11/09/2025
नेपाल के हालिया क्राइसिस (राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक दबाव, आंतरिक टकराव और बाहरी प्रभाव) से भारत को कई अहम सबक मिलते हैं। भारत और नेपाल भले दो अलग देश हैं, लेकिन भौगोलिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से गहरे जुड़े हुए हैं। इसलिए नेपाल की स्थिति भारत के लिए एक सीख का विषय है।
नेपाल क्राइसिस से भारत को मिलने वाली सीखें
1. पड़ोसी की स्थिरता सीधे भारत की सुरक्षा से जुड़ी है
अगर नेपाल अस्थिर होता है तो भारत की सीमा पर शरणार्थी संकट, तस्करी, या राजनीतिक असुरक्षा बढ़ सकती है।
सबक: भारत को अपने पड़ोस में स्थिरता लाने के लिए निरंतर "Neighbourhood First Policy" पर काम करना चाहिए।
2. बाहरी शक्तियों का प्रभाव कम आंकना खतरनाक है
नेपाल में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, जबकि भारत का परंपरागत प्रभाव घट रहा है।
सबक: भारत को सांस्कृतिक जुड़ाव और आर्थिक सहयोग दोनों को संतुलित रखना होगा, वरना वैक्यूम में चीन जैसी ताकतें घुसपैठ कर लेंगी।
3. आर्थिक निर्भरता रिश्तों की कुंजी है
नेपाल की अर्थव्यवस्था काफी हद तक भारत पर निर्भर रही है, लेकिन हाल में चीन की ओर झुकाव देखा गया है।
सबक: भारत को सड़क, बिजली, व्यापार, शिक्षा और रोजगार के अवसरों से नेपाल को गहराई से जोड़ना होगा।
4. संवेदनशीलता और सम्मान जरूरी है
नेपाल में कई बार भारत विरोधी भावनाएँ केवल इस कारण भड़कती हैं कि भारत को "बड़े भाई" की तरह देखा जाता है।
सबक: भारत को "समान भागीदार" का भाव रखना चाहिए, न कि "हावी पड़ोसी" का।
5. जलवायु और आपदा प्रबंधन में सहयोग बढ़ाना होगा
नेपाल भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बार-बार प्रभावित होता है।
सबक: भारत को समय रहते नेपाल के साथ मिलकर क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन ढाँचा मजबूत करना चाहिए।
6. जन-जन के रिश्ते सबसे मजबूत हथियार हैं
नेपाल और भारत के लोगों के बीच विवाह, संस्कृति, तीर्थयात्रा और भाषा का रिश्ता बहुत गहरा है।
सबक: सरकारें बदल सकती हैं, लेकिन "people-to-people connect" को मज़बूत रखना ही असली सुरक्षा गारंटी है।
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👉 कुल मिलाकर, नेपाल संकट भारत को यह सिखाता है कि पड़ोस में स्थिरता, समानता और विश्वास बनाना केवल कूटनीति से नहीं बल्कि आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक जुड़ाव और संवेदनशील व्यवहार से ही संभव है।
वीकेश ऐरई रामगढ़ फ़िरोज़ाबाद 🙏