08/05/2025
जब किसी परिवार में किसी प्रियजन का निधन होता है, तो आमतौर पर परंपरा के नाम पर भारी-भरकम मृत्यु भोज आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों रुपये खर्च होते हैं। लेकिन ऐसे समय में भी कुछ लोग अपनी सोच और कर्म से समाज को नई दिशा देने का काम करते हैं।
ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है, जहां एक बेटे ने अपनी मां की मृत्यु के बाद मृत्यु भोज न करने का फैसला लिया। उन्होंने दिखाया कि सच्ची श्रद्धांजलि सिर्फ रस्मों में नहीं, बल्कि सेवा और मानवता में होती है।
इस बेटे ने मां की याद में समाज के उन चेहरों की ओर देखा जिन्हें सच में मदद की ज़रूरत थी। उन्होंने 25 गरीब कन्याओं के नाम बैंक में 5-5 हजार रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कराई। यह न केवल आर्थिक सहायता है, बल्कि उन बच्चियों के भविष्य की नींव रखने जैसा काम है।
यह कदम समाज के लिए एक गहरा संदेश है कि धार्मिक या पारंपरिक रस्मों से कहीं अधिक जरूरी है कि हम अपने संसाधनों का उपयोग उन लोगों के लिए करें जिन्हें वास्तव में मदद की ज़रूरत है। यह कार्य न केवल मानवता का प्रतीक है, बल्कि एक जागरूक समाज निर्माण की दिशा में भी मजबूत कदम है।
ऐसे बेटे को दिल से सलाम।
उनकी मां के प्रति यह श्रद्धांजलि न केवल पवित्र है, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श भी है।
इंसानियत की यही मिसाल अगर हर घर से मिले, तो समाज अपने आप बदल जाएगा।