते हैं, पर खुद के लिए दो वक्त की रोटी भी मुश्किल है। अगर आपकी ज़िंदगी में आराम है, तो किसी एक ज़रूरतमंद की मदद करिए — आपकी छोटी सी मदद किसी की पूरी दुनिया बदल सकती है।

      जब किसी परिवार में किसी प्रियजन का निधन होता है, तो आमतौर पर परंपरा के नाम पर भारी-भरकम मृत्यु भोज आयोजित किया जात...
08/05/2025


जब किसी परिवार में किसी प्रियजन का निधन होता है, तो आमतौर पर परंपरा के नाम पर भारी-भरकम मृत्यु भोज आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों रुपये खर्च होते हैं। लेकिन ऐसे समय में भी कुछ लोग अपनी सोच और कर्म से समाज को नई दिशा देने का काम करते हैं।

ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है, जहां एक बेटे ने अपनी मां की मृत्यु के बाद मृत्यु भोज न करने का फैसला लिया। उन्होंने दिखाया कि सच्ची श्रद्धांजलि सिर्फ रस्मों में नहीं, बल्कि सेवा और मानवता में होती है।

इस बेटे ने मां की याद में समाज के उन चेहरों की ओर देखा जिन्हें सच में मदद की ज़रूरत थी। उन्होंने 25 गरीब कन्याओं के नाम बैंक में 5-5 हजार रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कराई। यह न केवल आर्थिक सहायता है, बल्कि उन बच्चियों के भविष्य की नींव रखने जैसा काम है।

यह कदम समाज के लिए एक गहरा संदेश है कि धार्मिक या पारंपरिक रस्मों से कहीं अधिक जरूरी है कि हम अपने संसाधनों का उपयोग उन लोगों के लिए करें जिन्हें वास्तव में मदद की ज़रूरत है। यह कार्य न केवल मानवता का प्रतीक है, बल्कि एक जागरूक समाज निर्माण की दिशा में भी मजबूत कदम है।

ऐसे बेटे को दिल से सलाम।
उनकी मां के प्रति यह श्रद्धांजलि न केवल पवित्र है, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श भी है।

इंसानियत की यही मिसाल अगर हर घर से मिले, तो समाज अपने आप बदल जाएगा।

06/05/2025

कोई भूखा न सोए। आइए खाना, शिक्षा और प्यार बांटे।

शुभ रात्रि 🙏
05/05/2025

शुभ रात्रि 🙏

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