
14/07/2025
⭐*फतेहपुर खास खबर ।*
*कोर्ट, कानून, डीएम - एसपी सब पर भारी इंटेलीजेंस प्रभारी !*
*- जमीन पर कब्जा कराना, अधिकारी का निजी मामला कैसे ?*
*- गैर जनपद में जन्मे, फतेहपुर में कर रहे नौकरी, फिर निजी कैसे ?* 👉
*( विवेक मिश्र )*
*दोआबा में नकली करेंसी का जखीरा मिला, एसओजी और इंटेलीजेंस को पता नहीं चला। जनपद में वर्षों से जगह-जगह लालच देकर धर्मांतरण का अवैध सिलसिला चल रहा है लेकिन इन टीमों को पता नहीं चला। संगठित अपराध कहां-कहां चल रहे हैं, इसकी जानकारी भी इन्हें नहीं है। ऐसे अपराधों और बड़े आपराधिक मुद्दों की खुफिया जानकारी जुटाने वाले इंटेलीजेंस विंग ने कोई जानकारी समय रहते तो नहीं जुटाई लेकिन मलवा थाना क्षेत्र की एक जमीन किसकी है, टीम ने दो मिनट में पता कर ली। सिर्फ पता ही नहीं की बल्कि मलवा थानाध्यक्ष को व्यक्तिगत मामला बताते हुए दो मिनट में कब्जा दिलाने का दम्भ भी भरा। जिसका वीडियो वायरल हुआ। यह बेलगाम भाषा और अनुशासन की धज्जियां उड़ाने वाला चेहरा है इंटेलीजेंस विंग के प्रभारी अरुण चतुर्वेदी का। जिस तरह से वीडियो में उनका पुलिसिया रौब पीड़ित पक्ष पर देखने को मिला। ऐसे में तो डीएम और एसपी या अन्य कोई अधिकारी व कर्मचारी किसी भी मामले को अपना निजी मामला बताकर मैदान में आ सकते हैं। यानी कोर्ट कचहरी एक तरफ, अफसरों का व्यक्तिगत मामला एक तरफ !*
*इस पूरे प्रकरण में अब तक जिस तरह से पुलिस अफसरों का मौन रुप सामने आया है, वह भी बहुत ही संदेहास्पद है। अरुण चतुर्वेदी जिनका, हर थाने का कार्यकाल बहुत ही विवादित रहा और उनका काम करने का तरीका अफसरों को कटघरे में खींचता रहा, कई जांचों के बाद उन्हें इंटेलीजेंस प्रभारी जैसा संवेदनशील पद देना ही सवाल खड़े कर रहा है। वायरल वीडियो के बाद तो हर कोई चर्चा कर रहा है कि ऐसे तो कोई भी अधिकारी किसी भी लाभ में किसी भी मामले को व्यक्तिगत कहकर उस पर कब्जा करा देंगे। उनके लिए न्यायालय के आदेश, कानून सब बेकार है। डीएम की कोर्ट में सैकड़ों जमीन के मुकदमे लंबित है, ऐसे में तो डीएम साहब भी किसी मामले को निजी बताकर मैदान में आ सकते हैं, उन्हें तो रोकने वाला भी कोई नहीं है। कप्तान साहब, आपका भी कोई निजी मामला हो तो आप भी मैदान में आ सकते हैं ! सवाल यह उठता है कि इंटेलीजेंस विंग प्रभारी अरुण चतुर्वेदी जो फतेहपुर के रहने वाले तो बिल्कुल नहीं है और न ही यहां जन्मे है। किसी गैर जनपद में पैदा होने और फतेहपुर में महज नौकरी करने पर जमीन पर कब्जा उनका निजी मामला कैसे हो सकता है, यह तो विस्तृत जांच का विषय है। फिलहाल खुलेआम जमीन पर कब्जा दिलाने का यह कांड पुलिसिया विभाग के दामन पर कई दाग और लगाने वाला है। हालांकि पुलिस अधीक्षक अनूप सिंह ने पूरे मामले पर जांच बैठा दी है जांच सीओ सिटी गौरव शर्मा को सौंपी गई है लेकिन आगे इस मामले में क्या होने वाला है वह भविष्य की गर्त में है !*
*– क्या था मामला*
*शनिवार को मलवा थाने में कोराई गांव की एक जमीन को लेकर बवाल मच गया था। अधिवक्ता आदित्य शर्मा ने आरोप लगाया था कि उन्हें थाने बुलाकर जबरन जमीन की नाप कराने का दबाव बनाया गया, जबकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इस दौरान खुद को इंटेलिजेंस प्रभारी बताने वाले अरुण चतुर्वेदी ने कब्जा दिलाने की धमकी दी और अपना निजी मामला बताते हुए अधिवक्ता से अभद्रता करते हुए वकालत का प्रमाण तक मांग लिया। भाजपा मंडल महामंत्री से भी गाली-गलौज कर भगा दिया। थानाध्यक्ष को आदेशित कर कहा कि दो मिनट में जमीन में कब्जा करा दूंगा। पूरे प्रकरण के कई वीडियो अधिवक्ता ने सोशल मीडिया पर वायरल किए, जिसमें अभद्रता स्पष्ट दिख रही है। अरुण चतुर्वेदी पूर्व से विवादित रहे हैं अपनी अराजक कार्यशैली की वजह से निलंबित भी हो चुके हैं।*⭐