देसी कहानी

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उसकी सुंदरता के पीछे कौन होता है…एक विवाहित स्त्री जो आपको आकर्षक और सुंदर लगती है — वो सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता की ...
11/07/2025

उसकी सुंदरता के पीछे कौन होता है…
एक विवाहित स्त्री जो आपको आकर्षक और सुंदर लगती है — वो सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता की वजह से नहीं, बल्कि उसके जीवन में मौजूद उस पुरुष के प्रेम, आदर और समर्पण की वजह से भी होती है।

कभी गौर कीजिए, वो स्त्री जो सजी-संवरी है, मुस्कुरा रही है, अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा तरो-ताज़ा लग रही है — उसके पीछे कोई ऐसा पुरुष होता है जिसने उसे "रानी" बनाकर रखा है। उसने सिर्फ उसे घर की जिम्मेदारी नहीं दी, बल्कि उस जिम्मेदारी के साथ उसकी आज़ादी, उसकी इच्छाएं, उसका आत्मसम्मान और उसका स्त्रीत्व भी संभाला है।

वो पुरुष शायद खुद अपने लिए बहुत कुछ ना करता हो। कई बार हफ्तों तक शेव न करना, अपने पुराने कपड़ों में संतुष्ट रहना, लेकिन त्योहारों पर पत्नी के लिए साड़ी, चूड़ियां, सिंदूर, या उसका मनपसंद गहना लेना नहीं भूलता। उसका प्रेम शब्दों में कम और कर्म में अधिक दिखता है।

ऐसे पुरुष अक्सर खुद को पीछे रखकर चाहते हैं कि जब उनकी पत्नी किसी समारोह में जाए, तो लोग उसे देखकर कहें — “वाह! कितनी सुंदर महिला है… कितनी ग्रेसफुल… उसकी किस्मत कितनी अच्छी है।” पर कोई नहीं जानता कि उस किस्मत को किसने संजोया है।

एक स्त्री कई लोगों के जीवन में क्षणिक आकर्षण बन सकती है — उसकी मुस्कान, उसकी आंखें, उसकी चाल कई दिलों को धड़कने पर मजबूर कर सकती हैं। लेकिन उसे अपने जीवन की “रानी” बनाकर रखने वाला, उसकी हर ख्वाहिश का ध्यान रखने वाला, उसकी भावनाओं को समझने वाला पुरुष ही असल मायनों में प्रेमी होता है।

कभी ध्यान से देखिए उन स्त्रियों को जिनके विवाह सफल नहीं रहे, या जिनके पति उन्हें छोड़कर चले गए — उनकी आंखों की उदासी, उनकी त्वचा की थकावट, उनके चेहरे की खोई चमक बहुत कुछ कह देती है। एक स्त्री का सौंदर्य, आत्मविश्वास और ऊर्जा तब ही पूरी होती है जब उसे किसी का साथ, किसी की परवाह, और सबसे बढ़कर, किसी का सम्मान मिलता है।

हर महिला, चाहे वो कितनी भी जिम्मेदार, सशक्त या आत्मनिर्भर हो — उसे भी यह महसूस करवाया जाना चाहिए कि वो सिर्फ एक गृहिणी नहीं, बल्कि इस घर की रानी है। उसकी भी अपनी पहचान है, अपनी इच्छाएं हैं। अगर वो पूरे परिवार की धुरी है, तो उसे भी केंद्र में रखकर स्नेह दिया जाना चाहिए।

याद रखिए — जब आप किसी शादीशुदा महिला के बारे में कहते हैं कि "उसे देखकर ये नहीं लगता कि वो शादीशुदा है या बच्चों की मां है", तो इसके पीछे उसका आत्मनियंत्रण, संयम और नियमित देखभाल तो है ही, पर उससे भी बढ़कर एक ऐसे पुरुष का भावनात्मक योगदान होता है जिसने उसे एक स्त्री बने रहने दिया है।

वो पुरुष जो अपने छोटे-छोटे त्यागों से, अपने गहरे स्नेह से, अपनी नज़र से नहीं बल्कि अपने व्यवहार से उसे खास महसूस करवाता है।

पिता के बाद, वही पति होता है जो एक स्त्री के लिए सच में सबसे अमीर होता है। #हिन्दीब्लॉग #हिंदीकहानी 😍 #दिलसे #देसीकहानी

मैं एक तलाकशुदा महिला हूं । मैं लगभग 7 साल पहले एक आदमी से ट्रेन में मिली थी, उस वक्त मेरी शादी नहीं हुई थी । एक साथ सफर...
11/07/2025

मैं एक तलाकशुदा महिला हूं । मैं लगभग 7 साल पहले एक आदमी से ट्रेन में मिली थी, उस वक्त मेरी शादी नहीं हुई थी । एक साथ सफर करते हुए हमने अपने नंबर आपस में शेयर कर लिए थे, जिसके बाद हमारी बातचीत होने लगी ।

हम नियमित रूप से कभी बात नहीं करते थे, इसलिए हमारे बीच प्यार का कोई सीन नहीं था । इसी बीच मेरा विवाह हो गया । शादी के शुरूआती दिन तो ठीक रहे, लेकिन उसके बाद मेरी शादीशुदा जिंदगी में परेशानियां शुरू हो गई, जिसके बाद मैंने तलाक लेना ही सही समझा

तलाक के बाद जिंदगी एक अजनबी मोड़ पर थी। रिश्तों से टूटी हुई मैं, खुद को समेटने की कोशिश कर रही थी। हर दिन एक नई चुनौती होती — समाज की बातें, अकेलेपन का दर्द, और खुद से लड़ाई।

इन्हीं दिनों अचानक वही ट्रेन वाला शख्स फिर से याद आया। यूं ही एक दिन पुराने चैट्स स्क्रॉल करते हुए उसका नंबर दिखा। ना चाहते हुए भी एक मैसेज कर दिया — "कैसे हो?"

कुछ ही मिनटों में जवाब आ गया — "बहुत साल बाद तुम्हारा मैसेज आया, सब ठीक तो है?"

बस... फिर से एक बातचीत की डोर जुड़ गई। अबकी बार वो बातचीत पहले जैसी हल्की नहीं थी। इस बार उसमें समझ थी, सहानुभूति थी, और एक गहराई थी।

हम दोनों अब पहले जैसे नहीं थे। समय ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया था। वो भी जीवन में कई उतार-चढ़ावों से गुज़र चुका था। पर अब जब हम बात करते थे, तो कोई अपेक्षा नहीं होती थी — सिर्फ सच्चे मन से की गई बातें होती थीं।

धीरे-धीरे हमारी बातचीत एक आदत बन गई। और ये आदत अब सुकून देने लगी थी।

शायद इसे ही दूसरा मौका कहते हैं। #देसीकहानी 😍 #हिन्दीब्लॉग #दिलसे #हिंदीकहानी

औकात" — एक ऑफिस ड्रामा की सच्ची तस्वीररूबी उस दिन आईने के सामने खड़ी खुद से कह रही थी –"देखना नेहा, मैं जल्द ही इस कंपनी...
11/07/2025

औकात" — एक ऑफिस ड्रामा की सच्ची तस्वीर
रूबी उस दिन आईने के सामने खड़ी खुद से कह रही थी –
"देखना नेहा, मैं जल्द ही इस कंपनी की मालकिन बनूंगी। फिर तुझे भी बड़ी पोस्ट दिलाऊंगी..."

वो यश की बाहों में खो चुकी थी — एक शादीशुदा आदमी जो उसे रोज़ ख्वाब दिखाता था,
"बस थोड़े दिन और... दीप्ति से तलाक होते ही, तू ही मेरी दुनिया होगी।"

नेहा, रूबी की सबसे करीबी दोस्त, बार-बार समझाती थी,
"रूबी, जिस इमारत की नींव ही झूठ पर हो, वो महल बनकर भी कभी टिकता नहीं..."
मगर रूबी अब मोह में अंधी हो चुकी थी।

लंचटाइम के दौरान, नेहा और सोहम साथ बैठे मुस्कुरा रहे थे। तभी रूबी आई — चेहरा गर्व से चमकता हुआ, चाल में मालिकाना अंदाज़।
सोहम ने मुस्कुराकर हल्के-फुल्के मज़ाक में एक टिप्पणी कर दी — और बस वही रूबी की ‘बेइज्जती’ लग गई।

उस दिन उसने कसम खाई —
"अब इस सोहम को मैं कंपनी से निकलवाकर रहूंगी। तब समझेगा मेरी हैसियत!"

और अगला दृश्य – इगो बनाम हक़ीकत का युद्ध
रूबी दौड़ती हुई यश के केबिन में गई,
"उसने मेरी बेइज्जती की है! उसे तुरंत निकालिए..."
यश तो जैसे उसके इशारों पर चलने वाला कठपुतली बन चुका था।

आदेश हुआ — "सोहम, आप ऑफिस छोड़ सकते हैं..."

लेकिन नियति को शायद अब असली खेल शुरू करना था।

तभी ऑफिस में आई दीप्ति — यश की पत्नी और कंपनी की असली मालकिन।

सोहम को जाते हुए देख पूछा —
"इतने ज़रूरी प्रोजेक्ट्स के बीच कहां जा रहे हो?"
सोहम ने सिर झुकाकर कहा —
"मैम, मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है..."

रूबी वहीं पास खड़ी थी — मुस्कुरा रही थी, जैसे कोई ट्रॉफी जीत ली हो।
नेहा की आंखों में आंसू थे — अपने होने वाले पति के साथ हुए इस अन्याय पर।

फिर दीप्ति ने दिखाई असली ताकत
पूरे स्टाफ के सामने दीप्ति ने ऊंची आवाज़ में कहा —
"यश, तुम्हारी ये कीप्स... चाहे जितनी रखो, मुझे फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर तुम्हारी इन कीप्स की वजह से कंपनी को नुकसान हुआ, तो बर्दाश्त नहीं करूंगी!"

"सोहम कहीं नहीं जाएगा। वो यहीं रहेगा — क्योंकि वो इस कंपनी की ज़रूरत है, तुम्हारी 'हसरत' नहीं!"

रूबी अवाक् खड़ी रह गई।
दीप्ति ने तीन बार "कीप" शब्द का इस्तेमाल किया — और यश के पास कोई जवाब नहीं था।

वो चुपचाप केबिन में चला गया।

और रूबी...?
वो बिना कुछ बोले, शर्म से, गुस्से से, बेइज्जती से,
दौड़ती हुई ऑफिस से बाहर निकल गई।
वो लौटकर कभी नहीं आई —
ना उस ऑफिस में,
ना यश की जिंदगी में।

क्योंकि यश के लिए वो महज एक "वक्ती खेल" थी।
और दीप्ति जानती थी कि वो उसकी असल जगह कभी नहीं ले सकती।

और नेहा–सोहम...?
दोनों साथ खड़े थे, हाथों में हाथ थामे —
सिर्फ़ प्यार नहीं था वहाँ,
बल्कि विश्वास, वफादारी और सम्मान था।

क्योंकि वो सपनों की इमारत,
किसी और के घर तोड़कर नहीं,
अपने रिश्तों को सहेजकर बना रहे थे।

💔 कहानी का सार:
कुछ रिश्ते छल से शुरू होते हैं, और घमंड में डूब जाते हैं।
पर असली ताकत वफादारी और सच्चाई में होती है, ना कि तात्कालिक जीत में।

1. गहराई और परिपक्वतावो किसी रिश्ते में सिर्फ 'मस्ती' या 'स्टेटस' के लिए नहीं होतीं। उनके साथ रिश्ते में एक गहराई होती ह...
11/07/2025

1. गहराई और परिपक्वता
वो किसी रिश्ते में सिर्फ 'मस्ती' या 'स्टेटस' के लिए नहीं होतीं। उनके साथ रिश्ते में एक गहराई होती है जो अक्सर कम उम्र के रिश्तों में मिसिंग होती है।

2. स्पष्टता और ईमानदारी
उन्हें पता होता है उन्हें क्या चाहिए। न ढीले वादे, न बेवजह की उम्मीदें — सब कुछ खुला और स्पष्ट।

3. आत्मनिर्भर और प्रेरणादायक
वो ज़िंदगी को अपनी शर्तों पर जी चुकी होती हैं। उनके अनुभव, संघर्ष और उपलब्धियाँ आपको नया नजरिया दे सकती हैं।

4. बेहतर इमोशनल इंटेलिजेंस
वे मूड स्विंग्स से नहीं, समझदारी से चलती हैं। उनके साथ आप खुलकर बात कर सकते हैं, बिना जज होने के डर के।

5. ज़िंदगी को जीने का सलीका
उनके साथ छोटी बातें भी बड़ी लगती हैं — एक कप चाय, एक मुस्कान, एक साथ बैठा सन्नाटा... सब कुछ खास बन जाता है।

6. कम अपेक्षाएं, ज्यादा अपनापन
वे आपको बदलना नहीं चाहतीं। बल्कि जैसा आप हैं, वैसे ही स्वीकार करती हैं।

7. रोमांस का परिपक्व रूप
वो रोमांस को सिर्फ फिजिकल नहीं, इमोशनल लेवल पर भी जीती हैं — यह रिश्ते को खूबसूरत बना देता है।

8. आर्थिक और मानसिक स्थिरता
कई बार वे आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र होती हैं, जिससे रिश्ते में बराबरी और सम्मान बना रहता है।

9. सेक्सुअल आत्मविश्वास
उन्हें अपने शरीर और इच्छाओं से कोई झिझक नहीं होती, जिससे एक हेल्दी, mature intimacy बनती है।

10. लाइफ को और बेहतर समझना
उनकी ज़िंदगी की कहानियाँ, उनकी परिपक्वता और सोच — सब मिलकर आपको भी मानसिक रूप से ग्रो करने का मौका देते हैं।

🔴 10 नुकसान जो सोचने लायक हैं
1. जीवन की प्राथमिकताओं में अंतर
आप करियर शुरू कर रहे हैं, वो शायद रिटायरमेंट की सोच रही हैं — यह गैप कभी-कभी खलता है।

2. सामाजिक दबाव और आलोचना
“तुम्हारी माँ जैसी दिखती है” — इस तरह के कमेंट रिश्ते को टॉक्सिक बना सकते हैं।

3. बच्चे की चाह में असहमति
यदि आप भविष्य में संतान की इच्छा रखते हैं, तो यह मुद्दा संवेदनशील हो सकता है।

4. अनुभव और नियंत्रण में अंतर
कभी-कभी वो अधिक निर्णायक या कंट्रोलिंग हो सकती हैं, जो युवा पार्टनर को असहज कर सकता है।

5. रोमांटिक रुचियों का टकराव
जहां आप एडवेंचर चाहते हैं, वो शांति। जहां आप नाइट आउट चाहें, वो सुबह की वॉक।

6. जेनरेशन गैप
चाहे वो म्यूज़िक हो, मेम्स, फैशन या फिल्में — रुचियों का अंतर आपसी जुड़ाव को प्रभावित कर सकता है।

7. रिश्ते का भविष्य अस्पष्ट होना
कुछ रिश्ते केवल अनुभव तक सीमित रह जाते हैं — उनका लंबी अवधि तक टिकना मुश्किल हो सकता है।

8. परिवार या दोस्तों की अस्वीकृति
माता-पिता या दोस्त आपके इस रिश्ते को सहजता से स्वीकार न करें — यह सामाजिक दूरी ला सकता है।

9. उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
समय के साथ स्वास्थ्य में फर्क आ सकता है, जो रिलेशनशिप डायनामिक्स को बदल सकता है।

10. असुरक्षा और comparison
आपकी उम्र के लोग क्या सोचेंगे? वो पहले से शादीशुदा रही हैं? ये सोच कभी-कभी आपकी आत्म-छवि पर असर डाल सकती है।

🎯 अंत में…
बड़ी उम्र की महिला से डेटिंग एक शानदार, लेकिन समझदारी से चलने वाला अनुभव है। अगर दोनों में स्पष्ट संवाद, सम्मान और पारस्परिक समझ है — तो उम्र कोई मायने नहीं रखती।

कभी वो आपकी प्रेमिका से ज़्यादा, आपकी गाइड, मित्र, या जीवन-गाथा की साथी बन सकती हैं।

10 कारण: क्यों आपको बड़ी उम्र की महिला को डेट ज़रूर करना चाहिए1. परिपक्वता और समझदारीबड़ी उम्र की महिलाओं में भावनात्मक ...
10/07/2025

10 कारण: क्यों आपको बड़ी उम्र की महिला को डेट ज़रूर करना चाहिए
1. परिपक्वता और समझदारी
बड़ी उम्र की महिलाओं में भावनात्मक परिपक्वता होती है। वे झगड़ों में उलझने की बजाय समाधान पर ध्यान देती हैं। उनके साथ रिश्ते अधिक स्थिर और सम्मानजनक होते हैं।

2. आत्मनिर्भर और कॉन्फ़िडेंट
उन्हें किसी की ज़रूरत नहीं होती — वे आपको चुनती हैं, ज़रूरत नहीं समझतीं। यह आत्मविश्वास रिश्ते को एक नए स्तर पर ले जाता है।

3. असली बात करती हैं, खेल नहीं
बड़ी उम्र की महिलाएं दिमागी खेल नहीं खेलतीं। वे सीधी बात करती हैं — क्या चाहती हैं, क्या नहीं — यह स्पष्ट होता है।

4. अनुभव का खज़ाना
चाहे जीवन हो, करियर हो, या सेक्स — उनके पास अनुभव होता है। और यह अनुभव रिश्ते को गहराई देता है।

5. बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स
वे बातों को दबाती नहीं, बल्कि सुलझाकर आगे बढ़ती हैं। इससे मनमुटाव की संभावना कम होती है।

6. सराहना करना जानती हैं
बड़ी उम्र की महिलाएं छोटी-छोटी बातों की भी कदर करती हैं। वो आपको वैसे देखती हैं, जैसे आप हैं — बिना बदलने की कोशिश किए।

7. कम ड्रामा, ज़्यादा रियलिटी
उनके जीवन में अब ड्रामे की जगह नहीं होती। वे साफ सोच रखती हैं और रिश्ते को ईमानदारी से निभाती हैं।

8. प्रेरणादायक होती हैं
कई बार वे खुद एक मुकाम पर पहुंच चुकी होती हैं — उनके संघर्ष, उपलब्धियाँ और नज़रिया आपको प्रेरित कर सकता है।

9. सेक्सुअल आत्मविश्वास और समझ
उनके साथ अंतरंगता एक नए स्तर की हो सकती है — खुलापन, कम शर्म और ज्यादा संवेदना।

10. समय की कदर करना जानती हैं
उन्हें पता होता है कि जीवन छोटा है, और हर पल को कैसे खूबसूरती से जिया जाए। उनके साथ समय बिताना हर बार कुछ नया सिखा जाता है।

प्यार उम्र नहीं देखता। बड़ी उम्र की महिला के साथ रिश्ता सिर्फ रोमांस नहीं, बल्कि दोस्ती, समझदारी और आत्मिक संतुलन का मेल हो सकता है।

रात्रि के तीसरे पहर में जब पूरा घर गहरी नींद में डूबा था, वह अब भी जाग रही थी।नीले सूती गाउन में लिपटी, बाल बिखरे हुए, व...
10/07/2025

रात्रि के तीसरे पहर में जब पूरा घर गहरी नींद में डूबा था, वह अब भी जाग रही थी।

नीले सूती गाउन में लिपटी, बाल बिखरे हुए, वो खिड़की के पास बैठी थी। हल्की बारिश हो रही थी और दूर आसमान में बिजलियाँ चमक रही थीं। कमरे की रौशनी बस उतनी थी जितनी उसके चेहरे पर फैली नमी को दिखा सके। कोई आँसू था, कोई याद, या शायद कोई चाहत… जो नींद से ज़्यादा ज़रूरी लग रही थी।

पीछे से आकर आदित्य ने धीरे से उसकी गर्दन पर होंठ रखे।
“अब भी नहीं सोई?” उसने पूछा।

वो मुस्कुराई, मगर कुछ नहीं कहा। बस सिर उसकी छाती से टिका दिया। उसके पास होने से हर सवाल छोटा लगने लगता था।

“याद है,” वो बोली, “शादी के बाद पहली बार जब तुम्हारे साथ सोई थी, तो मुझे डर लगा था… ये सोचकर कि क्या मैं तुम्हें पूरी तरह अपना सकूंगी।”

“और अब?” आदित्य ने पूछा।

“अब लगता है… जैसे मैं तुम्हारे बिना अधूरी हूँ।”

वो मुस्कराया और उसकी हथेलियों को अपने हाथ में ले लिया।

“तुम्हारे स्पर्श में सुकून है, आदित्य,” वो बुदबुदाई, “पर अब ये सिर्फ स्पर्श नहीं रहा… ये जुड़ाव है। ऐसा लगता है जैसे हर बार जब तुम मुझे छूते हो, मैं फिर से जी उठती हूँ।”

वो कुछ नहीं बोला। बस उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।

धीरे-धीरे वो दोनों बिस्तर पर लौटे। कोई जल्दबाज़ी नहीं थी, कोई दिखावा नहीं… बस सुकून भरे अहसास थे।

उसने उसकी आँखों में देखा।
“तुम हर बार मुझे फिर से चुनते हो, आदित्य… क्यों?”

“क्योंकि तुम्हें देखना, छूना, महसूस करना… मेरे लिए पूजा जैसा है। और तुम्हारा प्रेम… मेरी प्रार्थना।”

वो मुस्कराई, और फिर आदित्य की हथेलियों को अपने गालों से सटा लिया।
“मेरे शरीर को नहीं, मेरी आत्मा को चूमा करो… वहाँ ज़ख्म ज़्यादा हैं।”

आदित्य ने उसकी पलकों को चूमा।
“मैं तुम्हारे हर ज़ख्म को प्रेम से भर दूँगा।”

उस रात, उन्होंने एक-दूसरे को ऐसे प्रेम किया जैसे पहली बार हो — धीरे, ध्यान से, पूरे होश के साथ। जैसे हर इंच एक नई कविता हो, और हर साँस एक नया गीत।

उनकी दुनिया उस कमरे में सिमट आई थी।

और जब सब कुछ शांत हो गया… तब भी वो दूर नहीं हुए।

आदित्य ने उसे सीने से लगाया, बालों को सहलाया, माथे को चूमा।
“ये सिर्फ आनंद नहीं था,” उसने कहा, “ये तुम्हें पूरी तरह महसूस करने का तरीका था।”

वो मुस्कुराई — वो मुस्कान जो सिर्फ अपनेपन में खिलती है।

“मैं तुम्हारी हूँ…” उसने कहा।

“और मैं… सिर्फ तुम्हारा,” आदित्य ने जवाब दिया।

बाहर बारिश अब थम चुकी थी। लेकिन भीतर, एक प्रेम अब भी धीमे-धीमे बह रहा था — शांत, पवित्र, और पूर्ण। #देसीकहानी #हिन्दीब्लॉग #हिंदीकहानी #मार्मिककहानी 😍 #दिलसे

उस रात रिचा के मन में एक मीठी सी गुदगुदी उठी — क्या सचमुच वैवाहिक जीवन इतना आनंदित होता है? जब मन के किसी कोने से जवाब आ...
10/07/2025

उस रात रिचा के मन में एक मीठी सी गुदगुदी उठी — क्या सचमुच वैवाहिक जीवन इतना आनंदित होता है? जब मन के किसी कोने से जवाब आया, “इससे भी कहीं अधिक…”, तो वह हल्के से मुस्कुरा दी, जैसे अपने ही खयाल पर शरमा गई हो। कल्पनाओं में डूबती-उतराती रही कि जब दोनों हर दिन, हर पल एक साथ रहेंगे, तो कैसा होगा वह रोमांस, वह अपनापन। उसे लगा, शायद शुभम तो उसे एक पल भी अकेला नहीं छोड़ पाएगा।

पर जब असल ज़िंदगी शुरू हुई, तो वह कुछ और ही थी।

ऑफिस से लौटते ही शुभम हर रोज़ लॉबी में टाई ढीली करता, कोट और जूते-मोजे उतारता और सोफे पर पसर जाता। रिचा चुपचाप मोज़े जूतों में खोंसकर उन्हें रैक में रख देती, फिर कोट को संभालकर आलमारी में टांग देती। जब तक शुभम वॉशरूम से आकर दोबारा सोफे पर बैठता, वह चाय और स्नैक्स लेकर आ जाती। शुभम मोबाइल में डूबा रहता, फिर कप उठाता और चाय सुड़कने लगता। रिचा कुछ देर टेबल पर रखा दूसरा कप देखती रहती — शायद इस उम्मीद में कि वह कुछ बोले… कुछ पूछे… कुछ महसूस करे।

पर जैसे सब एक तयशुदा स्क्रिप्ट बन गया था — जिसमें भावनाओं के लिए कोई संवाद ही नहीं था।

किचन में बर्तन रखकर वह चुपचाप बेडरूम में आ गई, जहां आशु बेसुध सो रहा था, दुनिया और मां के मन की हलचलों से बेखबर। उसे बेटे का माथा चूमते हुए अचानक सवाल ने घेर लिया — क्या यही है ज़िंदगी? सुबह उठो, खाना बनाओ, टिफिन तैयार करो, ऑफिस जाओ, वापस आकर पति के कपड़े सम्हालो, चाय बनाओ, डिनर करो और फिर… खुद को सौंप दो, जैसे एक ज़िम्मेदारी पूरी कर रही हो।

क्या इसी को वैवाहिक जीवन कहते हैं?

क्या प्रेम, अपनापन, वो कोमल लम्हे — क्या सब सिर्फ फिल्मों और किताबों में होते हैं? या फिर शुरू के कुछ महीनों में?

रात को जब शुभम दैहिक सुख से संतुष्ट होकर बेसुध सोया पड़ा था, रिचा लॉबी की बालकनी में आ गई। आकाश में टिमटिमाते तारे उसे अपनी ही बिखरी उम्मीदों जैसे लगे। एक-एक तारा जैसे उसकी कल्पनाओं की कब्रगाह बन गया हो।

और तभी उसे याद आया — वो दिन जब सगाई के बाद दोनों किचन गार्डन में टहल रहे थे। हवा में हल्की सी ठंडक थी और शुभम ने उसके चेहरे पर झूलती लट को हटाते हुए कहा था —
"कभी दूर मत जाना... कोई छोटी बात भी हो जाए तो एक-दूसरे को मना लेंगे… वैसे मैं तुम्हें रूठने ही नहीं दूंगा… इतना प्यार दूंगा।"

रिचा की आंखों से एक बूंद छलक गई।

शायद सबसे गहरे जख्म वो होते हैं,
जो वादों की आवाज़ में दबे रह जाते हैं —
बिना किसी चीख-पुकार के,
हर रात थोड़े-थोड़े मरते हुए। #मार्मिककहानी #देसीकहानी #हिन्दीब्लॉग 😍 #हिंदीकहानी #दिलसे

❤️ प्रेमिका हमेशा धोखा क्यों देती है?"उसने कहा था – मैं कभी नहीं जाऊंगी…पर वो भी चली गई।जैसे बाकी सब जाते हैं…"कई बार जब...
10/07/2025

❤️ प्रेमिका हमेशा धोखा क्यों देती है?
"उसने कहा था – मैं कभी नहीं जाऊंगी…
पर वो भी चली गई।
जैसे बाकी सब जाते हैं…"

कई बार जब किसी रिश्ते का अंत होता है, तो सिर्फ रिश्ता नहीं टूटता… विश्वास, आत्म-सम्मान और प्यार पर से भरोसा भी टूट जाता है। और तब दिल एक ही सवाल करता है – "क्या सारी प्रेमिकाएं एक जैसी होती हैं?"

पर सच पूछो तो, प्रेमिकाएं हमेशा धोखा नहीं देतीं।
कभी हम उन्हें खो देते हैं,
कभी वो हमें छोड़ देती हैं,
और कभी वक़्त ही उन्हें हमसे दूर कर देता है।

💔 तो फिर ऐसा क्यों लगता है कि प्रेमिका ने धोखा दिया?
1. जब हम सिर्फ ‘सुनते’ हैं, पर ‘समझते’ नहीं
हर लड़की चाहती है कि उसका प्रेमी उसे सिर्फ प्यार नहीं करे, समझे भी। पर जब वो अपने मन की बात बार-बार कहती है और कोई सुनता नहीं — वो धीरे-धीरे खामोश हो जाती है… और यही खामोशी कभी-कभी दूरी में बदल जाती है।

2. जब रिश्ते में 'प्यार' कम और 'अधिकार' ज़्यादा हो जाए
अगर आप उस पर शक करते हैं, कंट्रोल करना चाहते हैं, उसकी आज़ादी में दखल देते हैं — तो वह खुद को कैद में महसूस करने लगती है। और कैद में कोई ज्यादा दिन टिकता नहीं।

3. कभी-कभी प्यार ही अधूरा होता है
कुछ लड़कियाँ सिर्फ साथ नहीं, सच्चा साथ चाहती हैं। जब उन्हें लगे कि जो रिश्ता है, वह बस नाम का है… तब वे आगे बढ़ जाती हैं।
यह धोखा नहीं, उनका खुद के लिए लिया गया फैसला होता है।

4. पुराना घाव या नया आकर्षण
कभी-कभी कोई अधूरा रिश्ता दिल में बाकी होता है, या फिर कोई नया इंसान उनकी जिंदगी में ऐसा आता है जो उन्हें पहले से बेहतर समझता है।
क्या ये धोखा है या खुद को खोजने की कोशिश?

🧠 रिश्ते दो लोगों की कहानी होते हैं
"गलतियाँ दोनों से होती हैं, पर दोष अक्सर उस पर आता है जो पहले छोड़ जाए।"

जब आप कहते हैं "उसने मुझे धोखा दिया" – क्या आपने कभी खुद से पूछा:

क्या आपने उसे सुना?

क्या आपने उसकी भावनाओं की कद्र की?

क्या आप उस रिश्ते को सिर्फ ‘पाना’ चाहते थे या ‘निभाना’ भी?

🪞 हर प्रेमिका एक जैसी नहीं होती…
कुछ लड़कियाँ तोड़ देती हैं, कुछ तोड़ जाती हैं, और कुछ टूट कर भी निभाती हैं।
आपका अनुभव जैसा भी रहा हो, उसे पूरे जेंडर पर थोपना न्याय नहीं है।

क्योंकि किसी और की गलती के लिए,
अगली "वो" को दोषी ठहराना – प्यार नहीं, प्रतिशोध होता है।

🧡 अंत में...
जिसने आपको छोड़ा, शायद वो आपके लिए बना ही नहीं था।
और जो सच में आपका होगा — वो आएगा, रुकेगा और निभाएगा।

इसलिए अपने टूटे हुए दिल को इतना मजबूत बनाइए,
कि अगली बार जब कोई आए…
आप उसे पुराने दर्द से नहीं, नए विश्वास से अपनाएँ।

"हर रिश्ता कोई गलती नहीं होता,
कभी-कभी वो बस एक सबक होता है…"

रिश्ते को हर दिन थोड़ा-थोड़ा संजोएँ। क्योंकि प्यार एक पौधा है, जो अगर रोज़ न सींचा जाए — तो सूखने लगता है। और जब सूख जाए...
10/07/2025

रिश्ते को हर दिन थोड़ा-थोड़ा संजोएँ। क्योंकि प्यार एक पौधा है, जो अगर रोज़ न सींचा जाए — तो सूखने लगता है। और जब सूख जाए, तब उसे सिर्फ पानी नहीं, बहुत सारा धैर्य और माफी चाहिए होती है। #हिन्दीब्लॉग 😍 #हिंदीकहानी #मार्मिककहानी #दिलसे #देसीकहानी

ना उसने नाम पूछा, ना दाम लिया… बस मेरी माँ बनने की राह आसान कर गया।शिवानी, 29 साल की एक शिक्षक, जिसने जीवन में बहुत कुछ ...
09/07/2025

ना उसने नाम पूछा, ना दाम लिया… बस मेरी माँ बनने की राह आसान कर गया।

शिवानी, 29 साल की एक शिक्षक, जिसने जीवन में बहुत कुछ सीखा — किताबों से, बच्चों से, और अंततः उस अजनबी से, जिसने कुछ नहीं कहा, फिर भी बहुत कुछ सिखा गया।

शादी को तीन साल हुए थे। पति राहुल एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर इंजीनियर थे और प्रोजेक्ट्स के चलते अक्सर शहर से बाहर रहते। शिवानी उस वक्त सातवें महीने की गर्भवती थी, जब डॉक्टर ने सलाह दी — अब बहुत ज्यादा चलना-फिरना ठीक नहीं। आराम जरूरी है। माँ-बाप पंजाब में रहते थे, और राहुल फिलहाल चेन्नई में। ऐसे में राहुल ने अपने छोटे भाई आरव से कहा कि वो शिवानी को स्टेशन तक छोड़ दे।

स्टेशन पहुँची शिवानी के पाँव सूज चुके थे। भारी बैग और मन में थोड़ी चिंता। ट्रेन दो घंटे लेट थी। आरव ने कहा — "भाभी, मैं जरा एक जरूरी मेल करके आता हूँ" — और फिर कभी वापस नहीं आया।

प्लेटफॉर्म की बेंच पर बैठी शिवानी को न प्यास बुझ रही थी, न दर्द कम हो रहा था। चेहरे पर थकान थी और मन में अकेलापन। तभी उसकी नजर एक बूढ़े कुली पर पड़ी — कमजोर, दुबला-पतला, पर चेहरे पर एक गज़ब की आत्मीयता। शिवानी ने इशारा किया। कुली ने कहा — "ठीक है बेटी, पंद्रह रुपये दे देना, बस शाम की रोटी हो जाएगी।"

शिवानी ने सिर हिलाया।

करीब डेढ़ घंटे बीते। ट्रेन का ऐलान हुआ। पर कुली कहीं नहीं दिखा। शिवानी की बेचैनी बढ़ती गई। आँखें हर ओर ढूंढ़ती रहीं — तभी दूर से वह आता दिखाई दिया। हांफता हुआ, पसीने में भीगा, पर हाथ में वही गमछा और आँखों में वही करुणा।

"बिटिया, चिंता मत कर, हम चढ़ा देंगे ट्रेन में।"

उसकी आवाज़ में अपनापन था, जैसे कोई अपना हो। तभी एक और ऐलान हुआ — ट्रेन अब प्लेटफॉर्म नंबर 9 पर आएगी। पुल पार करना था। तीन बैग, भारी पेट और अब बूढ़े काँपते पाँव।

शिवानी ने कहा — "बाबा, रहने दो, मैं किसी और को देख लूँगी।"
पर वो सुन ही नहीं रहा था। सारा सामान एक-एक कर उठाया और धीमे-धीमे सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।

ट्रेन आ चुकी थी। शिवानी ने किसी तरह चढ़ाई की। दरवाज़े पर खड़ी हुई तो देखा — बूढ़ा कुली दौड़ते हुए आया। एक बैग पायदान पर रखा, फिर दूसरा, फिर तीसरा। फिर सिर झुकाकर हाथ जोड़ दिए।

शिवानी ने जेब से पैसे निकालने चाहे — पर वो पहले ही मुड़ चुका था।

ना उसने नाम पूछा, ना दाम लिया — बस हाथ जोड़कर मुस्कुरा गया। उस मुस्कान में एक पिता का प्रेम, एक देवता का धैर्य और एक इंसान की सच्ची सेवा छिपी थी।

दिल्ली पहुँची शिवानी ने कुछ महीनों बाद एक बेटे को जन्म दिया। नाम रखा — “करुण”, उस भावना के नाम पर, जो उसे उस रात एक अजनबी से मिली थी।

वो कुली फिर कभी नहीं मिला। कई बार शिवानी स्टेशन गई — सुबह, दोपहर, रात। हर किसी से पूछा — "वो बाबा कहाँ मिलेंगे?" जवाब मिला — "ऐसे तो कई कुली हैं बहन जी, पर जैसा आप कह रही हो, वैसा कोई बूढ़ा अब नहीं आता यहाँ।"

आज शिवानी एक NGO चलाती हैं — “करुण फाउंडेशन”। स्टेशन के बुजुर्गों, कुलियों और जरूरतमंदों के लिए भोजन, दवाइयाँ और गर्म कपड़े। जब कोई पूछता है — "आप ये सब क्यों कर रही हैं?" तो वो बस मुस्कुरा देती हैं।

क्योंकि कभी एक बूढ़े कुली ने, बिना कुछ लिए, उसकी माँ बनने की राह आसान कर दी थी।

हर मदद पैसों से नहीं होती। कुछ इंसान ऐसे मिलते हैं जो हमें सिखा जाते हैं —
कि इंसानियत की सबसे सुंदर भाषा नि:स्वार्थता होती है।

कुछ चेहरे हमारे जीवन से चले जाते हैं,
पर उनका असर — हमारी आत्मा में हमेशा ज़िंदा रहता है।

🧡 “बीवी खुश नहीं रहती?” – तो जनाब ये 9 हथियार आज़माइए!”शादी सिर्फ फेरे नहीं, रोज़ की समझदारी का इम्तिहान भी होती है। और ...
08/07/2025

🧡 “बीवी खुश नहीं रहती?” – तो जनाब ये 9 हथियार आज़माइए!”
शादी सिर्फ फेरे नहीं, रोज़ की समझदारी का इम्तिहान भी होती है। और अगर आपकी बीवी आपके साथ खुश नहीं है, तो इसका मतलब ये नहीं कि वो आपसे प्यार नहीं करती — बस आपको थोड़ा अपग्रेड होने की ज़रूरत है 😄
तो आइए देखते हैं — “बीवी को खुश रखने का 9 स्टेप्स वाला मंत्र”!

बात करो वरना बात बिगड़ जाएगी!
औरतों को मन पढ़ने वाला जादूगर मत समझिए!

प्यार से बात कीजिए, जैसे किसी दोस्त से करते हैं।

पूछिए – "क्या बात है, मन उदास क्यों है?"

गुस्से या “फिर तुम नाराज़ हो?” टोन से बचिए।

बस सुनिए… बिना सलाह दिए, बिना टोके।

जब वो बोले तो मोबाइल साइड में रख दें — ये खुद में बहुत बड़ा इशारा होता है।

टाइम दो, ताकि टाइम अच्छा बीते!
“बीवी को खुश रखना है तो बॉस की मीटिंग से ज़्यादा उसकी फीलिंग को अहमियत दो।”

दिन में 10 मिनट सिर्फ साथ बैठो — कोई डिस्टर्ब न करे।

वीकेंड पर एक छोटी डेट प्लान करो — कैफे, मूवी या बस एक पार्क वॉक।

साथ में चाय, गपशप और थोड़ी हंसी — यही तो रिश्ते की ऑक्सीजन है।

सरप्राइज़ दो, सिरदर्द नहीं!
हर रोज़ गुलाब नहीं, पर कभी-कभी छोटा सा सरप्राइज़ – सोने पे सुहागा।

उनका फेवरेट स्नैक ले आओ।

एक छोटा सा लव नोट तकिया के नीचे रखो।

अचानक कह दो – "आज तुम्हारे लिए कुछ खास बनाया है।"

चीज़ें महंगी नहीं, भावनाएं भारी होनी चाहिए।

तारीफ में कंजूसी मत करो!
“क्या खूब लग रही हो” ये लाइन शादी के बाद और भी जरूरी हो जाती है।

नया सूट पहना हो या वही पुरानी नाइट ड्रेस — बोलिए, "खूबसूरत लग रही हो यार!"

उनकी मेहनत को नोटिस करो — चाहे घर का काम हो या ऑफिस का।

छोटी चीज़ों की कद्र करना, बड़ा असर करता है।

🫂 Part 5: साथ खड़े रहो, सिर्फ शादी की फोटो में नहीं!
जब वो थकी हो, रो रही हो या चुप हो — तभी आपका असली प्यार दिखता है।

अगर दुखी हैं तो गले लगाओ, बिना कुछ कहे।

कोई टेंशन है तो पूछो — "हम मिलकर हल निकालेंगे।"

उन्हें बताओ — "मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।"

दिल से जुड़ो, सिर्फ शरीर से नहीं
हाथ पकड़ना, आंखों में देखना, कभी-कभी बिना कहे मुस्कुराना — ये भी इश्क़ है जनाब!

रोज़ थोड़ी रोमांटिक बातें करें — “तुमसे मिलकर ही मैं पूरा हुआ हूँ।”

कभी उनकी आँखों में झाँक कर बस मुस्कुराइए — कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।

उनकी पसंद का ख्याल रखो
जब आप उनकी पसंद की परवाह करते हो, तो उन्हें लगता है — “मैं खास हूँ।”

उनका फेवरेट रंग, खाना, म्यूज़िक — याद रखो।

बर्थडे और एनिवर्सरी को भूलना नहीं — वरना अगला ब्लॉग “बीवी गुस्सा क्यों होती है?” होगा!

थोड़ा स्पेस दो, ये ज़रूरी है!
हर बीवी को भी Me-Time चाहिए होता है।

अगर वो किताब पढ़ रही हैं, या फोन पर सहेली से बात कर रही हैं, तो थोड़ा समय उन्हें खुद के लिए रहने दें।

उन्हें ये आज़ादी दें कि वो खुद को भी समय दे सकें — guilt के बिना।

गहराई में झांकिए, न कि नजरअंदाज करिए
लगातार उदासी सिर्फ मूड नहीं, कोई संकेत भी हो सकता है।

कहीं पारिवारिक दबाव, तनाव या कोई ऐसा दर्द तो नहीं जो वो कह नहीं पा रहीं?

अगर बात बहुत समय से ठीक नहीं हो रही, तो काउंसलिंग भी एक समझदार कदम है।

बीवी को खुश रखने के लिए बड़ी-बड़ी बातें नहीं, छोटे-छोटे काम चाहिए।

प्यार, वक्त, समझ, और थोड़ा सरप्राइज़ – यही है फॉर्मूला।

वो आपकी ज़िंदगी की साथी हैं, उन्हें पार्टनर की तरह ट्रीट कीजिए, प्रोजेक्ट की तरह नहीं। #हिन्दीब्लॉग #देसीकहानी #मार्मिककहानी #हिंदीकहानी #दिलसे 😍

🔟 वजहें क्यों एक पत्नी गैर मर्द की ओर आकर्षित हो सकती हैभावनात्मक उपेक्षाजब पति उसकी भावनाओं को नहीं समझता या उसकी बातों...
06/07/2025

🔟 वजहें क्यों एक पत्नी गैर मर्द की ओर आकर्षित हो सकती है
भावनात्मक उपेक्षा
जब पति उसकी भावनाओं को नहीं समझता या उसकी बातों को अहमियत नहीं देता, तो वह उस व्यक्ति की ओर आकर्षित हो सकती है जो उसे समझता है।

सराहना और ध्यान की कमी
अगर पति तारीफ नहीं करता, उसकी सुंदरता या मेहनत को नजरअंदाज़ करता है, तो कोई और जो उसे "महसूस" कराता है कि वो खास है, वह उसके करीब आ सकता है।

रूखे रिश्ते या बोरिंग दांपत्य जीवन
अगर शादी में रोमांस या उत्साह खत्म हो जाए, तो पत्नी बाहर वो नयापन खोज सकती है।

शारीरिक असंतोष
अगर पति उसकी यौन ज़रूरतों की पूर्ति नहीं करता या उसमें रुचि नहीं लेता, तो वह किसी ऐसे पुरुष की ओर आकर्षित हो सकती है जो उसे संतुष्टि दे।

सुनने वाला साथी मिलना
बहुत सी औरतें केवल इसलिए भी भावनात्मक रूप से जुड़ जाती हैं क्योंकि कोई उनकी बात को गंभीरता से सुनता है।

अपमान या हिंसा का माहौल
घरेलू हिंसा या बार-बार अपमानित होने पर, वह सुरक्षा और सहानुभूति ढूंढने लगती है — और वही सहारा अक्सर किसी गैर मर्द से मिल जाता है।

भावनात्मक बदला या नाराज़गी
पति के अफेयर या धोखे के बाद कुछ औरतें "बदले" की भावना से भी ऐसा कदम उठा लेती हैं।

प्यार की कमी और अकेलापन
शादी में होते हुए भी अगर उसे अकेलापन महसूस हो रहा हो, तो वो वहां प्यार ढूंढती है जहां से उसे अपनापन मिले।

पुराने प्यार से जुड़ाव
कभी-कभी पुराने प्रेमी से दोबारा संपर्क होने पर भावनाएं जाग जाती हैं, और शादी के बाहर संबंध बन सकते हैं।

प्रेरणा, सपोर्ट और समान सोच
जब पति उसकी आकांक्षाओं का समर्थन नहीं करता, लेकिन कोई दूसरा पुरुष उसका हौसला बढ़ाता है, तो वह उस ओर आकर्षित हो सकती है।

⚠️ ध्यान दें:
इन वजहों का मतलब यह नहीं कि कोई भी रिश्ता तोड़ देना सही है, लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि कई बार रिश्तों में दरार केवल धोखे से नहीं बल्कि अनदेखी और भावनात्मक दूरी से आती है।

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